कविता मोदी जी के सात मन्त्र April 14, 2020 / April 14, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment सात बातो में साथ आपका चाहिए |देश को कोरोना मुक्त होना चाहिए || करे उन सब बुजुर्गो का हम ख्याल |जो असमर्थ असहाय और है बेहाल ||करना है उन सबका हमे ध्यान |तभी होगा ये मेरा भारत महान ||बस बुजुर्गो का आशीर्वाद चाहिए—-सात बातो में —— निकले घर से अपना मुहँ ढक कर |बनाये दूरी […] Read more » मोदी जी के सात मन्त्र
कविता बचाना है जान को जहान को April 12, 2020 / April 12, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बचाना है जान को जहान को ,बचाना है अब हर इंसान को |यही ध्येय होगा अब हमारा ,ये सन्देश पहुँचे हर इंसान को || सबका साथ हो सबका विश्वास हो ,आशा के साथ सबका विकास हो |तब ही कोरोना को जीत पायेंगे ,ऐसा जन-जन में विश्वाश हो || लॉक डाउन ही एक आस है ,बनी […] Read more » Have to save lives बचाना है जान को जहान को
कविता मुलाकात April 11, 2020 / April 11, 2020 by अलका सिन्हा | Leave a Comment मुलाकात नहीं हुई है कई रोज से हालांकि हम साथ-साथ रहते हैं। शाम को जल्दी आ जाना डॉक्टर के पास जाना है या फिर, जमा कर दिया है बिजली का बिल- नहीं होती है बात। बरसों-बरस साथ रहते, सोते, खाते दफ्तर जाते- नहीं होती मुलाकात। जिम्मेदारियां निभाते, काम निबटाते, खो जाती है बात। […] Read more » मुलाकात
कविता बनारस की गली में April 10, 2020 / April 10, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment बनारस की गली मेंदिखी एक लड़कीदेखते ही सीने मेंआग एक भड़की कमर की लचक सेमुड़ती थी गंगादिखती थी भोली सीपहन के लहंगामिलेगी वो फिर सेदाईं आंख फड़कीबनारस की गली में… पुजारी मैं मंदिर काकन्या वो कुआंरीनिंदिया भी आए नाकैसी ये बीमारीकहूं क्या जब सेदिल बनके धड़कीबनारस की गली में… मालूम ना शहर हैघर ना ठिकानालगाके […] Read more »
कविता लॉक डाउन है,घर से निकलते क्यों हो | April 10, 2020 / April 10, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment लॉक डाउन है,घर से निकलते क्यों हो |फिर बेबजह पुलिस से इलझते क्यों हो || मालूम है तुमको कोरोना कहर ढा रहा |फिर मौत को गले लगाते क्यों हो || घर में है जब सुंदर सी पत्नि तुम्हारी |फिर बाहर जाकर इश्क लडाते क्यों हो || बूढ़े हो गये जवानी ढल गयी है तुम्हारी |फिर […] Read more » It is locked down why do you leave the house. लॉक डाउन
कविता बिगड़े हालत तो शायद सुधर जायेगे | April 9, 2020 / April 9, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बिगड़े हालत तो शायद सुधर जायेगे |पर कुछ लोग तो,नजरो से उतर जायेगे || किसीको क्या पता,भविष्य में क्या हो जायेगा |अगर हालात नहीं सुधरे तो हम किधर जायेगे || अच्छा है आज घर में लोग सब एक साथ है |लोक डाउन खुला तो,लोग फिर किधर जायेगे || मानते रहे कहना,लोग अनुशासन में आ जायेगे […] Read more »
कविता कौन सा दीया किसके नाम है बताऊंगा April 6, 2020 / April 6, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आज नो बजे,नो दीये जलाऊंगा |कौन सा किसके नाम है दीया ,यह सबको खुले आम बताऊंगा || पहला दीया उन सब डाक्टरों के नाम |जो करते है सबका इलाज निष्काम ||दूसरा दीया उन बेचारी नर्सो के नाम |जो तुम्हारी सेवा करती है सुबह शाम ||तीसरा दीया पुलिस कर्मियों के नाम |जो परिवार छोड़ 24 घंटे […] Read more » Which diya will I tell whose name is कौन सा दीया किसके नाम
कविता साहित्य लॉकडाउन के दिनों में April 5, 2020 / April 5, 2020 by अलका सिन्हा | Leave a Comment अलका सिन्हा बहुत गुरूर था जिन्हें अपने होने काबीमारी में भी नहीं लेते थे छुट्टीकि कुदरत थम जाएगी उनके बिनासफेद तौलिए से ढकी पीठ वाली कुर्सी पर बैठकरजो बन जाते थे खुदाआज वे सब हाथ बांधे घर में बैठे हैं। असेंशियल सेवाओं में नहीं है कहींउनके काम की गिनती! अलबत्ता उसका नाम है जिसके […] Read more » लॉकडाउन के दिनों में
कविता क्या कहानी हो गई । April 5, 2020 / April 5, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment प्रेम की बातें अचानक बेइमानी हो गई आजकल तो प्रेम करना जान जानी हो गई। ना करूं स्पर्श उनका ना लगाएं अब गले पहले क्या था और देखो क्या कहानी हो गई।। देखकर मुझको वो खुद मेरी दिवानी हो गई लत मोहब्बत की लगी और वो रुहानी हो गई। अब वो कहती एक मीटर का […] Read more » क्या कहानी हो गई
कविता पलायन का जन्म April 5, 2020 / April 5, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment हमने गरीब बन कर जन्म नहीं लिया था हां, अमीरी हमें विरासत में नहीं मिली थी हमारी क्षमताओं को परखने से पूर्व ही हमें गरीब घोषित कर दिया गया किंतु फिर भी हमने इसे स्वीकार नहीं किया कुदाल उठाया, धरती का सीना चीरा और बीज बो दिया हमारी मेहनत रंग लाई, फसल लहलहा उठी प्रसन्नता […] Read more » पलायन का जन्म
कविता आओ घर घर दीप जलाये | April 5, 2020 / April 5, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आओ घर घर दीप जलाये |कोरोना को देश से दूर भगाये || जब हर घर में प्रकाश होगा |नई चेतना का आवास होगा ||तिमिर का तो विनाश होगा |आशा का आगमन ही होगा ||निराशा का निर्गमन होगा |हर घर घर एक विकास होगा ||विकास से घर खुशाहाली आये |आओ घर घर दीप जलाये ||कोरोना को […] Read more » light the lamp at home. आओ घर घर दीप जलाये |
कविता सबने एक दीप जलाना है घर मे | April 4, 2020 / April 6, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment सबने एक दीप जलाना है घर मे |सब जगह प्रकाश हो जाएगा ||सारे संसार से यह कातिल कोरोना |स्वत: ही सम्पात हो जाएगा || बड़े दौर गुजरे है जिन्दगी में |यह दौर भी रूक जाएगा ||रोक लो अपने पावों को घरो में |कोरोना का दौर भी थम जाएगा || माना कि,संघर्ष काफी विकट है |किन्तु […] Read more » Everyone has to light a lamp in the house. सबने एक दीप जलाना है घर मे |