कविता सब जगत ब्राह्मण है November 24, 2020 / November 24, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —–विनय कुमार विनायकमनु-स्मृति है मानव पितामनु के आदेश से भृगुऋषिरचित मानव आचारसंहिता! जिसमें सब गरल नहीं,है अमृत वाणी पुनीता,पढ़ने, सुनने,गुनने की! ऐसा है मनु का कहना-शुद्र ही ब्राह्मण होताब्राह्मण ही शूद्र होता!‘शूद्रो ब्राह्मणतामेतिब्राह्मणश्चैति शूद्रताम्।‘(मनु.अ.10/65) महाभारत शांतिपर्वका शांतिपाठ कहता–ब्राह्मण ही शूद्र है!शूद्र ही ब्राह्मण है!ब्राह्मण भृगुऋषि का कहना-पूर्व में सृष्टि कर्ता ब्रह्मा नेआत्म तेज युक्त सूर्य-अग्नि […] Read more » सब जगत ब्राह्मण है
लेख मांसाहार से पर्यावरण ही नहीं, अर्थ-व्यवस्था खतरे में November 24, 2020 / November 24, 2020 by ललित गर्ग | 1 Comment on मांसाहार से पर्यावरण ही नहीं, अर्थ-व्यवस्था खतरे में विश्व मांसाहार निषेध दिवस- 25 नवम्बर 2020– ललित गर्ग- प्रत्येक वर्ष 25 नवंबर को विश्व मांसाहार निषेध दिवस मनाया जाता है, इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि जानवरों के प्रति हिंसा के बर्ताव के प्रति संवेदनशीलता लाना और शाकाहार के प्रति लोगों को प्रेरित करना, जिससे एक सभ्य, अहिंसक और बेहतर समाज का […] Read more » The environment is in danger due to non-vegetarian consumption मांसाहार से अर्थ-व्यवस्था खतरे में विश्व मांसाहार निषेध दिवस- 25 नवम्बर
कविता ये सन्नाटा है November 24, 2020 / November 24, 2020 by बीनू भटनागर | Leave a Comment भीतर कोलाहल हैबाहर सन्नाटा है।ग़म हो या हो ख़ुशीकौन किसके घर जाता है।आभासी आधार लियेसबसे नाता है।सभी बहुत एकाकी हैं,औरइस एकाकीपन मेंशाँति नहीं ,बस सन्नाट्टा है।हर इंनसान ज़रा साघबराया है,कभी कोई भी मिल जाये तोडर जाता है,कहीं किसी कोविड वाले से,क्या उसकाकोई नाता है।काम ज़रूरी करने होवो करता है,जीविका चलाने को अबजीता या फिर मरता […] Read more » ये सन्नाटा है
व्यंग्य बेशर्मी के लिए नशा बहुत जरूरी है जनाब… November 23, 2020 / November 23, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार ‘नवीन’ आप भी सोच रहे होंगे कि भला ये भी कोई बात है कि बेशर्मी के लिए नशा बहुत जरूरी है। क्या इसके बिना बेशर्म नहीं हुआ जा सकता। इसके बिना भी तो पता नहीं हम कितनी बार बेशर्म हो हुए हैं। हमारे सामने न जाने कितनी बार अबला से छेड़छाड़ हुई है […] Read more » बेशर्मी के लिए नशा
लेख आयुर्वेद और एलोपेथी का मिलन November 23, 2020 / November 23, 2020 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत सरकार ने देश की चिकित्सा-पद्धति में अब एक एतिहासिक पहल की है। इस एतिहासिक पहल का एलोपेथिक डाॅक्टर कड़ा विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि देश के वैद्यों को शल्य-चिकित्सा करने का बाकायदा अधिकार दे दिया गया तो देश में इलाज की अराजकता फैल जाएगी। वैसे तो देश […] Read more »
कविता बीती अपने आप पर November 22, 2020 / November 22, 2020 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment बैठ न सौरभ हार के, रखना इतना ध्यान !चलने से राहें खुले, हो मंजिल का भान !! सुख में क्या है ढूंढ़ता, तू अपनी पहचान !संघर्षों में जो पले, बनते वही महान !! संबंध स्वार्थ से जुड़े, कब देते बलिदान !वक्त पड़े पर टूटते, शोक न कर नादान !! आंधी या बरसात हो, सहते एक […] Read more » Past on its own
