राजनीति तीखा राइट ऑफ रिप्लाई

तीखा राइट ऑफ रिप्लाई

सचिन त्रिपाठी  पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा  के मंच पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के भाषण के जवाब में भारत की ओर से पेटल…

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पर्यावरण पर्यावरण के लिए समर्पित राजस्थान का नाथवाना गांव

पर्यावरण के लिए समर्पित राजस्थान का नाथवाना गांव

माया लूणकरणसर, राजस्थान राजस्थान का बीकानेर जिला अपने शुष्क और रेगिस्तानी भूभाग के लिए जाना जाता है। यहां की कठिन जलवायु, कम बारिश और घटते…

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महिला-जगत संघ और स्त्रियाँ: सेविका समिति से शताब्दी तक की यात्रा

संघ और स्त्रियाँ: सेविका समिति से शताब्दी तक की यात्रा

सितंबर 2025 में आयोजित व्याख्यानमाला के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि आज महिलाओं की भागीदारी समाज और राष्ट्र…

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राजनीति सड़क हादसों की अनकही कहानी – सफ़ेद हेडलाइट्स का सच

सड़क हादसों की अनकही कहानी – सफ़ेद हेडलाइट्स का सच

रात में तेज़ सफ़ेद हेडलाइट्स सिर्फ़ आँखों को नहीं, बल्कि जीवन को भी चौंधिया देती हैं। हर साल हजारों लोग इसके कारण हादसों में मरते…

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कला-संस्कृति दशहरा का संदेश : हर हृदय में होना चाहिए रावण-वध

दशहरा का संदेश : हर हृदय में होना चाहिए रावण-वध

उमेश कुमार साहू भारत की सांस्कृतिक धारा में दशहरा का पर्व केवल परंपरा या अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सतत स्मरण है कि असत्य कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः सत्य की विजय निश्चित है। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने रावण जैसे महाबली राक्षस का वध कर संसार को यह संदेश दिया कि अधर्म का अंत और धर्म का उत्थान ही जीवन का ध्येय है। आज जबकि हम 21वीं सदी के आधुनिक समाज में जी रहे हैं, रावण के दस सिर हमें बाहरी युद्ध से अधिक आंतरिक और सामाजिक बुराइयों से लड़ने की प्रेरणा देते हैं। आइए देखें कि आज का समाज किन-किन “रावणों” से ग्रसित है। 1. भ्रष्टाचार : आधुनिक रावण का सबसे बड़ा सिर रावण विद्वान था, लेकिन अहंकार ने उसे भ्रष्ट बना दिया। आज हमारा समाज भी इसी रावण से जूझ रहा है। रिश्वतखोरी, सत्ता का दुरुपयोग और लालच ने व्यवस्था को खोखला कर दिया है। भ्रष्टाचार केवल पैसों का लेन-देन नहीं, बल्कि यह जनता के विश्वास का सबसे बड़ा हरण है। 2. महिला असुरक्षा : सीता हरण की पुनरावृत्ति रावण का सबसे बड़ा अपराध था – माता सीता का अपहरण। आज भी महिलाओं के साथ छेड़छाड़, शोषण, बलात्कार और दहेज हत्या जैसी घटनाएँ रावण के इस सिर की जीवित गवाही देती हैं। जब तक नारी सुरक्षित नहीं, समाज में रामराज्य संभव नहीं। 3. नशाखोरी : युवाओं का भविष्य निगलता रावण दारू, ड्रग्स और तंबाकू जैसे नशे समाज को खोखला कर रहे हैं। युवा जो देश का भविष्य हैं, वही इस दलदल में फँस रहे हैं। यह नशे का रावण घर-परिवार ही नहीं, पूरे समाज का विनाशक है। 4. डिजिटल लत और फर्जी प्रचार : तकनीक का अति प्रयोग आज का युग सूचना का है, लेकिन यही तकनीक जब व्यसनों और अफवाहों का माध्यम बन जाती है, तो यह रावण का नया रूप धारण कर लेती है। फेक न्यूज़, ऑनलाइन ठगी, और सोशल मीडिया पर समय की बर्बादी युवाओं को वास्तविक लक्ष्यों से भटका रही है। 5. जातिवाद और भेदभाव : समाज को बाँटता सिर रावण ने विभाजन की नीति से राम की सेना को कमजोर करने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा। आज जातिवाद, ऊँच-नीच, रंगभेद और धार्मिक कट्टरता का रावण हमारी एकता को चुनौती देता है। जब तक समाज में यह दीवारें कायम रहेंगी, हम सच्चे अर्थों में स्वतंत्र नहीं हो सकते। 6. पर्यावरण विनाश : प्रकृति का अपमान रावण ने स्वार्थ के लिए धरती और आकाश को चुनौती दी। आज मानव अपने स्वार्थ में पेड़ काट रहा है, नदियों को प्रदूषित कर रहा है और वायु को जहरीला बना रहा है। जलवायु परिवर्तन और आपदाएँ इसी पर्यावरण-विनाश के रावण की मार हैं। 7. अहंकार और लालच : शक्ति का दुरुपयोग रावण स्वयं महान शिवभक्त और विद्वान था, लेकिन उसका अहंकार और लालच ही उसके पतन का कारण बना। आज सत्ता, धन और पद का नशा इंसान को विनम्रता से दूर ले जा रहा है। यही अहंकार रिश्तों को तोड़ता है और समाज में विष घोलता है। 8. हिंसा और आतंकवाद : निर्दोषों का संहार रावण ने निर्दोष ऋषियों और वानरों को सताया। आज दुनिया आतंकवाद और हिंसा के जाल में फँसी है। निर्दोषों की हत्या, युद्ध और सामूहिक हिंसा हमें उस रावण की याद दिलाती है जिसे राम ने परास्त किया था। 9. बेरोजगारी और आर्थिक असमानता : समाज का असंतुलन रावण के राज्य में स्वर्ण लंका थी, लेकिन जनता उसके आतंक से त्रस्त थी। आज भी अमीरी-गरीबी की खाई, बेरोजगारी और अवसरों की असमानता समाज को कमजोर कर रही है। यह आर्थिक असमानता ही कई अपराधों और सामाजिक तनावों की जड़ है। 10. नैतिक पतन : मूल्यहीनता का रावण राम और रावण के युद्ध का मूल अंतर था – मर्यादा और अमर्यादा। राम ने आदर्श और धर्म का पालन किया, जबकि रावण ने नैतिकता को तिलांजलि दी। आज झूठ, छल-कपट, बेईमानी और स्वार्थ समाज में नैतिक पतन का रावण खड़ा कर चुके हैं। दशहरे का सच्चा अर्थ : बाहरी नहीं, भीतरी रावण का दहन जब हम दशहरा मनाते हैं और रावण का पुतला जलाते हैं, तो वह केवल प्रतीक है। असली विजय तब होगी जब हम अपने भीतर और समाज में छिपे इन दस सिरों को पहचानकर उन्हें खत्म करेंगे। त्योहार केवल उत्सव नहीं, आत्ममंथन का अवसर है। रामराज्य की ओर बढ़ते कदम…

