विविधा अनिवार्य शिक्षण में शामिल होने से बचेगा हिन्दी का भविष्य July 20, 2018 by अर्पण जैन "अविचल" | 4 Comments on अनिवार्य शिक्षण में शामिल होने से बचेगा हिन्दी का भविष्य डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ भारत बहु भाषी और बहु सांस्कृतिक समन्वय वाला राष्ट्र है, जहाँ ‘कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी’ बदल जाती है। किन्तु विगत 50 साल में भारत की क़रीब 20 फीसदी भाषाएं विलुप्त हो गई हैं। वर्ष १९६१ की जनगणना के बाद भारत में १६५२ मातृभाषाओँ का पता चला था, […] Read more » Featured hindi अनिवार्य शिक्षण हिन्दी का भविष्य
विविधा हिन्दी को अब नहीं तो कब मिलेगा सम्मान ? December 19, 2017 / December 19, 2017 by देवेंद्रराज सुथार | Leave a Comment राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश की न्याय व्यवस्था के लिए सुझाव दिया है कि न्यायालय को अपने निर्णय स्थानीय एवं हिंदी भाषा में देने चाहिए। इस दिशा में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कदम भी बढ़ा दिए है, जो सराहनीय है। अब अन्य न्यायालयों की बारी है। गौरतलब है कि देश में आज भी 95 प्रतिशत […] Read more » Featured hindi hindi as national language छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय मातृभाषा हिंदी हिंदी का विरोध
विविधा संकीर्णताओं के विरोध में खड़ी है हिंदी September 9, 2017 by राजू पाण्डेय | Leave a Comment जब हम हिंदी की उपेक्षा की बात करते हैं और इसके संरक्षण-संवर्धन हेतु शासकीय सहयोग की आशा करते हैं तब हमें यह भी सोचना चाहिए कि कहीं हिंदी की शक्ति और उसके सामर्थ्य के प्रति हम स्वयं ही सशंकित तो नहीं हैं जिस कारण हममें असुरक्षा की भावना आ गई है। यह एक निर्विवाद तथ्य […] Read more » Featured hindi संकीर्णताओं के विरोध में हिंदी
विधि-कानून विविधा बड़ी अदालत में बड़ा अन्याय May 5, 2017 / May 5, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment भारत के सर्वोच्च न्यायालय में आप किसी भी भारतीय भाषा का प्रयोग नहीं कर सकते। हिंदी का भी नहीं। हिंदी राजभाषा है। यह हिंदी और राज दोनों का मजाक है। यदि आप संसद में भारतीय भाषाओं का प्रयोग कर सकते हैं तो सबसे बड़ी अदालत में क्यों नहीं? सबसे बड़ी अदालत में सबसे बड़ा अन्याय है, यह ! देश के सिर्फ चार उच्च न्यायालयों में हिंदी का प्रयोग हो सकता है- राजस्थान, उप्र, मप्र और बिहार! छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु ने भी स्वभाषा के प्रयोग की मांग कर रखी है। Read more » bihar Constitution High Courts hindi Narendra Modi Regional Language Supreme Court अदालत छत्तीसगढ़ राजस्थान
विविधा कमज़ोर नहीं है हिन्दी September 15, 2012 / September 15, 2012 by राघवेन्द्र कुमार 'राघव' | 1 Comment on कमज़ोर नहीं है हिन्दी राघवेन्द्र कुमार ”राघव” हर बार की तरह इस बार भी १४ सितम्बर हिन्दी की याद दिला गया | हिन्दी का विकास हो रहा है , प्रचार – प्रसार में बड़ी -बड़ी बातें कहते हुए नीति नियन्ता, सब कितना अच्छा लगता है | मन को भी यह जानकर सांत्वना मिल जाती है कि वर्ष में एक […] Read more » hindi
हिंद स्वराज हमे हिंदी को, आम आदमी के और करीब लाना होगा! March 17, 2012 / March 17, 2012 by शादाब जाफर 'शादाब' | Leave a Comment शादाब जफर ‘‘शादाब’’ ‘‘मुझे ये कतई सहन नही होगा कि हिंदुस्तान का एक भी आदमी अपनी मातृभाषा को भूल जाए या इस की हंसी उड़ाए। इस से शरमाए या उसे ऐसा लगे कि वह अपने अच्छे से अच्छे विचार अपनी भाषा में प्रकट नही कर सकता है। कोई भी देश सच्चे अर्थों में तब तक […] Read more » hindi हिंदी
