कविता राफेल हवाई जहाज August 2, 2020 / August 2, 2020 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on राफेल हवाई जहाज बोल रहा था पाक बड़े बोल,उसकी बोलती बन्द कर आते।पड़ा था रास्ते में पाक जब,दो चार गोले छोड़ कर आते।। अभी तो केवल पांच आए है,दुश्मनों के दिल दहलने लगे है।जब और आ जायेगे भारत में,तब जल कर राख होने लगेगे।। अपने भारत देश के अंदर भी,कुछ मूर्खों की कमी नहीं है।कहते है इन जहाजों […] Read more » राफेल हवाई जहाज
कविता हर सांस के साथ तुम हो ! August 2, 2020 / August 2, 2020 by पंडित विनय कुमार | Leave a Comment पंडित विनय कुमार हर सांस के साथ तुम होऔर तुम्हारी पीड़ा भी ।जो पीड़ा हवाओं मेंहर क्षण मौजूद दिख रही है।जिसका होना सुनिश्चित है इस धरा पर।जैसे होना जरूरी है हवाओं काजैसे होना जरूरी है बादलों काजैसे होना जरूरी है नदियों काजैसे होना जरूरी है सागर काजैसे होना जरूरी है सागर के खारे जल काजैसे […] Read more » हर सांस के साथ तुम हो
कविता जीवन है एक रंगमंच August 2, 2020 / August 2, 2020 by पंडित विनय कुमार | Leave a Comment पंडित विनय कुमारजीवन है सचमुचएक रंगमंच की तरहजिसका कोई आरंभ और अंत नहीं होताजो बार-बार मंचित होता है हमारी रगों मेंजो दौड़ता है खून की तरह लगातार…बिना वक्त गँवाये औरअंत में जीवन की साँस के साथसमाप्त हो जाती है !जीवन जो है एक रंगमंचहमारी विभिन्न जीवनगत परिस्थितियाँ हैंउसके कथानकसमय का पहिया घुमता रहता हैरंगमंच के […] Read more » जीवन है एक रंगमंच
कविता बहुत बुरा होता है सपनों का मर जाना…………… August 1, 2020 / August 2, 2020 by पंडित विनय कुमार | Leave a Comment पंडित विनय कुमार मैं जानता हूँ किबहुत बुरा होता हैसपनों का मर जाना-वे सपने, जो जन्मते हैंहमारे जन्म के साथऔर मरते हैं बार-बारविभिन्न परितस्थतियों में जब-तब,जब हम थक-हार जाते हैं,जब प्रकृतिपरिस्थितियों के सामनेहमारी एक नहीं चलती,जब हम प्रत्येक परिस्थितियों मेंअसहायअसफल और अकर्मण्य –से बने रहते हैं तब;जब हमारी चेतना निस्पंद होने लगती है;हमारी जिजिविषा जब […] Read more » बहुत बुरा होता है सपनों का मर जाना
कविता स्वफिल दुनिया की तस्वीरें July 31, 2020 / August 2, 2020 by पंडित विनय कुमार | Leave a Comment पंडित विनय कुमार स्वफिल दुनिया की तस्वीरेंहमारी आँखें के सामने सेबार-बार गुजरती हैंऔर मेरे भीतर की थकान की रफ्तारभी तीव्रता होती जाती हैजिसे मैं रोज-रोज केवल अनुभवकरता हूँकेवल उसे अपने साथ जीने अथवा साथ-साथ ले चलने कीनियति बन गई है मेरीनियति-जिसे मैंने खुद बनाई हैअपने कर्मों सेअपने विचारों सेअपने संस्कारों सेनहीं- नहीं, यह बनी हैपरंपराओं […] Read more »
कविता कवि नहीं वह अभिनेता है July 29, 2020 / July 29, 2020 by मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका | Leave a Comment कुछ लोगों को लगता हैकि वह एक कवि हैक्योंकि वह कविताएँ लिखता हैपरंतु कविताएँ लिखी नहीं जातींउनका तो जन्म होता हैकविताएँ उन्मुक्त होती हैंकिंतु वह उन्हें बाँधकर रखना चाहता हैअपनी संकीर्ण मानसिकता की परिधि में वह अपने गाँव में रहता हैगाँव में रहना विवशता है उसकीक्योंकि नगर ने उसे कभी नहीं अपनायाइसलिए वह अपनी कविताओं […] Read more » कवि नहीं वह अभिनेता है
