धर्म-अध्यात्म आओ, ईश्वर की स्तुति और प्रार्थना करें March 7, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ईश्वर समस्त ऐश्वर्यों का स्वामी होने के कारण ही ईश्वर कहलाता है। जीवात्मा अल्पज्ञ, अल्प शक्ति व सामर्थ्यवाला है। अतः बुद्धि, ज्ञान, स्वास्थ्य, बल, शक्ति व ऐश्वर्य आदि के लिए ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना करना स्वाभाविक व आवश्यक है। महर्षि दयानन्द के आगमन से पूर्व संसार के लोग ईश्वर से क्या व […] Read more » ईश्वर की स्तुति प्रार्थना
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१६ March 6, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment पूतना-वध हो चुका था लेकिन कैसे और क्यों हुआ था, सामान्य मनुष्यों की समझ के बाहर था। यह रहस्य स्वयं नन्द बाबा और मातु यशोदा जिनके नेत्रों के समक्ष यह घटना घटी, वे भी नहीं समझ पाए। मरणोपरान्त पूतना का शव अत्यन्त विशाल और विकराल हो गया। प्रासाद के लंबे-चौड़े आंगन के इस सिरे […] Read more » यशोदानंदन-१६
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१५ March 6, 2015 / March 6, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment नन्द बाबा और मातु यशोदा के नेत्रों से आनन्दाश्रु छलक रहे थे। समस्त गोकुलवासी भी आनन्द-सरिता में गोते लगा रहे थे। जिसे वे एक सामान्य गोप और अपना संगी-साथी समझते थे, वह परब्रह्म है, इसका रहस्योद्घाटन होते ही सभी अतीत में चले गए। कब-कब श्रीकृष्ण के साथ वे झगड़े थे, उसे खेल में हराया […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१४ March 5, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment पुत्र-प्राप्ति के लिए कंस ने नन्द बाबा को बधाई दी, परन्तु जब यह ज्ञात हुआ कि पुत्र का जन्म उसी रात्रि में हुआ था, जिस रात्रि में देवकी ने कन्या को जन्म दिया था, तो उसके माथे पर बल पड़ गए। एक सघन सैन्य अभियान चलाकर उसने मथुरा के सभी नवजात शिशुओं का वध […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म भोले बाबा के त्रिशूल की महिमा March 2, 2015 / March 2, 2015 by सत्यव्रत त्रिपाठी | Leave a Comment आप देश के किसी हिस्से में जाइए। छोटे-छोटे मंदिर हों, गुफा या कंदरा। भोले बाबा का त्रिशूल आपको दिख ही जाएगा। इसकी पूजा-अर्चना भी होती है। दरअसल, त्रिशूल त्रिदेवों में एक, सृष्टि के संहारक महादेव शंकर का अस्त्र है। इसे धारण करने से ही शिव का शूलपाणि भी कहा जाता है। वैसे, त्रिशूल से मतलब […] Read more » त्रिशूल की महिमा
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१३ March 2, 2015 / March 2, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment कंस एक क्रूर अधिनायक था। पर साथ ही चतुर और धूर्त राजनीतिज्ञ भी था। मथुरा का वह राजा बन ही गया था। वहां की प्रजा, ऐसा प्रतीत होता था कि एक सांस लेने के बाद दूसरी सांस लेने के लिए कंस की आज्ञा की प्रतीक्षा करती थी। परन्तु उसने अन्य गणराज्यों की शासन-व्यवस्था में सीधे […] Read more » yashodanandan यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म सृष्टि की रचना, संचालन व प्रलय से जुड़े प्रश्नों पर विचार March 2, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हम पृथिवी पर रहते हैं और इससे जीवन पाते हैं। पृथिवी में ही हम श्वांस लेना आरम्भ करते हैं, जीवन भर लेते हैं और मृत्यु के अवसर पर अन्तिम श्वांस लेकर इस शरीर को छोड़कर अपने कर्मों व प्रारब्ध के अनुसार ईश्वर की व्यवस्था से नया जन्म, योनि व जीवन पाते हैं। हमारी पृथिवी हमारे […] Read more » ‘सृष्टि की रचना संचालन व प्रलय से जुड़े प्रश्नों पर विचार’
धर्म-अध्यात्म ईश्वर कहाँ है ? February 28, 2015 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 2 Comments on ईश्वर कहाँ है ? डा. अरविन्द कुमार सिंह विवेकानन्द ने रामकृष्ण परमहंस से दो बहुत ही कठिनतम प्रश्न पूछे। पहला प्रश्न था – ‘‘ क्या आपने ईश्वर को देखा है? इसका जो उत्तर विवेकानन्द को मिला, वो हतप्रभ करने के लिये प्रर्याप्त था या कहे आशा के विपरित था। रामकृष्ण परमहंस ने कहा – ‘‘ हाँ, मैने […] Read more » ईश्वर कहाँ है
धर्म-अध्यात्म वेदाध्ययन में स्त्रियों व दलितों सहित सभी का समान अधिकार February 28, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है जिसका उद्देश्य सभी विषयों, तृण से लेकर ईश्वर पर्यन्त, में मनुष्यों को सत्य व असत्य का विवेक कराना है। यदि ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में वेदों का ज्ञान न दिया होता तो मनुष्य आंख, नाक, कान, मुंह, जिह्वा, कण्ठ, मन व बुद्धि के होते हुए भी अज्ञानी ही रहते। […] Read more » वेदाध्ययन में स्त्रियों व दलितों का समान अधिकार
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१२ February 28, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment योगमाया का प्रभाव समाप्त होते ही मातु यशोदा की निद्रा जाती रही। जैसे ही उनकी दृष्टि बगल में लेटे और हाथ-पांव मारते शिशु पर पड़ी, वे आनन्दातिरेक से भर उठीं। शिशु एक पवित्र मुस्कान के साथ उनको देखे ही जा रहा था। उन्होंने उसे उठाकर हृदय से लगाया। हृदय से लगते ही दूसरे क्षण शिशु […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-११ February 27, 2015 / February 27, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment कंस तो कंस था। वह पाषाण की तरह देवी देवकी की याचना सुनता रहा, पर तनिक भी प्रभावित नहीं हुआ। देवी देवकी ने कन्या को अपनी गोद में छिपाकर आंचल से ढंक दिया था, परन्तु कंस ने आगे बढ़कर गोद से कन्या छीन ली। स्वार्थ और भय ने उसके हृदय से स्नेह और सौहार्द्र […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१० February 27, 2015 / February 27, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment मेघ, दामिनी और चन्द्रमा – तीनों ने जगत्पिता के एक साथ दर्शन किए। अतृप्ति बढ़ती गई। तीनों पूर्ण वेग से आकाश में प्रकट होने की प्रतियोगिता करने लगे। दामिनी की इच्छा थी कि वह प्रभु का मार्गदर्शन करे और चन्द्रमा की इच्छा थी कि वह करे। मेघ और दामिनी की इस दुर्लभ संधि ने […] Read more » यशोदानंदन