जापान और NATO की बढ़ती साझेदारी एशियाई सुरक्षा संतुलन के लिए नुक्सानदायक
Updated: January 2, 2024
अप्रत्याशित कदम एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में, NATO द्वारा जापान में ‘संपर्क कार्यालय’ खोलने के संकेत दिए गए हैं। यदि ऐसा होता है तो यह यूरोपीय…
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नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य।
Updated: January 2, 2024
नए साल पर अपनी आशाएँ रखना हमारे लिए बहुत अच्छी बात है, हमें यह भी समझने की ज़रूरत है कि आशाओं के साथ निराशाएँ भी…
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उत्तरप्रदेश में बढ़ता धार्मिक पर्यटन एवं उत्पादों का उपभोग भारत के आर्थिक विकास को दे रहा गति
Updated: January 2, 2024
भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार को गति देने में कुछ राज्यों का योगदान तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही के समय में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात एवं राजस्थान जैसे राज्यों की आर्थिक विकास की गति तेज हुई है, जिससे यह राज्य भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार को 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का बनाने में विशेष योगदान देते हुए दिखाई दे रहे हैं। हालांकि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, एवं कर्नाटक जैसे कुछ अन्य राज्यों का योगदान भी नकारा नहीं जा सकता है, परंतु इन राज्यों के आर्थिक विकास की दर तुलनात्मक रूप से कुछ स्थिर सी रही है अथवा कुछ कम हुई है। समस्त राज्यों के बीच तमिलनाडु एवं गुजरात राज्यों को पीछे धकेलते हुए उत्तरप्रदेश अब भारत की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य बन गया है। भारतीय अर्थव्यस्था में उत्तर प्रदेश का योगदान 9.2 प्रतिशत का हो गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार आज 3.7 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक का हो गया है। इसमें महाराष्ट्र राज्य का हिस्सा 15.7 प्रतिशत है। उत्तरप्रदेश राज्य का हिस्सा 9.2 प्रतिशत, तमिलनाडु राज्य का 9.1 प्रतिशत, गुजरात राज्य का 8.2 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल राज्य का 7.5 प्रतिशत है। देश की अर्थव्यवस्था में उत्तर पूर्वी राज्यों एवं जम्मू कश्मीर के बाद बिहार का भी काफी कम योगदान अर्थात केवल 3.7 प्रतिशत दिखाई पड़ता है, जबकि बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ के आसपास है। बिहार को आर्थिक विकास की दृष्टि से आज भी पिछड़ा राज्य कहा जा रहा है। पूर्व के बीमारु राज्यों की श्रेणी से उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान राज्य बाहर आ चुके हैं जबकि बिहार राज्य आज भी इसी श्रेणी में अटका हुआ है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में महाराष्ट्र राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार 41,720 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, तमिलनाडु राज्य का आकार 27,800 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, गुजरात राज्य का आकार 26540 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, उत्तरप्रदेश राज्य का आकार 26,510 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, कर्नाटक राज्य का आकार 26,350 करोड़ अमेरिकी डॉलर था और पश्चिम बंगाल राज्य का आकार 18,310 करोड़ अमेरिकी डॉलर था। पिछले कुछ वर्षों से चूंकि उत्तरप्रदेश राज्य की अर्थव्यवस्था की विकास दर सबसे तेज बनी हुई है अतः आज उत्तरप्रदेश राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार भारत में दूसरे स्थान पर आ गया है। उत्तरप्रदेश ने अपने राज्य की अर्थव्यवस्था के आकार को वर्ष 2027 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जबकि, महाराष्ट्र भी अपने राज्य को वर्ष 2028 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहता है। इस दृष्टि से अब उत्तरप्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों के बीच इस संदर्भ में आपस में प्रतियोगिता चल रही है। महाराष्ट्र राज्य की जनसंख्या 11 से 12 करोड़ के बीच है जबकि उत्तरप्रदेश