महत्वपूर्ण लेख विविधा रामविलास शर्मा और सीताराम गोयल October 12, 2011 / December 5, 2011 by शंकर शरण | 14 Comments on रामविलास शर्मा और सीताराम गोयल शंकर शरण अक्तूबर में दो वैचारिक योद्धाओं का जन्म-दिवस पड़ता हैः डॉ. रामविलास शर्मा (1912-2000) और सीताराम गोयल (1921-2003)। वैयक्तिक जीवन में दोनों ही निःस्वार्थ, सादगी पसंद थे। इस के बाद समानता समाप्त हो जाती है। जहाँ सीताराम जी ने कम्युनिस्ट और इस्लामी राजनीति के कड़वे सत्य को सामने लाने के लिए आजीवन संघर्ष किया, […] Read more » Ramvilas Sharma रामविलास शर्मा सीताराम गोयल
विविधा दिशा शूल October 12, 2011 / December 5, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार कल मैं दफ्तर से आकर बैठा ही था कि शर्मा मैडम का फोन आ गया। उनकी आवाज से लग रहा था कि वे किसी संकट में हैं। पूछने पर पता लगा कि संकट में वे नहीं, उनके पति हैं। शर्मा जी मेेरे पुराने मित्र हैं। वे संकट में हों, तो मेरा घर में […] Read more »
विविधा पारदर्शिता के पक्षधर October 12, 2011 / December 5, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार शर्मा जी हमारे मोहल्ले के एक जागरूक नागरिक हैं। देश में कोई भी घटना या दुर्घटना हो, उसका प्रभाव उनके मन-वचन और कर्म पर जरूर दिखाई देता है। 15 अगस्त और 26 जनवरी को वे मोहल्ले में झंडारोहण कराते हैं। कहीं बाढ़ या तूफान से जनहानि हो जाए, तो वे चंदा जमा करने […] Read more » favoraa of transparency पारदर्शिता
विविधा सच्ची बात कही थी मैंने… October 11, 2011 / December 5, 2011 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | 1 Comment on सच्ची बात कही थी मैंने… लोकेन्द्र सिंह राजपूत उस दिन ग्वालियर की गुलाबी ठंडी शाम थी। वाकया नवंबर २००४ का है। मौका था रूपसिंह स्टेडियम में आयोजित ‘जगजीत नाइट’ का। कार्यक्रम में काफी भीड़ पहुंची थी। मैंने ‘भीड़’ इसलिए लिखा है क्योंकि वे सब गजल रसिक नहीं थे। यह भीड़ गजल के ध्रुवतारे जगजीत सिंह को सुनने के लिए नहीं […] Read more » Jagjeet Singh जगजीत सिंह
विविधा बढ़ती असमानता : बारूद के ढ़ेर जैसी खतरनाक October 11, 2011 / December 5, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डॉ.किशन कछवाहा सत्ता का एक बड़ा पक्ष होने के नाते यह आशा की जाती है कि कांग्रेस लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में विश्वास रखे। लेकिन उसके व्यवहार से जनता को कभी यह आभास नहीं होता कि उसका परस्पर बातचीत में विश्वास है। गत एक वर्ष के दौरान घटी घटनाओं से तो यही निष्कर्ष निकल कर आया है। […] Read more » inequality असमानता
विविधा आरक्षण के प्रश्न पर चुनावी मजबूरियां October 11, 2011 / December 5, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on आरक्षण के प्रश्न पर चुनावी मजबूरियां हरिकृ ष्ण निगम आज देश की राजनीति जिस तरह करवटें ले रही है और आरक्षण की चुनावी लाचारियों ने इस समस्या पर विमर्श के स्तर को इतना गिरा दिया है कि कुछ लोग धर्म के आधार पर भी आरक्षण की आवश्यकता को निर्लज्जतापूर्वक संविधान-सम्मत मानने लगे हैं। इसी तरह प्रकाश झा की हाल ही ‘आरक्षण’ […] Read more » Reservation आरक्षण