कविता उलझ गया हूं खुद मै,खुद की तलाश में July 28, 2020 / July 28, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment चल पड़ा हूं राहो में,खुद की तलाश में।उलझ गया हूं ख़ुद मै खुद की तलाश में।। झाक लेता अगर तू,अपने आपके अंदर में।इधर उधर न भटकता तू खुद की तलाश में।। तलाश किसे करता है जो तुझे नहीं मिलता।खुद को तू तलाश,जो तेरे में ही अंदर रहता।। तलाश के चक्कर में,तलाशी लेता है दूसरों की।लेते […] Read more » खुद की तलाश में
कविता हे मातु नर्मदे ….. July 27, 2020 / July 27, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment माॅ नर्मदा से प्रार्थना***हे मातु नर्मदे हम है तेरे तट के वासीकरूणा कर दे ऐसी, बने सभी सुखरासी।न कोई दुखी न पीड़ा हो, ऐसी करूणा करोन कोई भ्रमित न वेदना हो माॅ संताप हरो।। हे मातृ.. . .तेरे अमृतमय जल की, सब पर हो अमृतमयी कृपान भ्रान्तियाॅ हो बाकी, सबकी कामना तू मिटा।शीतल-स्नेह पावन जल […] Read more » हे मातु नर्मदे
कविता खुली आंखों का सपना ….!! July 27, 2020 / July 27, 2020 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा सुबह वाली लोकल पकड़ीपहुंच गया कलकताडेकर्स लेन में दोसा खायाधर्मतल्ला में खरीदा कपड़ा – लत्तासियालदह – पार्क स्ट्रीट में निपटाया कामदोस्तों संग मिला – मिलायाजम कर छलकाया कुल्हड़ों वाला जाममिनी बस से हावड़ा पहुंचाभीड़ इतनी कि बाप रे बापलोकल ट्रेन में जगह मिली तोखाई मूढ़ी और चॉपचलती ट्रेन में चिंता लगी झकझोरनेइस […] Read more » Dream with open eyes खुली आंखों का सपना
कविता तुम मेरे बादल हो,मै तुम्हारी काली घटा हूं। July 27, 2020 / July 27, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment न सावन सूखी हूं मै,न भादो हरी हूं,बस मै तो आपके दिल की परी हूं। रखो जिस हाल में तुम अब मुझको,मै तो तुम्हारी जीवन की सहचरी हूं।। करतीं हूं प्यार तुमसे अपने दिल से ज्यादा,बेवफा न कभी होना,करो तुम ये वादा।चलते रहना इस राह पर भले रोडे आए,तोड़ना न कभी ये जीवन की ये […] Read more »
कविता जब पिया घर नहीं आए July 26, 2020 / July 26, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment साजन मेरे नहीं आए,मेरा सावन सूखा जाए।मै क्या करू राम अब ?जब पिया घर नहीं आए।। उमड़ घुमड़ कर बदरा आए,प्यासी धरती की प्यास बुझाएमेरी प्यास अब कौन बुझाए ?जब पिया मेरे घर नहीं आए।। झूले पड़ गए है बागन में,कोयल कूके मेरे कानन में।मुझे अब कौन झुलाए ?जब पिया घर नहीं आए।। मनरा गली […] Read more » जब पिया घर नहीं आए
कविता देश की दशा के दर्शन July 24, 2020 / July 24, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment चारो तरफ हाहाकार मचा है,दुखो का दौर अभी बाकी हैं।अभी तो केवल ट्रेलर देखा है,पूरी फिल्म देखना बाकी हैं।। अस्पतालों का है बुरा हाल,डॉक्टर नर्स नहीं मिलते हैं।जरूरी दवाओं की बात छोड़ोमास्क दस्ताने नहीं मिलते हैं। बढ़ते जा रहे रोज है मरीज,लाखो में संख्या है पहुंच गई।कैसे होगा इनका अब इलाज,ये समस्या अब गंभीर हो […] Read more » देश की दशा के दर्शन