पर्यावरण पर्यावरण: संरक्षण और प्रदूषण की समस्या एक चुनौती June 5, 2015 by बी.आर.कौंडल | Leave a Comment -बी.आर.कौंडल- प्रकृति ने हमें स्वच्छ वायु, धरा व स्वच्छ आकाश से नवाजा है | अत: प्रकृति के इन अनमोल तोहफों को संजो कर रखना हर व्यक्ति का कर्तव्य ही नही अपितु धर्म है | भारतीय संविधान में इसी सोच से नागरिकों की कर्तव्य सूची में पर्यावरण की रक्षा करना हर व्यक्ति का दायित्व बनाया गया […] Read more » Featured पर्यावरण संरक्षण पर्यावरण: संरक्षण और प्रदूषण की समस्या एक चुनौती प्रदूषण
विविधा थैंक यू, मि. गोडसे! June 5, 2015 / June 5, 2015 by शंकर शरण | 7 Comments on थैंक यू, मि. गोडसे! -शंकर शरण- नाथूराम गोडसे के नाम, और उनके एक काम, के अतिरिक्त लोग उन के बारे में कुछ नहीं जानते। एक लोकतांत्रिक देश में यह कुछ रहस्यमय बात है। रहस्य का आरंभ 8 नवंबर 1948 को ही हो गया था, जब गाँधीजी की हत्या के लिए चले मुकदमे में गोडसे द्वारा दिए गए बयान को […] Read more » Featured थैंक यू नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी मि. गोडसे
विविधा एक पंक्ति का विराट् सच June 5, 2015 / June 5, 2015 by शंकर शरण | 1 Comment on एक पंक्ति का विराट् सच –एस. शंकर- पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री रियाज हुसैन पीरजादा ने इस्लामाबाद में जिन्ना इन्स्टीच्यूट द्वारा आयोजित ‘विचार-सम्मेलन’ में एक बात कही। उन के शब्द थे, “समय आ गया है कि पाकिस्तान में सऊदी धन का आना बंद कर दिया जाए।” इस पंक्ति में कितना विराट सच छिपा है, इसे सब लोग एकबारगी नहीं समझ सकते। […] Read more » Featured इस्लामाबाद एक पंक्ति का विराट् सच जिन्ना इन्स्टीच्यूट पाकिस्तान पाकिस्तान केंद्रीय मंत्री रियाज हुसैन पीरजादा
राजनीति मोदी सरकार के एक वर्ष बनाम अच्छे दिन June 5, 2015 / June 5, 2015 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment -वीरेन्द्र सिंह परिहार- अब जब केन्द्र में मोदी सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसी स्थिति में ‘अच्छे दिन आ गए’ उस पर एक गहन समीक्षा की जरूरत है। जहां मोदी सरकार एवं भाजपा का दावा है कि ‘अच्छे दिन आए हैं,’ वहीं विरोधी दल मोदी सरकार को घेरने में […] Read more » Featured एनडीए सरकार नरेंद्र मोदी मोदी सरकार मोदी सरकार के एक वर्ष बनाम अच्छे दिन
जरूर पढ़ें बढ़ते तापमान का वर्षा चक्र पर प्रभाव June 5, 2015 / June 5, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment -प्रमोद भार्गव- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अब वैश्विक फलक पर स्पष्ट रूप से देखने में आने लगा है। हालांकि विश्व स्तर पर धरती के बढ़ते तापमान को लेकर दुनिया जलवायु सम्मेलनों में चिंतित दिखाई दे रही है, किंतु परिवर्तन के प्रमुख कारक औद्योगिक व प्रौद्योगिक विकास को नियंत्रित करने में नाकाम हो रही है। नतीजतन […] Read more » Featured गर्मी तापमान बढ़ते तापमान का वर्षा चक्र पर प्रभाव वर्षा वर्षा चक्र
