राजनीति प्रधानमंत्रियों से भी बड़ा काम December 22, 2018 / December 22, 2018 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | 1 Comment on प्रधानमंत्रियों से भी बड़ा काम डॉ. वेदप्रताप वैदिकहमारे स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व-स्वास्थ्य संगठन के एक ताजा सर्वेक्षण ने मुझे चौंका दिया। उससे पता चला कि हमारे देश में सात करोड़ से भी ज्यादा लोग रोज बीड़ी पीते हैं। बीड़ी फूंककर वे खुद को फेफड़ों, दिल और केंसर का मरीज तो बनाते ही हैं, हवा में भी जहर फैलाते हैं। उनके […] Read more » अंग्रेजी अशिक्षित आदिवासी गरीब ग्रामीण धूम्रपान नशे पिछड़े मांसाहार स्वास्थ्य मंत्रालय
राजनीति समाज किसान ऋण माफ़ी योजनाएँ एवं उनके सामाजिक सरोकार December 7, 2018 by अभिलेख यादव | Leave a Comment डॉ. जीतेंद्र प्रताप भारत सदियों से कृषि प्रधान देश रहा है। विगत वर्षों में या यूँ कहें आजादी के बाद से ही विविध सरकारों ने अपने-अपने तरीकों से किसानों का उपयोग ही किया है। लेकिन जिस तरह से आजकल किसान या उनके मुद्दे चर्चा में रह रहे हैं, वह खासकर एक किसान के लिए, थोड़ा […] Read more » आंध्र प्रदेश किसान ऋण माफ़ी योजनाएँ एवं उनके सामाजिक सरोकार कृषि लोन गरीब बिचौलियों बैंकों मजदूर मध्य प्रदेश महाजनों महाराष्ट्र
राजनीति गांधीमुक्त कांग्रेस की नौटंकी October 4, 2018 / October 4, 2018 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिक गांधी जयंति पर वर्धा में कांग्रेस ने खूब नौटंकी रचाई। सोनिया-राहुल अपने नाम के पीछे गांधी उपनाम जरुर लगाते हैं लेकिन उनका महात्मा गांधी से क्या लेना-देना है ? इनका उपनाम गांधी है, फिरोज गांधी की वजह से ! सोनियाजी फिरोज गांधी की बहू हैं और राहुल उनका पोता है। इसी तरह […] Read more » गरीब गांधीमुक्त कांग्रेस की नौटंकी ग्रामीण निजलिंगप्पा फिरोज गांधी मोरारजी देसाई संजीव रेड्डी
राजनीति समाज जाएं तो जाएं कहां? July 26, 2018 / July 26, 2018 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी धर्म की जीत हो-अधर्म का नाश हो, धर्मस्थानों से इस प्रकार की प्रेरणादायक व आदर्शवादी आवाज़ें कुछ ज़्यादा सुनाई देती हैं। यह उद्घोष हमारे देश के मंदिरों में प्रात: व सायंकाल की आरती के बाद ज़रूर सुना जाता है। प्रतिदिन करोड़ों लोग इस उद्घोष में शामिल होते हैं। तो क्या वास्तव में ऐसे […] Read more » 29 बालिकाओं Featured असहाय गरीब जाएं तो जाएं कहां? देश-विदेश बालिका गृह बेसहारा मुजफ्फरपुर मेडिकल जांच लावारिस तथा यतीम
व्यंग्य जिया जले, जाँ जले ! April 13, 2018 by देवेंद्रराज सुथार | Leave a Comment देवेंद्रराज सुथार अब तो न दिन को चैन आता है और न ही रात को नींद आती है। इस आलम में कुछ नहीं भाता है और न ही कोई ख्याल आता है। जिया जलता है। जाँ जलती है। नैनों तले धुआँ चलता है। रुक जाइए ! यदि आप मुझे प्रेमी समझने की भूल कर रहे […] Read more » Featured आमीर इंसान ऐसी गरीब गर्मी जानवर ठंड सर्दी
विविधा मैं गरीब हूं, इबारत गरीबी का मजाक है July 4, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- राजस्थान में गरीबों का मखौल उड़ाने का एक गंभीर मामला सामने आया है, जो हमारी राजनीति के साथ-साथ प्रशासनिक मूल्यहीनता एवं दिशाहीनता का परिचायक है। राजनीतिक लाभ लेने के लिये किस तरह सरकार के द्वारा जनयोजनाआंें को भुनाने के प्रयत्न होते हैं, उसका राजस्थान एक घिनौना एवं अमानवीय उदाहरण बनकर प्रस्तुत हुआ है। […] Read more » Featured गरीब
