कला-संस्कृति लेख मन की भावना और परिस्थितियों की अभिव्यक्ति है “सुवा नृत्य” December 7, 2020 / December 7, 2020 by अनिल अनूप | Leave a Comment अनिल अनूप सुआ नृत्य छत्तीसगढ़ राज्य की स्त्रियों का एक प्रमुख है, जो कि समूह में किया जाता है। स्त्री मन की भावना, उनके सुख-दुख की अभिव्यक्ति और उनके अंगों का लावण्य ‘सुवा नृत्य’ या ‘सुवना’ में देखने को मिलता है। ‘सुआ नृत्य’ का आरंभ दीपावली के दिन से ही हो जाता है। इसके बाद […] Read more » expression of the spirit and circumstances of the mind Suva dance सुवा नृत्य
कविता सौरभ तुम बेकार || December 6, 2020 / December 6, 2020 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment वक्त पड़े तो फूल हम, दीखते समझदार |कह दी सच्ची बात तो, सौरभ तुम बेकार || बस अपनी ही हांकता, करता लम्बी बात |सौरभ ऐसा आदमी, देता सबको घात || जिसने सच को त्यागकर, पाला झूठ हराम |वो रिश्तों की फसल को, कर बैठा नीलाम || दुश्मन की चालें चले, रहकर तेरे साथ |सौरभ तेरी […] Read more » सौरभ तुम बेकार
कविता खिलजी वंश की दिल्ली सल्तनत December 6, 2020 / December 6, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकजलालुद्दीन फिरोज खिल्जी(1290 ई.से 1296 ई.तक)एक गैर तुर्क, सहनशील उदार दिल थाइसलिए वह शासक नाकाबिल थाअलाउद्दीन(1290 ई.से 1316 ई.तक)उसका भातृपुत्र सह जमाता मौके की ताक में थाकत्ल किया श्वसुर का उसने तत्क्षण गद्दी को पायाधन स्वर्ण बांटकर उसने हत्या का आरोप मिटायाऔर मिटाया ‘इक्तेदारी’, प्रीति भोज उत्सव बाधित थामधु का सेवन था प्रतिबंधित,ऐयारी […] Read more » Delhi Sultanate of Khilji Dynasty खिलजी वंश की दिल्ली सल्तनत
कविता गुलाम वंश की दिल्ली सल्तनत December 5, 2020 / December 5, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायककुत्बुद्दीन ऐबक का उतराधिकारीपुत्र ‘आराम’ को हराम कर आया इल्लतुतमिशइल्वारी नस्ल का एक नया गुलामकुत्बुद्दीन ऐबक का जमाताजो कहलाया ‘दिल्ली का प्रथम सुल्तान’उसने चलायी इक्तेदारी प्रथा,और चलाया चांदी का टंका, पीतल का जीतलऔर बनाया चालीस गुलाम का एक दल‘तुर्कन-ई-चहलगान’अब गुलाम ही गुलाम थे,यहां-वहां-जहां कभी बैठते थेभारत के बेटे वीर पृथ्वीराज चौहान!भारत में अब […] Read more » Delhi Sultanate of Ghulam Dynasty गुलाम वंश की दिल्ली सल्तनत
कविता दिल्ली सल्तनत December 4, 2020 / December 4, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment –विनय कुमार विनायकऐ गोरी! मुहम्मद गोरी!ग्यारह सौ बेरानबे ईस्वी में‘तराईन में ‘गुल’ ‘खिला’ ‘तु’ ‘से’ ‘लो’दिल्ली में सल्तनत स्थापित कर ली(गुलाम-खिल्जी-तुगलक-सैयद-लोदी)ऐ गोरी ! मुहम्मद गोरी!पर तुम्हें कहां था कोई प्यारामाता-पिता, सुत-सुता औरबहन-भ्राता कहां किसी से नातासिवा एक कुत्बुद्दीन ऐबकतुर्की नस्ल का गुलाम तुम्हें प्रिय थावही तुम्हारा अधिकारी !दिल्ली पति पृथ्वी राज चौहान को धूल चटाकरकुत्बुद्दीन […] Read more » poem on delhi sultanate दिल्ली सल्तनत
लेख उच्च शिक्षा स्वभाषाओं में ? December 4, 2020 / December 4, 2020 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिकशिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने आज घोषणा की है कि उनका मंत्रालय उच्च शिक्षा में भारतीय भाषा के माध्यम को लाने की कोशिश करेगा। बच्चों की शिक्षा भारतीय भाषाओं या मातृभाषाओं के माध्यम से हो, यह तो नई शिक्षा-नीति में कहा गया है और कोठारी आयोग की रपट में भी इस […] Read more » उच्च शिक्षा स्वभाषाओं में