राज्य की जनसंख्या 20 करोड़ के आसपास है। इस दृष्टि से उत्तरप्रदेश राज्य लाभप्रद स्थिति में दिखाई दे रहा है क्योंकि विभिन्न उत्पादों के उपभोग की अधिक गुंजाइश उत्तरप्रदेश राज्य में हैं एवं देश में आज उत्तरप्रदेश राज्य तेजी से विनिर्माण क्षेत्र का हब बनता जा रहा है तथा उत्तरप्रदेश राज्य में धार्मिक पर्यटन भी बहुत तेज गति से विकसित हो रहा है। विशेष रूप से अयोध्या, वाराणसी, मथुरा जैसे धार्मिक पर्यटन स्थलों का विकास न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन को भी आकर्षित करता दिखाई दे रहा है। इससे उत्तरप्रदेश राज्य में रोजगार के नए अवसर भी भारी मात्रा में निर्मित हो रहे हैं। अतः उत्पादों के उपभोग के मामले में उत्तरप्रदेश राज्य के साथ किसी भी अन्य राज्य की प्रतियोगिता हो ही नहीं सकती हैं। आज उत्तरप्रदेश राज्य के नागरिक रोजगार हेतु अन्य राज्यों की ओर पलायन करते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं क्योंकि उत्तरप्रदेश राज्य में ही रोजगार के पर्याप्त नए अवसर निर्मित होने लगे हैं। उत्तरप्रदेश राज्य में आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आज राज्य सरकार भी भारी मात्रा में पूंजी निवेश कर रही है। निर्यात के क्षेत्र में भी उत्तरप्रदेश राज्य नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। उत्तरप्रदेश राज्य के राज्य निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 में उत्तरप्रदेश राज्य से 84,000 करोड़ रुपए की राशि का निर्यात किया गया था जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में दुगना होकर 174,000 करोड़ रुपए का हो गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए उत्तरप्रदेश राज्य ने 2 लाख करोड़ रुपए की राशि का निर्यात करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उत्तरप्रदेश राज्य से सबसे अधिक निर्यात किए जाने वाले उत्पादों में इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, दूरसंचार उपकरण, कृत्रिम फाइबर, गेहूं, चावल, कपास, कालीन एवं हस्तशिल्प जैसे उत्पाद शामिल हैं। दूसरे, उत्तरप्रदेश राज्य आज भारत का तीसरा सबसे बड़ा टेक्स्टायल उत्पादन करने वाला राज्य भी बन गया है। राष्ट्रीय उत्पादन में उत्तरप्रदेश राज्य का योगदान बढ़कर 13.24 प्रतिशत हो गया है। उत्तरप्रदेश राज्य में आज 250,000 लाख के आसपास हैंडलूम बुनकर एवं 421,000 पावरलूम बुनकर कार्य कर रहे हैं। चूंकि कपड़ा उद्योग कम पूंजी निवेश के साथ अधिक मानवीय आधारित उद्योग है, अतः इस क्षेत्र में रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित हो रहे हैं। साथ ही, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में रक्षा इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण कलस्टर एवं लखनऊ उन्नाव कानपुर क्षेत्र में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण कलस्टर भी स्थापित किये जा रहे हैं। इन क्षेत्रों में विनिर्माण इकाईयां स्थापित करने हेतु राज्य सरकार द्वारा कई प्रकार के प्रोत्साहन भी दिए जा रहे हैं। विभिन्न प्रदेशों की विधान सभाओं में प्रस्तुत किए गए वित्तीय वर्ष 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षणों में वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए इन प्रदेशों की अनुमानित आर्थिक प्रगति की दर को दर्शाया गया है। उत्तरप्रदेश में वित्तीय वर्ष 2022-23 में आर्थिक प्रगति की दर 16.8 प्रतिशत रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है, इसी प्रकार मध्यप्रदेश में 16.34 प्रतिशत, राजस्थान में 16.4 प्रतिशत, गुजरात में 15.5 प्रतिशत, तेलंगाना में 15.6 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 6.8 प्रतिशत, तमिलनाडु में 8.19 प्रतिशत, बिहार में 9.7 प्रतिशत, कर्नाटक में 7.9 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है। उत्तर प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 19 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कुल मिलाकर भारत के समस्त प्रदेशों के बीच उत्तरप्रदेश राज्य आज आर्थिक विकास की दौड़ में सबसे आगे दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे कुछ अन्य राज्य भी विकास