जन-जागरण ‘महर्षि दयानन्द की विश्व को सर्वोत्तम देनःवेदों का पुनरूद्धार’ September 25, 2014 / September 26, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य दयानन्द ने अपने जीवनकाल में देश को जो कुछ दिया है वह महाभारत काल के सभी उत्तरवर्ती एवं उनके समकालीन किसी महापुरूष ने नहीं दिया है। मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता क्या है? मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता ज्ञान है। सृष्टि के आदि काल में जब ईश्वर ने मनुष्यों को उत्पन्न […] Read more » ‘महर्षि दयानन्द की विश्व को सर्वोत्तम देन वेदों का पुनरूद्धार’
जन-जागरण महत्वपूर्ण लेख विश्ववार्ता भारत को आस्तीन में सांप पालने का शौक September 23, 2014 / September 23, 2014 by डा. कौशल किशोर श्रीवास्तव | Leave a Comment डा. कौशल किशोर श्रीवास्तव भारत की आस्तीनें बहुत लम्बी और बहुत चौड़ी है। वह जहां भी सांप रेंगते देखता है, शीघ्रता से उठा कर आस्तीन के अन्दर रख लेता हैं इस आशा के साथ कि जब सांप बहुत से इकट्ठे हो जायेंगे तो एक दूसरे को काटने लगेंगे पर वे भारत को ही काटते है […] Read more » भारत को आस्तीन में सांप पालने का शौक
जन-जागरण पर्यावरण महत्वपूर्ण लेख आतंकवाद से जुड़ा पशुवध September 20, 2014 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भः- मेनका गांधी का बयान-आतंकवाद फैलाने में काम आ रहा है पशुवध का धन प्रमोद भार्गव केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री तथा पर्यावरणविद् मेनका गांधी का यह बयान चिंताजनक है कि पशुवध का पैसा देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने के काम आ रहा है। गांधी ने यह बात बयानवीर नेताओं की तरह बिना […] Read more » आतंकवाद से जुड़ा पशुवध
जन-जागरण औरों को नसीहत खुद मियां फज़ीहत? September 18, 2014 by निर्मल रानी | 1 Comment on औरों को नसीहत खुद मियां फज़ीहत? निर्मल रानी मानव जाति जहां अपने तमाम कारनामों व उपलब्धियों के लिए पहचानी जाती है वहीं मानव से तरह-तरह की नकारात्मक बातें भी ही जुड़ी हुई हैं। इंसान से जुड़े ऐसे ही एक नकारात्मक पहलू का नाम है अपराध। समाज में कोई न कोई व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी किसी न किसी छोटे […] Read more » औरों को नसीहत खुद मियां फज़ीहत?
जन-जागरण ये संवैधानिक पद September 14, 2014 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment राष्ट्रपति, राज्यपाल, सी.ए.जी., मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष और विश्वविद्यालयों के वाईस चान्सलर आदि के पद संवैधानिक मान्यता प्राप्त पद हैं लेकिन पिछले ६५ वर्षों में इन पदों पर सत्ताधारी पार्टियों ने जिस तरह योग्यता और प्रतिभा की अनदेखी कर अपने चमचों की नियुक्तियां की है, उससे न सिर्फ़ इन पदों की गरिमा घटी है […] Read more » ये संवैधानिक पद
जन-जागरण महत्वपूर्ण लेख राष्ट्रीय समस्या आकलन में पातंजल दर्शन का योगदान September 13, 2014 by डॉ. मधुसूदन | 6 Comments on राष्ट्रीय समस्या आकलन में पातंजल दर्शन का योगदान डॉ. मधुसूदन (एक) संकीर्ण दृष्टि का दोष: हम चाहते हैं; कि, राष्ट्र की प्रत्येक समस्या के समाधान में, हमारी इकाई को, हमारे प्रदेश को, हमारी भाषा को, लाभ पहुंचे। और जब ऐसा होता हुआ, नहीं दिखता, तो हम समस्या को हल करने में योगदान देने के बदले, समस्या के जिस गोवर्धन पर्वत को उठाना होता […] Read more »
जन-जागरण पर्यावरण कुदरत आखिर क्यों नाराज हुई ? September 12, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment 16 जून 2013 का दिन उत्तराखंड के लिए विनाश का ऐसा काला समय था, जिसने हज़ारों की संख्या में लोगों की ज़िंदगियों को छीन लिया । वहां जो बच भी गए, उनका घर कारोबार सब कुछ उजड़ गया। प्रकृति के इस कहर से केदारनाथ, रूद्र प्रयाग, उत्तरकाशी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे। उत्तराखण्ड में आई […] Read more » कुदरत आखिर क्यों नाराज हुई ?
