राजनीति आम नहीं खास लोगों के लिए है भारत की लोकशाही December 8, 2010 / December 19, 2011 by गौतम चौधरी | 1 Comment on आम नहीं खास लोगों के लिए है भारत की लोकशाही -गौतम चौधरी विगत दिनों सर्वोच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश ने एक याचिका के सुनवाई के दौरान अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा था कि भारतीय न्यायालय व्यवस्था अमीरों के लिए है। इसका जीता जागता उदाहरण पिछले दिनों गुजरात में देखने को मिला। विगत 27 फरवरी 2010 को सीमा शुल्क चोरी के एक मामले में अदानी […] Read more » Democracy लोकतंत्र
प्रवक्ता न्यूज़ “अयोध्या फैसला : लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां’’ पर वाराणसी में सम्मेलन November 28, 2010 / December 19, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 4 Comments on “अयोध्या फैसला : लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां’’ पर वाराणसी में सम्मेलन वाराणसी 28 नवंबर 10/ अयोध्या फैसला लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां विषय पर मैत्री भवन में हुए सम्मेलन में लोकतंत्र के चारों स्तंभों के भूमिका और उनकी गैरजिम्मेदारी पर सवाल उठाए गए। जहां प्रथम सत्र में इतिहास के आइनें में कानून की भूमिका पर बात हुयी तो वहीं द्वितीय सत्र में लोकतंत्र के धर्मनिरपेक्षता जैसे बुनियादी […] Read more » Democracy लोकतंत्र
राजनीति लोकतन्त्र या परिवारतन्त्र? November 6, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on लोकतन्त्र या परिवारतन्त्र? -तरुणराज गोस्वामी काँग्रेस गर्व कर सकती है कि भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन मेँ उसकी भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रही हो या स्वतन्त्रता के पश्चात् उसी ने भारत पर सबसे ज्यादा समय तक राज किया हो। लेकिन विश्व के सबसे महान कहे जाने वाले लोकतंत्र में सबसे पुरानी और सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते काँग्रेस को […] Read more » Democracy परिवारवाद वंशवाद
राजनीति लोकतंत्र का गद्दार कौन? August 3, 2010 / December 22, 2011 by गोपाल सामंतो | 10 Comments on लोकतंत्र का गद्दार कौन? -गोपाल सामंतो आज एक चैनल पर आ रहे कार्यक्रम ‘लोकतंत्र के गद्दार’ को देखने के बाद मेरे मन में एक सवाल बार बार आया कि आखिर लोकतंत्र का गद्दार है कौन? कुछ दिनों पूर्व रायपुर में हुए एक सेमिनार में मैंने स्वामी अग्निवेश के साथ कुछ और बुद्धिजिवियो को सुना था तब भी मेरे मन […] Read more » Democracy लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र की छाती पर सवार अफरसरशाही July 6, 2010 / December 23, 2011 by गिरीश पंकज | 5 Comments on लोकतंत्र की छाती पर सवार अफरसरशाही -गिरीश पंकज देश जब गुलाम था, तब महात्मा गाँधी ने विश्वास जताया था कि आजादी के बाद अपना राज यानी स्वराज्य होगा। लेकिन आजजो हालत है, उसे देख कर कहना पड़ता है, कि अपना राज है कहाँ ? उस लोक का तंत्र कहाँ नजर आता है, जिस लोक ने अपने ही तंत्र की स्थापना की? […] Read more » Democracy अफसरशाही लोकतंत्र