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राजनीति लोथल में सिंधु सभ्यता के समुद्री ज्ञान और इंजीनियरिंग को सहेजने में जुटी मोदी सरकार

लोथल में सिंधु सभ्यता के समुद्री ज्ञान और इंजीनियरिंग को सहेजने में जुटी मोदी सरकार

रामस्वरूप रावतसरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  20 सितंबर को गुजरात का दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने अहमदाबाद जिले के लोथल में बन रहे नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज…

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राजनीति सोनिया गांधी फिलिस्तीन के लिए चिंतित क्यों हैं

सोनिया गांधी फिलिस्तीन के लिए चिंतित क्यों हैं

राजेश कुमार पासी कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने गुरुवार को एक लेख अखबार में लिखा है जो कि अंग्रेजी भाषा में है…

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खान-पान खाने में मिलावट से भी घातक: थूक लगाकर रोटियाँ परोसने की भयावह प्रवृत्ति

खाने में मिलावट से भी घातक: थूक लगाकर रोटियाँ परोसने की भयावह प्रवृत्ति

देश के अलग-अलग हिस्सों से आए दिन ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं, जो समाज को अंदर तक झकझोर देती हैं। भोजनालयों, ढाबों और होटलों…

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पर्यावरण जीवनधारा नदियों के लुप्त होने का खतरा: संरक्षण का संकल्प

जीवनधारा नदियों के लुप्त होने का खतरा: संरक्षण का संकल्प

विश्व नदी दिवस – 28 सितम्बर, 2025– ललित गर्ग  – नदियां मात्र जलधाराएं नहीं हैं, वे जीवन की धमनियां हैं, सभ्यता की जननी हैं और प्रकृति…

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कला-संस्कृति नवरात्र पर स्त्री जीवन गाथा के नौ सोपान

नवरात्र पर स्त्री जीवन गाथा के नौ सोपान

नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी हकीकत में हम देखे तो यह कह सकते व इसकी तुलना कर सकते है कि एक स्त्री के जन्म से लेकर उच्चतम…

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कला-संस्कृति आस्था-विश्वास का प्रतीक कालीघाट मंदिर

आस्था-विश्वास का प्रतीक कालीघाट मंदिर

कुमार कृष्णन पश्चिम बंगाल के कोलकाता का कालीघाट शक्तिपीठ सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। यहां माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था।…

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लेख पानी कितना जरूरी! इसकी बचत भी उतनी जरूरी

पानी कितना जरूरी! इसकी बचत भी उतनी जरूरी

चंद्र मोहन  सावन अभी अभी ख़तम हुआ. कहीं बादल फटा तो कहीं बाढ़. चारों और पानी ही पानी. धरती पर 70 प्रतिशत पानी है तो…

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