टॉप स्टोरी मैगी प्रकरण के बहानेः पर्यावरणीय प्रश्न June 5, 2015 / June 5, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment -अरुण तिवारी- मैगी नूडल्स में सीसा यानी लैड की अधिक मात्रा को लेकर उठा बवाल, बाजार का खेल है या स्थिति सचमुच, इतनी खतरनाक है ? इस प्रश्न का उत्तर तो चल रही जांच और बाजार में नूडल्स के नये ब्रांड आने के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल, मांग हो रही है कि इस जांच […] Read more » Featured पर्यावरण मैगी मैगी प्रकरण मैगी प्रकरण के बहानेः पर्यावरणीय प्रश्न
टॉप स्टोरी भाजपा के लिए कठिन परीक्षा हैं उत्तर प्रदेश और बिहार के चुनाव June 5, 2015 / June 5, 2015 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment -संजय द्विवेदी- लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति का सिरमौर बनकर भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र की सत्ता पर तो काबिज हो गयी है पर अब इन दोनों राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसकी साख दांव पर है। लोकसभा चुनावों के परिणामों के आधार पर तो दोनों राज्यों में उसकी […] Read more » Featured उत्तर प्रदेश बिहार भाजपा भाजपा के लिए कठिन परीक्षा हैं उत्तर प्रदेश और बिहार के चुनाव विधान सभा चुनाव
जरूर पढ़ें भारत की शिक्षा नीति और राजभाषा नीति June 5, 2015 / June 5, 2015 by राहुल खटे | Leave a Comment -राहुल खटे- जैसा कि सभी जानते हैं भारत 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ। सभी यही समझते हैं कि हम उस दिन स्वतंत्र हुए। लेकिन यह एक बहुत बड़ा धोखा था। महात्मा गांधी ने अंग्रेजों से सामने बिना किसी शर्त के पूर्ण स्वतंत्रता की मांग रखी थी। लेकिन भारत के ही […] Read more » Featured भारत की शिक्षा नीति और राजभाषा नीति राजभाषा नीति शिक्षा नीति हिन्दी
कविता बस, मैं और चाँद June 5, 2015 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- थोड़ी सी बूँदे गिरने से, धूल बूँदों मे घुलने से, हर नज़ारा ही साफ़ दिखता है। रात सोई थी मैं, करवटें बदल बदल कर, शरीर भी कुछ दुखा दुखा सा था, पैर भी थके थके से थे, मन अतीत मे कहीं उलझा था। खिड़की की ओर करवट लिये, रात सोई थी मैं। […] Read more » Featured कविता चांद कविता बस मैं और चाँद
पर्यावरण पर्यावारण शिक्षा को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता June 5, 2015 by निर्भय कर्ण | Leave a Comment -निर्भय कर्ण- पर्यावरण शिक्षा के बिना पर्यावरण संरक्षण की कल्पना नहीं की जा सकती। पर्यावरण शिक्षा से न केवल इसके संरक्षण के बारे में विशेष ज्ञान प्राप्त होता है बल्कि इससे संबंधित अनेक पहलूओं के बारे में भी जानकारीमिलती है। जिस प्रकार वातावरण में प्रदूषण विकराल रूप धारण करता जा रहा है उस हिसाब से पर्यावरण शिक्षा अतिआवश्यक और महत्वपूर्ण होती जा रही है। पिछले साल अमेरिका की राष्ट्रीय महासागर और वायुमंडलप्रशासन और स्क्रिप्स इंस्टीट्यूट आफ ओसिएनोग्राफी द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया कि वायुमंडल में कार्बनडाईआक्साइड का स्तर 400 पीपीएम (कण प्रति दस लाख) के स्तर पर पहुंच गया है। जबकि 1750 में औद्योगिकक्रांति के शुरुआत में यह स्तर 280 कण प्रति दस लाख थी। इन आंकड़ों से हम यह सहज ही समझ सकते हैं कि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए किस कदर काम करने की जरूरत है और पर्यावरण शिक्षा को आगेबढ़ाने की भी। पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से