Category: विश्ववार्ता

विविधा विश्ववार्ता

कौन सुनेगा बांग्लादेशी हिंदुओं की आवाज ?

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भारत की राजनीति अल्पंख्यकवाद पर टिकी हुई है। लोकसभा व विधानसभा चुनाव आते ही सभी दल अल्पसंख्यकों के हितों को पूरे जोर शोर से उठाने लग जाते हैं। अल्पंसख्यकों के मुददे उठाते समय इन सभी दलों को देशहित व समाजहित की कतई चिंता नहीं रहती है। लेकिन जब हमारे ही पड़ोसी देश बांग्लादेश वा पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू अल्पंसख्यकों पर अत्याचार होते हैं तब कोई अल्पसंख्यकवादी नेता, बुद्धिजीवी व मानवाधिकारी उनके हितों की रक्षा करने के लिए आगे नहीं आता।

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डोनल्ड ट्रंप के नेतृत्व मे अमेरिका बनेगा भारत का अहम साझेदार 

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डोनल्ड ट्रम्प ने अपने प्रचार अभियान के दौरान पाकिस्तान के प्रति भी अपना कड़ा रुख दिखाया था। उन्होंने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि पाकिस्तान एक अस्थिर देश है और वहां मौजूद परमाणु हथियारों से पूरी दुनिया खतरे में है। ट्रम्प ने कहा था कि पाकिस्तान ने 9/11 के बाद अमेरिका को कई बार धोखा दिया है। उन्होंने अपने राष्ट्रपति बनने पर पाकिस्तान को हर गलती के लिए सजा देने की बात भी कही थी।

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अक्साई चीन: भारत-चीन सीमा विवाद की जड़

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वह रेखा जो भारतीय कश्मीर के क्षेत्रों को अक्साई चिन से अलग करती है 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' के रूप में जानी जाती है। अक्साई चीन भारत और चीन के बीच चल रहे दो मुख्य सीमा विवाद में से एक है। चीन के साथ अन्य विवाद अरुणाचल प्रदेश से संबंधित है। अमेरिकी राजदूत के अरुणाचल दौरा पर विवाद:-चीन ने 24 अक्टूबर2016 को अमेरिका को चेतावनी दी कि चीन-भारत सीमा विवाद में उसका कोई भी हस्तक्षेप इस विषय को ‘और भी पेचीदा’ बनाएगा और सीमा पर कड़ी मेहनत से हासिल की गई शांति में खलल डालेगा।

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हे पाकिस्तान….अब तेरा क्या होगा?

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उरी हमले की निन्दा देश के सभी दल एक स्वर में कर रहे हैं। निन्दा करनी भी चाहिए । भारत अपनी बहुत-सी विशेषताओं के लिए सदा प्रसिद्ध रहा है। जिसमें यह भी है कि भारत बहुत ही सोच समझ कर प्रत्येक कदम उठाता है। क्योंकि भारत एक शान्तिप्रिय राष्ट्र है, अतः शान्ति बनाये रखना इसका परम कर्तव्य स्वतः ही बन जाता है किन्तु शान्तिप्रिय होने का तात्पर्य यह भी नहीं है कि कोई हमारे एक गाल पर थप्पड़ मारे और हम दूसरा गाल आगे बढ़ाते हुए यह कहे कि ये भी बाकि है। सहने की भी कोई सीमा होती है, जब सीमा पूर्ण हो जाती है तब कुछ निश्चयात्मक सोचना ही पड़ता है। ऐसा ही कुछ भारत को सोचना और करना पड़ा।

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