महत्वपूर्ण लेख भाषाई समरूपता से अखण्डित राष्ट्र की परिकल्प July 24, 2019 / July 24, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ माँ, माटी और मातृभाषा की अनिवार्यता और यथोचित सम्मान की चाह होना हर भारतवंशी का कर्तव्य भी है और नैतिक जिम्मेदारी भी। राष्ट्र केवल लोग नहीं बल्कि वहाँ का समाज, संस्कृति, लोगों के अंदर की भावनाएं, वहाँ की भाषा, वहाँ की जिम्मेदारव्यवस्था मिल कर बनाते है। और राष्ट्र के सम्पूर्ण तत्व की व्याख्या उस राष्ट्र का उपलब्ध ज्ञान भंडार ही कर सकता है, वहाँ की शिक्षा व्यवस्था से उसकी प्रासंगिकता प्रचारित होती है। उस राष्ट्र की आंतरिक अखण्डता और उसे एक सूत्र में बंधे रहने कीआवश्यकता का एकमात्र समाधान भाषाई समरूपता है, यानी ‘एक देश-एक जनभाषा’ की अनिवार्यता होने से सम्पूर्ण राष्ट्र में सामान्य लोक व्यवहार का सहज और सरल हो जाना निहित है।ऐसा इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि विभिन्न भाषा-भाषियों के मध्यआपसी सामंजस्य स्थापित करने के लिए किसी एक बिंदु का एक जैसा होना जरूरी है। किंतु जहाँ बात संवाद की आती है वहाँ संवाद का प्रथम सूत्र ही भाषा का एक होना है। वर्तमान में हिंदुस्तान में लगभग 500 से अधिक बोलियाँ व 22 भाषाएँ उपलब्ध है। ऐसी स्थिति में जब तमिलनाडु से व्यवहार करना हो तो व्यक्ति को तमिल सीखना होगी और जब पंजाबी से व्यवहार करना हो तो पंजाबी। ऐसे में सामान्य बोलचाल की भाषाएक जैसी नहीं होने से संवाद की स्थापना असंभव है, और बिना संवाद के व्यापार, विनिमय, रिश्तेदारी आदि सभी ताक में रह जाते है। अन्य प्रान्त के लोगों में संवाद की सफलता के लिए एक मध्यस्थ भाषा का होना अत्यंत आवश्यक है। इस कमी को अंग्रेजी भी पूरा कर सकती है किंतु अंग्रेजी स्वभाषा नहीं है, और भारत चूँकि ग्राम प्रधान राष्ट्र होने से आज भी अंचल में अंग्रेजी प्रासंगिक और सहज नहीं है। इसीलिए हिंदी भाषा ही जनभाषा के रूप में एकमात्र श्रेष्ठ विकल्प उपलब्ध है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने लिखा है कि- ‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।’ निजभाषा का महत्व सदा से ही अपनेपन के साथ संस्कार सींचन हेतु आवश्यक माना गया है। आरंभिक दौर में प्राकृत, पाली से सजा राष्ट्र का तानाबाना देवभाषा संस्कृत के प्रचारित होने के बाद सज नहीं पाया, संस्कृत भी आज के दौर में जनभाषा नहीं हैक्योंकि उसे बोलने-समझने वाले लोग अब मुट्ठीभर शेष है। प्राकृत-पाली के साथ संस्कृत निष्ठ हिन्दी का जन्म हुआ और यह हिन्दी ने जनता के बीच क्षेत्रीय भाषाओं से अधिक स्थान प्राप्त किया। क्षेत्रीय भाषाओं का अपना एक सीमित दायरा है इसमें कोई संशय नहीं है, और आज हिंदुस्तान के 57 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा हिंदी ही है। शेष 43 प्रतिशत लोग भी हिंदी से अपरिचित नहीं है, वे जानते-समझते है किंतु उनकी स्थानीय भाषाओं में वे ज्यादादक्ष है, ज्यादा प्रवीण है। इसीलिए जनभाषा के तौर पर हिन्दी की अस्वीकार्यता नहीं हो सकती, रही बात हिन्दी के विरोध की तो यह केवल भ्रम से उत्पन्न या कहे राजनैतिक प्रेरित विरोध के स्वर है। क्योंकि हिन्दी के प्रचारकों ने जिस तरह हिन्दी को एकसंस्कृति ही बना कर प्रस्तुत किया यह बहुत गलत है। हिन्दी एक भाषा है, न कि अकेली एक संस्कृति या धर्म। हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान की सोच से ही हिन्दी भाषा का हश्र बिगड़ा हुआ है। भाषा महज अभिव्यक्ति का माध्यम और जनसंवाद का केंद्र है। यह कदापि सत्य नहीं है कि यदि हिंदी भाषा होगी तो हिन्दूराष्ट्र बनेगा। आज चलन में अंग्रेजी भाषा का प्रभाव ज्यादा है ,तो क्या हम यह मान ले कि देश फिर इंग्लिशतान या ईसाईयत की तरफ बढ़ गया? या देश पुनः गुलाम हो चुका? भारत एक गणतांत्रिक राष्ट्र