राजनीति विश्ववार्ता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का अमेरिका में अपमान October 27, 2015 / October 28, 2015 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment मृत्युंजय दीक्षित पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अब लगातार कमजोर और मजाक के पात्र बनते जा रहे हैं। आज पाकिस्तान जिन हालातों के दौर से गुजर रहा है इसके लिए वह स्वयं ही जिम्मेदार है। इसके लिए पाकिस्तानी सेना, आईएसआई व भारत विरोधी वे तत्व ही जिम्मेदार हैं जो अपनी राजनीति को चलाने के लिए […] Read more » Featured अमेरिका में अपमान नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री
विधि-कानून विविधा न्यायपालिका की तानाशाही October 27, 2015 / October 28, 2015 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment वीरेन्द्र सिंह परिहार लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने मोदी सरकार के ‘‘न्यायिक नियुक्ति आयोग’’ को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि यह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहा गया कि संविधान द्वारा न्यायपालिका को स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है और एनजेएसी एक्ट से इस अधिकार मे […] Read more » Featured न्यायपालिका की तानाशाही
विधि-कानून विविधा सामाजिक न्याय और न्यायपालिका की भूमिका October 27, 2015 / October 28, 2015 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment शैलेन्द्र चौहान इतिहास गवाह है कि अनेकों शताब्दियां बीत गईं लेकिन मानव सामाजिक न्याय को प्राप्त करने भटकता रहा है और इसी कारण दुनिया में कई युद्ध, क्रांति, बगावत, विद्रोह, हुये हैं जिसके कारण अनेक बार सत्ता परिवर्तन हुए हैं। अगर भारत की बात की जाये तो हमारा भारतीय समाज पहले वर्ण व्यवस्था आधारित था […] Read more » Featured न्यायपालिका की भूमिका सामाजिक न्याय
धर्म-अध्यात्म धर्म विषयक सत्य व यथार्थ ज्ञान को ग्रहण करना व कराना कठिन कार्य है October 27, 2015 / October 28, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द ने आर्य समाज का चतुर्थ नियम यह बनाया है कि ‘सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिये।’ इस नियम को सभी मनुष्य चाहे वह किसी भी धर्म के अनुयायी क्यों न हों, सत्य मानते व स्वीकार करते हैं परन्तु व्यवहार में वह ऐसा करते हुए अर्थात् असत्य […] Read more » Featured धर्म विषयक सत्य व यथार्थ ज्ञान को ग्रहण करना
कला-संस्कृति कविता ए नये भारत के दिन बता.. October 27, 2015 / October 28, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment ए नये भारत के दिन बता…… ए नदिया जी के कुंभ बता, उजरे-कारे सब मन बता, क्या गंगदीप जलाना याद हमें या कुंभ जगाना भूल गये ? या भूल गये कि कुंभ सिर्फ नहान नहीं, ग्ंागा यूं ही थी महान नहीं । नदी सभ्यतायें तो खूब जनी, पर संस्कृति गंग ही परवान चढी। नदियों में […] Read more » Featured ए नये भारत के दिन बता..
खेत-खलिहान विविधा दाल: जमाखोरों पर नकेल के सार्थक परिणाम October 26, 2015 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on दाल: जमाखोरों पर नकेल के सार्थक परिणाम प्रमोद भार्गव दाल के जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ छापा डालकर नकेल कसने की कार्यवाही से जो सार्थक परिणाम निकले हैं, उससे साफ है कि बाजार में महंगी होती दालों का कारण उपज की कमी से नहीं थी। क्योंकि पांच हजार टन दालें आयात कर लिये जाने के बावजूद कीमतें घट नहीं रहीं […] Read more » Featured जमाखोरों पर नकेल के सार्थक परिणाम दाल
मीडिया जज्बातों से खेलना बन्द कीजिए ….. October 26, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अरविन्द मंडलोई जो बात मैं लिखने जा रहा हूँ उसको सिर्फ इस संदर्भ में समझिये कि समाज का जो मनोविज्ञान है वो क्या है ? हर आदमी एक खास मुकाम हासिल कर जिन्दा रहना चाहता है । हर आदमी अपने काम को कर्त्तव्य नहीं समाज पर एहसान मानता है । केन्द्रीय कार्यालयों में सेवारत चपरासी […] Read more » Featured जज्बातों से खेलना बन्द कीजिए .....
