Tag: विमुद्रीकरण

राजनीति

जन विश्वास की कसौटी पर: मोदी सरकार

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यह पूछा जा सकता है कि मोदी सरकार भी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है? इसके उत्तर में निसंदेह कहा जा सकता है कि भारतीय संविधान में कानून के समक्ष जो समानता का अधिकार दिया गया है, उसे मोदी सरकार ने बखूबी कायम किया है। अब यह कहावत बिल्कुल उलट चली है कि कानून गरीबों पर शासन करता है और अमीर कानून पर शासन करता है। इसी का नतीजा है कि बड़े राजनीतिज्ञ जैसे ओम प्रकाश चैटाला, छगन भुजबल जैसे लोग जेल में हैं, तो कई जेल जाने की प्रक्रिया में गुजर रहे हैं।

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विविधा

मोदी सरकार के तीन साल में बही विकास की गंगा

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प्रधानमंत्री मोदी ने इन तीन सालों में 1 करोड़ से ज्यादा अमीर लोगों को गैस सब्सिडी छोड़ने की लिए प्रेरित किया, इससे मोदी सरकार पर काफी भार कम हुआ है। इसके साथ ही मोदी सरकार ने पूरे देश में वीआईपी कल्चर को पूर्ण रूप से खत्म कर दिया। अब सिर्फ एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस जैसी इमरजेंसी सेवाओं में लगी गाडियां ही नीली बत्ती का इस्तेमाल कर सकेंगी। इसके साथ ही कैशलेश लेन-देन के लिए मोदी सरकार भीम एप्प लेकर आयी है, अब तक देश में 2 करोड़ से ज्यादा लोग भीम एप्प डाउनलोड कर चुके हैं।

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राजनीति

चुनावी चंदे में पारदर्शिता का सवाल

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जिस ब्रिटेन से हमने संसदीय सरंचना उधार ली है,उस बिट्रेन में परिपाटी है कि संसद का नया कार्यकाल शुरू होने पर सरकार मंत्री और संासदो की संपति की जानकारी और उनके व्यावसायिक हितों को सार्वजानिक करती है। अमेरिका में तो राजनेता हरेक तरह के प्रलोभन से दूर रहें, इस दृष्टि से और मजबूत कानून है। वहां सीनेटर बनने के बाद व्यक्ति को अपना व्यावसायिक हित छोड़ना बाघ्यकारी होता है। जबकि भारत में यह पारिपाटी उलटबांसी के रूप में देखने में आती है। यहां सांसद और विधायाक बनने के बाद राजनीति धंधे में तब्दील होने लगती है। ये धंधे भी प्रकृतिक संपदा के दोहन, भवन निर्माण, सरकारी ठेके, टोल टैक्स, शराब ठेके और सार्वजानिक वितरण प्रणाली के राशन का गोलमाल कर देने जैसे गोरखधंधो से जुड़े होते है।

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आर्थिकी विविधा

स्वान्त्र्योत्तर भारत का सर्वाधिक बड़ा निर्णय : उच्च मूल्यवर्ग के बैंकनोटों का विमुद्रीकरण

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कल जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए 500 और एक हजार रुपये के पुराने नोट बंद करने की घोषणा की और कि अब लोगों के पास मौजूद पांच सौ और एक हजार के नोट बाजार में मान्य नहीं होंगे तो देश भर में गजब का उत्साह छा गया. सम्पूर्ण देश के आम नागरिक इस स्थिति में अपनी विकट व विकराल समस्याओं को भी समझ रहें थे तब जिस प्रकार के प्रसंशा भाव को वे व्यक्त कर रहे थे या देश के नेतृत्व पर जिस प्रकार विश्वास व्यक्त कर रहे थे वह गजब के चरम राष्ट्रवाद के क्षण थे

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