महर्षि वाल्मीकि रामकथा का अंतिम अध्याय- अयोध्या का पुनर्निर्माण और श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा
Updated: January 24, 2024
वक्त वक्त की बात है । त्रेता युग में जिस राम ने बनों जंगलों में रहने वाले सीधे सादे वनवासियों को संगठित और प्रशिक्षित कर…
Read more
राम में हमारी आस्था राम से हमें वास्ता
Updated: January 24, 2024
—विनय कुमार विनायक राम में हमारी आस्था राम से हमें वास्ता सोते जगते राम कहते मरते वक्त हे राम कहते मरने के बाद चिता तक…
Read more
न्यू कोचिंग पालिसी से शिक्षा में आयेंगे सुधार !
Updated: January 24, 2024
हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग संस्थानों के लिए नए दिशानिर्देशों की घोषणा की है, जो बहुत ही स्वागत योग्य कदम है। वास्तव…
Read more
मैं भूल गया हॅू अलमारी में बंद किताबों को, जो आज भी मेरा इंतजार करती है !
Updated: January 24, 2024
मैं बचपन से ही किताबों सेबहुत प्रेम करता हूं,पहले लोटपोट, मधु मुस्कान, नंदनगुड़िया जैसी किताबों का चस्का लगा थाधीरे धीरे सरिता,कादम्बिनी, मायानिरोगधाम जैसी पत्रिकाओं का शौकमुझे सातवें आसमान पर…
Read more
धार्मिक पर्यटन का केंद्र है भारत
Updated: January 24, 2024
– लोकेन्द्र सिंह (लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं।) धर्म और अध्यात्म भारत की आत्मा है। यह धर्म ही है, जो भारत…
Read more
प्रभुश्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण के बाद उत्तर प्रदेश में विकास का एक नया दौर शुरू होने जा रहा है
Updated: January 24, 2024
अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हो गई है और अब अयोध्या विश्व के अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों के पटल पर आ गया है। इसका अब भारत की आर्थिक प्रगति पर भी बहुत बड़ा असर होने जा रहा है। स्थानीय स्तर पर तो अब भारत के नए भविष्य की एक नई शुरुआत होने जा रही है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी अपने उदबोधन में कहा है कि प्रभु श्रीराम सभी के है अतः यह भारत के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत होने जा रही है। प्रत्येक भारतीय रामायण पढ़ता है एवं अयोध्या के महत्व को भी समझता है। यह प्रभु श्रीराम का जन्म स्थल है और यह प्रभु श्रीराम की 500 वर्षों के बाद एक तरह से घर वापसी ही मानी जानी चाहिए। प्रभु श्रीराम भारत के कण कण में बसते हैं अतः अब ऐसी आशा की जानी चाहिए कि भारत में निवासरत विभिन्न मत पंथ मानने वाले नागरिक एक होकर भारत के विकास की गति को आगे बढ़ाने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करेंगे। प्रभु श्रीराम केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई अन्य देशों में भी पूज्य है। कई देशों ने तो रामायण को अपनी भाषा में भी लिखा है। इस दृष्टि से रामायण के कई रूप हैं। थाईलैंड, कम्बोडिया, लाओस, चीन, म्यांमार, इंडोनेशिया, वियतनाम, आदि देशों में रामायण के स्थानीय रूप मिलते हैं। पूरे विश्व में कुल मिलाकर 300 भाषाओं में रामायण उपलब्ध है। उत्तरी थाईलैंड में एक शहर का नाम ही अजोध्या है। यह प्राचीन काल में एशियन थाई राज्य की राजधानी रहा है। कालांतर में जिन देशों में भारतीय मूल के नागरिक गए हैं वहां रामायण भी पहुंचा है। जैसे केरेबीयन देशों में, अफ्रीकन देशों में, फीजी आदि देशों में प्रभु श्रीराम विद्यमान रहे हैं और यहां के नागरिक, भारतीय मूल के नागरिकों सहित, प्रभु श्रीराम की पूजा करते हैं। अब भारत इन सभी देशों के साथ अपने राजनैतिक एवं सामरिक रिश्तों को मजबूत