कविता प्रतीक्षा में है बहुत कुछ May 26, 2018 / May 26, 2018 by पंखुरी सिन्हा | Leave a Comment हम कभी तो निकलेंगे धर्म के जंजाल से जातियों के मोहजाल से कर्मकांडो के मायाजाल से कि प्रगति सचमुच हमारी राह देखती है— पहुंचेंगे उस तक कभी हम जाने किस सूर्योदय के सुनहले पंख लिए होकर विजित जाने किन अस्मिताओं की कैसी लड़ाइयों में जो उभरती ही रहती हैं निरंतर शान्ति के पटल पर अकारण […] Read more » कर्मकांडो कुछ खेतों जंगलों प्रतीक्षा में है बहुत
कविता उचित अनुचित है अपेक्षित होता ! May 24, 2018 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment उचित अनुचित है अपेक्षित होता, बुरों को भी कोई बुरा लगता; अच्छों को अच्छे बहुत से लगते, बुरों को अच्छा कोई है लगता ! देखता सृष्टा सबों को रहता, लख के गुणवत्ता ढालता रहता; अधूरे अध-पके जीव सब हैं, सीखने सुधरने ही आए हैं ! निखरते निरन्तर ही रहना है, मापदण्डों में उसके गढ़ना है; […] Read more » ‘मधु’ टपकाता अपेक्षित होता उचित अनुचित माँगते रहते
कविता पंछियों के मंत्र पाठ से प्रभात, मंगल-प्रभात होता: May 19, 2018 by डॉ. मधुसूदन | Leave a Comment डॉ. मधुसूदन (एक) एक चुनौती भरी कठिन प्रस्तुति: कवि की कल्पना कविकल्पना ही कहलाती है. कवि जो देखता है वो रवि भी नहीं देख सकता. एक ऐसी ही थोडी कठिन कविता प्रस्तुत करता हूँ. कुछ बौद्धिक व्यायाम होगा. पर बिना बौद्धिक व्यायाम वास्तव में मनोरंजन भी संभव नहीं होता. कुछ पाठक तो लाभान्वित होंगे […] Read more » आंँगन आँगनों गुरुकुल वृक्ष-झुण्ड वृक्षों वृक्षों शाख शाख
कविता कर्नाटक का नाटक खत्म नहीं हुआ,अभी और देखना बाकी है May 18, 2018 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on कर्नाटक का नाटक खत्म नहीं हुआ,अभी और देखना बाकी है कर्नाटक का नाटक खत्म नहीं हुआ,अभी और देखना बाकी है अभी तो ट्रेलर देखा है तुमने,पूरी फिल्म अभी देखना बाकी है येदुरप्पा ने अभी शपथ ली है,औरो को शपथ दिलाना बाकी है येदुरप्पा को अभी सदन में,अपना बहुमत सिद्ध करना बाकी है राजनीति में जोड़-तोड़ की हवा चली है,खरीद-फरोख्त बाकी है कुछ एम एल ऐ […] Read more » कर्नाटक नाटक खत्म नहीं बहुमत सिद्ध राजनीति
कविता मिले न जब मन का मीत,मनमीत तुम किसे बनाओगी ? May 18, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment मिले न जब मन का मीत,मनमीत तुम किसे बनाओगी ? मै मीरा बनकर अपने मनमोहन को मनमीत बनाऊँगी जब तोड़ दे कोई ह्रदय तुम्हारा,फिर किसके द्वार तुम जाओगी ? जब तोड़ेगा कोई ह्रदय मेरा,अपने द्वारकाधीश के द्वार जाऊंगी जब मिले न कोई संग-साथ,फिर किसको संगीत सुनाओगी ? जब मिलेगा न कोई संग-साथ,मीरा बनकर भजन सुनाऊंगी […] Read more » अंतिम संस्कार कराओगी ? आंसू बहाओगी मन का मीत मिले न जब विष का प्याला
कविता माँ ने पूछा,मै आई किसके हिस्से में ? May 15, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment सन्नाटा छा गया बटवारे के किस्से में माँ ने पूछा,मै आई किसके हिस्से में ? कहते है सभी लोग आज माँ का दिन है मै कहता हूँ,कौन सा दिन माँ के बिन है एक अच्छी माँ होती है सभी के पास होती नहीं अच्छी औलाद सभी के पास माँ तो एक सबसे बड़ी नियामत हे […] Read more » औलाद ज़िन्दगी नियामत बहन भाई मां