कविता नरमेध आकांक्षी मगधराज जरासंध November 22, 2020 / November 22, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमगध साम्राज्य के संस्थापकजरासंध के पिता बृहद्रथ नेअपने पिता वसु के वसुमतिनाम की नगरी को गिरिव्रजमां गिरि के नाम किया था! आगे चलकर यह बार्हद्रथपुर,मागधपुर,कुशाग्रपुर,श्रषभपुर,बिम्बिसारपुरी बना नयानगर,राजगृह था जरासंध का घरअब राजगीर पर्यटन स्थल! जरासंध था मगध का राजामिश्रित आर्य असुर कुल का,उनकी दो बेटियां ब्याही गईआर्य अन्धक यादव कंश सेजो मामा था […] Read more » Maramedh Aspire Magadharaj Jarasandh मगधराज जरासंध
कविता सबका ईश्वर एक है November 22, 2020 / November 22, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment सबका ईश्वर एक है,ईश्वर ने सबको एक बनाया हैईश्वर की नही कोई जातिकिसने ईश्वर की जाति बनाई? सबका ईश्वर नेक है,ईश्वर ने सबको नेक बनाया हैईश्वर में नहीं कोई बदीकिसने ईश्वर में बदी घुसाई? सबका ईश्वर विवेक है,ईश्वर ने सबको विवेक दिया है,ईश्वर नहीं है अविवेकीकिसने ईश्वर में भरी बुराई? सबका ईश्वर प्रेम हैईश्वर ने […] Read more » सबका ईश्वर एक है
कविता दूसरा अभिमन्यु: चन्द्रशेखर ‘आजाद’ नाम पिता ‘स्वाधीन’ November 22, 2020 / November 22, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमां जगरानी और पंडित सीताराम का लाला,बड़ा ही जिगरा, हिम्मतवाला, वीर मतवाला, वो रोबीला, मूंछोंवाला, छैल छबीला चंदूबाबा,आजादी का दीवाना, सरदार भगत का साथी, चन्द्रशेखर ‘आजाद’ नाम पिता का ‘स्वाधीन’पता मत पूछो उनका, पूछ लो सिर्फ मंजिल, राजगुरु, बटुकेश्वर दत्त, राम प्रसाद ‘बिस्मिल’सबके सब आजादी के दीवाने, लोहे के दिल! भारत के बेटे […] Read more » चन्द्रशेखर ‘आजाद’ दूसरा अभिमन्यु
लेख व्यंग्य सोसल साइट्स और वसुधैव कुटुबंकम की अवधारणा November 22, 2020 / November 22, 2020 by डा. प्रदीप श्याम रंजन | Leave a Comment विज्ञान और तकनीकी विकास के इस युग में कई आविष्कारों ने हमारे दैनिक जीवन में आवष्यक या अनावश्यक ढंग से घुसपैठ की है । कुछ ने लाभ पहुंचाए हैं तो कुछ ने नुकसान । कुछ के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता (रिसर्च चल रही है) । सोसल साइटस को हम ससम्मान ‘कुछ नहीं […] Read more » concept of Vasudhaiva Kutubankam Social sites सोसल साइट्स सोसल साइट्स और वसुधैव कुटुबंकम
लेख मैन्युअल स्केवेंजिंग : अमानवीय प्रथा खत्म हो पाएंगे? November 22, 2020 / November 22, 2020 by अब्दुल रशीद | Leave a Comment भारत में “मैनुअल स्केवेंजर्स का रोज़गार और शुष्क शौचालय का निर्माण (निषेध) अधिनियम, 1993” के तहत हाथ से मैला ढोने की प्रथा को 2013 में एक कानून के जरिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। बावजूद इसके देश में आज भी लाखों लोग सीवरों और सेप्टिक टैंकों में उतरकर सफाई लिए मजबूर हैं। यह प्रथा अमानवीय […] Read more » manual scavenging Will Inhuman Practice of manual scavenging Be Over मैन्युअल स्केवेंजिंग
कविता मैंने जिस मिट्टी में जन्म लिया वो चंदन है November 19, 2020 / November 19, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमैंने जिस मिट्टी में जन्म लिया वो चंदन है,मैं जिस गोद में खेला हूं उसका अभिनंदन है! जिसने ये तन दिया उस मां को मेरा नमन है,जिस पिता का मैं पुण्य फला उनका वन्दन है! इस मिट्टी को मेरे नाम किया जिस ईश्वर नेउनकी शान में समर्पित मेरा संपूर्ण जीवन है! मूक-बधिर,अंधा-लंगडा बना […] Read more » The soil I was born in is sandalwood मैंने जिस मिट्टी में जन्म लिया वो चंदन है