राजनीति लोकतंत्र में गरीब को क्या मिलता है ? April 28, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 1 Comment on लोकतंत्र में गरीब को क्या मिलता है ? भारत में कुल 4120 विधायक और 462 विधान परिषद सदस्य हैं अर्थात कुल 4,582 विधायक। प्रति विधायक वेतन भत्ता मिला कर प्रति माह 2 लाख का खर्च होता है। अर्थात 91 करोड़ 64 लाख रुपया प्रति माह। इस हिसाब से प्रति वर्ष लगभ 1100 करोड़ रूपये। भारत में लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर कुल 776 सांसद हैं। इन सांसदों को वेतन भत्ता मिला कर प्रति माह 5 लाख दिया जाता है। अर्थात कुल सांसदों का वेतन प्रति माह 38 करोड़ 80 लाख है। और हर वर्ष इन सांसदों को 465 करोड़ 60 लाख रुपया वेतन भत्ता में दिया जाता है। अर्थात भारत के विधायकों और सांसदों के पीछे भारत का प्रति वर्ष 15 अरब 65 करोड़ 60 लाख रूपये खर्च होता है। ये तो सिर्फ इनके मूल वेतन भत्ते की बात हुई। इनके आवास, रहने, खाने, यात्रा भत्ता, इलाज, विदेशी सैर सपाटा आदि का का खर्च भी लगभग इतना ही है। अर्थात लगभग 30 अरब रूपये खर्च होता है इन विधायकों और सांसदों पर। Read more » गरीब लोकतंत्र लोकतंत्र में गरीब
जरूर पढ़ें गरीबी का माखौल July 28, 2014 by अरविंद जयतिलक | Leave a Comment -अरविंद जयतिलक- रंगराजन कमेटी ने गरीबी का जो नया मापदंड गढ़ा है वह गरीबों के प्रति उसकी क्रूरता और संवेदनहीनता को ही अभिव्यक्त करता है। कमेटी ने सरकार को सुझाव दिया है कि षहरों में रोजाना 47 रुपए और गांवों में रोजाना 32 रुपए से कम खर्च करने वाले लोगों को ही गरीब माना जाए। […] Read more » गरीब गरीब लोग गरीबी गरीबी का माखौल गरीबी पर रिपोर्ट
विविधा गरीब को पहचानने की कोशिश में विदूषक नजर आते सभी पात्र October 22, 2011 / December 5, 2011 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री भारत का योजना आयोग इस देश में गरीब को पहचानने की कोशिश में लगा हुआ है। इस आयोग ने इस काम के लिए देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों को भी लगाया है। वैसे तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह स्वयं भी अपने आपको अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के अर्थशास्त्री कहते हैं। उनके मित्र मोंटेक सिंह अहलुवालिया […] Read more » poor people गरीब
समाज गरीब के लिये महंगी और मिलावटी होती चिकित्सा June 2, 2011 / December 12, 2011 by शादाब जाफर 'शादाब' | 1 Comment on गरीब के लिये महंगी और मिलावटी होती चिकित्सा आज बीमारी के नाम से गरीब की रूह कांप जाती है वजह है देश में दिन प्रतिदिन मंहगा होता इलाज। बडे बडे पूंजीपतियो ने चिकित्सा के नाम पर आज जगह जगह दुकाने खोल ली है जिस कारण आज देश में प्राईवेट अस्पतालो की बा सी आई हुई है। इन में अधिकतर अस्पताल फाईव स्टार सुविधाओ […] Read more » Poor गरीब चिकित्सा महंगी मिलावटी
समाज गरीबों के खेत, अमीरों के पेट September 15, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on गरीबों के खेत, अमीरों के पेट -देवाशीष मिश्रा पिछले कुछ समय से दो खबरों से जुड़ी बातें लगातार अखबारों और इलेक्ट्रानिक चैनलों में जोर-शोर से आ रहीं हैं। एक बढ़ती मँहगाई जिससे आम जन त्राहि-त्राहि कर रहा है। दूसरा सरकारी व्यवस्था में सड़ता अनाज। भारत में रोज ना जाने कितने पेट खाली ही सो जाते हैं, इस उम्मीद में कि शायद […] Read more » Rich अमीर गरीब
विधि-कानून कानून सिर्फ गरीबों के लिये अमीरों के लिये नहीं.. January 20, 2010 / December 25, 2011 by हिमांशु डबराल | 2 Comments on कानून सिर्फ गरीबों के लिये अमीरों के लिये नहीं.. ठंड का मौसम, पसरा हुआ कोहरा, सर्द हवाएं, खुला आसमान और उस पर तन पर ना के बराबर कपड़े। जरा सोचिये ऐसी स्थिति में कोई भी आदमी कैसे रह सकता है। लेकिन भारत में लाखों लोग ऐसे है जो इस तरह जीने पर मजबूर है। सर्दी से बचने के नाम पर उनके पास सिर्फ चन्द […] Read more » Cold गरीब ठंड