राजनीति विधि-कानून धर्म से बड़ी भारतीयता, यह कब स्वीकार करेंगे हम… August 24, 2021 / August 24, 2021 by सोनम लववंशी | Leave a Comment हिंदी सिनेमा में एक बहुत ही मशहूर गीत है कि, “मांझी जो नाव डुबोए, उसे कौन बचाये? जी हां इस गीत से शुरुआत इसलिए, क्योंकि जब देश और समाज को चलाने वाले लोग ही देश और समाज की भलाई से इतर सोचेंगे, फ़िर देश तरक़्क़ी की बिसात पर आगे कैसे बढ पाएगा? हम लोकतंत्र के […] Read more » Indianness is bigger than religion uniform civil code समान नागरिक संहिता
राजनीति विधि-कानून चिकित्सा शिक्षा में आरक्षण के मायने July 31, 2021 / July 31, 2021 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव पिछड़े वर्ग की लंबे समय से चल रही मांग पर केंद्र सरकार ने विराम लगा दिया। अब राज्य सरकारों के चिकित्सा महाविद्यालयों में भी केंद्रीय कोटे के अतंर्गत आरक्षित 15 प्रतिशत सीटों पर पिछड़ा वर्ग के छात्रों को 27 और आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को 10 फीसदी आरक्षण का अतिरिक्त […] Read more » Meaning of reservation in medical education चिकित्सा शिक्षा में आरक्षण चिकित्सा शिक्षा में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण
राजनीति विधि-कानून मेडिकल में पिछड़ों को आरक्षण July 31, 2021 / July 31, 2021 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिकसरकार ने मेडिकल की पढ़ाई में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की है। यह आरक्षण एमबीबीएस, एमडी, एमएस, डिप्लोमा, बीडीएस और एमडीएस आदि सभी कक्षाओं में मिलेगा। आरक्षण का यह प्रावधान सरकारी मेडिकल काॅलेजों पर लागू होगा। इस […] Read more » Reservation for backward in medical मेडिकल मेडिकल में पिछड़ों को आरक्षण
लेख विधि-कानून समान नागरिक संहिता की अनिवार्यता July 20, 2021 / July 20, 2021 by सिद्धार्थ राणा | 2 Comments on समान नागरिक संहिता की अनिवार्यता समान नागरिक संहिता (ucc) समय-समय पर चर्चाओं का विषय रहता है। हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसकी आवश्यकता पर जोर दिया है। भारत में जब भी दो जातियों एवं धर्मों के मध्य विवाह, तलाक या उत्तराधिकार के लिए टकराव या इनसे संबंधित अधिकारों के लिए संघर्ष होता है, तब न्यायालय के सम्मुख विभिन्न […] Read more » uniform civil code समान नागरिक संहिता
राजनीति विधि-कानून न्यायायिक व्यवस्था की कैसी विवशता July 4, 2021 / July 4, 2021 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment देश की न्यायिक व्यवस्था की विवशताओं को समझना अब अति आवश्यक होता जा रहा है l इसके लिए शासन को साहसिक प्रयास करना चाहिए l वास्तव में कानून की कुछ कमियों व अस्पष्टताओं का अनुचित लाभ उठा कर आरोपियों को अपराधी प्रमाणित करने में असमर्थता एक गम्भीर चुनौती बन चुकी हैं l इसी कारण वर्षो […] Read more » compulsion of the judicial system What is the compulsion of the judicial system
मनोरंजन लेख विधि-कानून ओटीटी प्लेटफार्म पर अंकुश जरूरी April 19, 2021 / April 19, 2021 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment आज के युग में तकनीक जिसे टेक्नोलॉजी कहते हैं वो लगातार और तीव्रता के साथ बदल रही है। इसके व्यवहारिक पक्ष को हम सभी ने कोरोना काल में विशेष तौर पर महसूस किया जब घर बैठे कार्य करने के लिए वर्चुअल और ऑनलाइन मीटिंग्स, स्कूल की कक्षाओं का संचालन या फिर वर्क फ्रॉम होम जैसे […] Read more » Curb on OTT platform is necessary ओटीटी प्लेटफार्म पर अंकुश जरूरी कैरियर बनाने की इच्छा रखने वाले हर उम्र के लोगों के लिए इसने बगैर किसी भेदभाव के अनेकों द्वार खोल दिए हैं।