धर्म-अध्यात्म मनुस्मृति का आर्थिक दर्शन October 26, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment जो अर्थ की दृष्टि से शुद्ध है, वही शुद्ध है मनुस्मृति का आर्थिक दर्शन -अशोक “प्रवृद्ध” भारतीय परम्परा में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- इन चार पुरुषार्थों को मानव जीवन के लिये अपरिहार्य माना गया है। पुरुषार्थ शब्द से अभिप्राय है- पुरुष का प्रयोजन अर्थात् मानव जीवन का लक्ष्य। साधारण मनुष्य अपने जीवन का […] Read more » Featured मनुस्मृति का आर्थिक दर्शन
लेख साहित्य साहित्यकार पुरस्कार वापसी के अलावा और क्या क्या कर सकते हैं October 26, 2015 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी सबकी कट्टरता का विरोध व समाज की स्वस्थ मानसिकता बनायें ! देश में बढ़ रही असहिष्णुता कट्टरता और तीन साहित्यकारों की उनके विचारों के कारण एवं यूपी के दादरी में एक मुस्लिम की गोमांस खाने की अफवाह पर हत्या होने के बाद विरोध के तौर पर लगभग तीन दर्जन से अधिक साहित्यकार अपने […] Read more » Featured पुरस्कार वापसी साहित्यकार
कला-संस्कृति विविधा गोरक्षा-आन्दोलन और गोपालन का महत्व October 26, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्य विद्वान और नेता लौह पुरूष पं. नरेन्द्र जी, हैदराबाद की आत्मकथा ‘जीवन की धूप-छांव’ से गोरक्षा आन्दोलन विषयक उनका एक संस्मरण प्रस्तुत कर रहे हैं। वह लिखते हैं कि ‘सन् 1966 ईस्वी में पुरी के जगद्गुरु शंकराचार्य के नेतृत्व में गोरक्षा आन्दोलन चलाया गया था। पांच लाख हिन्दुओं का एक ऐतिहासिक जुलूस लोकसभा तक […] Read more » Featured गोपालन का महत्व गोरक्षा-आन्दोलन
लेख साहित्य ऐसी पुरस्कार वापसी से सवाल तो उठेंगे ही.. October 26, 2015 / October 26, 2015 by सिद्धार्थ शंकर गौतम | Leave a Comment इन दिनों देश में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हो रहे हमले के खिलाफ विरोधस्वरूप साहित्यकारों द्वारा पुरस्कार वापसी का दौर सा चल पड़ा है। हालांकि जिस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहिष्णुता की साहित्यकार दुहाई दे रहे हैं; उसमें एक ख़ास विचारधारा वाली पार्टी के खिलाफ षड़यंत्र की बू आती है। जनसामान्य […] Read more » Featured पुरस्कार वापसी
विविधा संस्कृति है चक्रीय हिण्डोला और भाषा उसकी धुरी: October 26, 2015 by डॉ. मधुसूदन | 15 Comments on संस्कृति है चक्रीय हिण्डोला और भाषा उसकी धुरी: डॉ. मधुसूदन प्रवेश: (अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर विचार) ॐ —संस्कृति, एक मण्डलाकार (मेरी गो राउण्ड) हिण्डोला, भाषा है उसकी धुरी। ॐ—सांस्कृति हिण्डोले की प्रेरणा कौनसी है ? ॐ—विविध परम्पराओंका योगदान: ॐ—पुरातन, अद्यतन, नित्य नूतन वही सनातन: ॐ—सत्य की उपलब्धि वैयक्तिक: ॐ— पराकोटि की प्रेरणा होती है : (एक) संस्कृतिः एक मण्डलाकार हिण्डोला, और […] Read more » Featured भाषा उसकी धुरी: संस्कृति है चक्रीय हिण्डोला