राजनीति व्यंग्य घमासान के बाद April 1, 2015 / April 4, 2015 by विजय कुमार | 1 Comment on घमासान के बाद आम आदमी पार्टी (आपा) में पिछले दिनों हुए घमासान से शर्मा जी बहुत दुखी थे। उन्होंने सब नेताओं से कहा कि वे मिलकर काम करें; पर जो मिलकर काम कर ले, वह समाजवादी कैसा ? फिर यहां तो समाजवादी के साथ साम्यवादी, अराजकतावादी और अवसरवादी भी थे। यानि ‘करेला और नीम चढ़ा।’ इसलिए पहले जबरदस्त […] Read more » Featured आम आदमी पार्टी (आपा) में पिछले दिनों हुए घमासान घमासान के बाद विजय कुमार
व्यंग्य बुढ़ौती में तीरथ April 1, 2015 / April 4, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment कहते हैं कि अंग्रेजों ने जब रेलवे लाइनें बिछा कर उस पर ट्रेनें चलाई तो देश के लोग उसमें चढ़ने से यह सोच कर डरते थे कि मशीनी चीज का क्या भरोसा, कुछ दूर चले और भहरा कर गिर पड़े। मेरे गांव में एेसे कई बुजुर्ग थे जिनके बारे में कहा जाता था कि उन्होंने […] Read more » Featured तारकेश कुमार ओझा बुढ़ौती में तीरथ
व्यंग्य कबीरा आप ठगाइये, और न ठगिए कोय ! April 1, 2015 / April 4, 2015 by श्रीराम तिवारी | 1 Comment on कबीरा आप ठगाइये, और न ठगिए कोय ! आज तथाकथित ‘मूर्ख दिवस’ है ! इस अंतर्राष्ट्रीय [अ]पावन [?] पर्व पर कुछ लोग एक दूसरे मंदमति जड़मति[मूर्ख] बनाकर आल्हादित होंगे !जिस तरह पूँजीवादी -लोकतंत्रात्मक राष्ट्रों में आर्थिक सामाजिक , आध्यात्मिक और राजनैतिक क्षेत्र में एक दूसरे को ठगने – पछाड़ने मूर्ख बनाने की गलाकाट प्रवृत्ति पाई जाती है। उसी तरह क्षणिक आंनद के लिए ही सही मानसिक ठगी के रूप में भी कुछ घाघ – […] Read more » Featured और न ठगिए कोय !मूर्ख दिवस कबीरा आप ठगाइये श्रीराम तिवारी
व्यंग्य खास की तो बात क्या, आम ही बौरा गये! March 30, 2015 / April 4, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment संवत 71 के पूर्वार्द्ध के माधव मास में देश के ‘आम’ ने बौरेपन से उबर कर परिपक्वता का परिचय देते हुए खास को घूल चटाकर फलराज होने का परिचय दिया, और नमो-नमो का जाप करते हुए आम समर्पण भक्ति का परिचायक बना। अभी पूरा वर्ष भी नहीं बीता था 71 के हेमन्त में पतझड़ ने […] Read more » -देवेश शास्त्री Featured खास की तो बात क्या आम ही बौरा गये
व्यंग्य आओ रोग कैश करें March 30, 2015 / April 4, 2015 by अशोक गौतम | Leave a Comment इधर गृहस्थी का भार ढोते-ढोते एचबी कम और बीपी हाई हुआ तो घर में कोहराम मच गया। सभी घर में मुझे एक से एक न कभी सुने सुझाव देने लगे। मैंने पहली बार महससू किया कि मेरे घर के लोग मेरे लिए भी परेशान होते हैं। अपने घरवालों का अपने प्रति इतना लगाव देखा तो […] Read more » Featured अशोक गौतम आओ रोग कैश करें एचबी कम बीपी बीपी हाई मीठा कम खाओ
मनोरंजन व्यंग्य विश्वकप की हार से भी क्या शरमाना March 27, 2015 / March 27, 2015 by अमित शर्मा | Leave a Comment क्रिकेट के विश्व कप में मिली हार से सबको चिंता हुई. उन्हें भी जिन्हें कभी किसी बात की चिंता न हुई. कुछ लोगों को तो शरम भी आई. हमारे एक लेखक मित्र तो कुछ ज्यादा ही चिंतित हो गए. बोले, ‘जो लोग कल कोई न कोई बहाना मारकर ऑफिस से छुट्टी लेकर घर पर मैच […] Read more » cricket world cup dhoni india defeated in australia अमित शर्मा एक हार से भी क्या शरमाना क्रिकेट के विश्व कप में मिली हार क्रिकेट विश्व् कप में भारत की हार महेंद्र सिंह धोनी विश्वकप की हार से भी क्या शरमाना