है, यहाँ प्रश्न अपनी जनभाषा के सम्मान का है न कि किसी धर्म के आधिपत्य का। भाषा किसी धर्म या पंथ की प्रतिलिपि नहीं होती, भाषा तो संवाद और संचार का माध्यम है। यहाँ बात स्वभाषा की स्थापना की है, न कि धर्म के साथजोड़ कर भाषा की हत्या की। हाल बुरा तो इसी सोच के चलते उर्दू का भी हुआ है। उर्दू के उम्दा फनकार राहत इंदौरी जी का शेर है- क़त्ल उर्दू का भी होता है और इस निस्बत से, लोग उर्दू को मुसलमान समझ लेते हैं जब हिन्दी को हिन्दू और उर्दू को मुसलमान माना जाता है तो इन्ही खोखले आधारों से भाषा के कारण युद्ध और विरोध का जन्म होता है। इसी पर तथाकथित लोगों को राजनीति करने का मौका मिल जाता है, इसे वे एक संस्कृति या धर्म को थोपना बताकरएक जनभाषा की हत्या कर देते है। भाषा मनोवैज्ञानिक प्रभाव का कारक हो सकती है पर वो कभी भी किसी धर्म की ठेकेदार नहीं होती। विखण्डनवादी सोच के चलते हिन्दुस्तान में आज सांस्कृतिक अखण्डता खतरे में है। क्योंकि हिन्दी कही थोपी नहीं जा रही, जो लोग कहते है कि आप हमारी दक्षिण भारतीय भाषा सीखिए, तो वे भी ये बताएं कि कितने प्रतिशत लोगों तक संवाद उससे सहज होगा,मात्र 8 से 10 प्रतिशत लोगों से और हिन्दी के कारण कम से कम 57प्रतिशत और अधिकतम Read more » Conceptualized nation language linguistic symmetry mother tounge
महत्वपूर्ण लेख देश के निर्माण में आरएसएस का योगदान July 12, 2019 / July 12, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment बृजनन्दन राजू जब छात्रों को लेनिन,मार्क्स और कांग्रेस का इतिहास पढ़ाया जा सकता है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक का क्यों नहीं। वैसे समाज से संबंध रखने वाली घटनाएं ही इतिहास बनती हैं। विगत काल में घटित घटनाएं ही इतिहास का रूप लेती हैं। नागपुर के राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में संघ का इतिहास और […] Read more » contribution in nation building RSS
महत्वपूर्ण लेख स्वामी विवेकानन्द भारतीयता के पर्याय थे July 2, 2019 / July 2, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता के प्रखर प्रवक्ता, युगीन समस्याओं के समाधायक, अध्यात्म और विज्ञान के समन्वयक एवं आध्यात्मिक सोच के साथ पूरी दुनिया को वेदों और शास्त्रों का ज्ञान देने वाले एक महामनीषी युगपुरुष थे। लेकिन 40 साल से भी कम उम्र में उनकी मौत आज भी कइयों के लिए एक […] Read more » Swami Vivekananda synonymous with Indianness viveknanda
महत्वपूर्ण लेख “वैदिक धर्म और स्त्री-पुरुष के अधिकार” June 17, 2019 / June 17, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- पं0 लोकनाथ तर्कवाचस्पति जी के नाम से सभी स्वाध्यायशील आर्यबन्धु परिचित हैं। आपने यज्ञ-प्रार्थना ‘यज्ञरूप प्रभु हमारे भाव उज्जवल कीजिये छोड़ देवे छल कपट को मानसिक बल दीजिये’ लिखी है जो देश व विदेश की सभी आर्यसमाजों एवं आर्य परिवारों में यज्ञ के पश्चात प्रतिदिन गाई जाती है। पंडित जी ने शहीद […] Read more » hu Human Rights men vedic religion women
महत्वपूर्ण लेख समय इतिहास के ‘ भूत ‘ से मुक्ति पाने का June 14, 2019 / June 14, 2019 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य विगत 13 जून को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से हुई भेंट में कहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद से बाज नहीं आ रहा है , इसलिए पाकिस्तान से वार्ता की कोई संभावना भारत की ओर से नहीं है । इससे […] Read more » समय इतिहास