विविधा गरीबी और मजाक October 11, 2011 / December 5, 2011 by राजीव गुप्ता | 1 Comment on गरीबी और मजाक राजीव गुप्ता आज़ादी के इतने वर्षो बाद भी गरीबी और मजाक एक दूसरे का पर्याय बने हुए है अगर ऐसा मान लिया जाय तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी ! कम से कम वर्तमान सरकार के रूख से तो ऐसे ही लगता है ! पहले गलती करना फिर तथ्यों के साथ खिलवाड़ कर तथा उसे तोड़-मरोड़ […] Read more » poverty गरीबी
विविधा कलम आज ‘जनक्रांति’ की जय बोल October 10, 2011 / December 5, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अवध किशोर अन्ना हजारे के नेतृत्व में सम्पूर्ण देश जाग उठा है सारा देश एक स्वर में बोल उठा है, ‘भारतमाता की जय’, ‘वन्देमातरम्’ और ‘अन्ना तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं’ आजादी की दूसरी लड़ाई के रूप में इसे सम्पूर्ण देश मान रहा है। जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रान्ति के बाद यह पहला […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे
विविधा राजनीति पर गैर सरकारी स्वैच्छिक संगठनों का विदेशी नागपाश October 9, 2011 / December 5, 2011 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment हरिकृष्ण निगम क्या आज का भारत स्वैच्छिक और गैर-सरकारी संगठनों अथवा सिविल सोसायटी कहलाने वाले संगठनों के नागपाश द्वारा विदेशी सूत्रधारों या कुछ देशविरोधी अंतर्राष्ट्रीय लॉबियों का अखाड़ा बन चुका है? देश में सक्रिय इन एन.जी.ओ. अथवा सी. एस. ओ. ने अपनी अंदरूनी प्रतिद्वंदिता और राजनीति द्वारा वर्तमान व्यवस्था को गंभीर चुनौति ही नहीं दी […] Read more » non government politics गैर सरकारी राजनीति
विविधा हिन्दी किसकी है October 9, 2011 / December 5, 2011 by बीनू भटनागर | 6 Comments on हिन्दी किसकी है बीनू भटनागर अजीब सा शीर्षक है,अजीब सा प्रश्न है कि हिन्दी किसकी है। पूरे भारत की,सभी हिन्दी भाषियों की या फिर हिन्दी के गिने चुने विद्वानों की। इसी प्रश्न का उत्तर सोचते सोचते मै अपने विचार लिखने का प्रयास कर रही हूँ। स्वतन्त्रता प्राप्त हुए 64 वर्ष हो चुके हैं,परन्तु हिन्दी को वह सम्मान नहीं […] Read more » hindi हिंदी
विविधा ग्लोबलाइजेशन : एक समसामयिक मूल्यांकन October 6, 2011 / December 5, 2011 by मीनाक्षी मीणा | 8 Comments on ग्लोबलाइजेशन : एक समसामयिक मूल्यांकन मीनाक्षी मीणा आज का युग संचार व प्रौद्योगिकी का युग है, जहां पर एल.पी.जी. (उदारीकरण, निजीकरण, ग्लोबलाइजेशन) की हवा बह रही है। एल.पी.जी. की इसी हवा में ग्लोबलाइजेशन अपनी पूरी सक्रियता के साथ पूरे विश्व में विस्तारित होता जा रहा है और इसी ग्लोबलाइजेशन के कारण आज पूरा विश्व एक छोटी सी दुनिया में सिमट […] Read more » Globalisation ग्लोबलाइजेशन वैश्वीकरण
विविधा अस्तित्व के संकट से जुझ रहे विश्व को संबल देता है गांधी दर्शन October 2, 2011 / December 5, 2011 by समन्वय नंद | 1 Comment on अस्तित्व के संकट से जुझ रहे विश्व को संबल देता है गांधी दर्शन गांधी जयंती (2 अक्टूबर) पर विशेष समन्वय नंद विश्व आज अनेक समस्याओं से दो- चार हो रहा है, और इनके कारण उनके अस्तित्व पर ही संकट के बादल मंडराने लगे हैं । तापमान बढने व ओजोन में छेद होने के कारण इस प्लैनेट पर जीवन के अस्तित्व ही खतरे में पड गया है अब ऐसा […] Read more » Mahatma Gandhi महात्मा गांधी