विधि-कानून भारतीय संविधान –आम जनता के साथ एक सुनियोजित और संगठित धोखाधड़ी January 12, 2015 / January 12, 2015 by एडवोकेट मनीराम शर्मा | 3 Comments on भारतीय संविधान –आम जनता के साथ एक सुनियोजित और संगठित धोखाधड़ी हमारा नेतृत्व भारतीय संविधान की भूरी-भूरी प्रशंसा करता है और जनता को अक्सर यह कहकर गुमराह करता रहता है कि हमारा संविधान विश्व के विशाल एवं विस्तृत संविधानों में से एक होने से यह एक श्रेष्ठ संविधान है| दूसरी ओर इसके निर्माण के समय ही इसे शंका की दृष्टि से देखा गया था| डॉ राजेंद्र […] Read more » भारतीय संविधान
विधि-कानून सर्वोच्च न्यायालय का अहंकार January 8, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | 2 Comments on सर्वोच्च न्यायालय का अहंकार सर्वोच्च न्यायालय का अहंकार चेन्नई उच्च न्यायालय के कुछ अवैध निर्माणों को ढहाने के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। मामला सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे की पीठ में आया। न्यायमूर्ति दवे ने अपने फ़ैसले में अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर चेन्नई उच्च न्यायालय के निर्णय पर टिप्पणी करते […] Read more » सर्वोच्च न्यायालय
विधि-कानून स्कूल में सजा की परम्परा और बच्चे December 24, 2014 / December 24, 2014 by संजय कुमार बलौदिया | Leave a Comment संजय कुमार बलौदिया हमारे यहां स्कूलों में बच्चों को सजा देने या उनसे मारपीट की घटनाएं निरंतर हो रही हैं। सजा देने की प्रवृत्ति सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में दिखती है। उदाहरण के तौर पर यहां तीन घटनाओं को देखा जा सकता है। 8 नवंबर को कानपुर के विजय नगर स्थित राजकीय कन्या […] Read more » child psycology corporal punishment corporal punishment to kids चाइल्ड साइकलॉजी बच्चे स्कूल में सजा की परम्परा
विधि-कानून नहीं होगी जाति आधारित जनगणना November 16, 2014 / November 16, 2014 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ-सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया मद्र्रास हाईकोर्ट का जाति आधारित जनगणना कराने का फैसला प्रमोद भार्गव सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के जाति आधारित जनगणना कराने का फैसला रद्द कर दिया। मद्रास हाईकोर्ट ने 24 अक्टूबर 2008 और 12 मई 2010 को दिए आदेश में जनगणना विभाग को जाति आधारित जनगणना कराने […] Read more » Caste-based census जाति आधारित जनगणना
विधि-कानून भाजपा सरकार सिख हत्याकांड के दोषियों को सज़ा क्यों नहीं देती November 16, 2014 / November 16, 2014 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment १९८४ के पीड़ितों को मुआवज़े से पहले इंसाफ़ की ज़रूरत है! इक़बाल हिंदुस्तानी केंद्र सरकार ने 1984 के सिख हत्याकांड के पीड़ितों को मिलने वाले मुआवजे़ की धनराशि तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दी है। हालांकि चुनाव आयोग ने इस ऐलान पर सरकार से सवाल तलब किया है कि दिल्ली में उपचुनाव घोषित […] Read more » सिख हत्याकांड सिख हत्याकांड
विधि-कानून गिरफ्तारी और जमानत – एक दुधारू गाय November 16, 2014 / November 17, 2014 by एडवोकेट मनीराम शर्मा | Leave a Comment वैसे तो संविधान में व्यक्तिगत स्वतंत्रता को एक अमूल्य मूल अधिकार माना गया है और भारत के सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी के विषय में काफी दिशानिर्देश दे रखें हैं किन्तु मुश्किल से ही इनकी अनुपालना पुलिस द्वारा की जाती है| सात साल तक की सजा वाले अपराधों के अभियुक्तों को गिरफ्तार […] Read more » Arrest and bail गिरफ्तारी गिरफ्तारी और जमानत जमानत
