कला-संस्कृति विविधा पूर्णतः परिष्कृत, समृद्ध भाषा है सर्वभाषाओं की जननी संस्कृत August 12, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | 2 Comments on पूर्णतः परिष्कृत, समृद्ध भाषा है सर्वभाषाओं की जननी संस्कृत अशोक “प्रवृद्ध” संसार की समृद्धतम भाषा संस्कृत भारतीय संस्कृति का आधारस्तम्भ है। देवभाषा के नाम से जानी जाने वाली संस्कृत संसार की समस्त भाषाओं की जननी है। वेद भी संस्कृत भाषा में होने के कारण इसे वैदिक भाषा भी कहा जाता है। संस्कृत शब्द का अर्थ होता है- परिष्कृत, पूर्ण एवं अलंकृत। संस्कृत में […] Read more » सर्वभाषाओं की जननी संस्कृत संस्कृत
विविधा ‘…..के भूत’ बातों से नहीं मानते August 11, 2015 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment तनवीर जाफ़री पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर राज्य के ऊधमपुर में एक बार फिर स्थानीय लोगों के सहयोग से भारतीय सुरक्षा बलों को पाकिस्तान से सीमा पार कर भारत में प्रवेश करने वाले एक आतंकवादी को जीवित गिरफ़तार करने में बड़ी सफलता हाथ लगी। गिरफ़तार आतंकवादी क़ासिम उर्फ नावेद ने स्वयं को फ़ैसलाबाद,पाकिस्तान का निवासी बताया है। […] Read more »
विविधा यु. एस. का हिंदू संगठन शिल्पी August 11, 2015 by डॉ. मधुसूदन | 7 Comments on यु. एस. का हिंदू संगठन शिल्पी डॉ. मधुसूदन (एक) डांग के वनवासी क्षेत्र में, बडोदे से, एक विश्व-विद्यालयीन छात्र पहुंचा; वनवासी बंधुओं के साथ रहकर, सह-जीवन का अनुभव लेने। युवा, एक कुटुम्ब में भेजा गया था। ऐसे अनेक युवा संघद्वारा भेजे जाते थे। पहुँचने पर, परिचय, और कुटुम्ब की वृद्धा माँ से, कुशल-क्षेम बातचीत चल रही थीं। बेटा काम पर गया […] Read more » यु. एस. हिंदू संगठन शिल्पी:
पर्यावरण विविधा घटता जलस्तर August 10, 2015 / August 10, 2015 by धीरेन्द्र गर्ग | Leave a Comment कविवर रहीम के दोहे के इस अंश “बिनु पानी सब सून” से यदि हम दूसरा अर्थ समझने का प्रयास करें तो यही कि पानी के बगैर जीवन की कल्पना बस कल्पना मात्र ही है। ज़मीन के नीचे भागता पानी का स्तर पर्यावरणविदों के साथ समाज के सभी लोगों के लिए चिंता का सबब बना हुआ […] Read more »
विविधा चिता की आग से बुझती है पेट की आग August 10, 2015 / August 11, 2015 by संजय चाणक्य | Leave a Comment संजय चाणक्य ‘‘बच्चे भूखें सो गए होकर बहुत अधीर।। चूल्हे पर पकती रही आश्वासन की खीर।।’’ जब भी मै फटे पुराने कपडे औरअर्धनग्न अवस्था में देश के भविष्यों को कूड़ों की ढेर पर देखता हू तो बरबस मेर मुंह से वर्षो पुरानी वह गीत फूट पड़ती है ‘‘बचपन हर गम से बेगाना होता है।’’ सोचता […] Read more » चिता की आग पेट की आग
