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समाज

कलियुग, मानव और व्यवस्था

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ऐसा नही है कि समाज में व्यक्ति-व्यक्ति के मध्य ही ऐसा होता है। आज की सारी व्यवस्था ही इसमें लिप्त है। जब धर्म को खुलेआम सडक़ों पर बेचा जा रहा हो, तब न्याय की अपेक्षा व्यवस्था से नही की जा सकती। अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकारों को फटकार लगायी है कि केन्द्र और प्रांतों की सरकारें समय पर सरकारी जमीनों पर अवैध अतिक्रमण करने वालों पर कठोर कार्यवाही नही करातीं। जबकि बहुत से धार्मिक स्थलों को लोग जानबूझकर सार्वजनिक मार्गों में बना लेते हैं।

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राजनीति

नेहरू और लोकतंत्र पर दाग

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गांधी के राजनीतिक शिष्य या उत्तराधिकारी पं. नेहरू थे। इसलिए उन्हेंाने गांधी के कई गुरों को बड़ी सूक्ष्मता से अपनाया और उन्हें सही अवसर आने पर प्रयोग भी किया। अत: नेहरू ने अपने अभिन्न मित्र मौलाना आजाद को देश की संसद में लाने की जिद की, और तत्कालीन मुख्यमंत्री पं. गोविन्दवल्लभ पंत को अपनी इच्छा बताकर सारी व्यवस्था करने का निर्देश दे दिया। मुख्यमंत्री ने रामपुर के जिलाधिकारी पर दबाब बनाया और हारे हुए प्रत्याशी को जीत का सेहरा बांधकर दूल्हा की भांति संसद में भेज दिया।

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टेक्नोलॉजी विविधा

शारीरिक अक्षमताओं की चुनौतियों पर खरा उतरते कृत्रिम हाथ-पैर और रोबोटिक अंग

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त्वचा की तरह कवर से ढंके होने के कारण ये दिखने में भी वास्तविक लगते हैं। हाथ व पैर वाले अधिकांश कृत्रिम अंगों में अनुलग्नकों की आवश्यकता होती है। आजकल इसी पर आधारित ओसिओ-एकीकरण नामक अस्थि-संयोजन प्रक्रिया का काफी उपयोग किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में अस्थिमज्जा में कृत्रिम अंग को प्रत्यारोपित कर जैविक प्रतिक्रिया का संचालन कराया जाता है। इस तरह जैव संगत प्रत्यारोपण द्वारा बाहरी कृत्रिम अंग और भीतरी जीवित ऊतक के मध्य इंटरफेस जैव गतिविधि के माध्यम से एक सशक्त व दीर्घावधिक स्थायी संबंध जैव एकीकरण से स्थापित किया जाता है।

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विविधा

उद्योगों के लाभ से ज्यादा जरूरी है मानव स्वास्थ्य

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वाहन प्रदूषण की वजह से लोगों में गला,फेफड़ें और आंखों की तकलीफ बढ़ रही हैं। कई लोग मानसिक अवसाद की गिरफ्त में भी आ रहे हैं। हालांकि हवा में घुलता जहर महानगरों में ही नहीं छोटे नगरों में भी प्रदूषण का सबब बन रहा है। कार-बाजार ने इसे भयावह बनाया है। यही कारण है कि लखनऊ, कानपुर, अमृतसर, इंदौर और अहमदाबाद जैसे शहरों में भी प्रदूषण खतरनाक स्तर की सीमा लांघने को तत्पर है। उद्योगों से धुंआ उगलने और खेतों में बड़े पैमाने पर औद्योगिक व इलेक्ट्रोनिक कचरा जलाने से भी इन शहरों की हवा में जहरीले तत्वों की सघनता बढ़ी है। इस कारण दिल्ली दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल है। वैसे भी दुनिया के जो 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहर हैं,उनमें भारत के 13 शहर शामिल हैं।

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राजनीति

भ्रष्टाचार , अपराध ,अवैध कारनामों के खिलाफ योगी सरकार का हल्ला बोल

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आज प्रदेश का कोई विभाग ऐसा नहीं बचा है जहां पर बदलाव साफ नजर न आ रहा हो। समाजवादी आवास योजना बंद होने जा रही है। खाद्य एवं रसद विभाग में प्रदेश के सभी नागरिकों के राशन कार्डो को रदद कर दिया हैं । अब सभी को स्मार्ट राशनकार्ड देने की योजना है। प्रदेश के विद्यालयों में हाईस्कूल व इंटर की परीक्षाओं में जमकर नकल हो रही थी जिससे निपटने के लिए कड़े कदम सरकार की तरफ से उठाये जा रहे हैं।नकल करने वाले तथा नकलचियों के खिलाफ हल्ला बोल दिया गया है। अभी तक 57 कालेजों की मानयता रदद की जा चुकी है तथा 54 से अधिक को डिबार किया जा चुका है।

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राजनीति

असलम साहब, अकेले राष्ट्रीय कांग्रेस स्वयंसेवक संघ बनाने से काम नहीं चलेगा

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वैसे भी देखा जाए तो कांग्रेस को इस वक्‍त सबसे ज्‍यादा शु्द्ध हवा की जरूरत है जोकि कठोर सेवा-श्रम के बूते उसके शरीर को मिलेगी और इसके लिए कांग्रेस में कोई स्‍वयंसेवक संघ होना ही चाहिए था, जिसकी जरूरत लम्‍बे समय से महसूस भी की जा रही है। किंतु इसी के साथ जो प्रश्‍न उठ रहा है वह यह है कि क्‍या नया कांग्रेसी संघ आरएसएस जैसा त्‍याग, समर्पण और सादगीभरे जीवन का भाव भी अपने स्‍वयंसेवकों में संचारित कर पाएगा ? प्रतिक्रिया स्‍वरूप कोई कार्य खड़ा किया जाए तो कहीं इसका भी हश्र पूर्व में कांग्रेस द्वारा किए गए प्रयोगों की तरह ही न हो?

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राजनीति

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बनाम राष्ट्रीय कांग्रेस स्वयं सेवक संघ

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संघ के स्वयंसेवक समाज - सेवा एवं राष्ट्र-निर्माण के लिये कठोर जीवन जीते हैं। उनका लक्ष्य राजनींति एवं सत्ता के माध्यम से सुविधायें न जुटाकर, पूरे देष मे सुदूर वनवासी क्षेत्रों तक में- पैदल तक चलकर, अनवरत काम करते हैं। हिन्दू समाज मे सामाजिक समरसता का भाव भरते हुये उसे एकता के सूत्र में पिरोते हैं। संघ मे लाखों-लाख ऐसे स्वयं सेवक हैं, जो आजीवन अविवाहित रहकर एकाकी जीवन जीकर अपने रक्त की एक-एक बूंद राष्ट्र के लिये समर्पित कर देते हैं। राष्ट्र-जीवन की भयावह समस्याओं के समक्ष अपने परिजनो के दुःख-दैन्य उनके लिये गौण हो जाते हैं।

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