कविता मैं जलता हिंदुस्तान हूं… August 21, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 9 Comments on मैं जलता हिंदुस्तान हूं… –कुलदीप प्रजापति- मैं जलता हिंदुस्तान हूं, लड़ता, झगता, उबलता, अंगारों सा सुलगता हुआ , फिर भी देश महान हूं, मैं जलता हिंदुस्तान हूं| आतंकवाद बना दामाद मेरा, भ्र्ष्टाचार ने चुराया चीर मेरा, हो रहा जो हर धमाका, चीर देता दिल मेरा, कहते हैं जब सोने की चिड़ियां, आंख मेरी रोती हैं, क्योंकि मेरी कुछ संतानें इस युग मैं भूखी सोती हैं, कई समस्याओं से झुन्झता मैं निर्बल-बलवान हूँ , मैं जलता हिंदुस्तान हूं| नारी की जहां होती हैं पूजा , अब वहां वह दर रही , लूट ना ले कोई भेड़िया , इस डर वो ना निकल रही , प्यार के स्थान पैर बाँट रहे अब गोलियां, कहाँ गई मेरे दो बेटों की, प्यार भरी बोलियां, जाति आरक्षण से टूटता और खोता अपना सम्मान हूं, मैं जलता हिंदुस्तान हूं| हैं बदलती रंग टोपियां , भाषा नहीं बदल रही , राजनीति एक की चड़थी, अब दलदल में वो बदल रही, मर्द अब मुर्दा बना बस खड़ा सब देखता , जिसके हाथों में है लाठी, दस की सौ में बेचता , हर समय, हर जगह झेलता अपमान हूं, मैं जलता हिंदुस्तान हूं| Read more » भारत मैं जलता हिंदुस्तान हूं हिन्दुस्तान
कविता कैसा वह नया ज़माना होगा August 21, 2014 by जावेद उस्मानी | 2 Comments on कैसा वह नया ज़माना होगा -जावेद उस्मानी- आओ देखें आने वाला अपना कल कितना सुहाना होगा। कैसा अपना जीवन होगा कैसा वह नया ज़माना होगा ! हर तरफ अजब धुंध होगी, अपना चेहरा अनजाना होगा सच और झठ को तोलने का , बस एक ही पैमाना होगा ! कहने को मेरी सूरत होगी मगर, अफसाना उनका होगा गीत कोई भी […] Read more » कविता कैसा वह नया ज़माना होगा हिन्दी कविता
कविता विधान सभा चुनाव August 20, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- राज्यों का विधान सभा चुनाव , देता है अब यही सुझाव, सोच समझ कर नेता चुनना , आगे को न तुम पछताव | चुनाव करीब आने पर देखो , बना रहे सब प्रोपोगंडा, जीत मिलेगी जैसे ही उनको ,सारा मामला होगा ठंडा। सभी पार्टियाँ को तो देखो , कर रहे इक दूसरे पर […] Read more » चुनाव कविता विधान सभा चुनाव व्यंग्य कविता
कविता ये जीवन का कौन सा मोड़ है August 19, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 2 Comments on ये जीवन का कौन सा मोड़ है -राघवेंद्र कुमार- जहां मार्ग में ही ठहराव है। दिखते कुछ हैं करते कुछ हैं, यहाँ तो हर दिल में ही दुराव है। किस पर ऐतबार करें किसे अपना कहें, हर अपने पराए हृदय में जहरीला भाव है। अपना ही अपने से ईर्ष्या रखता है, हर जगह अहम् का टकराव है । अरे “राघव” तू यहाँ […] Read more » जीवन जीवन के मोड़ ये जीवन का कौन सा मोड़ है
कविता पीड़ा August 19, 2014 by बीनू भटनागर | 1 Comment on पीड़ा -बीनू भटनागर- पीड़ा के खोल कर द्वार, बहने दो अंसुवन की धार। धैर्य के जब खुल गये बांध, पीड़ा ही पीड़ा रैन विहान। पीड़ा तन की हो या मन की, सुध ना रहती किसीभी पलकी। पीड़ा सहने की शक्ति भी, पीड़ा ही लेकर आती है, पीड़ा बिना कहे आ जाती, जाने को है बहुत सताती। […] Read more » पीड़ा हिन्दी कविता
