कला-संस्कृति रंगत खोते हमारे सामाजिक त्यौहार।

रंगत खोते हमारे सामाजिक त्यौहार।

बाजारीकरण ने सारी व्यवस्थाएं बदल कर रख दी है। हमारे उत्सव-त्योहार भी इससे अछूते नहीं रहे। शायद इसीलिए प्रमुख त्योहार अपनी रंगत खोते जा रहे…

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पर्यावरण सांसों का ये कैसा आपातकाल?

सांसों का ये कैसा आपातकाल?

टूट रहे हैं प्रदूषण के सारे रिकॉर्ड– योगेश कुमार गोयलदिल्ली-एनसीआर की हवा में दीवाली से कुछ दिन पहले ही इस कदर जहर घुल चुका है…

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राजनीति बागी एवं बगावती होते टिकट वंचित नेता

बागी एवं बगावती होते टिकट वंचित नेता

– ललित गर्ग- पांच राज्यों के विधानसभा से पहले अनेक राजनीतिक दलों एवं उनके नेताओं के बीच बड़ी ऊंठापटक, खींचतान एवं चरित्रगत बदलाव देखने को…

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लेख मेरे ही कफन का साया छिपाया है

मेरे ही कफन का साया छिपाया है

ओठों ने करके दफन अपने तेरे प्यार को भुलाया है सताया है रूलाया है मुझे तेरा यादों ने बुलाया है। चाहा था दिल में, हम गम…

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राजनीति हमास का हमला और इज़रायल का उत्तर और ईरान की चाल

हमास का हमला और इज़रायल का उत्तर और ईरान की चाल

– डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री                   गाजा पट्टी पर हमास का ही कब्जा है । हमास एक…

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आर्थिकी वैश्विक स्तर पर नया आकार ले रहा है भारत का सांस्कृतिक वैभव

वैश्विक स्तर पर नया आकार ले रहा है भारत का सांस्कृतिक वैभव

 भारतीय सनातन संस्कृति, सभ्यता और परम्पराएं विश्व में सबसे अधिक प्राचीन मानी जाती है। भारतीय संस्कृति को विश्व की अन्य संस्कृतियों की जननी भी माना…

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कला-संस्कृति अहोई अष्टमी : संतान की मंगलकामना का पर्व

अहोई अष्टमी : संतान की मंगलकामना का पर्व

अहोई अष्टमी (5 नवम्बर) पर विशेष– योगेश कुमार गोयलभारत में हिन्दू समुदाय में करवा चौथ के चार दिन पश्चात् और दीवाली से ठीक एक सप्ताह…

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कविता आज जैन बौद्ध वैदिक सिख मिलकर हिन्दू कहलाने लगे

आज जैन बौद्ध वैदिक सिख मिलकर हिन्दू कहलाने लगे

—विनय कुमार विनायक वर्तमान हिन्दू धर्म बौद्ध जैन धर्म का ब्राह्मणीकरण है, बुद्ध ने कहा ‘एस धम्मो सनंतनो’ धम्म ही सनातन है! सच यह है…

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कविता दानी और उदार होने के लिए जरूरी नहीं है धनी होना

दानी और उदार होने के लिए जरूरी नहीं है धनी होना

—विनय कुमार विनायक दानी और उदार होने के लिए जरूरी नहीं है धनी होना अक्सर अधिक धनी व्यक्ति अत्यधिक कृपण होता ज्यों-ज्यों धन बढ़ते जाता…

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व्यंग्य खादी,खाकी और काले रंग में रंगी जा रही पत्रकारिता

खादी,खाकी और काले रंग में रंगी जा रही पत्रकारिता

आत्‍माराम यादव आज के समय की पत्रकारिता विकास के पथ को तलाशती, जनआकांक्षाओं के समक्ष समपर्ण कर, भ्रष्टाचार की भूलभुलैया मे थककर स्वयं का ही…

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व्यंग्य गपोड़ी एण्ड सपोड़ी वोट बैंक

गपोड़ी एण्ड सपोड़ी वोट बैंक

हमारे देश में रंगा और बिल्ला नाम के दो भाई हुए थे, उनके बेटे गपोड़ी और सपोड़ी ने चुनावी मौसम का बारीकी से अध्ययन कर…

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मनोरंजन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अराजकता आज भी जस की तस

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अराजकता आज भी जस की तस

अनंत विजय कुछ दिनों पूर्व दो वेबसीरीज आई जिसको लेकर काफी चर्चा रही। एक है ‘बंबई मेरी जान’ और दूसरी है ‘मुंबई डायरीज सीजन टू’।…

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