कविता ‘फिर जुल्फ लहराए’ May 14, 2018 by कुलदीप प्रजापति | Leave a Comment ‘फिर जुल्फ लहराए’ फिजा ठंडी हैं कुछ पल बाद ये माहौल गरमाए। कहीं चालाकियाँ ये इश्क में भारी न पड़ जाए। ज़रा सी गुफ्तगू कर लें, बड़े दिन बाद लौटे हो, नज़ाकत हुस्न वालों के ज़रा हालात फरमाए। अहा! क्या खूबसूरत आपने यह रंग पाया हैं, निशा का चाँद गर देखे तो खुद में ही […] Read more » इश्क खूबसूरत ज़ियारत बद्दुआएँ सजदा
कविता आपस के रिश्ते जब से व्यापार हुए May 14, 2018 by कुलदीप प्रजापति | Leave a Comment कुलदीप विद्यार्थी आपस के रिश्ते जब से व्यापार हुए। बन्द सभी आशा वाले दरबार हुए। जिसको इज्ज़त बख्सी सिर का ताज कहा उनसे ही हम जिल्लत के हकदार हुए। मंदिर, मस्ज़िद, गुरुद्वारों में उलझे हम वो शातिर सत्ता के पहरेदार हुए। जिस-जिसने बस्ती में आग लगाई थी देखा है वो ही अगली सरकार हुए। आसान […] Read more » इज्ज़त कुत्ता बख्सी रिश्ते व्यापार सरकार
कविता कर्नाटक का मतलब है,कर नाटक इस चुनाव में May 14, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कर्नाटक का मतलब है,कर नाटक इस चुनाव में इसलिए सब पार्टी कर रही है,नाटक इस चुनाव में बीजेपी हो या कांग्रेस, कर रही नाटक चुनाव में इसलिए हर वोटर कर रहा है,नाटक इस चुनाव में रंग मंच बना हुआ है, कर्नाटक,इस चुनाव मे सारे नेता नाटक के पात्र बने हुए है,चनाव में सी.एम.पद के लिए […] Read more » कन्नड़ भाषा कर्नाटक गुल खिलायेगे चुनाव बी.जे.पी. सट्टा
कविता कर्नाटक का चुनाव जिता दो May 14, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment वोटर भैया,अबकी बार कर्नाटक का चुनाव जिता दो अबकी बार,अपनी मैया बुला ली,उसकी लाज रखा दो मै तो धर्म निर्पेक्ष हूँ,मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा भी जाता मै तो कभी पंडित,कभी मौलवी कभी पादरी बन जाता कभी जनेऊ धारण करता ,कभी टोपी पहन कर आता कभी तिलक लगा कर,मंदिरों में पूजा करने भी जाता देखो ये कर्नाटक […] Read more » कर्नाटक गुरुद्वारा मंदिर मस्जिद मैया बुला वोटर भैया
कविता क्यों आते हैं तूफ़ान जिन्दगी में May 11, 2018 by आर के रस्तोगी | 2 Comments on क्यों आते हैं तूफ़ान जिन्दगी में आये हो जब से तुम मेरी जिन्दगी में एक तूफ़ान आ गया मेरी जिन्दगी में लगता है ये मौसम बेईमान हो गया शायद ये दिल मेरा परेशान हो गया लगता है ये तूफ़ान आगे बढ़ने लगा मेरी रातो की नींद को ये चुराने लगा न दिन में है चैन,न रात को है चैन कयू करता […] Read more » गन्दगी ज़िन्दगी तूफ़ान प्रक्रति मेहमान सदियों
कविता सोनम की शादी पर बोनी के मन के उदगार May 10, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment सोनम के पवित्र गटबंधन पर काश!आज तुम जीवित होती इस घर की खुशियों में अब अपार चार गुणी वृधि होती तुम सोनम के हाथ पकड कर उसके हाथो में मेहँदी रचाती ऐसी मेहँदी तुम लगाती जो कभी छूट नहीं पाती अनिल,तुम्हे भाभी कह पुकारता वह तुम्हारे दोनों चरणों को छूता तुम उसको खूब आशीर्वाद देती […] Read more » चूडिया वाला डांस दिल्ली आहूजा बोनी कपूर सन्नाटा सोनम कपूर