कहानी साहित्य वह सब की सुनता है ओर सबकी मदद करता है March 22, 2018 by आर के रस्तोगी | 2 Comments on वह सब की सुनता है ओर सबकी मदद करता है एक मेजर के नेतृत्व में 15 जवानो की एक टुकड़ी हिमालय पर्वत में अपने रास्ते पर थी उन्हे ऊपर कही तीन महीने के लिए दूसरी टुकड़ी के लिए तैनात होना था | दुर्गम स्थान,ठण्ड और बर्फवारी ने चढ़ाई की कठिनाई और बढ़ा थी|बेतहासा ठण्ड में मेजर ने सोचा कि अगर उन्हें यहाँ एक कप चाय […] Read more » Featured God god is every where मदद
कहानी साहित्य उस बुजुर्ग की एक छोटी सी सीख ने बदल दी मेरी सोच March 3, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment तब मैं 11वीं का छात्र था और हास्टल में रहा करता था। मेरा हास्टल और इंटर कालेज मेरे गांव से 30 से 35 किमी ही दूर था और वह सरकारी था। इसलिए वहां मेश आदि की कोई सुविधा नहीं थी। लिहाजा खाना आदि हम लोग स्वयं बनाते थे और उसके लिए राशन पानी यहां तक […] Read more » Featured बुजुर्ग बुजुर्ग की छोटी सी सीख
कहानी साहित्य कोई भी नई चीज आ जाने पर पुरानी चीज पुरानी हो जाती है ………… February 19, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment दीपिका बात है 2011 की जब मैंने अपने जीवन मे किसी खास को पहला तोहफा दिया . हम पीजी की पढ़ाई कर रहे थे और हॉस्टल मे रहते थे. पैसा घर से ही आता था (खर्च का) और उसी मे सब कुछ देखना पड़ता था. मेरे किसी खास का जन्मदिन आ रहा था.प्लान करना शुरू कर दिया था कि क्या दे. मेरी मदद करने […] Read more » पुरानी चीज
कहानी साहित्य एक थी माया ………….!!! February 7, 2018 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment :: १ ::: मैं सर झुका कर उस वक़्त बिक्री का हिसाब लिख रहा था कि उसकी धीमी आवाज सुनाई दी, “अभय, खाना खा लो” ,मैंने सर उठा कर उसकी तरफ देखा, मैंने उससे कहा ,” माया , मै आज डिब्बा नहीं लाया हूं ।” दरअसल सच तो यही था कि मेरे घर में उस दिन खाना नहीं बना था । गरीबी का वो ऐसा दौर था कि […] Read more » Featured माया
कहानी साहित्य जंगलज़ेन शेरु January 18, 2018 by गंगानन्द झा | Leave a Comment गंगानन्द झा स्वामी विवेकानन्द को प्रासंगिकता से युक्त रखने में रामकृष्ण मिशन की निर्णायक भूमिका है। मिशन के संन्यासी आध्यात्मिक, शैक्षणिक, और सामाजिक स्तरों पर लगातार स्वामीजी की साधना और व्रत का पालन करते जा रहे हैं। स्वामी समर्पणानन्द उन संन्यासियों में एक हैं। वे अपने मिशन के विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। उन्होंने समर्पण के […] Read more » Featured जंगलज़ेन शेरु स्वामी विवेकानन्द
कहानी साहित्य नींद नैन में बस जाती है October 13, 2017 by बीनू भटनागर | Leave a Comment नींद हमे जब ना आती है चलती घड़ी रुक सी जाती है। कलम उठाकर लिखना चाहूँ भूली बीसरी याद आती है। कलम जब कभी रुक जाती है नींद कंहा फिर तब आती है। कोई कहानी मुकम्मल होकर जब काग़ज पे उतर आती है, नींद नैन में बस जाती है। शब्द कभी कहीं खो जाते हैं भाव रुलाने लग जाते हैं किसी पुराने गाने की लय पर कोई कविता जब बन जाती है। नींद हमें फिर आ जाती है। राह में जब रोड़े आते है, चलते चलते थक जाते हैं पैरों में छाले पड़ जाते ऐसे सपने हमें आते है, कोई नई कहानी तब सपनो में ही गढ़ी जाती है, नींद चौंक कर खुल जाती है। Read more » नींद नैन में बस जाती है