जन-जागरण “कलियुग में भगवानों का जुलुस” September 11, 2014 by मनमोहन आर्य | 11 Comments on “कलियुग में भगवानों का जुलुस” कलियुग में एक बार सभी भगवानों का जुलुस निकला। भगवानों के जुलुस में उनके साथ उनके श्रदालु, सेवक अपने अपने इष्ट देव के गुण गान करते हुए निकल रहे थे। दर्शकगण बड़े उत्साह से जुलुस देखने निकले। सबसे आगे परम पिता परमात्मा परमेश्वर थे जिनके साथ बमुश्किल 1-2 श्रद्धालु थे। एक दर्शक ने पूछा भाई […] Read more » “कलियुग में भगवानों का जुलुस”
जन-जागरण फ़िरकापरस्त और कश्मीर की बाढ़ September 10, 2014 / September 10, 2014 by विपिन किशोर सिन्हा | 4 Comments on फ़िरकापरस्त और कश्मीर की बाढ़ आज का समाचार है कि कश्मीर में चार लाख लोग अभी भी बाढ़ में फ़ंसे हैं। राहत कार्य में सेना के एक लाख जवान जुटे हैं। ६० हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। कश्मीर में अपनी जान को जोखिम में डालकर बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचानेवाले सेना के ये वही […] Read more » फ़िरकापरस्त और कश्मीर की बाढ़
जन-जागरण विश्व हिन्दू परिषद के पचास वर्ष September 9, 2014 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री दुनिया भर में रहने वाले हिन्दू समाज की पिछले सौ साल में स्पष्ट ही दो श्रेणियाँ हो गईं हैं । हिन्दुस्तान का हिन्दू समाज और हिन्दोस्तान से बाहर रहने वाला हिन्दू समाज । हिन्दोस्तान के बाहर रहने वाला हिन्दु समाज वह है जिसे भारत के यूरोपीय विदेशी शासकों ने लालच देकर […] Read more » विश्व हिन्दू परिषद के पचास वर्ष
जन-जागरण महत्वपूर्ण लेख निजी विश्वविद्यालय: विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह September 9, 2014 by प्रो. एस. के. सिंह | Leave a Comment प्रो. एस. के. सिंह पिछले वर्षं मेघालय में एक निजी विश्वविद्यालय (सी.एम.जे. विश्वविद्यालय) द्वारा यू.जी.सी के नियमों की अनदेखी करते हुए एक वर्ष में 434 पी-एच. डी उपाधियां देने एवं 490 पंजीकृत करने का मामला प्रकाश में आया था। मेघालय के तत्कालीन राज्यपाल श्री आर एस मुशहरी ने इस निजी विश्वविद्यालय को भंग (विघटन) करने […] Read more » निजी विश्वविद्यालय
जन-जागरण संत न छोड़े संतई कोटिक मिले असंत .. September 9, 2014 by अनुज अग्रवाल | 3 Comments on संत न छोड़े संतई कोटिक मिले असंत .. अनुज अग्रवाल बचपन में पिताजी कहानियां सुनाया करते थे | उसमे एक कहानी थी बिच्छू और साधू की | होता क्या है कि एक बिच्छू पानी में डूब रहा था | वही पास में स्नान कर रहे एक साधू उसे उठा कर पानी से बाहर ले जाने लगे | पर बिच्छू तो बिच्छू है उसने […] Read more »