राजनीति विधि-कानून न्यायिक व्यवस्था में मिसाल बनेंगे न्यायमूर्ति रमना! April 11, 2021 / April 11, 2021 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment कई महत्वपूर्ण फैसलों को लेकर चर्चित रहे हैं जस्टिस रमना– योगेश कुमार गोयलमहामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की स्वीकृति के बाद न्यायमूर्ति नथालापति वेंकट रमना भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) होंगे। 64 वर्षीय जस्टिस रमना 24 अप्रैल को देश के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे। दरअसल मौजूदा मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े का कार्यकाल […] Read more » Justice Ramna न्यायमूर्ति रमना
लेख विधि-कानून सेना में महिलाओं के हक पर कोर्ट की सख्ती March 27, 2021 / March 27, 2021 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग –हमारी सेनाओं में भी महिलाओं के साथ भेदभाव, दोयम दर्जा एवं बेचारगी वाला नजरिया दुर्भाग्यपूर्ण एवं असंगत है। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 में दिए अपने फैसले के बावजूद सेना में कई महिला अधिकारियों को फिटनेस, अन्य योग्यताओं और शर्तों को पूरा करने के बावजूद स्थायी कमीशन नहीं दिए जाने को गलत, भेदभावपूर्ण […] Read more » Courts strictness on the rights of women in the army rights of women in the army सेना में महिलाओं के हक
लेख विधि-कानून अदालतों में अंग्रेजी की गुलामी March 13, 2021 / March 13, 2021 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत की न्याय-प्रणाली के बारे में ऐसी बातें कह दी हैं, जो आज तक किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ने नहीं कही। वे जबलपुर में न्यायाधीशों के एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कानून, न्याय और अदालतों के बारे में इतने पते की बातें यों ही नहीं […] Read more » Slavery of english in courts अदालतों में अंग्रेजी की गुलामी भारत की न्याय-प्रणाली राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
लेख विधि-कानून सवालों से घिरती न्याय-व्यवस्था और न्यायिक नियुक्ति आयोग की आवश्यकता March 13, 2021 / March 13, 2021 by प्रो. रसाल सिंह | Leave a Comment -प्रो. रसाल सिंह पिछले दिनों भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने न्याय-व्ययवस्था को ‘जीर्ण-शीर्ण’ कहकर सनसनी पैदा कर दी हैI उन्होंने यह भी कहा है कि जो व्यक्ति न्याय की आस में न्यायालय जाता है, वह अपने निर्णय पर प्रायः पश्चाताप करता हैI न्याय-व्यवस्था के शीर्ष पर रहे व्यक्ति का यह […] Read more » justice Gogoi The need for judicial system and judicial appointment commission surrounded by questions न्यायिक नियुक्ति आयोग की आवश्यकता सवालों से घिरती न्याय-व्यवस्था
आलोचना विधि-कानून जातीय आरक्षण के दिन लद गए March 12, 2021 / March 12, 2021 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिकहमारा सर्वोच्च न्यायालय अब नेताओं से भी आगे निकलता दिखाई दे रहा है। उसने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे बताएं कि सरकारी नौकरियों में जो आरक्षण अभी 50 प्रतिशत है, उसे बढ़ाया जाए या नहीं? कौन राज्य है, जो यह कहेगा कि उसे न बढ़ाया जाए? सभी नेता और पार्टियाँ […] Read more » Supreme Court supreme court on reservation The days of ethnic reservation are over जातीय आरक्षण
विधि-कानून लौटा दो विष्णु की जिंदगी के बीस साल…? March 10, 2021 / March 10, 2021 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment लोकतांत्रिक व्यवस्था में आम आदमी की न्याय की उम्मीद क्या खत्म होती दिखती है। व्यक्ति के संविधानिक और कानूनी अधिकार क्या संरक्षित नहीं रह गए हैं। कानून और संविधान की किताबें सिर्फ दिखावटी हैं। क्या कानून अपने दायित्वों और कर्तब्यों का निर्वहन पारदर्शिता से कर रहा है ? न्याय के अधिकार का क्या संरक्षण हो […] Read more » इंसाफ की उम्मीद में विष्णु तिवारी विष्णु की जिंदगी