कर सकता है और इन देशों में रह रहे नागरिकों को भारत एक तरह से अपने देश की तरह दिखाई देने जा रहा है। दूसरे, अब भारत में धार्मिक पर्यटन बढ़ने की अपार सम्भावनाएं बन गई हैं। भारत में अभी तक सबसे अधिक पर्यटक पड़ौसी देश बंगला देश से आते हैं, इसके बाद पश्चिमी देशों से पर्यटक भारत आते हैं, जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, रूस, आस्ट्रेलिया, फ्रान्स, जर्मनी आदि। इसके बाद एशिया के अन्य देशों से पर्यटक भारत आते है, जैसे मलेशिया, श्रीलंका एवं थाईलैंड। जबकि इन एशियाई देशों में प्रभु श्रीराम में आस्था रखने वाले नागरिकों की बहुत बड़ी संख्या निवास करती है। अतः अब इन एशियाई देशों से भारत में पर्यटकों का आना बढ़ना चाहिए। इन समस्त देशों के नागरिक प्रभु श्रीराम के बचपन की कहानियां पढ़कर बड़े हुए हैं, अब ये लोग निश्चित ही भारत में अयोध्या आकर प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के दर्शन करने के लिए आना चाहेंगे। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने धरातल पर काम करना शुरू भी कर दिया है। एक रामायण सर्किट रूट को विकसित किया जा रहा है। इस रूट पर विशेष रेलगाड़ियां भी चलाए जाने की योजना बनाई गई है। यह विशेष रेलगाड़ी 18 दिनों में 8000 किलो मीटर की यात्रा सम्पन्न करेगी, इस विशेष रेलगाड़ी के इस रेलमार्ग पर 18 स्टॉप होंगे। यह विशेष रेलमार्ग प्रभु श्रीराम से जुड़े ऐतिहासिक नगरों अयोध्या, चित्रकूट एवं छतीसगढ़ को जोड़ेगा। अयोध्या में नवनिर्मित प्रभु श्रीराम मंदिर वैश्विक पटल पर इस रूट को भी रखेगा। विश्व के कई अन्य देश धार्मिक पर्यटन के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्थाएं सफलतापूर्वक मजबूत कर रहे हैं। सऊदी अरब धार्मिक पर्यटन से प्रति वर्ष 22,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर अर्जित करता है। सऊदी अरब इस आय को आगे आने वाले समय में 35,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक ले जाना चाहता है। मक्का में प्रतिवर्ष 2 करोड़ लोग पहुंचते हैं, जबकि मक्का में गैर मुस्लिम के पहुंचने पर पाबंदी है। इसी प्रकार, वेटिकन सिटी में प्रतिवर्ष 90 लाख लोग पहुंचते हैं। इस धार्मिक पर्यटन से अकेले वेटेकन सिटी को प्रतिवर्ष लगभग 32 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आय होती है, और अकेले मक्का शहर को 12,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आमदनी होती है। अयोध्या में तो किसी भी धर्म, मत, पंथ मानने वाले नागरिकों पर किसी भी प्रकार की पाबंदी नहीं होगी। अतः अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 5 से 10 करोड़ प्रतिवर्ष तक जा सकती है। फिर अकेले अयोध्या नगर को होने वाली आय का अनुमान तो सहज रूप से लगाया जा सकता है। अभी अयोध्या आने वाले श्रद्धालु अयोध्या में रूकते नहीं थे प्रात: अयोध्या पहुंचकर प्रभु श्रीराम के दर्शन कर शाम तक वापिस चले जाते थे परंतु अब अयोध्या को इतना आकर्षक रूप से विकसित किया गया है कि श्रद्धालु 3 से 4 दिन रुकने का प्रयास करेंगे। एक अनुमान के अनुसार, प्रत्येक पर्यटक लगभग 6 लोगों प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराता है इस संख्या के हिसाब से तो लाखों नए रोजगार के अवसर अयोध्या में उत्पन्न होने जा रहे हैं। अयोध्या के आसपास विकास का एक नया दौर शुरू होने जा रहा है। यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अब अयोध्या के रूप में वेटिकन एवं मक्का का जवाब भारत में खड़ा होने जा रहा है। जेफरीज नामक एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज