आर्थिकी जनता पर तेल की मार May 25, 2012 / May 25, 2012 by राजीव गुप्ता | 1 Comment on जनता पर तेल की मार राजीव गुप्ता महंगाई की मार से जूझ रही जनता पर इस बार यूं.पी.ए. – 2 की अब तक की सबसे बड़ी मार पड़ी है ! इस मंगलवार को यूं.पी.ए. – 2 ने सरकार संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के सत्ता में तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से शाम […] Read more » raisec prices of petrol and common people raised prices of petrol जनता पर तेल की मार
आर्थिकी 60 साल की संसद, सड़ता अनाज और भूखे लोग May 15, 2012 / May 15, 2012 by हिमकर श्याम | 3 Comments on 60 साल की संसद, सड़ता अनाज और भूखे लोग हिमकर श्याम भारतीय संसद 60 साल की हो गयी है। हमारे पास गर्व करने के लिए बहुत कुछ है तो भविष्य को लेकर चिंताएं भी कम नहीं है। परिस्थितियां विकट हैं, और संकटमय हैं। राजनीतिक व्यवस्था चरमरायी हुई दिखाई देती है। पिछले दशकों में इस व्यवस्था में जो भयावह विसंगति पैदा हुई है उसने देश […] Read more » 60 साल की संसद poverty भूखे लोग सड़ता अनाज
आर्थिकी आंकड़ों की बाजीगरी में पिसता गरीब May 10, 2012 / May 10, 2012 by राजीव गुप्ता | 2 Comments on आंकड़ों की बाजीगरी में पिसता गरीब राजीव गुप्ता आज़ादी के इतने वर्षो बाद भी भारत में गरीबी एक अभिशाप के रूप में मौजूद है अगर ऐसा मान लिया जाय तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी ! कम से कम नैशनल सैंपल सर्वे 2009-10 के आंकड़ों से तो ऐसे ही लगता है ! इसके मुताबिक अगर जीने के लिए जरूरी “मासिक खर्च” को […] Read more » poor and poverty
आर्थिकी श्रमिक के सरोकारों और क्रांति को समर्पित है ‘मजदूर दिवस’ May 8, 2012 / May 8, 2012 by राजेश कश्यप | Leave a Comment राजेश कश्यप 1 मई/अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस विशेष एक मई अर्थात अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस। यह दिवस विशेषकर मजदूरों के लिए अपनी एकता प्रदर्शित करने का दिन माना जाता है। मजदूर लोग अपने अधिकारों एवं उनकी रक्षा को लेकर प्रदर्शन करते हैं। अगर आज के परिदृश्य में यदि हम मजदूर दिवस की महत्ता का आकलन करें तो […] Read more » 1st May Labour Day मजदूर दिवस श्रमिक के सरोकारों और क्रांति
आर्थिकी सेकुलर दियत……. May 8, 2012 / May 8, 2012 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment एल.आर.गाँधी सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर से देश की न्याय प्रणाली को ‘धनशक्ति’ के बल पर मूक-बधिर बनाने के विदेशी षड्यंत्र पर अंकुश लगा दिया. माननीय न्यायधीशों ने केरल उच्च न्यायालय के उस निर्णय को भी भ्रामक करार दिया जिसमें मृतक मछ्वारों के परिवारवालों और इटली सरकार के नुमैन्दों के बीच कोर्ट के बाहर […] Read more » secular donation सेकुलर दियत
आर्थिकी डीज़ल महंगा होने का मतलब समझती है सरकार? April 29, 2012 / April 29, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 2 Comments on डीज़ल महंगा होने का मतलब समझती है सरकार? इक़बाल हिंदुस्तानी मनमोहन सिंह जिन आर्थिक सुधारों को फिर से लागू करने को उतावले हैं उनसे कांग्रेस की बची खुची छवि पर भी पानी फिरेगा! ऐसा लगता है यूपीए सरकार डीज़ल के दाम बाज़ार के हवाले करके उस नीम हकीम ख़तरा ए जान के नक़्शे कदम पर चलने का फैसला कर चुकी है जो मरीज़ […] Read more » diesel becoming costlier डीज़ल महंगा
