विविधा वीर जवानों से ऐसा बर्ताव करना लोकतंत्र के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है… August 3, 2011 / December 7, 2011 by सुरेश चिपलूनकर | 1 Comment on वीर जवानों से ऐसा बर्ताव करना लोकतंत्र के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है… सुरेश चिपलूनकर अपनी जान पर खेलकर देश के दुश्मनों से रक्षा करने वाले सैनिकों के प्रति सरकार और नौकरशाही का संवेदनहीन रवैया जब-तब सामने आता रहता है… 1) संसद पर हमले को नाकाम करने वाले जवानों की विधवाओं को चार-पाँच साल तक चक्कर खिलाने और दर्जनों कागज़ात/सबूत मंगवाने के बाद बड़ी मुश्किल से पेट्रोल पम्प […] Read more » Democracy लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र : चुनौतियाँ और समाधान July 21, 2011 / December 8, 2011 by राजीव गुप्ता | 1 Comment on लोकतंत्र : चुनौतियाँ और समाधान समानो मन्त्रः समिति समानो समानं मनः सह चित्तमेषाम ! समानं मंत्राभिः मन्त्रये वः समानेन वो हविषा जुहोनि !! लोगों का लक्ष्य और मन समान हो , तथा वे समान मन्त्र से, समान यज्ञों के पदार्थों से ईश्वर का मनन करें ! ऋग्वेद और अथर्ववेद के इन सूक्तियों में कुछ हद तक हम लोकतंत्र ( समानता […] Read more » Democracy चुनौतियाँ लोकतंत्र समाधान
विविधा भ्रष्टाचार विरोध के बहाने जनतंत्र पर हमला ..बहुत नाइंसाफी है June 27, 2011 / December 9, 2011 by श्रीराम तिवारी | 5 Comments on भ्रष्टाचार विरोध के बहाने जनतंत्र पर हमला ..बहुत नाइंसाफी है श्रीराम तिवारी नवउदारवादी,बाजारीकरण की आधुनिकतम व्यवस्था में मानवीय संवेदनाओं और मूल्यों का प्रवाह अवरुद्ध सा होता जा रहा है. एक ओर आमरण अनशन की धमकियों का कोलाज़ व्यक्ति विशेष की मर्जी को पोषित नहीं किये जाने पर बदनुमा दाग बनता जा रहाहै,दूसरी ओर सम्पदा के विन्ध्याचल मेहनतकश जनता के सूर्य का रास्ता रोकने पर अडिग हैं.गरीब […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र शर्मिंदा है तानाशाही ज़िंदा है June 8, 2011 / December 11, 2011 by गिरीश पंकज | 1 Comment on लोकतंत्र शर्मिंदा है तानाशाही ज़िंदा है गिरीश पंकज दिल्ली में बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के साथ जो कुछ भी हुआ, उसे दुहराने की ज़रुरत नहीं. पूरी दुनिया ने भारतीय लोकतंत्र का तानाशाही चेहरा देख लिया है. सबके सामने कांग्रेस का वह चेहरा आखिर सामने आ ही गया, जो अब तक छिपा हुआ था. लोकतंत्र की आड़ में जिस तरीके की […] Read more » Democrate तानाशाही लोकतंत्र शर्मिंदा
राजनीति आखिर लोकतंत्र कहां है? May 25, 2011 / December 12, 2011 by चैतन्य प्रकाश | Leave a Comment चैतन्य प्रकाश मैक्स ईस्टमैन ने 1922 में कहा था ”मैं कभी ऐसा अनुभव करता हूं कि पूंजीवादी और साम्यवादी तथा प्रत्येक व्यवस्था एक दैत्याकार यंत्र बनती जा रही है, जिसमें जीवन मूल्यों की मृत्यु हो रही है”। लैंग के विचार में इस भौतिकवादी संसार में सफलता का मूल्य हमें स्वत्व के संकट के रूप में […] Read more » Democracy लोकतंत्र
राजनीति यह कैसा लोकतंत्र February 14, 2011 / December 15, 2011 by रोहित पंवार | 1 Comment on यह कैसा लोकतंत्र रोहित पंवार मतदाता पहचान पत्र हासिल करने की हमारी रूचि छिपी नहीं है. आखिर वोट देने से ज्यादा सिम खरदीने में यह जरुरी जो है वास्तव में जिस दिन मतदाता पहचान पत्र की केवल मतदान डालने में ही प्रयोग की सरकारी घोषणा हो जाए तो, किसी महंगे मल्टीप्लेक्स में सिनेमा की टिकट महंगी होने पर […] Read more » Democracy लोकतंत्र