की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इन राज्यों की आर्थिक नीतियां देशी एवं विदेशी निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। इस प्रकार यह समस्त राज्य मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार को 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर ले जाने में अपनी पूरी शक्ति का उपयोग करते हुए दिखाई दे रहे हैं। यदि बिहार जैसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं तेलंगाना की तर्ज पर एवं पंजाब, जम्मू कश्मीर एवं उत्तर पूर्वी राज्य जैसे अन्य छोटे राज्य भी अपने राज्यों में आर्थिक विकास की दर को बढ़ाने में सफल होते हैं तो शीघ्र ही भारत की आर्थिक विकास की दर को 10 प्रतिशत के पार पहुंचाया जा सकता है। प्रहलाद सबनानी
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सारे फैसले नहीं होते सिक्के उछाल कर…
Updated: January 2, 2024
मनोज कुमार मध्यप्रदेश में सियासत का चेहरा बदल गया है. नवागत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ऊपर कॉलीन बिछे और नीचे की खुरदुरी जमीन को देख…
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अपराधों से जूझती आधी आबादी
Updated: January 2, 2024
* योगेश कुमार गोयल‘नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो’ प्रतिवर्ष महिलाओं पर अपराधों की रिपोर्ट जारी करता है लेकिन इससे प्रेरित होकर कहीं कोई कार्रवाई होती नहीं…
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चापलूसी संस्कृति से चमक खोती कांग्रेस
Updated: January 2, 2024
– ललित गर्ग- कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व के प्रति चापलूसी की पुरानी परंपरा रही है, इस परंपरा को कांग्रेसी नेता पार्टी की संस्कृति की तरह…
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नये वर्ष से रामराज्य की सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी
Updated: January 2, 2024
– ललित गर्ग –एक युगांतरकारी घटना के तहत भगवान श्रीराम पांच सौ वर्षों के बाद टेंट से मन्दिर में स्थापित होंगे। अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र…
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कनवर्टेड स्वधर्म वापसी की राह पर, हो रही है ‘धर्म की जय’
Updated: January 2, 2024
सौरभ तामेश्वरी :ग्रेगोरियन कैलेंडर के परिवर्तन के साथ ही पाश्चत्य नववर्ष प्रारंभ होने जा रहा है. लोगों द्वारा नए वर्ष में नए विचारों के साथ…
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नया साल आया है, नया सवेरा लाया है
Updated: January 2, 2024
नया साल आया है, नया सवेरा लाया है, हर घर में खुशियों का मौसम छाया है। पड़ रही है कड़ाके की ठंड फिर भी जोश है…
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वर्ष 2023 में आर्थिक क्षेत्र में भारत की कुछ विशेष उपलब्धियां रही हैं
Updated: January 2, 2024
वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर लगभग 7 प्रतिशत के आसपास रहने की प्रबल सम्भावनाएं बन रही हैं। इस वर्ष की प्रथम तिमाही, अप्रेल-जून 2023, में आर्थिक विकास दर 7.8 प्रतिशत की रही है, वहीं द्वितीय तिमाही, जुलाई- सितम्बर 2023 में 7.6 प्रतिशत की रही है। इसी प्रकार, दीपावली त्यौहार पर लगभग 4 लाख करोड़ रुपए के व्यापार के चलते एवं अक्टोबर 2023 माह में विनिर्माण के क्षेत्र में विकास दर के 12 प्रतिशत से ऊपर रहने से इस वर्ष की तृतीय तिमाही, अक्टोबर-दिसम्बर 2023, में भी आर्थिक विकास 7 प्रतिशत रह सकती है। इससे पूरे वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत रहने की प्रबल सम्भावनाए बन रही हैं। जबकि, विश्व के कई अन्य विकसित देशों में मंदी की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इस प्रकार भारत वर्ष 2023 में भी लगातार विश्व की सबसे तेज गति से विकास करती अर्थव्यवस्था बना रहा। भारत के आर्थिक विकास में लगातार गति आने से भारत में विदेशी निवेश की मात्रा भी लगातार बढ़ रही है। इससे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 62,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है। 