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समाज

बिना माँ के संसार की कल्पना करना निरर्थक

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दुनिया की हर नारी में मातृत्व वास करता है। बेशक उसने संतान को जन्म दिया हो या न दिया हो। नारी इस संसार और प्रकृति की ‘जननी’ है। नारी के बिना तो संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस सृष्टि के हर जीव और जन्तु की मूल पहचान माँ होती है। अगर माँ न हो तो संतान भी नहीं होगी और न ही सृष्टि आगे बढ पाएगी। इस संसार में जितने भी पुत्रों की मां हैं, वह अत्यंत सरल रूप में हैं। कहने का मतलब कि मां एकदम से सहज रूप में होती हैं। वे अपनी संतानों पर शीघ्रता से प्रसन्न हो जाती हैं। वह अपनी समस्त खुशियां अपनी संतान के लिए त्याग देती हैं, क्योंकि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, पुत्री कुपुत्री हो सकती है, लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती। एक संतान माँ को घर से निकाल सकती है लेकिन माँ हमेशा अपनी संतान को आश्रय देती है। एक माँ ही है जो अपनी संतान का पेट भरने के लिए खुद भूखी सो जाती है और उसका हर दुख दर्द खुद सहन करती है।

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समाज

कल-युग का देवासुर संग्राम ; सनातन बनाम . . . . . ईसाइयत और इस्लाम

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भारत के धन-वैभव को लुटने-हडपने और सनातन धर्म को नष्ट-भ्रष्ट करने के लिए मुस्लिम आक्रान्ताओं ने भारत मे घुस कर तोड-फोड, लूट-मार, हिंसा-बलात्कार-युक्त जेहाद का नंगा नाच किया । मठ-मंदिर तोडे गए , पाठशाला-गुरुकुल-विद्यालय-पुस्तकालय जलाए गए , माल-असवाब लुटे गए और तलवार की नोंक पर लाखों लोग धर्मान्तरित कर दिए गए । भारतीय समाज-व्यवस्था की आन्तरिक दुर्बलताओं का लाभ उठा कर वे असुर आतताई यहां की राज-सत्ता पर भी काबिज हो गए । सैकडों वर्षों तक उनकी सलतनत कायम रही ।

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विविधा

राष्ट्रीय सुरक्षा की अवहेलना क्यों ?

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हमारी ढुलमुल शत्रु नीति व समझौतावादी प्रवृति का ही दुष्परिणाम है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी सीमाओं पर अनेक दर्दनाक घटनाऐं राष्ट्रीय सुरक्षा की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। इस पर भी आज राष्ट्र में पूर्णकालिक रक्षा मंत्री का न होना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सतर्कता व गंभीरता के अभाव का बोध करा रही है। कहा गये वो "आंख में आंख डाल कर उसी की भाषा में उत्तर देने वाले " साहसिक नारे और कहां गई वह "एक के बदले दस सिर " लाने के उत्साहवर्धक वक्तव्य ? क्या यह सब चुनावी लुभावने थोथे नारे थे या कुछ धरातल पर कर दिखाने की वास्तविक इच्छा ?

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विविधा

जाधव: सांप मरे, लाठी न टूटे

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हेग की अदालत की सलाह का लाभ उठाकर प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ अपने सेनापति को भी मना सकते हैं। यों मोदी और सुषमा, नवाज़ और सरताज अजीज़ से सीधे बात कर सकते थे लेकिन भारत सरकार की यह उत्तम कूटनीति है कि उसने अप्रत्यक्षतः नवाज़ के हाथ मजबूत कर दिए हैं। यों भी नवाज़ और सेनापति बाजवा के बीच ‘डान लीक’ के मामले में अब शांति हो गई है। नवाज़ शरीफ और मोदी दोनों ही भारत-पाक संबंधों को सुधारना चाहते हैं। यदि हेग की अदालत का फैसला जाधव की रिहाई के लिए हो जाए और पाकिस्तान उसे मान ले तो सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी।

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विविधा

आगरा की वेदना

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कल कल करने वाली यमुना के तट पर होते हुए मैं प्यासा हूं। कारण यह है कि यमुना नें प्यास मिटाने की क्षमता खो दी है। पहले मेरी प्यास बुझाने के लिए यमुना काफी थी, लेकिन सरकारी नीतियों ने हत्या कर दी है। मेरी यमुना में पानी के नाम पर मलमूत्र और फैक्ट्रियों के कचरे मात्र है। दिल्ली, हरियाणा से ही मलमूत्र आ रहा है। मेरी यमुना को शुद्ध करने के लिए हजारों करोड़ रुपये जल निगम वाले डकार चुके हैं। सिर्फ बारिश में यमुना कुछ समय के लिए भरी हुई दिखती है। इसके बाद तो सिर्फ नाला ही नजर आती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी यमुना में गंदगी डाली जा रही है।

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कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म

अपनी राशि अनुसार ज्योर्तिलिंग की पूजा का महात्‍म, तथ्‍ाा फल प्राप्‍‍‍त होने का महात्‍म पढे—-

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जानिए किस राशि के व्यक्ति को किस ज्योर्तिलिंग पर पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है— देवाधिदेव भगवान् महादेव सर्वशक्तिमान हैं\ भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं |संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी […]

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विविधा

“अम्ब्रेला शॉप : बुन्देलखण्ड के किसान की चलती फिरती दुकान”

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बुन्देलखन्ड के आम जनजीवन पर आई ताजा रिपोर्ट से सरकार को उलझन मससूस हो सकती है पर यहाँ के हालात बहुत चिंताजनक है,इस पर कोई दोराय नही । पूरा बुन्देलखण्ड पिछले तीन दशक से लगातार सूखे की मार झेल रहा है और इसके लिए पूर्णतया पर्यावरण असन्तुलन ही जिम्मेदार है । पीने के पानी का स्रोत (कुंओ,तालाबों) सूख गए हैं या ज्यादातर का भूजल स्तर 15 सालों में बुरी तरह नीचे गिरा है इसके कारण यहाँ के कई इलाकों के लगभग सभी कुएँ और हैण्डपम्प सूख गए हैं । इस भूजल स्तर के गिरने का प्रमुख कारण है विकास के नाम पर तालाबों का बलिदान। ऐसे में सवाल यह है की क्या हम वाकई में सम्रद्ध हो रहे हैं ?

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लेख साहित्‍य

1857 की क्रान्ति का नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल

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कोतवाल धनसिंह ने इन आजादी के दीवानों की सेना का रामराम करके स्वागत किया और उनसे पूछा कि क्या चाहते हो? उसने अपनी ओर से लोगों से कहा कि-'मारो फिरंगी को और देश को आजाद कराओ।' हनुमान की जय बोलकर इन सिरफिरे देशभक्तों की सेना कोतवाल धनसिंह के घोड़े के पीछे-2 चल दी, वह पुलिस जो इनके विशाल दल को रोकने के लिए तैनात थी, वह भी अपने कोतवाल के पीछे पीछे चल पड़ी। इन्होंने पहला धावा मेरठ की नई जेल पर बोल दिया। इन्होंने जेल से 839 कैदियों को मुक्त कराया और वे भी मुक्त होकर स्वतंत्रता सेनानियों के इस दल के साथ मिल गए और अंग्रेेजों की मेरठ जेल तोड़ दी । वहां से यह भीड़ मेरठ शहर और सिविल लाइन में घुस गई और अंग्रेज अधिकारियों के बंगलों को आग लगाना और उन्हें मारना शुरू कर दिया।

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