राजनीति समाज स्वतंत्रता के बाद स्वावलंबन का प्रश्न August 14, 2018 / August 14, 2018 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव 15 अगस्त 1947 की आधी रात को खंडित स्वतंत्रता स्वीकारने के बाद बड़ा सवाल आर्थिक विकास और स्वाबलंबन का था। स्वावलंबन ही वह आधार है, जो नागरिक और उसके पारिवारिक सदस्यों की आजीविका और रोजागार के संसाधनों को उपलब्ध कराने का काम आसान करता है। यह इसलिए जरूरी था, क्योंकि ब्रिटिश हुक्मरानों ने […] Read more » Featured आदिवासी महिलाएं वरिष्ठ आभूषण कृषि चंद्रशेखर प्रधानमंत्री दलित धातु पीवी नरसिंह पूर्व गर्वनर मनमोहन सिंह मजदूर मिट्टी के बर्तन वस्त्र विश्व बैंक
राजनीति अल्पसंख्यकवाद से तिरोहित होती संविधान की मूल भावना April 5, 2018 by डॉ अजय खेमरिया | Leave a Comment डा.अजय खेमरिया भारतीय संविधान की मूल आत्मा पर अल्पसंख्यकवाद हावी हो रहा है,वोटों की राजनीति ने लोकनीति को इस सीमा तक अतिक्रमित कर लिया है कि सिर्फ वोटनीति ही भारत मे संसदीय राजनीति का चेहरा बनकर रह गई है वोटों की फसल में छिपी सत्ता की मलाई को कोई भी नही छोड़ना चाहता औऱ इसका […] Read more » Featured अल्पसंख्यक अल्पसंख्यकवाद कांग्रेस डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर दलित पिछड़े भारतीय संविधान महादलित मुस्लिम रामकृष्णन मिशन लिंगायत जाति हिन्दू
कविता माया अखिलेश का सत्ता के लिए मिलन April 5, 2018 by आर के रस्तोगी | 3 Comments on माया अखिलेश का सत्ता के लिए मिलन आर के रस्तोगी जो कभी दुश्मन थे,आज सत्ता के लिए मिलन हो रहा आज अखिलेश माया का चुनाव के लिए मिलन हो रहा क्या ये दोनों का मिलन भविष्य में,क्या कोई गुल खिलायेगा ? सन २०१९ का आने वाला चुनाव क्या इनको सत्ता दिलायेगा ? जो कभी परछाई के दुश्मन थे,आज एक दूजे के गले […] Read more » Featured अखिलेश यादव जनता दलित दुश्मनी भारत बंद मामता मायावती सुप्रीम कोर्ट सोनिया
विविधा ह्रदय प्रदेश में दलित September 26, 2017 by जावेद अनीस | 1 Comment on ह्रदय प्रदेश में दलित जावेद अनीस अपने आजादी के 71वें साल में जून की एक आधी रात को संसद के सेंट्रल हॉल में बुलाये गये एक विशेष सत्र में इस बात की आधिकारिक घोषणा कर दी गयी है कि भारत “एक बाजार” हो गया है,वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की लॉन्चिंग के दौरान दिये गये अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने दावा […] Read more » दलित
परिचर्चा विविधा समाज का नासूर: दलित उत्पीड़न May 21, 2015 by निर्मल रानी | 2 Comments on समाज का नासूर: दलित उत्पीड़न -निर्मल रानी- हमारे देश की सामाजिक न्याय व्यवस्था भी क्या अजीबो-गरीब है कि यहां गंदगी फैलाने वालों को तो उच्च जाति का समझा जाता है जबकि उनके द्वारा फैलाई जाने वाली गंदगी को साफ करने वाले को नीच अथवा दलित जाति का समझा जाता है। धर्मशास्त्रों में सदियों से दुष्प्रचारित की गई इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था […] Read more » Featured दलित दलित उत्पीड़न समाज का नासूर: दलित उत्पीड़न
राजनीति कौन तोड़ना चाहता है जातिवाद? April 7, 2015 / April 11, 2015 by अमित शर्मा | 2 Comments on कौन तोड़ना चाहता है जातिवाद? बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के द्वारा लोहिया जी की प्रतिमा का माल्यार्पण करने के बाद ‘लोहिया विचार मंच’ के एक युवक के द्वारा उस प्रतिमा को गंगाजल से धोने की निहायत शर्मनाक घटना सामने आई है. जातिवाद और छूत-अछूत की यही सोच हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी कमजोरी रहा है. जातिवाद की सोच […] Read more » Featured अमित शर्मा कौन तोड़ना चाहता है जातिवाद? गंगाजल से धोने जातिव्यवस्था जीतनराम मांझी दलित पिछड़े बिहार महादलित वर्ग लोहिया लोहिया विचार मंच