खेत-खलिहान टॉप स्टोरी लेख कृषि कानूनों का भ्रम December 4, 2020 / December 4, 2020 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव तीन नए कृषि कानूनों के विरोध को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को आईना दिखाया है। उन्होंने कहा, ‘जिनका इतिहास छल का रहा है, वे किसानों में नए कानून को लेकर भ्रम फैला रहे हैं।’ कृषि एवं किसान की हालत सुधारने वाले विधेयकों का विरोध व दुष्प्रचार समझ से परे है। दरअसल […] Read more » Confusion of agricultural laws New agricultural laws कृषि कानून कृषि कानूनों का भ्रम
लेख सार्थक पहल सकारात्मक सोच एवं संकल्पों को बुनें December 3, 2020 / December 3, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग –कोरोना महासंकट से उबरते हुए हमें एक नयी जीवनशैली विकसित करनी होगी, जिसमें नकारात्मकता, अवसाद और तनाव के अंधेरों को हटाकर जीवन को खुशियों के संकल्पों से भरना होगा। ऐसा करना कोई बहुत कठिन काम नहीं, बशर्ते कि हम जिंदगी की ओर एक विश्वास भरा कदम उठाने के लिए तैयार हों। डेन […] Read more » positive thoughts and resolutions सकारात्मक सोच
लेख बुढ़ापा नहीं है ‘अंत’ December 3, 2020 / December 3, 2020 by हिमांशु प्रभाकर | Leave a Comment हिमांशु प्रभाकर अक्सर लोग बूढ़े व्यक्ति की अवस्था देखकर उसे इच्छा विहीन समझ लेते हैं और ऐसी व्यवस्था बनाते हैं जिनकी खुशियों के उत्सव में उसकी भागीदारी का कोई अर्थ नहीं बचता । वैसे देखे तो हमारी प्राचीन परंपरा भी इसी दिशा की ओर इशारा करती है जो बूढ़े को गृह-त्याग और सन्यास जैसी अवस्था […] Read more » Old age is not the end बुढापा
लेख शख्सियत शून्य से शिखर के धनी भामाशाह: महाशय धर्मपाल आर्य December 3, 2020 / December 3, 2020 by विनोद बंसल | Leave a Comment -विनोद बंसल “जब हम जन्मे जगत में, जग हंसा हम रोये। ऐसी करनी कर चलें, हम हंसें, जग रोय।। Read more » death of mahashay shri dharampal aarya ji महाशय श्री धर्मपाल आर्य जी
कविता भक्त भ्रष्ट हो जाते हैं नौकरी के मिलते December 2, 2020 / December 2, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकअवैध कमाते हैं जो, अहंकार में इतराते,अवैध अवैध होता वो समझ नहीं पाते! ईश्वर भक्ति है दिखावा उन कर्मियों का,जो बिन नजराने जनसेवा में टांग अड़ाते! काम के बदले मेहनताना मिले,वो अच्छा,एक काम के दो दाम हराम ही कहलाते! अवैध कमानेवालों में वैध समझौता होता,हिसाब किताब ठीक होता भातृवत रहते! उतना प्रेम शायद […] Read more » भक्त भ्रष्ट हो जाते हैं नौकरी के मिलते
लेख अनियोजित शहरीकरण एवं गांवों की उपेक्षा के खतरे December 2, 2020 / December 2, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:-कोरोना की उत्तरकालीन व्यवस्थाओं पर चिन्तन करते हुए बढ़ते पर्यावरण एवं प्रकृति विनाश को नियंत्रित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, इसके लिये बढ़ते शहरीकरण को रोकना एवं गांव आधारित जीवनशैली को बल देना होगा। भले ही शहरीकरण को आर्थिक और सामाजिक वृद्धि का सूचक माना जाता है। लेकिन अनियंत्रित शहरीकरण बड़ी समस्या बन […] Read more » Dangers of unplanned urbanization neglect of villages अनियोजित शहरीकरण गांवों की उपेक्षा के खतरे