विविधा गणतंत्र दिवस के बहाने January 26, 2011 / December 15, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on गणतंत्र दिवस के बहाने सतीश सिंह राष्ट्रध्वज को फहराने का अधिकार नागरिकों के मूलभूत अधिकार और अभिव्यक्ति के अधिकार का ही एक हिस्सा है। यह अधिकार केवल संसद द्वारा ऐसा परितियों में ही बाधित किया जा सकता है जिनका उल्लेख संविधान की कण्डिका 2, अनुच्छेद 19 में किया गया है। खण्डपीठ में साफ तौर पर कहा गया है कि […] Read more » Democracy republic गणतंत्र लोकतंत्र
विविधा जन-गण-मन में लोकतंत्र कहाँ है? January 26, 2011 / April 1, 2012 by कुन्दन पाण्डेय | 2 Comments on जन-गण-मन में लोकतंत्र कहाँ है? कुन्दन पाण्डेय भारत में लोकतंत्र कहाँ है ? कहीं नहीं लेकिन अराजकता हर कहीं हैं। संसद में, विधानसभाओं में, विधानसभाओं में होने वाली मारपीट में, केन्द्र सरकार में, राज्य सरकार में, मंत्रियों में, नेताओं में, राजनीतिक दलों में, सांसदों में, सांसदों द्वारा संसद में प्रश्न पूछने के लिए पैसा लेने में, विधायकों में, चुनावों में, […] Read more » jan gan man national anthem लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र की मरम्मत भीतर से ही हो सकती है, उसे बुलडोजर से ढहाकर नहीं December 30, 2010 / December 18, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on लोकतंत्र की मरम्मत भीतर से ही हो सकती है, उसे बुलडोजर से ढहाकर नहीं सुनील कुमार डॉ. विनायक सेन को मिली उम्र क़ैद ने देश और दुनिया के बहुत से सामाजिक आंदोलनकारियों को हिला कर रख दिया है और छत्तीसगढ़ के एक जिले की अदालत के इस फ़ैसले को बहुत से क़ानूनी जानकार ख़ारिज़ ही कर दे रहे हैं कि यह एक कमज़ोर फ़ैसला है। क़रीब सौ पेज के […] Read more » Vinayak Sen डॉ. विनायक सेन माओवाद लोकतंत्र
राजनीति छात्र राजनीति : लोकतंत्र की गर्भनाल December 13, 2010 / December 18, 2011 by राघवेन्द्र सिंह | 1 Comment on छात्र राजनीति : लोकतंत्र की गर्भनाल राघवेन्द्र सिंह छात्र राजनीति जिसने आजादी के महासमर में अपना अस्मरणीय योगदान दिया। देश के प्रत्येक भाग से बड़ी संख्या में युवा छात्र क्रान्तिकारियों ने उक्त स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों में अपनी प्रबल भागीदारी से फिरंगियों के दांत खट्टे कर दिये। देश आजाद हो गया। आजादी से पहले छात्र राजनीति जिस लक्ष्य से प्रेरित थी वह […] Read more » Student politics छात्र राजनीति लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र के मंदिर से टूटती आस December 10, 2010 / December 19, 2011 by पंकज चतुर्वेदी | 3 Comments on लोकतंत्र के मंदिर से टूटती आस –पंकज चतुर्वेदी पिछले कुछ दिनों से भारत के लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत में जो कुछ हो रहा है, वो सीधे –सीधे इस देश की भोली-भाली जनता से छल है । आम जनता के कल्याण और विकास का दावा और वादा करके सत्ता सुन्दरी का सुख भोगने वाले हमारे जन प्रतिनिधि ऐसे होंगे ये हमने […] Read more » Democracy लोकतंत्र
राजनीति आम नहीं खास लोगों के लिए है भारत की लोकशाही December 8, 2010 / December 19, 2011 by गौतम चौधरी | 1 Comment on आम नहीं खास लोगों के लिए है भारत की लोकशाही -गौतम चौधरी विगत दिनों सर्वोच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश ने एक याचिका के सुनवाई के दौरान अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा था कि भारतीय न्यायालय व्यवस्था अमीरों के लिए है। इसका जीता जागता उदाहरण पिछले दिनों गुजरात में देखने को मिला। विगत 27 फरवरी 2010 को सीमा शुल्क चोरी के एक मामले में अदानी […] Read more » Democracy लोकतंत्र