कम्पनी ने बताया है कि अयोध्या में निर्मित प्रभु श्रीराम के मंदिर से भारत की आर्थिक सम्पन्नता बढ़ने जा रही है। दिनांक 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में सम्पन्न हुए प्रभु श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद स्थानीय कारोबारी अपना उज्जवल भविष्य देख रहे हैं। अयोध्या अब धार्मिक पर्यटन का हब बनाने जा रहा है। अयोध्या अब दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र बन जाएगा। धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से अब अयोध्या दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र बनने जा रहा है। जेफरीज के अनुसार अयोध्या में प्रति वर्ष 5 करोड़ से अधिक पर्यटक आ सकते हैं। अभी अयोध्या में केवल 17 बड़े होटल हैं इनमें कुल मिलाकर 590 कमरे उपलब्ध हैं। लेकिन, अब 73 नए होटलों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से 40 होटलों का निर्माण कार्य प्रारम्भ भी हो चुका है। अभी तक नए एयरपोर्ट, रेल्वे स्टेशन, टाउनशिप और रोड कनेक्टिविटी में सुधार जैसे कामों पर 85,000 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। इस निवेश का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर दिखाई देने जा रहा है। शीघ्र ही अयोध्या वैश्विक स्तर पर धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में उभरेगा। इससे होटेल, एयरलाईन, हॉस्पिटलिटी, ट्रैवल, सिमेंट जैसे क्षेत्रों को बहुत बड़ा फायदा होने जा रहा है। भारत के विभिन्न शहरों से 1000 के आसपास नई रेल अयोध्या के लिए चलाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पूरे देश से दिनांक 23 जनवरी 2024 से धार्मिक पर्यटक अयोध्या पहुंचना शुरू हो गए हैं। यह हर्ष का विषय है कि पहिले दिन ही 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रभु श्रीराम के दर्शन किये हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर भारत भी अब वैश्विक पटल पर अपनी धाक जमा सकता है। इस धार्मिक आयोजन में 100 से अधिक देशों के विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित किया गया था। इनमे से कई विशिष्ट अतिथियों ने अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए लिखा है कि वे शीघ्र ही प्रभु श्रीराम मंदिर के दर्शन के लिए अयोध्या जाएंगे। प्रहलाद सबनानी
Read more
राम राज्य का स्वप्न साकार करते मोदी!
Updated: January 24, 2024
– प्रो. रसाल सिंह 22 जनवरी, 2024 को होने जा रहे राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को भारतीय इतिहास में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अद्वितीय…
Read more
हम खुद को हर हाल में स्वीकार करें
Updated: January 23, 2024
-ः ललित गर्ग:- जीवन का एक बड़ा सच है कि इंसान जिस दिन रोना बंद कर देगा, उसी दिन से वह जीना शुरू कर देगा।…
Read more
अमर शहीद हेमु कालाणी सिंध के नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना जगाते रहे
Updated: January 23, 2024
ऐसा कहा जाता है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गर्म दल के स्वतंत्रता सेनानियों का भी भरपूर योगदान रहा है। इस दृष्टि से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के वीर सेनानियों ने, मां भारती को अंग्रेजों के क्रूर शासन से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से, देश के कोने कोने से भाग लिया था। इन वीर सेनानियों में से भारत के कई वीर सपूतों ने तो मां भारती के श्री चरणों में अपने प्राण भी न्योशावर कर दिए थे। भारत के इन्हीं वीर सपूतों में