व्यंग्य स्वाद अपरंपार December 24, 2020 / December 24, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment हास्य और गाम्भीर्यता की अनूठी रार, गजब… ‘पोली’ और ‘पोली का यार’ सुशील कुमार ‘नवीन ‘ किसी रिपोर्टर ने हरियाणा के रामल से पूछा कि आप लोग बार-बार कहते सुनाई देते हो कि भई, स्वाद आग्या। ये स्वाद क्या बला है और ये आता कहां से है। रामल ने कहा-चल मेरे साथ।आगे-आगे रामल और पीछे-पीछे […] Read more » पोली पोली का यार स्वाद अपरंपार
उत्पाद समीक्षा लेख बढ़ते उपभोक्तावाद पर संयम का अंकुश जरूरी December 23, 2020 / December 23, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस- 24 दिसम्बर, 2020-ः ललित गर्ग:-उपभोक्ता में उत्पादकता और गुणवत्ता संबंधित जागरूकता को बढ़ाने, जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट, अधिक दाम, कम नाप-तौल इत्यादि संकटों से उपभोक्ता को मुक्ति दिलाने एवं उपभोक्ता संरक्षण कानूनों के बारे में लोगों को जानकारी देकर उपभोक्ता के हितों की रक्षा करने केे उद्देश्य से भारत में 24 दिसंबर को […] Read more » Restoration of rising consumerism is necessary उपभोक्तावाद पर संयम राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस
कविता श्री अनुपम मिश्र : सबसे लम्बी रात का सुपना नया December 22, 2020 / December 22, 2020 by अरुण तिवारी | Leave a Comment अरुण तिवारी सबसे लम्बी रात का सुपना नयादेह अनुपम बन उजाला कर गया।रम गया, रचता गयारमते-रमते रच गया वह कंडीलों कोदूर ठिठकी दृष्टि थी जोपता उसका लिख गयासबसे लम्बी रात का सुपना नया… रमता जोगी, बहता पानीरच गया कुछ पूर्णिमा सीकुछ हिमालय सा रचा औहैं रची कुछ रजत बूंदेंशिलालेखों में रचीं कुछ सावधानीवह खरे तालाब […] Read more » श्री अनुपम मिश्र
लेख साहित्य अनुपम साहित्य को खंगालने का वक्त December 22, 2020 / December 22, 2020 by अरुण तिवारी | Leave a Comment अरुण तिवारी जब देह थी, तब अनुपम नहीं; अब देह नहीं, पर अनुपम हैं। आप इसे मेरा निकटदृष्टि दोष कहें या दूरदृष्टि दोष; जब तक अनुपम जी की देह थी, तब तक मैं उनमें अन्य कुछ अनुपम न देख सका, सिवाय नये मुहावरे गढ़ने वाली उनकी शब्दावली, गूढ से गूढ़ विषय को कहानी की तरह […] Read more » अनुपम साहित्य को खंगालने का वक्त
लेख खुद बीमार है उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था December 22, 2020 / December 22, 2020 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment बसंत पाण्डेबागेश्वर, उत्तराखंड उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं पटरी से उतर चुकी हैं। खास तौर से भौगोलिक विषमताओं वाले यहां के पर्वतीय क्षेत्रों में मातृ एवं शिशुओं की देखभाल के सरकारी इंतजाम अति दयनीय दशा में हैं। पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों के हालात और भी ज़्यादा खराब हैं। यहां के प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र स्वयं गंभीर रूप […] Read more » उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था
कविता सत्य बोलने में सदा होता है भूमा का सुख December 22, 2020 / December 22, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहे भगवन!मुझे ज्ञान दो! मुझे जानना क्या? ‘सत्य जानने योग्य है, तुम सत्य को जानोऔर सत्य संभाषण करो! सच हमेशा बोलो’सत्य के सिवा सब है मिथ्या औ’ अविद्या! मिथ्या को सत्य मान कदापि नहीं बोलना! जब ज्ञान नही, तो सत्य भान कैसे होगा?सत्य से अनजान हूं,मैं सत्य कैसे बोलूंगा? ‘अस्तु सत्य जानने के […] Read more » सत्य बोल