आर्थिकी मुसीबत में तंबाकू का गुटखा April 15, 2012 / April 15, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने तंबाकू की पुडि़या की बिक्री पर रोक लगाकर एक साहसिक कदम उठाया है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतना कम है। 1 अप्रैल 2012 से तंबाकू की पुडिया बेचने पर पूरी तरह रोक लगा दी है। यदि वैशिवक युवा तंबाकू सर्वेक्षण रिपोर्ट को सही मानें तो […] Read more » tobbaco गुटखा तंबाकू
आर्थिकी एक और घोटाले ने बढ़ाई केंद्र सरकार की आफत April 13, 2012 / April 13, 2012 by सिद्धार्थ शंकर गौतम | 2 Comments on एक और घोटाले ने बढ़ाई केंद्र सरकार की आफत यूपीए-२ को घोटालों की सरकार कहें तो किसी को अचरज नहीं होगा| अपने ढ़ाई वर्ष से अधिक के कार्यकाल में संप्रग सरकार में जितने घोटाले हुए उतने आज़ादी के बाद से अब तक नहीं हुए| सरकार में शामिल मंत्रियों की कारगुजारियों को यूँ तो मीडिया तथा कैग सार्वजनिक करता रहा है तथा उच्च न्यायालय भी […] Read more » central goverment scam केंद्र सरकार की आफत घोटाले
आर्थिकी गरीबी की नई परिभाषा April 1, 2012 / April 1, 2012 by रवि शंकर (CEFS) | Leave a Comment रवि शंकर केन्द्र सरकार ने गरीबी की नई परिभाषा फिर तय की है। योजना आयोग की मानें तो देश की शहरी इलाको में प्रतिदिन 28 रुपये 65 पैसे व ग्रामीण इलाकों में रोज 22 रुपये 42 पैसे खर्च करने वाले व्यक्ति को गरीब नहीं कहा जा सकता। अत्याधिक महंगाई और खाद् पदार्थो की बढ़ती कीमतों […] Read more » poverty Poverty Line गरीबी
आर्थिकी शीर्ष न्यायालय और गरीबी रेखा March 30, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव देश के गरीबी रेखा की खिल्ली उड़ाने के साथ योजना आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय की भी खिल्ली उड़ार्इ है। क्योंकि इसी न्यायालय ने दिशा-निर्देश दिए थे कि गरीबी रेखा इस तरह से तय की जाए कि वह यथार्थ के निकट हो। इसके बावजूद आयोग ने देश की शीर्ष न्यायालय को भी आर्इना दिखा […] Read more » Poverty Line Supreme Court गरीबी रेखा शीर्ष न्यायालय
आर्थिकी खेती-किसानी का बजट March 28, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव उदारवाद के बाद यह पहला बजट है, जिसमें अन्नदाता के प्रभुत्व को फिर से स्वीकारने की शुरुआत हुर्इ है। कृषि, किसान, ग्रामीण विकास, उर्वरक, सिंचार्इ और इनसे जुड़ी तकनीक को विस्तार देने की झलक भी इस बजट में है। खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश को लाने के हठ में सरकार ने […] Read more » budget2012-13 central budget खेती-किसानी का बजट
आर्थिकी रेल किराया वृद्धि पर होती राजनीति? March 16, 2012 / March 16, 2012 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने वर्ष 2012-13 का रेल बजट पेश कर दिया है। चूंकि केंद्र सरकार गठबंधन दलों की सरकार है तथा रेल मंत्रालय सरकार के एक प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस के हिस्से में है। और ममता बैनर्जी के पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद उन्हीं की पार्टी के सांसद […] Read more » increased railway charges रेल किराया वृद्धि