अमर शाहीद श्री हेमू कालाणी का नाम भी बड़े आदर के साथ लिया जाता है क्योंकि उन्हें बहुत ही कम उम्र, मात्र 19 वर्ष की आयु में दिनांक 21 जनवरी 1943 को क्रूर अंग्रेजी शासन द्वारा फांसी दे दी गई थी। दिनांक 23 मार्च 1923 को श्री हेमू कालाणी का जन्म सिन्ध प्रांत के सक्खर जिले में सवचार स्थान पर श्री पेसूमल जी कालाणी एवं माता श्रीमती जेठी बाई कालाणी के घर पर हुआ था। श्री हेमू कालानी बचपन में ही सर्वगुण संपन्न व होनहार बालक थे, जो अपनी पढ़ाई लिखाई में तेज तर्रार होने के साथ साथ एक अच्छे तैराक, तीव्र साईकिल चालक तथा अच्छे धावक भी थे। वह कई बार तैराकी में भी कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके थे। बचपन में ही श्री हेमू कालाणी “स्वराज्य सेना” नामक छात्र संगठन में सम्मिलित होकर इस संगठन के नेता बन गए थे। इन सभी विशेषताओं के ऊपर, श्री हेमू कालाणी अपने बचपन काल से ही राष्ट्रवाद की भावना से भी ओतप्रोत थे और आपने अंग्रेजों की क्रूर हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प ही ले लिया था और राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रियाकलापों में भी भाग लेना शूरू कर दिया था। अत्याचारी अंग्रेजों द्वारा संचालित सरकार के विरुद्ध छापामार गतिविधियों में भाग लेकर उनके वाहनों को जलाने में श्री हेमू कालाणी अपने साथियों का नेतृत्व भी करने लगे थे। साथ ही, अमर शहीद हेमू कालाणी द्वारा सिंध प्रांत के नागरिकों में स्वावलम्बन का भाव जगाने का प्रयास भी किया जा रहा था। यह भी एक अजीब संयोग ही कहा जाएगा कि श्री हेमू कालानी की जन्मतिथि एवं अमर शहीद श्री भगतसिंह जी की पुण्यतिथि एक ही है, अर्थात 23 मार्च। वर्ष 1942 में मात्र 19 वर्ष की अल्पायु में श्री हेमू कालाणी ने “अंग्रेजो भारत छोड़ो” के नारे को पूरे सिंध में गूंजायमान कर दिया था। श्री हेमू कालाणी के अदम्य साहस एवं उत्साह ने तो पूरे सिंधवासियों में ही स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए जोश भर दिया था। श्री हेमू कालाणी द्वारा अपनी किशोरावस्था में ही विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का आग्रह सिंधवासियों से किया जाता था। मां भारती के प्रति तो उनके मन में एक विशेष भाव था एवं अंग्रेजों की हुकूमत उन्हें बिलकुल भी रास नहीं आती थी इसलिए अल्पायु में ही वे सिंधवासियों का आह्वान करते नजर आते थे कि वे केवल देश में निर्मित वस्तुओं का ही उपयोग करें जिससे भारतीय नागरिकों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया जा सके। अंग्रेजी शासन द्वारा भारतीयों पर किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ मात्र 19 साल की उम्र में श्री हेमू कालाणी ने जो किया, इस पर पूरे देश को आज भी गर्व है। वर्ष 1942 में “करो या मरो”, “अंग्रेजों भारत छोड़ो”, के नारों में एक आवाज श्री हेमू कालाणी की भी थी। सिंध प्रांत के सक्खर शहर में देश की आजादी के लिए कार्य कर रही संस्था “स्वराज्य सेना” के एक युवक ने श्री हेमू कालाणी को यह जानकारी दी कि आजादी के लिए प्रयासरत आंदोलनकारियों को कुचलने और उनका दमन करने के लिए रोहड़ी (सिंध) से अंग्रेज सैनिकों एवं हथियारों से भरी एक विशेष रेलगाड़ी सक्खर से होकर बलूचिस्तान की ओर जाने वाली है। यह सुनकर श्री हेमू कालाणी और उनके जाबांज साथी रेल ट्रैक पर गए और रेल की पटरी के नट बोल्ट खोलने लगे, परंतु श्री हेमू कालाणी पर अंग्रेज सिपाहियों की नजर पड़ गई और उसे पकड़कर लिया गया कर फिर जेल भेज दिया गया। आजादी के दीवाने मात्र 19 साल के इस जवान का हौसला ही था कि पकड़े जाने व घोर