कविता पैसा नही रचना कोई ईश्वर की December 21, 2020 / December 21, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकखत्म हुआ आदमियतसब कुछ हो गया पैसा,मिला नहीं अवैध पैसाकलतक जो अपना था,अब हो गया ऐसा-वैसा! सभी जानता पैसा अनाफना होनेवाला असासा,पास होने पर अहसासदिलाता है अच्छाई का,आदमी बुरा बिना पैसा! पैसा पाकर जैसा-तैसाआदमी समझने लगताअपने को ऐसा, मानोपैसा ही सबकुछ होता,ईश्वर से उपर है पैसा! पैसों में परख नहीं हैआदमियत इंसान का,सबकुछ […] Read more » Money is not created by any God पैसा नही रचना कोई ईश्वर की
मनोरंजन व्यंग्य ज़ुकाम December 21, 2020 / December 21, 2020 by बीनू भटनागर | Leave a Comment 2020 में सबसे ज़्यादा भाव ज़ुकाम के बढ़े हैं जिसका शुमार कभी बीमारियों में भी नहीं था। कहा जाता था दवा खाए तो भी और दवा न खाए तो भी ज़ुकाम पाँच दिन में ठीक हो ही जाता है।ऐसा नहीं है कि ज़ुकाम कष्टदायक नहीं होता… बहुत कष्ट देता है नाक से पानी के झरने […] Read more » Cold ज़ुकाम
लेख शख्सियत मा.गो.वैद्यः उन्हें भूलना है मुश्किल December 21, 2020 / December 21, 2020 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment -प्रो.संजय द्विवेदी मुझे पता है एक दिन सबको जाना होता है। किंतु बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिनके जाने से निजी और सार्वजनिक जीवन में जो शून्य बनता है, उसे भर पाना मुश्किल होता है। श्री मा.गो.वैद्य चिंतक, विचारक, पत्रकार, प्राध्यापक, विधान परिषद के पूर्व सदस्य और मां भारती के ऐसे साधक थे, जिनकी उपस्थिति […] Read more » difficult to forget MG Vaidya MG Vaidya
लेख राधाकृष्ण की ललित लीलाओं ने दिया आधुनिक धार्मिक चित्रों को जन्म December 21, 2020 / December 21, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीवग्यारहवी ईसवी शताब्दि के आसपास के समय पहली बार मंचों से खेला गया रंगमंच या नाट्य के महाअभिनेता के रूप में श्रीकृष्ण और नायिका राधा का अवदान पा जगत उनकी ऋणी हो गया है। आचार्य रामानुुजाचार्य ने कृष्ण राधा को लेकर अनेक रूपक लिखे है जिसमें रूक्मणी स्वयंवर लिखने के बाद कंसवध लिखा […] Read more » आचार्य रामानुजाचार्य राधाकृष्ण की ललित लीला
राजनीति लेख लव-ज़िहाद : एक वैश्विक समस्या December 21, 2020 / December 21, 2020 by प्रणय कुमार | Leave a Comment उत्तरप्रदेश सरकार ‘विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ लेकर आई है। स्वाभाविक है कि इसका आकलन-विश्लेषण सरकार के समर्थक और विरोधी अपने-अपने ढ़ंग से कर रहे हैं। योगी सरकार का कहना है कि ‘बीते दिनों 100 से ज्यादा ऐसी घटनाएँ पुलिस-प्रशासन के सम्मुख आई थीं, जिनमें ज़बरन धर्म परिवर्तिन का मामला बनता था।’ इस […] Read more » Love-Jihad A Global Problem लव-ज़िहाद विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश
लेख शख्सियत गृहस्थ-परंपरा के परिव्राजक/संत थे- माधव गोविंद वैद्य उपाख्य बाबूराव वैद्य December 21, 2020 / December 21, 2020 by प्रणय कुमार | Leave a Comment प्रणय निःसंदेह संघ कार्य को विस्तार एवं व्यापकता देने में परिव्राजक परंपरा के प्रचारकों का अभूतपूर्व योगदान रहा है। आज के घोर भौतिकतावादी युग में अपना घर-परिवार छोड़कर भारत के गाँव-नगर-प्रांत, खेत-खलिहान, कूल-कछारों की धूलि भरी, टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियाँ नापना कोई आसान काम नहीं। संघ-कार्य को आज जैसी स्वीकार्यता मिली है, वैसी तब कहाँ थीं! तपोनिष्ठ […] Read more » Baburao Vaidya Madhav Govind Vaidya बाबूराव वैद्य माधव गोविंद वैद्य