राजनीति ‘लोकतंत्र’ की तलाश में ‘आम आदमी’ June 26, 2010 / December 23, 2011 by आशीष कुमार ‘अंशु’ | 1 Comment on ‘लोकतंत्र’ की तलाश में ‘आम आदमी’ -आशीष कुमार ‘अंशु’ बात थोड़ी पुरानी है भाई जान। एक बार आम आदमी भारत में लोकतंत्र को तलाशता हुआ आया। आम आदमी का नाम सुनकर आप भ्रमवश इसे प्रेमचंद का आम आदमी ना समझ लीजिएगा। चूंकि वह आम आदमी आज के दौर में सिर्फ प्रेमचंद सरीखे साहित्यकारों की चिन्ता में ही शामिल है। ना यह […] Read more » Democracy आम आदमी लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र के महासेनानी ईएमएस नम्बूदिरीपाद June 16, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on लोकतंत्र के महासेनानी ईएमएस नम्बूदिरीपाद ईएमएस नम्बूदिरीपाद के जन्मशताब्दी के समापन पर विशेष ( जन्म 13 जून 1909 मृत्यु 12 मई 1998 ) ई.एम.एस. नम्बूदिरीपाद विश्व में विरल कम्युनिस्टों में गिने जाते हैं। आम तौर पर कम्युनिस्टों की जो इमेज रही है उससे भिन्न इमेज ईएमएस की थी। मुझे निजी तौर पर ईएमएस से सन् 1983 की मई में मिलने […] Read more » Democracy ईएमएस नम्बूदिरीपाद लोकतंत्र
राजनीति भारत में लोकतंत्र – सफलता का रहस्य May 29, 2010 / December 23, 2011 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 4 Comments on भारत में लोकतंत्र – सफलता का रहस्य – डॉ0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री द्वितीय विश्वयुद्व के बाद जब भारत से ब्रिटिश साम्राज्यवाद का अन्त हुआ तो उसका प्रभाव एशिया और अफ्रिका के अन्य देशों पर भी पडा और एक के बाद एक देश यूरोपीय साम्राज्यवादी शक्तियों के शिकंजे से मुक्त होने लगे। साम्राज्यवाद से मुक्ति के बाद प्राय अधिकांश देशों ने लोकतांत्रिक शासन […] Read more » Democracy लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र को सार्थक बनाएगा पंचायती राज April 24, 2010 / December 24, 2011 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment महात्मा गांधी जिस गांव को समर्थ बनाना चाहते थे वह आज भी वहीं खड़ा है। ग्राम स्वराज्य की जिस कल्पना की बात गांधी करते हैं वह सपना आज का पंचायती राज पूरा नहीं करता। तमाम प्रयासों के बावजूद पंचायत राज की खामियां, उसकी खूबियों पर भारी हैं। जाहिर तौर पर हमें अपने पंचायती राज को […] Read more » Democracy पंचायती राज लोकतंत्र
राजनीति विधि-कानून न्यायपालिका और लोकतंत्र – राजीव तिवारी March 13, 2010 / December 24, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment न्यायपालिका, विधायिका तथा कार्यपालिका का समन्वित स्वरूप ही लोकतंत्र होता है। लोकतंत्र में न्यायपालिका, विधायिका तथा कार्यपालिका एक दूसरे के पूरक भी होते हैं तथा नियंत्रक भी। इसका अर्थ यह हुआ कि इन तीनों में से कोई अंग कमजोर पड़ रहा हो तो शेष दो उसे शक्ति दें और यदि कोई अंग अधिक मजबूत हो […] Read more » Democracy न्यायपालिका लोकतंत्र
राजनीति यह लोकतंत्र नहीं, लूटतंत्र है December 5, 2009 / December 25, 2011 by सरिता अरगरे | Leave a Comment मध्य प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव में उम्मीदवारी तय करने में बीजेपी और काँग्रेस ने लोकतंत्र के सभी उसूलों को ताक पर धर दिया है। दोनों ही पार्टियों ने उम्मीदवारों की काबीलियत से ज़्यादा उसकी हैसियत को तरजीह दी है। प्रमुख दलों की “नूरा कुश्ती” ने महापौर, स्थानीय निकाय के अध्यक्षों और पार्षदों की […] Read more » Democracy लोकतंत्र
राजनीति इस तरह हार तो लोकतंत्र ही जाता है – पंकज झा October 24, 2009 / December 26, 2011 by पंकज झा | 6 Comments on इस तरह हार तो लोकतंत्र ही जाता है – पंकज झा भाजपा और भारत में एक साम्य ये रहा है कि दोनों भारतीय पौराणिक विचारों से प्रभावित, लोक में प्रचलित विभिन्न पुराने रूपकों और कहावतों को ही सदा अपने विचारों का आधार बनाते रही है. एक बड़े विचारक ने कहा है कि देश दो ही भाषाएँ जानता है रामायण और महाभारत.भाजपा भी इन्ही भाषाओँ में बात […] Read more » Democracy लोकतंत्र