कला-संस्कृति विविधा कल्चर=संस्कृति=सिविलायज़ेशन? December 2, 2015 / December 2, 2015 by डॉ. मधुसूदन | 6 Comments on कल्चर=संस्कृति=सिविलायज़ेशन? डॉ. मधुसूदन सारांश: ===>संस्कृत शब्दों के समानार्थी अंग्रेज़ी शब्द नहीं मिलते। ===>६८ वर्षों की स्वतंत्रता के बाद गुलाम मानसिकता। ===>जब तक अंग्रेज़ी रहेगी समस्या बनी रहेगी। ===> धर्म=रिलिजन=मज़हब(गलत) ===> संस्कृति=कल्चर=सिविलायज़ेशन (गलत) ===> शब्दार्थ विकृत हो कर रूढ हो जाता है। (एक) संस्कृत […] Read more » Featured कल्चर कल्चर=संस्कृति=सिविलायज़ेशन? संस्कृति सिविलायज़ेशन
कला-संस्कृति विविधा भारतीय संस्कृति शास्वत है November 30, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी विश्व की सर्वोत्तम बातें, ज्ञान, विचार चिन्तन और आचरणों को जानना , विचार करना, चिन्तन करना तथा अपने जीवन का अंग बनाना ही संस्कृति होती है । इससे शारीरिक,मानसिक वैचारिक एवं अध्यात्मिक शक्तियों का अर्जन, प्रशिक्षण, दृढीकरण , उन्नयन और विकास होता है । मन आचार आचार और रूचियां परिष्कृत होती हैं […] Read more » Featured भारतीय संस्कृति भारतीय संस्कृति शास्वत है
कला-संस्कृति विविधा गौ हत्या और किसानों की आत्महत्या November 30, 2015 by राहुल खटे | Leave a Comment आजकल यह दोनों ही शब्दों का प्रयोग जरा ज्यादा ही हो रहा है. क्या इनका आपस में कुछ संबंध हैं? जो समझदार है वह तो समझ गए कि इनका क्या अंर्तसंबंध है. हालांकि मैंकालियन शिक्षा पद्धति में पढें हुए लोगो को इन दोनों शब्दों में कोई अंर्तसंबंध न दिखाई दें. लेकिन इन दोनों शब्दों का […] Read more » Featured किसानों की आत्महत्या गौ हत्या
कला-संस्कृति विविधा पुरातन भारतीय संस्कृति के अद्भुत केन्द्र तपोवन November 29, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि पश्चिम में जिस अरण्य अर्थात जंगल को असभ्यता की निशानी माना जाता है और जिस जंगल के कानून को बर्बरता का पर्यायवाची माना जाता है, वही जंगल हमारे देश भारतवर्ष में संस्कृति के अद्भुत केंद्र रहे हैं और जंगलों में बनाए गये कानूनों अर्थात स्मृति ग्रन्थों से […] Read more » Featured अद्भुत केन्द्र तपोवन पुरातन भारतीय संस्कृति
कला-संस्कृति पर्व - त्यौहार विविधा आस्था और नहान की कार्तिक पूर्णिमा November 25, 2015 / November 25, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment कार्तिक पूर्णिमा (25 नवंबर, 2015) पर विशेष कार्तिक पूर्णिमा – कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि! मौसमी बदलाव का एक खास बिंदु! शरद गई, हेमंत आई। पित्त गया, अब कफ बढ़ेगा। मार्गशीषर्, ठंड लेकर आयेगी। गौर कीजिए, साल के 12 महीनों में कार्तिक, सर्वाधिक पवित्र उत्सव माह है। पूरे माह तुलसी की पूजा-अर्चना […] Read more » Featured कार्तिक पूर्णिमा
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पारसी धर्मः आर्य धर्म से अनुप्राणित November 25, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी पारसी या फारसी धर्म के प्र्रवर्तक या पैगम्बर का नाम जरथुस्त्र या जोरास्टर था। यह धर्म फारस या प्राचीन ईरान में आर्यों के वैदिक धर्म से अनुप्राणित होकर निकला है। परम्परागत रुप में इसका समय 6000 ई.पू. कहा जाता है। इतिहास में सिकन्दर की विजय ( 330 ई.पू.) से 258 साल पहले […] Read more » Featured आर्य धर्म से अनुप्राणित पारसी धर्म