व्यंग्य मौत पर भारी मैच …!! March 23, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment क्रिकेट का एक मैच यानी हजारों सहूलियत का कैच। बाजार के लिए यह खेल बिल्कुल गाय की तरह है। जो हमेशा देती ही देती है। नाम – दाम और पैसा बस इसी खेल में है। दूसरे खेलों के महारथी जीवन – भर सुख – सुविधाओं का रोना रोते हैं, जबकि यही सुख – सुविधाएं […] Read more » satire on cricket
आलोचना जरूर पढ़ें महत्वपूर्ण लेख मीडिया विधि-कानून विविधा व्यंग्य वाकई, मॉल के पास तक ही रहता है संविधान का राज March 17, 2015 / March 17, 2015 by बी.पी. गौतम | Leave a Comment फिल्में सिर्फ मनोरंजन भर का साधन नहीं हैं। आंदोलन का भी माध्यम हैं फिल्में। देश और समाज की दशा प्रदर्शित कर सामाजिक परिवर्तन में बड़ी सहायक रही हैं फिल्में। दलितों और महिलाओं के साथ पिछड़े वर्ग की सोच बदलने में फिल्मों की भूमिका अहम रही है। हाल-फिलहाल एनएच- 10 नाम की फिल्म चर्चा में है। […] Read more » comments against woman dangerous delhi eve teasing law Mall मॉल मॉल के पास तक ही रहता है संविधान का राज वाकई संविधान का राज
जरूर पढ़ें लेख व्यंग्य क्रिकेट में स्विंग तो राजनीति में स्टिंग March 16, 2015 / March 16, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा जीवन में पहली बार स्टिंग की चर्चा सुनी तो मुझे लगा कि यह देश में धर्म का रूप ले चुके क्रिकेट की कोई नई विद्या होगी। क्योंकि क्रिकेट की कमेंटरी के दौरान मैं अक्सर सुनता था कि फलां गेंदबाज गेंद को अच्छी तरह से स्विंग करा रहा है या पिच पर गेंद […] Read more » स्टिंग cricekt politics sting क्रिकेट में स्विंग क्रिकेट में स्विंग तो राजनीति में स्टिंग राजनीति में स्टिंग
व्यंग्य आर्ट आफ र्टार्चिंग March 6, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बाजारवाद के मौजूदा दौर में आए तो मानसिक अत्याचार अथवा उत्पीड़न यानी र्टार्चिंग या फिर थोड़े ठेठ अंदाज में कहें तो किसी का खून पीना… भी एक कला का रूप ले चुकी है। आम – अादमी के जीवन में इस कला में पारंगत कलाकार कदम – कदम पर खड़े नजर आते हैं। […] Read more » आर्ट आफ र्टार्चिंग
व्यंग्य मैया मोरी , मैं नहीं संसद जायौ! February 26, 2015 by अशोक गौतम | 2 Comments on मैया मोरी , मैं नहीं संसद जायौ! हांतो रसिको! आज आपको ससंद पुराण कीआगे की कथा सुनाता हूं। संसद पुराण अनंत है। इसकी कथाएं अनंत हैं। मेरी इतनी हिम्मत कहां जो इन सात दिनों में आपके सामने पूरे संसद पुराण की कथा बांच सकूं। उसे सुनने के लिए तो ……. पिछले चार दिनों से आपने ससंद पुराण की कथा जिस लगन से […] Read more » मैं नहीं संसद जायौ
व्यंग्य समय से पहुंचने वाली ट्रेनें ही दे दीजिए February 25, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment हे रेलवे के नीति – नियंताओं ! हमें मंजिल पर समय से पहुंचने वाली ट्रेनें ही दे दीजिए …!! तारकेश कुमार ओझा चाचा , यह एलपी कितने बजे तक आएगी। पता नहीं बेटा, आने का राइट टेम तो 10 बजे का है, लेकिन आए तब ना…। शादी – ब्याह के मौसम में बसों की कमी के […] Read more » समय से पहुंचने वाली ट्रेनें ही दे दीजिए