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आर्थिकी विविधा

एक देश: एक टैक्स जीएसटी

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वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने से केन्द्र और राज्यों के स्तर पर लगने वाले एक दर्जन से अधिक कर समाप्त हो जायेंगे और उनके स्थान में केवल जीएसटी लगेगा। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस कार्यक्रम से दूर रही। कांग्रेस ने जीएसटी की शुरुआत के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम को तमाशा करार दिया। कांग्रेस के इसी बहिष्कार के चलते पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस कार्यक्रम से दूर रहे। तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके और वामपंथी दलों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया। जीएसटी से देश की 2,000 अरब की अर्थव्यवस्था और 1.3 अरब लोग सभी एक साथ जुड़ जायेंगे और पूरा देश एक साझा बाजार बन जायेगा।

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आर्थिकी चुनाव राजनीति

राजनीतिक चंदे के लिए निर्वाचन बाॅन्ड का औचित्य

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एक मोटे अनुमान के अनुसार देश के लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होते हैं। इस खर्च में बड़ी धनराशि कालाधन और आवारा पूंजी होती है। जो औद्योगिक घरानों और बड़े व्यापारियों से ली जाती है। आर्थिक उदारवाद के बाद यह बीमारी सभी दलों में पनपी है। इस कारण दलों में जनभागीदारी निरंतर घट रही है। अब किसी भी दल के कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को पार्टी का सदस्य नहीं बनाती हैं। मसलन काॅरपोरेट फंडिंग ने ग्रास रूट फंडिंग का काम खत्म कर दिया है। इस कारण अब तक सभी दलों की कोशिश रही है कि चंदे में अपारदर्शिता बनी रहे।

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राजनीति

भारत-इजराइल : धरती से स्वर्ग तक अटूट संबंध

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मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के वशीभूत इंदिरा गाँधी ने इजराइल के सबसे बड़े शत्रु फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता दी और उसके "फिलिस्तीन मुक्ति संगठन" के अध्यक्ष यासिर अराफात को करोड़ों रुपये का 'नेहरु शांति पुरस्कार' 1980 में दिया था । इसके बाद राजीव गाँधी ने भी अपने कार्यकाल में उसको 'इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार' दिया था।जब के समाचारो से ज्ञात हुआ था कि राजीव गाँधी ने तो उसको पूरे विश्व में घूमने के लिए एक बोईंग 747 विमान भी उपहार में दिया था। मुस्लिम परस्ती भारत के नेताओं में उस समय इतनी अधिक छायी हुई थी कि  यासिर अराफात को छींक भी आती थी तब वो भागकर दिल्ली चला आता था और हमारे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा और राजीव गांधी आदि उसके लिए पलकें बिछाए रहते थे।

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