जन-जागरण जन-धन योजना- अब गुलाम नहीं रहेंगे गरीब August 30, 2014 by सुरेश हिन्दुस्थानी | 2 Comments on जन-धन योजना- अब गुलाम नहीं रहेंगे गरीब -सुरेश हिन्दुस्थानी- भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जन धन योजना के नाम पर पूरे देश को बैंकिंग से जोडऩे का जो मूल्यवान काम किया है। इससे गरीबों को केन्द्र की योजनाओं का सीधे लाभ मिलेगा। केन्द्र सरकार की मंशा यह भी हो सकती है कि देश के नागरिकों को जो शासन की योजनाओं का […] Read more » जन-धन योजना नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री
जन-जागरण बिहार को बैराज से बचाओ August 29, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -अरुण तिवारी- महाराष्ट्र और गुजरात ऐसे राज्य हैं, जहां किसी भी तीसरे राज्य की तुलना में सिंचाई के लिए सबसे ज्यादा बांध बने। इन दोनो राज्यों ने आजादी से अब तक भारत के कुल सिंचाई बजट का सबसे ज्यादा हिस्सा पाया; बावजूद इसके इनके बांधों में फरवरी आते-आते पानी नहीं रहता। मार्च आते-आते महाराष्ट्र के […] Read more » उत्तर प्रदेश बिहार बिहार को बैराज से बचाओ बैराज महाराष्ट्र
जन-जागरण तालिबानी फरमान- आस्था लहूलुहान August 29, 2014 by निर्मल रानी | 2 Comments on तालिबानी फरमान- आस्था लहूलुहान -निर्मल रानी – भय-भूख और भ्रष्टाचार से जूझने वाला हमारा देश भारतवर्ष इन दिनों अपनी मूल समस्याओं से निपटने के बजाए फिऱक़ापरस्ती, धार्मिक उन्माद तथा धार्मिक आस्था जैसे व्यक्तिगत् विषयों पर होने वाले हमलों से जूझ रहा है। धार्मिक आस्था एवं विश्वास के संदर्भ में जिस भारतवर्ष को दुनिया का सबसे लचीला व उदारवादी देश समझा जाता था, आस्था […] Read more » ‘तालिबानी फरमान आस्था धार्मिक आस्था
कला-संस्कृति जन-जागरण अस्पृश्यता – सामाजिक विकृति August 28, 2014 by राजीव गुप्ता | 1 Comment on अस्पृश्यता – सामाजिक विकृति -राजीव गुप्ता- भारत एक प्राचीन देश है. यहां की सभ्यता – संस्कृति अपेक्षाकृत अत्यंत पुरानी है. साथ ही प्रकृति सम्मत होने के कारण भारत का अतीत बहुत ही गौरवशाली रहा है. भारत के रंग – बिरंगे त्योहारों, यहां की अनेक बोलियां, विभिन्न प्रकार के परिधानों इत्यादि के कारण इसे बहुधा विविधताओं का देश कहा जाता […] Read more » अस्पृश्यता छुआछूत सामाजिक विकृति
जन-जागरण टॉप स्टोरी पर्यावरण विविधा ‘नमामि गंगे’ अतीत, वर्तमान और सरकारी योजनाएं August 26, 2014 by लखेश्वर चंद्रवंशी | Leave a Comment गंगा की दुर्दशा के लिए गंगा को प्रदूषित करनेवाले जितने जिम्मेदार हैं, उससे कहीं ज्यादा वे लोग भी जिम्मेदार हैं जिनपर गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का दायित्व दिया गया था। यदि अधिकारी, मंत्री और कर्मचारी सही तरीके से ईमानदारी से अपना दायित्व पूर्ण करते, तो आज गंगा को प्रदुषण मुक्त बनाया जा सकता था। […] Read more » नमामि गंगे
जन-जागरण महत्वपूर्ण लेख ‘महर्षि दयानन्द और आर्य समाज का हिन्दी के प्रचार प्रसार में योगदान’ August 25, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य भारतवर्ष के इतिहास में महर्षि दयानन्द पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने अहिन्दी भाषी गुजराती होते हुए पराधीन भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए हिन्दी को सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकर मन, वचन व कर्म से इसका प्रचार-प्रसार किया। उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि हिन्दी, जिसे स्वामी दयानन्द […] Read more »