कहानी साहित्य काट औ छाँट जो रही जग में ! October 10, 2017 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment काट औ छाँट जो रही जग में, दाग बेदाग़ जो रहे मग में; बढ़ा सौन्दर्य वे रहे प्रकृति, रचे ब्रह्माण्ड गति औ व्याप्ति ! कष्ट पत्ती सही तो रंग बदली, लालिमा ले के लगी वह गहमी; गही महिमा ललाट लौ लहकी, किसी ने माधुरी वहाँ देखी ! सेब जो जंगलों में सेवा किये, […] Read more » काट औ छाँट
कहानी साहित्य पारिजात के फूल October 7, 2017 / October 7, 2017 by विजय कुमार सप्पाती | 1 Comment on पारिजात के फूल भाग 1 – 1982 वह सर्दियों के दिन थे. मैं अपनी फैक्टरी से नाईट शिफ्ट करके बाहर निकला और पार्किंग से अपनी साइकिल उठाकर घर की ओर चल पड़ा. सुबह के 8:00 बज रहे थे. मैं अपने घर के सामने से गुजरा. मां दरवाजे पर खड़ी थी, मैंने मां को बोला ‘मां नहाने का पानी […] Read more » Featured पारिजात
कहानी साहित्य छोटी अम्मा की बेटी August 19, 2017 by सुधीर मौर्य | Leave a Comment सुधीर मौर्य मेरे पिता ज़मीदार नहीं थे पर उनका रुतबा किसी ज़मीदार से कम नहीं था। उनका रुतबा होता भी कैसे कम वो एक ज़मीदार के बेटे और ज़मीदार भाई थे। मेरे पिता तीन भाई थे और तीनो में वे छोटे। मेरे पिता के दोनों बड़े भाई स्कूल से आगे नहीं गए। सच तो ये […] Read more » छोटी अम्मा की बेटी
कहानी साहित्य औरत, औरत की दुश्मन.. August 10, 2017 / August 10, 2017 by अमन कौशिक | Leave a Comment हर शाम की तरह आज भी ऑफिस से आने के बाद घर का वही माहौल था। सब बैठ कर, एक टीम बना कर इधर उधर की बातें कम और चुगलियां ज्यादा कर रहे थे, और मम्मी हमेशा की तरह टीम की कप्तान थी। शायद वो सही कहता है, कि तुम्हारी माँ सब को अपने उंगली […] Read more » औरत औरत की दुश्मन
कहानी साहित्य कब्र का अजाब July 18, 2017 by आरिफा एविस | Leave a Comment आरिफा एविस ‘नहीं, मदरसे में रूही नहीं जायेगी . ‘पर क्यों अम्मी?’ ‘कहा ना अब वो नहीं जायेगी मदरसे में बस..’ ‘तो क्या रूही आपा अपना कुरआन पूरा नहीं कर पाएंगी ?’ ‘मैंने यह तो नहीं कहा कि रूही अपना कुरआन पूरा नहीं करेगी. मैंने तो इतना ही कहा कि वो अब मदरसे में पढ़ने […] Read more » Featured punishment in the grave कब्र का अजाब
कहानी साहित्य जाम का पेड़ July 7, 2017 / July 7, 2017 by आशीष श्रीवास्तव | 9 Comments on जाम का पेड़ आशीष श्रीवास्तव दादीजी अपने बेटे-बहू और पोती के साथ नये मकान में रहने आयीं तो देखा मोहल्ले में हरियाली का नामोनिशान नहीं। कहीं पर भी पेड़ नहीं फलदार पेड़ तो मोहल्ले के आसपास भी नहीं दिख रहे थे। लोगों ने कुछ पौधे अवश्य गमलों में उगा रखे थे लेकिन वे असली हैं या नकली, ये […] Read more » पेड़़