महत्वपूर्ण लेख विविधा हिंदी लेखन, विचारधारा और इतिहास बोध December 16, 2011 / February 27, 2012 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on हिंदी लेखन, विचारधारा और इतिहास बोध सत्यमित्र दुबे 1 पिछले दो तीन दशकों के हिंदी लेखन पर नजर दौड़ाने से यह बात स्पष्ट होती है कि इसमें पक्षधरता, विचारधारा, इतिहास बोध, कलावाद बनाम जनवाद, व्यक्ति बनाम वर्ग अथवा समाज का सवाल प्रचुर मात्रा में उठाया गया है। पश्चिम के कुछ लेखकों ने जब से इतिहास के अंत, विचारधारा के अंत और […] Read more » hindi history ideology इतिहास विचारधारा हिंदी
विविधा हिन्दी किसकी है October 9, 2011 / December 5, 2011 by बीनू भटनागर | 6 Comments on हिन्दी किसकी है बीनू भटनागर अजीब सा शीर्षक है,अजीब सा प्रश्न है कि हिन्दी किसकी है। पूरे भारत की,सभी हिन्दी भाषियों की या फिर हिन्दी के गिने चुने विद्वानों की। इसी प्रश्न का उत्तर सोचते सोचते मै अपने विचार लिखने का प्रयास कर रही हूँ। स्वतन्त्रता प्राप्त हुए 64 वर्ष हो चुके हैं,परन्तु हिन्दी को वह सम्मान नहीं […] Read more » hindi हिंदी
कविता हिन्दी के प्रचार-प्रसार में संचार माध्यमों की भूमिका September 15, 2011 / December 6, 2011 by राजेश करमहे | Leave a Comment राजेश करमहे अक्षर अविनाशी, शब्द ब्रह्म, ध्वनि सृष्टि का स्पंदन, धन्य हो हिन्दी भाषा, नागरी तुझको नमन. वसुधा कुटुम्ब, अतिथि ईश्वर, परहित जीवन समिधा अर्पण, समृद्ध हो हिन्दी संस्कृति, भारती तेरा चरण वंदन. सर्वधर्म समभाव युक्त धर्मनिरपेक्ष जीवन दर्शन, धन्य हो भारतमाता, भारतवासी तुझे नमन. सुनता रहा है विश्व जिसे, करता नत […] Read more » hindi संचार माध्यम
साहित्य हिन्दी के कालजयी कवियों की रचनाओं का डॉक्युमेंटेशन August 20, 2011 / December 7, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment गौतम चौधरी कला व्यक्ति को व्यक्ति बनाता है। कला के बिना व्यक्ति अधूरा है। कला वह मार्ग है जिससे व्यक्ति परम सत्ता तक को आत्मसात कर लेता है। ऐसी उक्तियां आम बोलचाल में कहने सुनने को मिल जाती है। लेकिन इसका साक्षात दर्शन भी हो सकता है। विगत दिनों मैं बडोदरा के प्रवास पर था। […] Read more » hindi हिन्दी
सिनेमा हिन्दुस्तान में हिन्दी के प्रचार प्रसार का प्रभावी एवं सशक्त माध्यम – बॉलीवुड एवं दूरदर्शन August 10, 2011 / December 7, 2011 by उमेश कुमार यादव | 4 Comments on हिन्दुस्तान में हिन्दी के प्रचार प्रसार का प्रभावी एवं सशक्त माध्यम – बॉलीवुड एवं दूरदर्शन उमेश कुमार यादव आज के तारीख में हिन्दी फिल्म इतनी लोकप्रिय हो चुकी है कि चाहे जो भी भाषा-भाषी हो, हिन्दी फिल्म अवश्य देखते हैं । उनके हिट गानें अवश्य गुनगुनाते हैं, भले ही उसका अर्थ नहीं पता हो । क्योंकि आज लोगों को लगने लगा है कि यदि नाम कमाना है या फिर लोकप्रिय […] Read more » hindi हिन्दी
आलोचना हिन्दी में संवाद का अंत July 18, 2011 / December 8, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on हिन्दी में संवाद का अंत जगदीश्वर चतुर्वेदी हिन्दी के इस देश में दो रूप हैं एक संवैधानिक है जिसके तहत हिन्दी कुछ राज्यों में प्रधानभाषा है तो कुछ राज्यों अल्पसंख्यक भाषा है। जहां वह अल्पसंख्यकों की भाषा है वहां हिन्दीभाषी सांस्कृतिक अल्पसंख्यक हैं। इससे हमारे राष्ट्र-राज्य के ढ़ांचे को कोई चुनौती नहीं है। इस परिधि के बाहर दूसरी ओर हिन्दी […] Read more » hindi संवाद हिंदी