इसके और प्रदूषण के बीच बढ़ती नजदीकियां के बारे में न केवल हम वाकिफ होते हैं बल्कि पर्यावरण को प्रदूषित होने से कैसे बचाया जाए, इसे प्रभावित करने वाले कारक संबंधी तमामजानकारी भी हासिल होती है जिससे हम मानव इसके प्रति जागरूक एवं संवेदनशील होते है। यह जगजाहिर है कि पर्यावरण एवं प्रदूषण के बीच अन्योन्याश्रय संबंध होता है जिसमें वनों की भूमिका उल्लेखनीय है और यहीसंबंध वन और जल के बीच है। वन पर्यावरण को बचाने के लिए जितना उत्तरदायी है उतना ही प्रदूषण के लिए भी। वनों के सिमटने से पर्यावरण को खतरा तो पहुंच ही रहा है साथ ही हमारे अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगाहै। इसके कारण जीवन के लिए आवश्यक हर तत्व एक-दूसरे को प्रभावित करते हुए जीवों के अस्तित्व को ललकार रहे हैं। दिन-प्रति-दिन तापमान में लगातार असमानता चिंतनीय विषय बन चुका है जिसके लिए मानवगतिविधियां जिम्मेदार है। वनों का सृजन, प्रबंधन, उपयोग एवं संरक्षण की विधा को वानिकी कहा जाता है। वानिकी के सिमटने का मुख्य कारण है जनसंख्या वृद्धि। आबादी को आवास, भोजन के साथ तमाम बुनियादी चीजों की आवश्यकताहोती है। भोजन एवं अन्य चीजों की जरूरत के लिए उद्योगों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है और उद्योग के लिए जमीन सहित सभी संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है। इन सब वजहों से एक तरफ तो वन सिमट रहा है तो दूसरीतरफ इससे हो रहा प्रदूषण विकराल रूप धारण करता जा रहा है चाहे वह वन प्रदूषण हो या फिर जल प्रदूषण या फिर भूमि प्रदूषण आदि। विकास के नाम पर पर्यावरण को अंधाधुंध क्षति पहुंचायी जा रही है। भारत में ही विगतनौ वर्षों में 2.79 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र विकास की भेंट चढ़ गये जबकि 25 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रत्येक साल घट रहा है। यहां यह उल्लेख करना दिलचस्प है कि भारत में ही अभी 27.5 करोड़ लोग वनों से होने वाली आय परनिर्भर हैं। वहीं वनों पर आश्रित पानी की बात करें तो बढ़ती जरूरतें और घटता पानी भारत ही नहीं संपूर्ण दुनिया की समस्या बन चुकी है। भारत में दुनिया की 18 फीसदी आबादी है और जल स्त्रोत केवल चार फीसद। एकअध्ययन के मुताबिक, 2050 में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता वर्तमान के लगभग 1500 घनमीटर प्रति साल से घटकर 1140 घनमीटर प्रति साल रह जाएगी। इन आंकड़ों से हम सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि वनों केसिमटने से हमारे जीवन पर कितना असर पड़ रहा है और आने वाले समय में और इसका कितना व्यापक असर पड़ेगा। उपरोक्त संकटों को देखते हुए पर्यावरण शिक्षा को स्कूलों, विश्वविद्यालयों आदि जगहों में शामिल कराना दुनिया के एजेंडे में 1992 में ही आ गया था। 