महत्वपूर्ण लेख शिक्षामंत्री के लिए मांगपत्र June 14, 2019 / June 14, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment श्रीमती लीना मेहेंदळे खुशी की बात यह है कि 30 मई को नई सरकार के शपथ ग्रहण करने से पहले ही 100 दिन के जो लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं उसमें शिक्षा भी शामिल की गई है ।उसी के अनुरूप ३१ मई को नए मानव संसाधन मंत्री पोखरियाल के कार्य भर संभलते ही कस्तूरीरंगन रिपोर्ट […] Read more » Education education minister
महत्वपूर्ण लेख पिता-पुत्र के संबंधों की जीवंत संस्कृति June 14, 2019 / June 14, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस यानी फादर्स डे इस साल 16 जून 2019 को भारत समेत विश्वभर में मनाया जायेगा। यह दिवस जून महीने के तीसरे रविवार को मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत बीसवीं सदी के प्रारंभ में पिताधर्म, पिता के अवदानों तथा पुरुषों द्वारा अपनी संतान की परवरिश का सम्मान करने के लिये एक […] Read more » international fathers day on fathers day
महत्वपूर्ण लेख राजनीति करना होगा ऐसे दरिंदों का सामाजिक बहिष्कार June 10, 2019 / June 10, 2019 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment हर आँख नम है हर शख्स शर्मिंदा है क्योंकिआज मानवता शर्मसार है इंसानियत लहूलुहान है। एक वो दौर था जब नर में नारायण का वास था लेकिन आज उस नर पर पिशाच हावी है। एक वो दौर था जब आदर्शों नैतिक मूल्यों संवेदनाओं से युक्त चरित्र किसी सभ्यता की नींव होते थे लेकिन आज का समाज तो इनके […] Read more » aligarh rape case kathua rape case raoe accused rape rape with small kid दुष्कर्म बेटी से दुष्कर्म
महत्वपूर्ण लेख राजनीति आर्य समाज और हिन्दू महासभा को निगलता आरएसएस May 30, 2019 / May 30, 2019 by राकेश कुमार आर्य | 1 Comment on आर्य समाज और हिन्दू महासभा को निगलता आरएसएस राकेश कुमार आर्य बात 1920 – 21 की है , जिस समय अंग्रेजी सरकार ने तुर्की के बादशाह को उसके पद से हटा दिया था , जो कि मुस्लिम जगत का खलीफा अर्थात धर्मगुरु था। इसको लेकर भारत के मुसलमानों में आक्रोश था । उस आक्रोश को समर्थन देकर गांधी जी ने भारत की राजनीति […] Read more » आरएसएस आर्य समाज हिन्दू महासभा
महत्वपूर्ण लेख भारतीय सेना की‘सदभावना’ को गिलानी का‘अ’सलाम ! May 27, 2019 / May 27, 2019 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment मनोज ज्वाला जम्मू कश्मीर में अलगाववादी आतंकी समूहों तथा उनके भाडे के टट्टुओं एवं मासूम बच्चों के हाथों पत्थरबाजी का शिकार होती रही भारतीय सेना और उसकी सदभावना सलाम करने योग्य है, प्रणम्य है । मालूम हो कि खिलौनों से खेलने की उम्र के बच्चों को आतंकियों के हाथों का खिलौना बनने से रोकने-बचाने तथा […] Read more » army indian army
महत्वपूर्ण लेख विविधा संस्कृत शब्द की असीम उडान March 24, 2019 / March 24, 2019 by डॉ. मधुसूदन | 8 Comments on संस्कृत शब्द की असीम उडान डॉ. मधुसूदन (एक)संस्कृत शब्द की उडान: संस्कृत शब्दों में वैचारिक आकाश छूने की क्षमता है, इसी गुण के कारण उसमें मैं सम्मोहन भी मानता हूँ। और इसी लिए संस्कृतनिष्ठ हिन्दी भी मुझे प्रभावित ही नहीं, सम्मोहित भी करती है। भाषा अर्थात भाषा के शब्द ही चिन्तकों के विचारों को ऊँचा उठाते हैं, और सारी मर्यादाएँ लांघ कर मुक्त चिन्तन का […] Read more » संस्कृत शब्द संस्कृत शब्द की असीम उडान
महत्वपूर्ण लेख सोशल मीडिया में अभिनंदन के वीडियो से पाकिस्तान चल रहा है चाल March 3, 2019 / March 3, 2019 by जगदीश वर्मा ‘समन्दर’ | Leave a Comment विंग कमाण्डर अभिनंदन की स्वदेश वापसी के बाद पाकिस्तान की ओर से अभिनंदन का एक वीडियो वायरल किया गया है । जो पहले आये उस वीडियो से अलग है जिसमें अभिनंदन चाय पीते हुये पाकिस्तान आर्मी को जवाब देते दिखे थे । ताजा वीडिया किसी समाचार चैनल की आईडी के साथ प्रसारित किया गया है […] Read more » Abhinandan video video of Abhinandan अभिनंदन के वीडियो