कला-संस्कृति विविधा अयोध्या राम की जन्मस्थली मात्र नहीं आदर्शों की विरासत है ! April 3, 2017 by कीर्ति दीक्षित | Leave a Comment विरासतें इतिहास के संरक्षण के लिए होती हैं, कल जब आपकी अगली पीढ़ी पूछेगी ये राम कौन थे? कहाँ रहते थे? तब आपके पास किताबों के उत्तर सम्भवतः हों लेकिन दर्शन हेतु कुछ नहीं होगा, हालांकि ये किताबी ज्ञान भी धीरे धीरे विलुप्त हो जायेगा, फिर कैसा ज्ञान और कैसे राम! हम कितने ही विलुप्त इतिहास के गवाह हैं जो अब किसी पन्ने तक में दर्ज नहीं । आज जो आख्यान हम किताबों में पढ़ते हैं और जब उन्हें देखने की जिज्ञाशा होती है किसी म्यूजियम में उनके होने का एहसास करने का प्रयास करते हैं लेकिन राम को हम कहाँ पायेंगे? किस अयोध्या को रामराज का साक्षी बतायेंगे ? Read more » अयोध्या अयोध्या राम की जन्मस्थली आदर्शों की विरासत है अयोध्या राम
कला-संस्कृति विविधा राम और रामराज्य April 3, 2017 / April 3, 2017 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment गांधीजी कहते थे- ‘‘अपराधी से नहीं अपराध से घृणा होनी चाहिये।’’ कितना भी बड़ा अपराध क्यों न हो, उसे एहसास करनें वाला, लज्जित होने वाला अपराध का परिमार्जन कर देता है। निश्चित रूप से अपराधबोध से ग्रस्तव्यक्ति का व्यक्तित्व भी विभाजित होगा और ऐसे व्यक्ति एक आदर्श समाज बनाने मे सहायक नहीं हो सकते। श्री राम को यह बात अच्छी तरह पता है। यद्यपि सत्ता के लिये निकटतम सम्बंधियों की हत्याओं से इतिहास भरा पड़ा है। मुस्लिमों की परम्पराओं पर इस सम्बंध में अलग से कुछ कहने की जरूरत नहीं है। वहीं सिंहासन की जगह वनवास दिलाने वाली कैकेयी को श्री राम लज्जित समझकर सबसे पहले उसी से मिलकर उसे अपराध बोध से मुक्त कराते हैं। इस तरह से श्रीराम जैसे उदात्त दृष्टि वाले शासक अथवा अग्रणी व्यक्ति होंगे, तभी इस धरती पर रामराज्य संभव है। Read more » राम राम और रामराज्य रामनवमी रामराज्य
कला-संस्कृति विविधा मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम ? March 31, 2017 by अरुण तिवारी | Leave a Comment सरकारी तौर पर नदी-पानी बचाने की जो कुछ कोशिशें शुरु हुईं; वे इतनी अनियोजित व अनिश्चयात्मक रहीं कि नतीजा सिफर रहा। भारत सरकार की रेनफेड अथारिटी का आरोप गलत नहीं कि बुंदेलखण्ड पैकेज का पैसा सही समय पर खर्च नहीं किया गया। सरकार के पास तो नदियों की वस्तुस्थिति के नामवार रिकार्ड भी नहीं है। Read more » Featured ramnavami ramnavami 4th APRIL मंदाकिनी श्रीराम
कला-संस्कृति पर्व - त्यौहार गणगौर: नारी शक्ति और संस्कार का पर्व March 29, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment बेला गर्ग गणगौर का त्यौहार सदियों पुराना हैं। हर युग में कुंआरी कन्याओं एवं नवविवाहिताओं का अपितु संपूर्ण मानवीय संवेदनाओं का गहरा संबंध इस पर्व से जुड़ा रहा है। यद्यपि इसे सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मान्यता प्राप्त है किन्तु जीवन मूल्यों की सुरक्षा एवं वैवाहिक जीवन की सुदृढ़ता में यह एक सार्थक प्रेरणा भी […] Read more » गणगौर
कला-संस्कृति विधि-कानून नवसंवत्सर एक नये सफर की शुरूआत March 27, 2017 / March 27, 2017 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment नवसंवत्सर 'न्यू ईयर' जैसे केवल 12 महीने का समय नापने की एक ईकाई न होकर खगोलीय घटनाओं के आधार पर भारतीय समाज के लिए सामाजिक सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक तरीके से जीवन पद्धति का पथ प्रदर्शक है। यह केवल एक नए महीने की एक नई तारीख़ न होकर पृथ्वी के एक चक्र को पूर्ण कर एक नए सफर का आरंभ काल है। यह वह समय है जब सम्पूर्ण प्रकृति पृथ्वी को इस नए सफर के लिए शुभकामनाएँ दे रही होती है। जब नए फूलों और पत्तियों से पेड़ पौधे इठला रहे होते हैं , जब मनुष्य को उसके द्वारा साल भर की गई मेहनत का फल लहलहाती फसलों के रूप में मिल चुका होता है ( होली पर फसलें कटती हैं ) और पुनः एक नई शुरुआत की प्रेरणा प्रकृति से मिल रही होती है। Read more » Featured gudi padwa एक नये सफर की शुरूआत नवसंवत्सर
