आर्थिकी आंकड़ों में उलझी हुई गरीबी December 20, 2010 / December 18, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on आंकड़ों में उलझी हुई गरीबी सतीश सिंह हमारे देश में गरीबों की पहचान करने के दो तरीके प्रचलित हैं। पहला तरीका योजना आयोग का है और दूसरा तेंदुलकर समिति का, पर अफसोस की बात यह है कि हम दोनों तरीकों के रास्तों पर चलकर भी गरीबों की वास्तविक संख्या के बारे में पता नहीं लगा पा रहे हैं। इसके बावजूद भी […] Read more » poverty गरीबी
आर्थिकी रक्त मुद्रा की समानांतर अर्थव्यवस्था November 20, 2010 / December 19, 2011 by रामदास सोनी | Leave a Comment –रामदास सोनी धन वैध हो या अवैध, मनुष्य के ईमान को हिलाकर रख देता है। अकूत धन कमाने की लालसा निंरतर बढ़ती जाती है, यह लालसा एक ऐसा चक्रव्यूह है जिसमें आदमी प्रवेश तो कर जाता है लेकिन उसका बाहर आ पाना मुश्किल हो जाता है। आज भारत में काले धन की समानांतर व्यवस्था चल […] Read more » economy and black money कालाधन
आर्थिकी उत्सर्जन व्यापार October 17, 2010 / December 21, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -कल्पना पालखीवाला उत्सर्जन व्यापार, यानी उत्सर्जन की अंतिम सीमा निर्धारित करना और व्यापार प्रदूषण को नियंत्रित करने का बाजार आधारित दृष्टिकोण है जिसके तहत उत्सर्जन में कटौती करने वालों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। कोई केंद्रीय प्राधिकरण या नियामक वह सीमा/हद तय करता है जितनी मात्रा तक कोई प्रदूषक उर्त्सजन कर सकता है, […] Read more » Profession उत्सर्जन व्यापार
आर्थिकी दीनदयाल उपाध्याय चिन्तन की प्रासंगिकता September 29, 2010 / December 22, 2011 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 4 Comments on दीनदयाल उपाध्याय चिन्तन की प्रासंगिकता -डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री दीनदयाल उपाध्याय जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे। 1950 में जब भारतीय जनसंघ का गठन हुआ तो वे जनसंघ का कार्य देखने लगे। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था यदि मुझे दीनदयाल उपाध्याय जैसे चार कार्यकर्ता मिल जाये तो मैं देश की राजनीति बदल सकता हूं। उपाध्याय जी जोड़ने […] Read more » Deen Dayal Upadyay पं.दीनदयाल उपाध्याय
आर्थिकी समग्र विकास के लिए हितधारक भागीदारी संवर्धन एवं भारतीय कोरपोरेट क्षेत्र का विकास August 7, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -आर बंदोपाध्याय आर्थिक सुधार, जो 1980 के दशक में शुरू किया गया और मौजूदा दशक में जिसे नयी दिशा दी गयी, के साथ भारतीय कोरपोरेट क्षेत्र लगातार विकास कर रहा है और लगातार वैश्विक अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है। जहां पिछली सहस्राब्दि के अंतिम दशक में विदेशी कंपनियों ने भारत में खूब […] Read more » Corporate भारतीय कोरपोरेट क्षेत्र
आर्थिकी कहां और कैसा विकास August 6, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 7 Comments on कहां और कैसा विकास -चन्द्रकांत सारास्वत केन्द्र में जब वाजपेयी की सरकार थी तब उन्होंने ‘भारत उदय’ की बात की थी। उसके बाद आई कांग्रेस सरकार के मंत्री भी बार-बार ये दोहराते रहते हैं कि भारत विकास कर रहा है। सरकार आम आदमी का विकास कर रही है। सरकारों के इस राग में मीडिया भी ताल दे रहा है। […] Read more » Developement विकास