यातनाओं को सहन करने के बाद भी उसने अंग्रेजों को यह राज नहीं बताया कि पटरियों के नट बोल्ट खोलने में उसके और कौन कौन साथी थे। श्री हेमू कालाणी के हौसले एवं उसकी देश भक्ति के आगे हार कर अंग्रेजों द्वारा 21 जनवरी 1943 को प्रातः सक्खर (सिंध) के केंद्रीय कारागार में श्री हेमू कालाणी को फांसी पर चढ़ा दिया गया। इससे पूरा देश गमगीन हो गया। देश के युवाओं में बदले का भाव जगा और वे भी अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हो गए एवं इस प्रकार अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन और अधिक तेज हो गया। कालांतर में आजादी के मतवाले अमर शहीद श्री हेमू कालाणी को श्रद्धांजलि प्रदान करने के उद्देश्य से श्री हेमू कालाणी जी की माताजी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज के सेनानियों द्वारा स्वर्ण पदक प्रदान कर सम्मानित किया गया था। 14 अक्टोबर 1983 को भारतीय डाक व तार विभाग द्वारा अमर शहीद श्री हेमू कालाणी की स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया गया था एवं भारत के संसद भवन में 21 अगस्त 2003 को श्री हेमू कालाणी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। इस प्रतिमा का लोकार्पण तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी द्वारा किया गया था। केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा आजादी के दीवाने अमर शहीद श्री हेमू कालाणी का जन्म शताब्दी समारोह (दिनांक 23 मार्च 2022 से 23 मार्च 2023 तक) को, विशाल रूप में मनाया गया ताकि देश के युवा अमर शहीद श्री हेमू कालाणी के बलिदान से प्रेरणा लेकर समय आने पर मां भारती के लिए अपने प्राण भी न्यौशावर करने को तैयार रहें। प्रहलाद सबनानी
Read more
सुभाषचन्द्र बोस: महान् स्वतंत्रता सेनानी एवं कर्मयोद्धा
Updated: January 23, 2024
सुभाषचन्द्र बोस जन्म जयन्ती 23 जनवरी, 2024 -ललित गर्ग- भारतीय इतिहास में सुभाष चंद्र बोस ऐसे महानायक हैं, जो किसी पहचान के मोहताज नहीं। नेताजी का…
Read more
स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी आंदोलन के अग्रणी नेता नेताजी सुभाषचंद्र बोस
Updated: January 23, 2024
-अशोक “प्रवृद्ध” वर्तमान सरकार भारत के इतिहास को पुनः सही रूप में प्रस्तुत करने, लिखने की गंभीर प्रयास कर रही है। सरकार, अनेक लेखक, इतिहासकार…
Read more
भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को
Updated: January 24, 2024
भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को। जन-जन में है खुशी और भज रहे हैं अपने प्रभु श्री राम को स्वागत के लिए बैठा है हर भारत वासी अपने प्रभु श्री राम को सज-धज कर तैयार है अलौकिक अयोध्या धाम अपने राम को भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।। आनंदप्रद हुआ विश्व, दिन ये आया प्रभु श्री राम का विश्व गा रहा है स्वागत गान अपने प्रभु श्री राम का स्वर्ण कलश रखे हुए है, बंधे हुए हैं बंधन वार, सजे हुए हैं हर द्वार प्रभु श्रीराम के स्वागत को भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।। कर रहा है प्रतीक्षा विश्व सदियों से राम के दर्शन को सरयू जोह रही बाट प्रभु श्रीराम के चरण पखारने को धन्य हुआ सम्पूर्ण विश्व, प्रभु श्री राम के आने को भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।। रघुनन्दन के लिए शबरी ने फूलों से सजाया है पथ को, कर रही है इंतजार राम का अपने झूठे बेर खिलाने को आएगा अब राम राज्य क्योंकि प्रभु आ गए हैं अपने धाम को भाग्य हमारा श्री रामलला आ रहे हैं अपने धाम को।। -ब्रह्मानंद राजपूत
Read more