व्यंग्य दिवाली पर लक्ष्मी जाती है, आती नही ? November 9, 2023 / November 9, 2023 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीवसमुद्र मथने से लक्ष्मी समुद्र से निकली और बाहर आयी। बाहर का तात्पर्य जमीन पर नहीं क्षीरसागर में, जहॉ समुद्र में, ही विष्णु ने वरण कर लिया। क्षीरसागर से निकली लक्ष्मी जमीन पर आई, जमीन पर लक्ष्मी को ज्यादा चला नही जाता है इसलिये वह बैकुंठ में, […] Read more » Lakshmi goes on Diwali
कविता हे वीणापाणि आज इतना तो कीजिये November 9, 2023 / November 9, 2023 | Leave a Comment हे वीणापाणि आज इतना तो कीजिये तेरी वंदना कर सकु मुझे दो क्षण तो दीजिये दो पुष्प चरणों में धरू इंतजाम ऐसा कीजिये अवशेष नही हो वंदना मेरी अर्चना पूरी कीजिये कभी दो पग चलकर,मैं मंदिर न तेरे आया दो नयनों की करुण व्यथा,मैं तुझे सुना न पाया अश्रु भरे इन नयनों की,लाज आज […] Read more » Hey Veenapani
कविता एक टीस अंतरमन में November 6, 2023 / November 6, 2023 | Leave a Comment जब भी मेरे प्राणों में अवतरित होता है सत्यगीत देह वीणा बन जाती है, सत्य बन जाता है परमसंगीत। एक टीस सी उठती है हृदय में, किसी को मैं दिखला न सका जीवन सॉसों के बंधन पर, ह़दय के क्रंदन को मैं जान न सका। रिसता प्राणों से जो हरपल, जैसे टूट रहा सॉसों का […] Read more » एक टीस अंतरमन में
लेख शख्सियत समाज सामूहिक कीर्तन के उपासक- श्री श्री 1008 श्री हरे राम जी महाराज November 6, 2023 / November 6, 2023 | Leave a Comment नर्मदापुरम के महान संत की जीवनी सन् 1900 का वह दौर था जब अंग्रेजों को नर्मदाजी के मध्यपूर्व से पश्चित तक फैले विशाल पर्वत सतपुड़ा-विन्ध्याचल की उचाईयों ही नहीं अपितु नर्मदा जल की पवित्रता के दर्शन का आभास होने लगा। इस दौर में नर्मदा […] Read more » श्री श्री 1008 श्री हरे राम जी महाराज
लेख मेरे ही कफन का साया छिपाया है November 4, 2023 / November 4, 2023 | Leave a Comment ओठों ने करके दफन अपने तेरे प्यार को भुलाया है सताया है रूलाया है मुझे तेरा यादों ने बुलाया है। चाहा था दिल में, हम गम की कब्र खोदेगें दिल का क्या कसूर, जो इसमें गम ही नहीं समाया है। दिखती है मेरे लबों पर, तुमको जमाने भर की हंसी हॅसी में मेरे ही कफन का, मैंने साया छिपाया […] Read more » मेरे ही कफन का साया छिपाया है
व्यंग्य खादी,खाकी और काले रंग में रंगी जा रही पत्रकारिता November 3, 2023 / November 3, 2023 | Leave a Comment आत्माराम यादव आज के समय की पत्रकारिता विकास के पथ को तलाशती, जनआकांक्षाओं के समक्ष समपर्ण कर, भ्रष्टाचार की भूलभुलैया मे थककर स्वयं का ही गलाघोटते हुये अधर्म का शिकार हो गयी है। पत्रकार स्वयं पत्रकारिता के अवमूल्यन और तमाम तरह की मर्यादाओं को तोड़ने के लिये खुद अग्रणी हो गया है। वह अपने कर्तव्य […] Read more » Journalism is being painted in khadi khaki and black colors
व्यंग्य गपोड़ी एण्ड सपोड़ी वोट बैंक November 3, 2023 / November 3, 2023 | Leave a Comment हमारे देश में रंगा और बिल्ला नाम के दो भाई हुए थे, उनके बेटे गपोड़ी और सपोड़ी ने चुनावी मौसम का बारीकी से अध्ययन कर जान लिया कि जिस प्रकार दुनियाभर में पर्यावरण असंतुलन ने नींद उड़ा दी है, उसी तर्ज पर उनकी गपोड़ी एण्ड़ सपोड़ी बैंक खुल जाये तो वे इससे मिलने वाले मुनाफें […] Read more »
कविता मैं तो तेरे पास हूँ November 3, 2023 / November 3, 2023 | Leave a Comment मैं तो तेरे पास हूँ अन्तर्मन के आंखे खोल वंदे मैं तो तेरे पास हूँ कर्म में धर्म में भक्ति में शक्ति में राग में रंग में हरदम बैठा मैं तेरे साथ हूँ । सरिता में सिंधु में धरा में गगन में अगन में पवन में करता मैं ही वास हूँ ॥ सृष्टि में वंदनीय […] Read more » I am with you
कविता निजत्व की ओर November 2, 2023 / November 2, 2023 | Leave a Comment मेरा नगर शाश्वत काल से अत्यन्त रमणीक और सुन्दर रहा है और उसका महाशून्य कार आकाश शाश्वत निर्मल असीम नीलिमा लिये रहा है। न जाने कहां से मॅडराते घने काले बादलों ने मेरे नगर के सौन्दर्य को निगल लिया है। मैं दूसरे नगर में गया हूँ तब मेरे नगर में ये बादल शुभ्र रहे थे […] Read more » निजत्व की ओर
कविता कहाँ गये पखेरू, वीरान पेड़ रोते November 2, 2023 / November 2, 2023 | Leave a Comment आज भी दरवाजा खोलते ही, मुझे अपने घर से नजर आता है नीम का पेड़, जो देवी की मडिया से सटकर खड़ा है। और कुछ दूरी पर एक विशाल इमली का पेड़ हुआ करता था जिसे चंद स्वार्थियों ने जड़ से काटकर जमीन पर कब्जा कर विशाल भवन खड़ा किया है। घर के पिछवाड़े की […] Read more » Where have the birds gone
कविता आ जाओ शरण धूनीश्वर की October 27, 2023 / October 27, 2023 | Leave a Comment ए दिल, तू पुकार धूनीधर को,तेरी टेर सुनेंगे कभी न कभी।वे दीनदयाल हरिहर हैदिन तेरे फिरेंगे कभी न कभी ।हे मोहन मधुर प्रभाधारी,जब देखें नजर परम प्यारी।बस धन्यं बने तू उसी क्षण में,तेरा दर्द हरेंगे कभी न कभी।दर पर नित फेरी लगाता जाअपना दुख दर्द सुनाता जा।जब मौज में आयेंगे मेरे प्रभु,तब पूछ ही लेंगे […] Read more »
कविता प्राणों का हम अर्द्ध चढ़ायें October 27, 2023 / October 27, 2023 | Leave a Comment भोर भये रेवा तीरे, पावस पवन श्रृंगार किये। धन्य हुई है मेरी नगरी, जन-मानस सत्कार किये।। हर दिन यहां पर प्रफुल्लित आये, पर्वो की सौगात लिये। रोज नहाये रेवा जल में, हम खुशियों सा मधुमास लिये।। जहं-तहं मन्दिर बने हुए हैं, रेवा तट का उल्लास लिये। नित मंत्र जपे ओैर माला फेरे, भीड़ भक्तों की […] Read more » प्राणों का हम अर्द्ध चढ़ायें