कला-संस्कृति विविधा सृष्टि की रचना का पहला दिन March 27, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रचीन भारत और मघ्यअमेरिका दो ही ऐसे देश थे, जहां आधुनिक सैकेण्ड से सूक्ष्मतर और प्रकाशवर्ष जैसे उत्कृष्ठ कालमान प्रचलन में थे। अमेरिका में मय सभ्यता का वर्चस्व था। मय संस्कृति में शुक्रग्रह के आधार पर कालगणना की जाती थी। विश्वकर्मा मय दानवों के गुरू शुक्राचार्य का पौत्र और शिल्पकार त्वष्टा का पुत्र था। मय के वंशजो ने अनेक देशों में अपनी सभ्यता को विस्तार दिया। इस सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताएं थीं, स्थापत्य कला और दूसरी सूक्ष्म ज्योतिष व खगोलीय गणना में निपुणता। रावण की लंका का निर्माण इन्हीं मय दानवों ने किया था। प्रचीन समय में युग,मनवन्तर,कल्प जैसे महत्तम और कालांश लधुतम समय मापक विधियां प्रचलन में थीं। समय नापने के कालांश को निम्न नाम दिए गए Read more » Featured gudi padwa गुड़ी पड़वा 29 मार्च सृष्टि सृष्टि की रचना का पहला दिन
कला-संस्कृति समाज उत्तराखंड का बालपर्व “फूलदेई” March 15, 2017 by प्रदीप रावत | Leave a Comment पहाड़ की यह अनूठी बाल पर्व की परम्परा जो मानव और प्रकृति के बीच के पारस्परिक सम्बन्धों का प्रतीक है । तेज़ी से बड़ रही आधुनिकता के कारण यह प्राचीन परम्परा विलुप्त की कगार पर खड़ी हो गयी है इन प्राचीन परम्पराओ को बचाने के लिए सरकार को निति तय करनी होगी और स्कूलों मे बच्चों को इस बालपर्व फूलदेई को मनाने के लिए प्रेरित किया जाय व इस परम्परा से संबन्धित लेख या कविताओं को नौनिहालों के पाठ्यक्रम मे शामिल किया जाय ताकि इसे व्यापकता प्रदान हो सके. Read more » Featured उत्तराखंड का बालपर्व फूलदेई बाल पर्व
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार जोगीरा हास्य व्यंग की अनूठी विधा March 14, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment किसके बेटा राजा रावण किसके बेटा बाली? किसके बेटा हनुमान जी जे लंका जारी? विसेश्रवा के राजा रावण बाणासुर का बाली। पवन के बेटा हनुमान जी, ओहि लंका के जारी। जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सारा रा रा। Read more » जोगीरा
कला-संस्कृति जन-जागरण धर्म-अध्यात्म आइये जाने होली खेलने के दौरान क्या रखें सावधानी… March 10, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment होली रंगों का त्योहार है जो भारत में हिन्दु धर्म के लोग हर साल बड़ी धूमधाम से मनाते है | ये पर्व हर साल वसंत ऋतु के समय फागुन (मार्च) के महीने में आता है | भारत पहले से ही कला और संस्कृति के क्षेत्र में अग्रणी रहा हैं अगर भारतीय समाज के त्यौहार की […] Read more » होली खेलने के दौरान क्या रखें सावधानी
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म चैतन्य महाप्रभु की संकीर्तन रस संस्कृति March 9, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment चैतन्य महाप्रभु जयन्ती-12 मार्च 2017 पर विशेष ललित गर्ग चैतन्य महाप्रभु भारतीय संत परम्परा के भक्ति रस संस्कृति के एक महान् कवि, संत, समाज सुधारक एवं क्रांतिकारी प्रचारक थे। वैष्णव धर्म के परम प्रचारक एवं भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक थे। उन्होंने जात-पांत के बंधन को तोड़ने और सम्पूर्ण मानव जाति को एक […] Read more » Featured चैतन्य महाप्रभु चैतन्य महाप्रभु जयन्ती चैतन्य महाप्रभु जयन्ती-12 मार्च 2017
कला-संस्कृति पर्व - त्यौहार वर्त-त्यौहार समाज होली पर्व भारत में बहुसांस्कृतिक समाज के जीवंत रंगों का प्रतीक March 9, 2017 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment होली पर्व पूरे देश में परंपरा, हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है। होली पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली पर्व हमारे देश में उपस्थित बहुसांस्कृतिक समाज के जीवंत रंगों का प्रतीक है। होली पर्व देश में हमारी संस्कृति और सभ्यता के मूल सहिष्णुता और सौहार्द की भावना को बढ़ावा देने वाला पर्व है। इस पर्व को सभी लोगों को शांति, सौहार्द और भाईचारे की भावना से मनाना चाहिए। Read more » Featured जीवंत रंगों का प्रतीक होली पर्व होली पर्व भारत में बहुसांस्कृतिक समाज के जीवंत रंगों का प्रतीक
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म अमालकी एकादशी March 8, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के रूप में जाना जाता है। आमलकी एकादशी महाशिवरात्रि और होली के मध्य में आती है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार वर्तमान में यह फरवरी या मार्च के महीने में आती है। इस वर्ष यह आज (बुधवार),08 मार्च,2017 को मनाई जा रही हैं|सनातन धर्म में एकादशी व्रत का […] Read more » अमालकी एकादशी आमलकी एकादशी व्रत विधि