विविधा सिनेमा और मारक हो सकती थी ‘बैंगिस्तान’ August 7, 2015 / August 7, 2015 by सिद्धार्थ शंकर गौतम | 1 Comment on और मारक हो सकती थी ‘बैंगिस्तान’ कलाकार: रितेश देशमुख, पुलकित सम्राट, जैकलीन फर्नांडीस, कुमुद मिश्रा निर्देशक: करण अंशुमान संगीतकार: राम सम्पत स्टार: 2.5 ‘मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर करना’ कानों में पड़ते ही दिमाग सोचने पर मजबूर हो जाता है कि क्या इसे सच मानें? मजहब कोई भी हो, बैर नहीं सिखाता पर उसके कथित ठेकेदार खून में नफरत का […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख विविधा समाज अश्लील ठिकाने बनाम निजता का पाखंड August 7, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव अंतरजाल की आभासी व मयावी दुनिया से अश्लील साम्रगी हटाने की मांग के चलते,केंद्र सरकार ने 857 पोर्न वेबसाइटों को बंद करने की सूची इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को दी है। इन्हें बंद करने के संदर्भ में कम उ्रम के बच्चों पर इनके नकारात्मक असर को लेकर चिंता जताई गई है। इसके पहले सर्वोच्च […] Read more » अश्लील ठिकाने निजता का पाखंड
जन-जागरण विविधा पिछली दुर्घटनाओं से सबक ले रेलवे August 7, 2015 by आदर्श तिवारी | Leave a Comment मध्य प्रदेश के हरदा से तक़रीबन पच्चीस किलोमीटर दूर खिड़किया और भिंगरी के बीच मंगलवार देर रात करीब 11:30 बजे भयंकर रेल हादसा हो गया.भारी बारिश के चलते माचक नदी का पानी कई फूट बढ़ गया जिससे नदी पर बना रेलवे पुल धस गया जिसके चलते मुंबई से वाराणसी जा रही कमायनी एक्सप्रेस और […] Read more »
विविधा व्यंग्य मान और अपमान August 7, 2015 by विजय कुमार | 1 Comment on मान और अपमान विद्वानों के अनुसार सृष्टि के जन्मकाल से ही मान और अपमान का अस्तित्व है। लक्ष्मण जी ने वनवास में शूर्पणखा की नाक काटी थी। उसने इस अपमान की रावण से शिकायत कर दी। अतः सीता का हरण हुआ और फिर रावण का कुलनाश। द्रौपदी के एक व्यंग्य ‘‘अंधे का पुत्र अंधा ही होता है’’ ने […] Read more » अपमान मान
आर्थिकी विविधा भारत गुलामी की ओर…….. August 7, 2015 / August 11, 2015 by संजय चाणक्य | Leave a Comment ‘‘ जिनके दिल में दर्द है दुनिया का, वही दुनिया मे जिन्दा रहते है! जो मिटाते है खुद को जीते जी, वही मरकर जिन्दा रहते है!!’’ अगर हम आपसे कहे कि भारत एक बार फिर गुलामी की ओर बढ़ रहा है, तो शायद आपकों कुछ अटपटा सा लगेगा। हो भी क्यों नही। क्योकि जहां से […] Read more » भारत गुलामी
विविधा साहित्य या तमाशा ?? August 6, 2015 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी पिछले दिनों फ़ेसबुक पर वास्तविकता से भरा हुआ एक व्यंग्य पढ़ने को मिला जो इस प्रकार था-‘एक अंग्रेज़ डॉक्टर भारत में घूम-फिर रहा था। वह एक बुक स्टॉल पर गया और वहां उसकी नजर एक पुस्तक पर पड़ी। मात्र 20 रुपये मूल्य की इस पुस्तक का शीर्षक था-‘मात्र एक महीने में घर बैठे […] Read more » साहित्य या तमाशा
महिला-जगत विविधा भारत में स्तनपान की चिंताजनक स्थिति August 6, 2015 by उपासना बेहार | Leave a Comment उपासना बेहार पूरी दुनिया में 1 अगस्त को विश्व स्तनपान दिवस और अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान सरकारों और सामाजिक संस्थानों द्वारा लोगों में स्तनपान से जुडी भ्रान्तियों को दूर करने और माँ के दूध के महत्त्व को बताने का प्रयास किया जाता है। नवजात शिशुओं में रोगों […] Read more » भारत में स्तनपान