विधि-कानून भारतीय सेना ने लिखी इंसाफ की पेशानी पर तारीखी इबारत November 13, 2014 by प्रणय विक्रम सिंह | Leave a Comment प्रणय विक्रम सिंह भारतीय सेना ने इंसाफ की पेशानी पर कभी न मिटने वाली तारीखी इबारत लिख दी है। मसला जम्मू और कश्मीर के माछिल इलाके में चार साल पहले हुए फर्जी मुठभेड़ का है। इस मामले में सेना के दो अफसरों और 5 जवानों को आजीवन कारावास की सजा की सिफारिश की गई है। […] Read more » भारतीय सेना ने लिखी इंसाफ की पेशानी पर तारीखी इबारत
जन-जागरण विधि-कानून विविधा रेल यात्रा और क़ानून का यह दोहरा मापदंड ! October 24, 2014 by निर्मल रानी | 3 Comments on रेल यात्रा और क़ानून का यह दोहरा मापदंड ! निर्मल रानी कहने को तो हमारे देश में प्रत्येक नागरिक के लिए समान कानून बनाए गए हैं। परंतु यदि इस बात की धरातलीय पड़ताल की जाए तो कई ऐसे विषय हैं जिन्हें देखकरयह कहा जा सकता है कि या तो वर्ग विशेष कानून की धज्जियां उड़ाने पर तुला हुआ है और कानून की नज़रें कानून […] Read more » रेल यात्रा रेल यात्रा और क़ानून का यह दोहरा मापदंड !
विधि-कानून औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति की तैयारी October 9, 2014 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति की तैयारी प्रमोद भार्गव आजादी के 68 साल बाद ही सही,यह अच्छी बात है कि मोदी सरकार औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति की तैयारी में जुट गई है। इन कानूनों से छुटकाराा इसलिए जरूरी है,क्योंकि एक तो इनमें से ज्यादातर कानून फिरंगी हुकूमत ने अपनी सत्ता की स्थापना,क्रांतिकारियों के दमन और सोने की चिडि़या माने जाने वाले देश […] Read more » औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति की तैयारी
जन-जागरण विधि-कानून सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एआर दवे का कथन- कर्म का संदेश देती है गीता August 12, 2014 / August 13, 2014 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एआर दवे का कथन- कर्म का संदेश देती है गीता संदर्भः- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एआर दवे का कथन- कर्म का संदेश देती है गीता -प्रमोद भार्गव- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ए.आर. दवे ने कहा है कि, ‘‘यदि मैं भारत का तानाशाह होता, तो कक्षा एक से गीता और महाभारत की शिक्षा अनिवार्य कर देता। क्योंकि ये ग्रंथ आपको जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं। […] Read more » सवौच्च न्यायालय के न्यायाधीश एआर दवे का कथन- कर्म का संदेश देती है गीता
जन-जागरण विधि-कानून वयस्क हुए अपराधी किशोर August 11, 2014 / August 11, 2014 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on वयस्क हुए अपराधी किशोर प्रमोद भार्गव माहिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने ‘किशोर आपराधिक न्याय‘ ;देखभाल एवं बाल सरंक्षण, कानून 2000 के स्थान पर नया कानून ‘किशोर न्याय विधेयक-2014‘ का जो प्रारूप संसद में पेष किया है, उसके मुताबिक अब किशोर अपराधियों की वयस्क होने की उम्र 18 वर्ष से घटाकर 16 कर दी गई है। मसलन […] Read more » वयस्क हुए अपराधी किशोर
विधि-कानून राजस्व न्यायालयों की बोझिल न्याय प्रणाली June 17, 2014 / October 8, 2014 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment -राकेश कुमार आर्य- देश को आजाद हुए 67 वर्ष हो गये, पर दुर्भाग्य है हमारा कि आज भी हमारे देश में लगाया पैंतीस हजार वही कानून लागू हैं, जो अंग्रेजों ने अपने शासनकाल के दौरान लागू किये गये थे। कानूनी प्रक्रिया भी वही है, जो अंग्रेजों ने यहां चलायी थी। अंग्रेजों की न्यायप्रणाली में दोष […] Read more » न्याय प्रणाली न्यायालय राजस्व न्यायालय