आर्थिकी भारतीय अर्थव्यवस्था और संप्रग रिपोर्ट कार्ड June 10, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -अशोक हांडू भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुरूप मानसून ने 31 मई 2010 को केरल के तट पर दस्तक दी। वैश्विक आर्थिक संकट और सूखे के कठिन दौर से निकलने के बाद इस साल का मानसून देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। अच्छी शुरुआत होने के कारण यह उम्मीद की जा सकती […] Read more » Economy अर्थव्यवस्था संप्रग
आर्थिकी खेत-खलिहान अनुसंधान से आर्थिक उन्नति संभव – मुलख राज विरमानी May 19, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on अनुसंधान से आर्थिक उन्नति संभव – मुलख राज विरमानी भारत के उद्योगपति अनुसंधान में इतनी रुचि नहीं लेते जितना संपन्न हुए देशों के उद्योगपति। यह कड़वा सत्य भारत की सबसे बड़ी कमजोरी है। कुछ थोड़े से उद्योगपतियों ने इस ओर ध्यान दिया वह आज अपने उद्योग के क्षेत्र में विश्व के उद्योगपतियों के बराबर हैं या उनसे भी आगे निकल गए। उदाहरणतया कुछ भारतीय […] Read more » Dairy कृषि गाय डेरी
आर्थिकी गरीबी की भयावहता के लिए कौन हैं जिम्मेदार May 18, 2010 / December 23, 2011 by अखिलेश आर्येन्दु | 4 Comments on गरीबी की भयावहता के लिए कौन हैं जिम्मेदार अखिलेश आर्येन्दु डॉ. अर्जुन सेनगुप्ता की रिपोर्ट के मुताबिक देश में गरीबी और गरीबों की तादाद में कमी की जगह इजाफ़ा हुआ है। रपट पढ़कर गरीबी-अमीरी का भारी अंतर समझ में आता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अस्सी करोड़ लोग महज 20 रुपये रोज पर गुजारा करते हैं। इस रिपोर्ट से हैरानी और चिंता […] Read more » poverty गरीबी
आर्थिकी आम आदमी और बजट May 7, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -वेद प्रकाश अरोड़ा बजट सरकार की आमदनी और खर्चों का बहीखाता ही नहीं होता, वह सरकार की आर्थिक नीतियों, सुधारों और राहों के कांटों-कठिनाइयों को हटाकर सुखद समाधान प्रस्तुत करने की दूर दृष्टि और भावी नीतियां तथा कार्यक्रम भी अपने दामन में लिए रहता है। कह सकते हैं कि वह विगत कल की उपलब्धियों, कमियों, […] Read more » Budget आम आदमी बजट
आर्थिकी रोज़गार सृजित करता भारत का चमड़ा उद्योग May 7, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -समीर पुष्प आर्थिक दृष्टि से चमड़ा उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था में विशिष्ट स्थान है। रोजगार, वृद्धि एवं निर्यात की चमड़ा उद्योग की व्यापक क्षमता इसे भारत में बहुत से लोगों के लिए जीविका का स्रोत बनाती है। यह खासकर समाज के कमजोर तबके को रोजगार मुहैया करवा कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है। […] Read more » Profession चमड़ा उद्योग रोज़गार
आर्थिकी व्यंग्य व्यंग्य/ हम जिंदा हैं मेरे भाई! April 22, 2010 / December 24, 2011 by अशोक गौतम | 1 Comment on व्यंग्य/ हम जिंदा हैं मेरे भाई! सौ चूहे खाकर शान से पास बैठी बिल्ली ने नजरें मटकाते कहा, ‘हज करने जा रही हूं। हैप्पी जरनी नहीं कहोगे?’ तो मैंने मन ही मन मुसकाते कहा, ‘एक तो सौ चूहे खाकर बिल्ली हज करने नहीं जा सकती और जाएगी तो हज में नहीं पहुंच पाएगी। कहीं और ही पहुंचेगी।’ ‘क्यों?’ ‘उसका पेट भारी […] Read more » vyangya व्यंग्य