कविता चक्र August 15, 2014 by बीनू भटनागर | 1 Comment on चक्र -बीनू भटनागर- प्रत्यूष काल, किरणों का जाल, सूर्योदय हो गया, क्षितिज भाल। तारे डूबे तो, सूर्य उगा, चंदा भी थक कर, विदा हुआ। पक्षियों का गान कहे हुआ विहान। नींद से उठकर, मिट गई थकान। उषा काल के , रवि को प्रणाम! मध्याह्न काल मे, सूर्य चढ़ा, ठीक गगन के बीच खड़ा, धरती का […] Read more » चक्र हिन्दी कविता
व्यंग्य भगवान भटकते गली-गली… August 15, 2014 by निर्मल रानी | Leave a Comment -निर्मल रानी- सम्राट अकबर के बारे में कहा जाता है कि वे पुत्र प्राप्ति की खातिर देवी से मन्नत मांगने माता वैष्णो देवी तथा ज्वाली जी के मंदिरों तक पैदल ही गये थे। आज भी यदि हम देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर जाएं तो हमें यह दिखाई देगा कि अब भी कई आस्थावान लोग […] Read more » भगवान भगवान भटकते गली-गली
कविता एक टेढ़ी मेढ़ी रेखा August 14, 2014 by बीनू भटनागर | 1 Comment on एक टेढ़ी मेढ़ी रेखा -बीनू भटनागर- एक टेढ़ी मेढ़ी रेखा, उत्तरी ध्रुव से चली, दक्षिण के ध्रुव से, जाकर के मिली, प्रशांत महासागर के, रस्ते से गई। रेखा ये ऐसी वैसी नहीं, इसके बांई ओर, तारीख हो आठ, तो दांई ओर होगी नौ, ये नहीं गुज़रती, थल से कहीं, तिथि के कारण, भ्रम हो न कहीं, इसलिये, समुद्र में […] Read more » एक टेढ़ी मेढ़ी रेखा हिन्दी कविता
कविता देश की आवाज़ पर August 13, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- देश की आवाज़ पर, मर मिटेंगे साथ हम, न किसी का डर हमें, न किसी का है गम़। वीरों के बलिदान को, व्यर्थ न जाने देंगे हम, शान है तिरंगा अपना, शान से फहराएंगे। देख के शक्ति को, दुश्मन थरराएंगे। वादा है हमारा ये, भारत माता से तो आज, प्राण निकल जाए भले, […] Read more » कविता देश की आवाज़ पर हिन्दी कविता
कविता अब भुगतो! August 13, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -क़ैस जौनपुरी- हां, हम समझ गए क़ि कयामत आएगी हमें आग में जलाएगी हम डर गए अब, बस करो ना इतना ही कब्ज़े में रखना था तो बनाया ही न होता किसने कहा था, हमें बनाओ खुराफ़ात तो आप ही को सूझी थी ना अब भुगतो! Read more » अब भुगतो! कविता हिन्दी कविता
व्यंग्य व्यंग्य बाण : आत्मकथा August 11, 2014 by विजय कुमार | Leave a Comment शर्मा जी कई दिन से बेचैन थे। जब भी मिलते, ऐसा लगता मानो कुछ कहना चाहते हैं; पर बात मुंह से निकल नहीं पा रही थी। मन की बात बाहर न निकले, तो वह भी पेट की गैस की तरह सिर पर चढ़ जाती है। रक्षाबंधन वाले दिन मैं उनके घर गया, तो शर्मानी मैडम […] Read more » व्यंग्य बाण : आत्मकथा
कविता लहू में घुले कांटे August 9, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -मनु कंचन- हवा टकरा रही थी, मानो मुझे देख मुस्कुरा रही थी, सूखे पत्ते जो पड़े थे, संग अपने उन्हें भी टहला रही थी, मेरे चारों ओर के ब्रह्माण्ड को, कुछ मादक सा बना रही थी, मैं भूला वो चुभे कांटे, जो पांव में कहीं गढ़े थे, अब तो शायद, वो लहू के संग रगों […] Read more » लहू कविता लहू में घुले कांटे हिन्दी कविता