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आर्थिकी विविधा

मोटिवेशन : ‘नोट बंदी’ का नाजुक दौर और हम

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कहना न होगा, डाक व बैंक कर्मियों पर इस वक्त बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, जिसका निर्वहन उन्हें अत्यधिक तन्मयता, दक्षता, संवेदनशीलता, इमानदारी एवं संयम के साथ करने की आवश्यकता है. बड़े डाकघरों तथा बैंक शाखाओं में पुराने नोट बदलनेवालों, वरीय नागरिक, दिव्यांग और महिलाओं, बड़ी जमा राशि को अपने खाते में जमा करने वाले ग्राहकों आदि के लिए अलग-अलग काउंटर खोलने की जरुरत तो है ही. संबंधित विभागों के वरीय अधिकारियों द्वारा इस कार्य की सतत मॉनिटरिंग भी अपेक्षित है. सिविल सोसाइटी के जाने -माने लोगों को भी अपनी भूमिका दर्ज करने की जरुरत है.

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राजनीति

सैनिक की शहादत पर शर्मनाक राजनीति

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यहां उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि केन्द्र में जब कांगे्रस की सरकार रही, उस समय देश की समस्याओं पर गंभीरता पूर्वक चिंतन करके उसे सुलझाने का प्रयास किया जाता तो संभवत: आज देश की हालत यह नहीं होती। लेकिन कांगे्रस ने कभी भी पूरे मन से देश की समस्याओं को सुलझाने का काम नहीं किया। अगर किया होता तो देश के राजनीतिक परिदृश्य से कांगे्रस का इस प्रकार से विलोपन नहीं होता, जिस प्रकार से लोकसभा के चुनाव में दिखाई दिया। यहां सबसे ज्यादा गौर करने बाली बात यह भी है, आज भी कांगे्रस केवल अपनी स्थिति में सुधार करने का प्रयास करती हुई दिखाई नहीं देती।

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आर्थिकी विविधा

रुपया बड़ा या राष्ट्रहित

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प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ऐसे लोगों को भरपूर भरोसा दिलाते हुए उनके हितों के संरक्षण की बात कही, उन्होंने कहा कि देश के लिए देश का नागरिक कुछ दिनों के लिए यह कठिनाई झेल सकता है, मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों की मदद से भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई को और आगे ले जाना चाहता हूँ, उन्हीं के शब्दों में ‘ तो आइए जाली नोटों का खेल खेलने वालों और कालेधन से इस देश को नुकसान पहुंचाने वालों को नेस्तनाबूत कर दें, ताकि देश का धन देश के काम आ सके, मुझे यकीन है कि मेरे देश का नागरिक कई कठिनाई सहकर भी राष्ट्र निर्माण में योगदान देगा। मोदी के इन शब्दों को पूरे देशवासियों को ध्यान से पढऩा चाहिए। हमें नहीं भूलना चाहिए कि राष्ट्रहित से बड़ा कोई नहीं।

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आर्थिकी विविधा

आखिर इस राष्ट्रहित के निर्णय पर आपत्ति क्यों?

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इन दोनों ही बातों में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रहित को सर्वोपरि माना है, कोई भी समझदार और देशभक्त नागरिक इसका विरोध करेगा ऐसा समझ नहीं आता है। ऐसा पहली बार नहीं है जब राष्ट्रहित की खातिर कोई बड़ा निर्णय लिया गया है। यहां यह भी लिखने में कोई संकोच नहीं है कि इस देश के नागरिकों ने हमेशा राष्ट्रहित हेतु लिए कठोर निर्णयों का न केवल स्वागत किया है बल्कि उसमें तन मन धन से सहयोग भी किया है।

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आर्थिकी विविधा

500 व 1000₹ के नोट बन्द, काले धन व आतंकवाद पर जबरदस्त प्रहार

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देश में प्रचलित कुल मुद्रा का 86% 500 व 1000₹ के नोटों की शक्ल में है। कुल प्रचलित मुद्रा के 86% भाग को फिल्टर करना बहुत बड़ा काम है, जो सरकार की बड़ी पूर्व तैयारी के बिना सम्भव न हो पाता। विचार करें पुराने नोटों के बदले नये नोट बैंक से ही मिलेंगे अर्थात देश में प्रचलित सभी नोट मुद्रा का 86% बैंक में जमा होंगे, आप पुराने नोट बैंक में तय समय सीमा में जमा कराइये, वहां से नये नोट प्राप्त करिये।

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