विविधा दलित हित के बगैर सामाजिक समरसता असंभव May 12, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -गोपाल प्रसाद- दलितों पर अत्याचार कोई नई बात नहीं है. आए दिन ऐसी घटनाएं पढ़ने/ सुनने को मिलती रहती है की दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं चढ़ने दिया गया, इसके अतिरिक्त नाबालिग दलित बालिकाओं के साथ छेड़छाड़ या बलात्कार की घटनाएं भी होती रहती है. इस तरह की घटनाओं पर तब तक अंकुश नहीं […] Read more » दलित दलित हित सामाजिक नियंत्रण के लिए दलित हित
विविधा दलित कब जी सकेंगे स्वछन्द जीवन ? May 6, 2014 by जगमोहन ठाकन | Leave a Comment -जगमोहन ठाकन- भले ही देश को आज़ाद हुए छह दशक से अधिक समय हो चुका हो, सरकार कितना ही दावा करे कि स्वंतत्र भारत में हर व्यक्ति को कानून के दायरे में अपने ढंग से जीने की स्वंतत्रता है, परन्तु वास्तविक धरातल पर आज भी दलित समुदाय पर वही पुराना दबंग वर्ग का कानून चलता […] Read more » दलित दलितों का जीवन
महत्वपूर्ण लेख समाज दलितों के दुश्मन दोस्त / शंकर शरण June 23, 2012 / June 24, 2012 by शंकर शरण | 14 Comments on दलितों के दुश्मन दोस्त / शंकर शरण ऐतिहासिक रूप से ‘दलित’ एक नया अकादमिक-राजनीतिक मुहावरा है जो हिन्दुओं में अनुसूचित जातियों, जनजातियों के लिए प्रयोग किया जाता है। ‘अनुसूचित’ शब्द भी अंग्रेजों की देन है। उस से पहले हिन्दुओं में जातियों की सामाजिक स्थिति की कोई स्थाई श्रेणीबद्धता नहीं थी। ‘दलित’ संज्ञा का प्रयोग सर्वप्रथम स्वामी श्रद्धानन्द ने तब अछूत कहलाने वाले […] Read more » अम्बेडकर दलित
राजनीति दलितों-आदिवासियों की हत्या कैसा वर्ग-संघर्ष है ? June 7, 2012 by जयराम 'विप्लव' | Leave a Comment जयराम विप्लव लाल आतंकवाद ( माओवाद ) समर्थक बताएंगे कि दलितों/ वंचितों /आदिवासियों की हत्या कैसा “वर्ग-संघर्ष” है ? एक दशक पहले हुए दंगों पर हर रोज गला साफ़ करने वाले दिल्ली में जमे कुबुद्धिजीवी लोग माओवादियों द्वारा किये जा रहे सामूहिक नरसंहारों के ऊपर चुप्पी क्यों साधे रहते हैं ? इस तरह की घटनाओं […] Read more » आदिवासी दलित नक्सलवाद माओवाद
राजनीति उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न एक बड़ा सवाल April 4, 2011 / December 14, 2011 by अखिलेश आर्येन्दु | 3 Comments on उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न एक बड़ा सवाल अखिलेश आर्येन्दु उत्तर प्रदेश में मायावती को सत्तासीन करने वाला दलित वर्ग आज भी उसी तरह उत्पीड़ित और शोषित है जैसे चार साल पहले था। इसके बावजूद वह मायावती को अपना नेता मानता है और बसपा के नाम पर मर मिटने के लिए हमेशा तैयार रहता है। दलित वर्ग में पैदा होने के कारण मायावती […] Read more » uttar pradesh उत्तर प्रदेश दलित मायावती
राजनीति भीमराव आंबेडकर के 54वें परिनिर्वाण दिवस पर विशेष- अस्मिता की राजनीति का मसीहा December 6, 2010 / December 19, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on भीमराव आंबेडकर के 54वें परिनिर्वाण दिवस पर विशेष- अस्मिता की राजनीति का मसीहा -जगदीश्वर चतुर्वेदी आखिरकार आधुनिक युग में अछूत कैसे जीएंगे ? गैर अछूत कैसे जीएंगे इसके बारे में कोई विवाद ही नहीं था क्योंकि हम सब जानते थे कि वे कैसे हैं और उन्हें क्या चाहिए ?किंतु अछूत को हम नहीं जानते थे। हम कबीर को जानते थे,रैदास को जानते थे। ये हमारे लिए कवि थे। […] Read more » Bhimrao Ambedkar दलित भीमराव अम्बेडकर