8 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 60,700 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर था, जो 15 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में बढ़कर 61,600 करोड़ अमेरकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया एवं 22 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में 62,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है। इस प्रकार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी का सिलसिला लगातार जारी है। हालांकि, अक्टोबर 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर 64,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया था, अब शीघ्र ही इस उच्चत्तम स्तर को पार कर जाने की भरपूर सम्भावना व्यक्त की जा रही है। कोरोना महामारी के दौरान, भारतीय रुपए पर अत्यधिक दबाव आ गया था, अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए को अवमूल्यन से बचाने एवं भारत रुपए के मूल्य को स्थिर बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने अमेरिकी डॉलर को भरपूर मात्रा में बाजार में बेचा था इससे भारत में विदेशी मुद्रा भंडार कम हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश को जरूरत पड़ने पर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से केंद्र सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक को देश के आर्थिक विकास में गिरावट के चलते पैदा हुए किसी भी बाहरी एवं अंदरूनी वित्तीय अथवा आर्थिक संकट से निपटने में मदद मिलती हैं। यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराता है। विश्व बैंक द्वारा जारी की गई एक जानकारी के अनुसार, वर्ष 2023 में अनिवासी भारतीयों ने रिकार्ड 12,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि का प्रेषण भारत में किया है। अनिवासी भारतीयों द्वारा भारत में भेजी गई यह राशि पूरे विश्व में किसी भी देश को भेजी गई राशि में सर्वाधिक है। यह आर्थिक क्षेत्र में भारत की आंतरिक मजबूती को दर्शाता है। विदेशी निवेशकों के साथ ही अनिवासी भारतीयों का भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर एवं खाड़ी के देशों में अनिवासी भारतीयों की भारी संख्या निवास करती है और केवल इन 4 देशों से ही 54 प्रतिशत प्रेषण भारत को प्राप्त हुआ है। वर्ष 2022 में अनिवासी भारतीयों द्वारा 11,110 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि भारत में प्रेषित की गई थी। भारत आज विश्वभर के निवेशकों के लिए एक आकर्षक केंद्र के रूप विकसित हो गया है। विशेष रूप से केंद्र सरकार एवं कुछ राज्यों द्वारा की जा रही पहल विदेशी पूंजी को भारत में आकर्षित करती नजर आ रही है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए भारत आज इमर्जिंग अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्वीट स्पॉट के रूप में दिखाई दे रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और फार्मा जैसे 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी उत्पादन प्रोत्साहन योजना ने विदेशी निवेशकों की भारत में रुचि बढ़ा दी है। साथ ही, पिछले कुछ वर्षों में श्रम, कराधान, और व्यापार परमिट जैसे क्षेत्रों में नियामक सुधारों से व्यापार करने में आसानी बढ़ी है। अच्छी तरह से विकसित बुनियादी ढांचा और कुशल श्रम की उपलब्धता देश को निवेश के अन्य देशों के विकल्प के मामले में एक तरह की बढ़त देते हैं, जो विदेशी निवेशकों के निर्णय लेने की प्रक्रिया में सहायता करते नजर आ रहे हैं। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए एक अनुपालन प्रतिवेदन में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 की द्वितीय तिमाही, जुलाई-सितंबर 2023, में भारत का चालू खाता घाटा 830 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि से कम होकर सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत रह गया है। यह वित्तीय वर्ष 2022-23 की द्वितीय तिमाही, जुलाई-सितम्बर 2022, में 3000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहते हुए सकल घरेलू उत्पाद का 3.8 प्रतिशत था। भारत के विदेशी व्यापार के मामले में यह एक अतुलनीय सुधार दृष्टिगोचर हुआ है। चालू खाता घाटा किसी भी देश के वस्तुओं और सेवाओं के आयात एवं निर्यात