2005 में यूनेस्को ने अगले 10 सालों के लिए पर्यावरण के टिकाऊविकास हेतु शिक्षा नाम से नया अभियान भी शुरू किया लेकिन कुछ विशेष सफलता अब तक हाथ नहीं लगी है। यूनेस्को के टिकाऊ विकास कार्यक्रम के लिए जर्मनी की राष्ट्रीय समिति के प्रमुख गेरहार्ड डे हान का कहना था किहालांकि यह सब मुख्य रूप से स्वैच्छिक रूप से ही हो रहा है और यह शिक्षकों-स्कूलों पर निर्भर है। ये विषय स्कूलों के अधिकारिक पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए। यह साफ है कि पर्यावरण शिक्षा को दुनियाभर के स्कूलों मेंअनिवार्य करना ही एक विकल्प रह गया है तभी जाकर सकारात्मक असर देखने को मिलेगा। पर्यावरण संरक्षण का कार्य विभिन्न व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा लंबे समय से किया जाता रहा है लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है। इसी क्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पर्यावरणविद एम सी मेहता ने भारत केसमस्त विद्यालयों, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय एवं अन्य शिक्षण संस्थानों में पर्यावरण का अनिवार्य पाठ्यक्रम लागू करने के लिए एक याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की थी ताकि बचपन से ही विद्यार्थियों केमन में पर्यावरण संरक्षण की सोच विकसित हो सके। अंततः उच्चतम न्यायालय ने 18 दिसंबर 2003 में इस याचिका पर ऐतिहासिक निर्णय सुनाया जिसके अन्तर्गत एआईसीटीई, एनसीईआरटी, यूजीसी को पर्यावरण काअनिवार्य पेपर 2004-05 सत्र से लागू करने का आदेश दिया और पालन न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही। लेकिन इन आदेशों का हश्र क्या है, यह सभी जानते हैं वरना प्रदूषण बढ़ने के बजाए दिन-प्रति-दिनघटता ही जाता। पर्यावरण शिक्षा से संबंधित कई कोर्सेज भी उपलब्ध हैं। इन कोर्सों को करके पर्यावरण में विशेषज्ञता हासिल करके इसमें एक उज्जवल करिअर का स्कोप है जिसे बस भूनाने की आवश्यकता है। इस हेतु युवाओं कोमागदर्शन कर प्रशिक्षण देकर पर्यावरण की बेहतरी के लिए तैयार करना होगा। समय इस बात की ओर इंगित करती है कि पर्यावरण शिक्षा को सख्ती और अनिवार्य रूप से लागू किया जाए और जीवनदायिनी पर्यावरण कोसमय रहते बचा लिया जाए। इससे न केवल पर्यावरण और प्रदूषण के बीच संतुलन कायम होगा बल्कि हमारा अस्तित्व भी बरकरार रह सकेगा। Read more » Featured पर्यावरण दिवस पर्यावारण पर्यावारण शिक्षा को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता
राजनीति फिर दुर्गति की ओर तीसरा मोर्चा June 5, 2015 / June 5, 2015 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment -सुरेश हिन्दुस्थानी- राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के वशीभूत होकर बनाए जाने वाले तीसरे मोर्चे की उम्मीदें एक बार फिर से चकनाचूर होने की दिशा में अपने कदम बढ़ा चुकी हैं। राजनीतिक आंकलनकर्ताओं को इस बात का पूर्व भी कुछ कुछ अंदाजा था कि तीसरा मोर्चा इस बार भी आकार लेने से पहले ही बिखर जाएगा और वर्तमान […] Read more » Featured तीसरा मोर्चा फिर दुर्गति की ओर तीसरा मोर्चा राजनीति
विविधा मौसम विभाग सत्य को उजागर करना नहीं चाहता June 4, 2015 / June 4, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on मौसम विभाग सत्य को उजागर करना नहीं चाहता -मूलचंद सूथर- मौसम विभाग घोषणा करता है गर्मी बढ़ेगी और लेकिन आज फिर आंधी और वर्षा के आसार बनने शुरू हो गए हैं फिर मौसम विभाग जानना क्यों नहीं चाहता की इसकी वज़ह क्या है ? १९ मई को बीकानेर में आये तूफानी बवंडर व वर्षा के पीछे आर्य संस्कृति सनातन धर्मेव जयते की ओर […] Read more » Featured मानसून मौसम विभाग मौसम विभाग सत्य को उजागर करना नहीं चाहता