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म विविधा हिंद स्वराज कपिलवस्तु का एक प्रमुख बौद्ध महाविहार-स्तूप November 20, 2015 / November 20, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 2 Comments on कपिलवस्तु का एक प्रमुख बौद्ध महाविहार-स्तूप सालारगढ़ डा. राधेश्याम द्विवेदी भारतीय संस्कृति एवं इतिहास में अध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक महापुरुषों का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। महात्मा बुद्ध और तीर्थंकर महाबीर के प्रादुर्भाव से एक नये युग का सूत्रपात हुआ है।1 धर्म दर्शन तथा ललित कलाओ के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन दिखलाई पड़ने लगे हें। उत्तर प्रदेश के नेपाल की सीमा […] Read more » Featured कपिलवस्तु कपिलवस्तु का एक प्रमुख बौद्ध महाविहार-स्तूप प्रमुख बौद्ध महाविहार-स्तूप सा ला र ग ढ़
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म विविधा ऋषि श्रृंगी की कहानी एवं उनका आश्रम November 18, 2015 / November 18, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 25 Comments on ऋषि श्रृंगी की कहानी एवं उनका आश्रम उन दिनों देवता व अप्सरायें पृथ्वी लोक में आते-जाते रहते थे। बस्ती मण्डल में हिमालय का जंगल दूर-दूर तक फैला हुआ करता था। जहां ऋषियों व मुनियों के आश्रम हुआ करते थे। आबादी बहुत ही कम थी। आश्रमों के आस-पास सभी हिंसक पशु-पक्षी हिंसक वृत्ति और वैर-भाव भूलकर एक साथ रहते थे। परम पिता ब्रहमा […] Read more » Featured story of shringi rishi ऋषि श्रृंगी की कहानी
कला-संस्कृति महत्वपूर्ण लेख लेख साहित्य हिंद स्वराज हिन्दू धर्म ही नहीं जीवन दर्शन है November 18, 2015 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 3 Comments on हिन्दू धर्म ही नहीं जीवन दर्शन है डा राधेश्याम द्विवेदी हिन्दू राष्ट्र और हिन्दू धर्म को लेकर पूरे देश में कुछ लोगों ने एक मुहिम चला रखी है । अनेक राजनेता एवं धार्मिक जन इसका उल्टा.सीधा अर्थ निकालकर देश की भोली भाली जनता को दिग्भ्रमित कर रहे हैं । वे अपनी पूर्वाग्रहयुक्त बातों को समाज एवं राष्ट्र पर थोपने का प्रयास कर […] Read more » Featured hindu Hinduism हिन्दू धर्म जीवन दर्शन है हिन्दू धर्म है
कला-संस्कृति लेख विविधा शातिर मैकाले का मोहरा – हिन्दू धर्म का महान शत्रु “मैक्स मूलर” October 29, 2015 by हरिहर शर्मा | Leave a Comment फ्रेडरिक मैक्समूलर एक ऐसा नाम है जिसे ब्रिटिश शासनकाल में ब्रिटिश राजनीतिज्ञों, प्रशासकों और कूटनीतिज्ञों ने एक सदी (१८४६-१९४७) तक लगातार हिन्दुओं का एक अभिन्न मित्र और वेदों के महान विद्वान के रूप में प्रस्तुत किया ! परन्तु क्या यह सत्य है ? जी नहीं सत्य ऐसे बिलकुल विपरीत है ! वास्तव में मैक्स मूलर […] Read more » Featured मैक्स मूलर शातिर मैकाले का मोहरा हिन्दू धर्म का महान शत्रु
कला-संस्कृति कविता ए नये भारत के दिन बता.. October 27, 2015 / October 28, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment ए नये भारत के दिन बता…… ए नदिया जी के कुंभ बता, उजरे-कारे सब मन बता, क्या गंगदीप जलाना याद हमें या कुंभ जगाना भूल गये ? या भूल गये कि कुंभ सिर्फ नहान नहीं, ग्ंागा यूं ही थी महान नहीं । नदी सभ्यतायें तो खूब जनी, पर संस्कृति गंग ही परवान चढी। नदियों में […] Read more » Featured ए नये भारत के दिन बता..
कला-संस्कृति विविधा गोरक्षा-आन्दोलन और गोपालन का महत्व October 26, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्य विद्वान और नेता लौह पुरूष पं. नरेन्द्र जी, हैदराबाद की आत्मकथा ‘जीवन की धूप-छांव’ से गोरक्षा आन्दोलन विषयक उनका एक संस्मरण प्रस्तुत कर रहे हैं। वह लिखते हैं कि ‘सन् 1966 ईस्वी में पुरी के जगद्गुरु शंकराचार्य के नेतृत्व में गोरक्षा आन्दोलन चलाया गया था। पांच लाख हिन्दुओं का एक ऐतिहासिक जुलूस लोकसभा तक […] Read more » Featured गोपालन का महत्व गोरक्षा-आन्दोलन