राजनीति लोकतंत्र के मंदिर से टूटती आस

लोकतंत्र के मंदिर से टूटती आस

–पंकज चतुर्वेदी पिछले कुछ दिनों से भारत के लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत में जो कुछ हो रहा है, वो सीधे –सीधे इस देश की…

Read more
विविधा जनता के पैसे के दुरूपयोग पर चुप्पी, क्यों..?

जनता के पैसे के दुरूपयोग पर चुप्पी, क्यों..?

-नन्‍दलाल शर्मा हालियॉ रिलीज फिल्म ‘नाँकआउट’ का एक चरित्र कहता है। ‘ क्या तुम्हें पता है कि हजार रुपए का नोट ‘ गुलाबी क्यों होता…

Read more
विविधा वाराणसी में विस्‍फोट: आस्था और विश्वास पर हमला

वाराणसी में विस्‍फोट: आस्था और विश्वास पर हमला

लिमटी खरे आस्था के केंद्र वाराणसी में मंगलवार को हुए बम हादसे ने कुछ दिनों की खामोशी को तोड़ दिया है। बनारस में जो कुछ…

Read more
कविता श्रीराम तिवारी की कविता : हारे को हरिनाम है …

श्रीराम तिवारी की कविता : हारे को हरिनाम है …

अब न देश-विदेश है, वैश्वीकरण ही शेष है। नियति नहीं निर्देश है, वैचारिक अतिशेष है।। जाति-धरम-समाज की जड़ें अभी भी शेष हैं। महाकाल के आँगन…

Read more
धर्म-अध्यात्म सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक

सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक

ओ. पी. उनियाल मित्रता एवं सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक मजार एवं गुरुध्दारा। जिनका धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व अपने आप में एक उदाहरण हैं। दर्शनार्थी टेकते…

Read more
विविधा साम्‍यवाद एवं पूंजीवाद का विकल्‍प है एकात्‍म मानवतावाद

साम्‍यवाद एवं पूंजीवाद का विकल्‍प है एकात्‍म मानवतावाद

-राजीव मिश्र स्वतंत्रता के उपरांत के अपने आर्थिक इतिहास के खतरनाक दौर में हम पहूंच गए हैं जबकि सारी व्यवस्था ही टूटती हुई दिखायी पड़ रही…

Read more
विज्ञान महान वैज्ञानिक जगदीश चन्‍द्र बसु

महान वैज्ञानिक जगदीश चन्‍द्र बसु

-मृत्‍युंजय दीक्षित भारतीय मान्यता के अनुसार वनस्पति को भी चेतन और प्राणमय बताने वाले तथा अपने अरुसंधान कार्यों द्वारा संसार को आश्चर्यचकित कर देने वाले…

Read more
धर्म-अध्यात्म आस्था निर्माण की कार्यवाही

आस्था निर्माण की कार्यवाही

-हृदयनारायण दीक्षित प्रत्यक्ष स्वयं प्रमाण होता है। इसे सिध्द करने की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन सारा प्रत्यक्ष देखा और जाना नहीं जा सकता। सृष्टि विराट…

Read more
साहित्‍य साहित्‍य में लोकमंगल की आराधना

साहित्‍य में लोकमंगल की आराधना

-हृदयनारायण दीक्षित शब्द ब्रह्म है। ब्रह्म संपूर्णता है। संपूर्ण और ब्रह्म पर्यायवाची हैं लेकिन संपूर्ण शब्द में ब्रह्म का विराट वर्णन करने की सामर्थ्य नहीं…

Read more
विविधा उल्‍लासधर्मा है भारत का मन

उल्‍लासधर्मा है भारत का मन

हृदयनारायण दीक्षित भारत का मन उल्लासधर्मा है। व्यक्ति की तरह राष्ट्र का भी अंतर्मन होता है। भारत का मन हजारों वर्ष प्राचीन संस्कृति के अविरल…

Read more
विविधा भारतीय चिंतन में रसानुभूति

भारतीय चिंतन में रसानुभूति

हृदयनारायण दीक्षित मनुष्य आनंद अभीप्सु है। भक्तों के अनुसार प्रभु का भजन ही आनंद का स्रोत है। भक्त मुक्ति या मोक्ष नहीं मांगते। प्रभु प्रीति…

Read more
विविधा स्वार्थ अप्रतिम, मूल्यवान, अनिन्दनीय

स्वार्थ अप्रतिम, मूल्यवान, अनिन्दनीय

हृदयनारायण दीक्षित अपना सुख सबकी कामना है। अपनों का सुख इसी अपने का हिस्सा है। तुलसीदास की आत्मानुभूति प्रगाढ़ थी। उन्होंने इसी अपनेपन के लिए…

Read more