के मूल्य के साथ साथ वित्तीय हस्तांतरण के बीच के अंतर को मापता है। चालू खाता घाटे का कम होना किसी भी देश के लिए अच्छी स्थिति कही जाती है क्योंकि इससे मजबूत हो रहे निर्यात एवं कम हो रहे आयात की स्थिति का पता चलता है। वर्ष 2023 में भारतीय बैंकों विशेष रूप से सरकारी क्षेत्र के बैंकों में गैर निष्पादनकारी आस्तियों का स्तर लगभग न्यूनतम स्तर पर आ गया है और पूंजी पर्याप्तता अनुपात लगभग उच्चत्तम स्तर पर आ गया है। कई बैंकों में तो यह स्तर अमेरिकी बैकों के पूजीं पर्याप्तता अनुपात से भी अधिक है। कुछ वर्ष पूर्व तक सरकारी क्षेत्र के बैंकों में पूंजी पर्याप्तता अनुपात को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों पर बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार को इन बैंकों में पूंजी डालनी होती थी परंतु आज सरकारी क्षेत्र के बैंक केंद्र सरकार को भारी भरकम लाभांश की राशि का भुगतान कर रहे हैं। बैंकिंग के क्षेत्र में तो जैसे टर्न अराउंड ही दिखाई देता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी एक अन्य प्रतिवेदन के अनुसार, भारत के विभिन्न राज्यों की बजटीय स्थिति एवं इनके राजकोषीय स्वास्थ्य में लगातार मजबूती दिखाई दे रही है। विभिन्न राज्यों ने वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में किए गए सुधारों को जारी रखा है, जिसके चलते राज्यों का संयुक्त राजकोषीय घाटा नियंत्रण में रहते हुए कम हुआ है। केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्यों के राजकोषीय घाटे पर, कोविड महामारी के बाद अत्यधिक दबाव पैदा हो गया था परंतु इसके बाद से लगातार स्थिति में सुधार हुआ है। मुख्य रूप से कर संग्रहण के अनुपालन में सुधार करते हुए कर संग्रहण में पर्याप्त वृद्धि हुई है एवं कुछ राज्यों द्वारा खर्चों पर नियंत्रण भी किया जा सका है, हालांकि पूंजीगत व्ययों को प्रभावित नहीं होने दिया गया है, जिसके कारण राजकोषीय घाटे की स्थिति में सुधार दिखाई देने लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने उक्त प्रतिवेदन में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए विभिन्न राज्यों के बजट, राजकोषीय संकेतक एवं व्यय के पैटर्न का विश्लेषण किया है। मुख्य बिंदु जिन पर सुधार बताया गया है उनमें शामिल हैं, वस्तु एवं सेवा कर के संग्रहण में लगातार हो रहा सुधार, राजस्व घाटे में आ रही कमी, पूंजीगत व्यय में लगातार हो रही वृद्धि और बकाया ऋण स्तर में कमी होना, बताया गया है। राज्य स्तर पर आगे आने वाले समय में मजबूत आर्थिक विकास और राजकोषीय सुधारों द्वारा राज्यों की समग्र बजटीय स्थिति सकारात्मक होने का अनुमान इस प्रतिवेदन में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगाया गया है। इस स्थिति को भारत के लिए राहत देने वाली माना जा सकता है। राज्यों का राजस्व घाटा कम होने के कारण राज्यों का संयुक्त राजकोषीय घाटा लगातार दूसरे वर्ष लक्ष्य के मुकाबले सकल घरेलू उत्पाद का 2.8 प्रतिशत पर सीमित रहा है। पूंजी निवेश समर्थन के लिए केंद्रीय योजना के नेतृत्व में वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में पूंजीगत व्यय में 52.6 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि दर्ज हुई है। राजस्व व्यय वृद्धि में कमी आई है और व्यय की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में बकाया देनदारियां वित्तीय वर्ष 2011 में 31 प्रतिशत से घटकर वित्तीय वर्ष 2024 में 27.6 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है।
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ग्रीन हाइड्रोजन जलवायु ही नहीं, जल संकट के लिहाज़ से भी सबसे बेहतर विकल्प
Updated: December 28, 2023
हाइड्रोजन ब्रह्मांड में मिलने वाला सबसे सरल तत्व और सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ है। जब हाइड्रोजन जलती है, तो यह ऊष्मा के…
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शरीर है धर्मसंग्रह का प्रमुख साधन
Updated: December 28, 2023
आत्माराम यादव पीव महाकवि कालिदासकृत के द्वारा रचित ’’कुमारसंभव’’ के पॉचवे सर्ग में भगवान शंकर की प्राप्ति के लिये…
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