जन-जागरण स्वास्थ्य-योग इबोला: बीमारी या महामारी का हौवा August 25, 2014 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव एड्स, हीपेटाईटिस-बी, स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू के बाद इबोला वायरस को वैश्विक आपदा के रूप में पेश किया जा रहा है। क्योंकि यह संक्रामक बीमारी है, इसलिए दुनियांभर में आसानी से फैल सकती है। इबोला को महामारी बताकर इससे सतर्क रहने की जागरूकता फैलाने के काम में अमेरिका लग गया है। […] Read more » इबोला
जन-जागरण समाज सत्य एवं तथ्य को नकारता ‘कथन भागवत’ August 25, 2014 / August 25, 2014 by तनवीर जाफरी | 4 Comments on सत्य एवं तथ्य को नकारता ‘कथन भागवत’ तनवीर जाफ़री देश में कुछ समय पूर्व हुए लोकसभा के आम चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा देश के वर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह से बीबीस ने यह प्रश्र किया था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक गुरु गोलवरकर ने अपनी पुस्तक बंच ऑफ थॉटस में यह लिखा है कि […] Read more » सत्य एवं तथ्य को नकारता कथन भागवत
जन-जागरण विविधा कंपनी या कारू का खजाना…? August 25, 2014 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा एक कंपनी के कई कारोबार। कारोबार में शामिल पत्र – पत्रिकाओं का भी व्यापार। महिलाओं की एक पत्रिका की संपादिका का मासिक वेतन साढ़े सात लाख रुपए तो समाचार पत्र समूह के सीईओ का साढ़े सोलह लाख से कुछ कम। पढ़ने – सुनने में यह भले यह अविश्सनीय सा लगे, लेकिन है […] Read more » कंपनी या कारू का खजाना
जन-जागरण समाज इस देश में कौन है हिंदू! August 25, 2014 / August 25, 2014 by संजय द्विवेदी | 1 Comment on इस देश में कौन है हिंदू! संजय द्विवेदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत पर इस समय देश की राजनीतिक पार्टियां खासी नाराज हैं। विवाद एक शब्द को लेकर है कि उन्होंने हिंदुस्तान में रहने वालों को ‘हिंदू’ क्यों कहा। जाहिर तौर पर प्रथम दृष्ट्या यह विवाद सिर्फ शब्दों का मामला नहीं है, यह मामला राजनीति का है और इसकी […] Read more » who is a hindu in hindustan इस देश में कौन है हिंदू!
जन-जागरण विधि-कानून सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एआर दवे का कथन- कर्म का संदेश देती है गीता August 12, 2014 / August 13, 2014 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एआर दवे का कथन- कर्म का संदेश देती है गीता संदर्भः- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एआर दवे का कथन- कर्म का संदेश देती है गीता -प्रमोद भार्गव- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ए.आर. दवे ने कहा है कि, ‘‘यदि मैं भारत का तानाशाह होता, तो कक्षा एक से गीता और महाभारत की शिक्षा अनिवार्य कर देता। क्योंकि ये ग्रंथ आपको जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं। […] Read more » सवौच्च न्यायालय के न्यायाधीश एआर दवे का कथन- कर्म का संदेश देती है गीता
जन-जागरण विविधा भारत की स्वतंत्रता के सड़सठ साल : “देशहित में आखिर हुआ क्या ? “ August 12, 2014 / August 12, 2014 by आलोक कुमार | 2 Comments on भारत की स्वतंत्रता के सड़सठ साल : “देशहित में आखिर हुआ क्या ? “ भारत को स्वतंत्र हुए भी सड़सठ साल हो गए हैं और साथ में भारतीय संसद भी साठ साल से ऊपर की हो गई है। भारतीय संसद पर जिस तरह अब तक लिखा गया है , दिखाया गया है और जिस तरह उसे महिमामंडित किया गया है , विशेषकर राजनीतिक तबके की ठकुर-सुहाती करने वाले स्वयंभु-पंडितों […] Read more » on the completion of 67 years of independence भारत की स्वतंत्रता के सड़सठ साल