विविधा व्यंग्य अफवाहें हैं अफवाहों का क्या… May 4, 2015 / May 5, 2015 by दीपक शर्मा 'आज़ाद' | 2 Comments on अफवाहें हैं अफवाहों का क्या… अफवाहे है अफवाहों का क्या… कभी कभी कुछ कहा हुआ इतना फ़ैल जाता है कि उसके आगे फैला हुआ रायता भी कम लगने लगता है। मुझे अक्सर लगता है कि आखिर वे कौन लोग है जो इस तरह से बातों को इधर से उधर फैला कर अच्छे-खासे दिमाग की भुजिया बनाने पर तुले रहते है। […] Read more » Featured rumours अफवाह अफवाहे है अफवाहों का क्या... अफवाहों का क्या...
कविता मजदूर की व्यथा May 2, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -मनीष सिंह- करता हूँ मेहनत जीतोड़ , सब कहते मुझको मजदूर। धनी हूँ मैं परिश्रम का , पर हालत से हूँ मजबूर। बसाए मैंने शहर कई , कितनी ही बनाई मीनारें। किस्मत ही अपनी बना न सका , मिलीं राह में दीवारें। नेता के भाषण में रहता , सरकारी कागज़ में रहता। क़ानून […] Read more » Featured मजदूर मजदूर की व्यथा
विविधा व्यंग्य एक पाती राहुल बचवा के नाम May 1, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | 4 Comments on एक पाती राहुल बचवा के नाम प्यारे राहुल बचवा, तुम दो महीने की छुट्टी बैंकाक में बिताकर इन्डिया आ गए, मनवा को बड़ा सकून मिला। बचवा, इस तरह कबतक कभी बैंकाक में तो कभी कैलिफ़ोर्निया में छुट्टी मनाते रहोगे? राजनीति तो तुम्हारा पुश्तैनी धंधा है, कान्ग्रेस की अध्यक्षी कहीं भागे थोड़े जा रही है? देखो, दिग्गी चचवा बुढ़ौती में अमृता को […] Read more » एक पाती राहुल बचवा के नाम
कविता मजदूर May 1, 2015 by लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार | Leave a Comment 1 मई मजदूर दिवस पर विशेष भले ही तन पर कपडे कम हैं नगे पैर, न भूख की चिंता ,न प्यास की फिर भी कमर ताने खडे हैं सुबह से शाम कर रहे काम इन्हे कहाॅ चैन है , ये तो मस्त हैं काम में ब्यस्त हैं दो -जून की रोटी के लिए बचपन से […] Read more » मजदूर मजदूर दिवस पर मजदूर दिवस पर विशेष
आलोचना विविधा धनकड़ के ये कैसे बोल? May 1, 2015 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment किसान दिन-रात मेहनत कर अपनी फसल को उगाता है। लेकिन जब उसपर कुदरत मेहरबान नही होती तो इक पल में सारी मेहनत बर्बाद हो जाती है। देश की मजबूत अर्थव्यवस्था में खेती सबसे अहम है। सरकार को किसानों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। देश की रीढ़ बने ये किसान आखिर कब तक इसका दंश […] Read more » Featured किसान खुदकुशी हरियाणा के कृषि मंत्री ओ पी धनकड़
कहानी विविधा रुमाल खो गया April 29, 2015 by रवि कुमार छवि | Leave a Comment -रवि कुमार छवि- शनिवार का दिन था। शाम के 5 बज चुके थे। दफ्तर के ज्यादातर कमरे बंद होने शुरु हो गए थे। रवि अपना बचा हुआ निपटाने में लगा हुआ था। इतने में पीछे से आवाज़ आती है अरे दोस्त चलना नहीं है क्या, कुछ देर अपनी उंगुलियों को थामते हुए ने कहा बस […] Read more » Featured कहानी रुमाल खो गया
कविता पचास के उस पार April 29, 2015 / April 29, 2015 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- माना कि यौवन के वो पल, खो गये कुछ उलझनों में, मैं वही हूं तुम वही हो, फिर न क्यों जी लें कभी, उन्माद के वो क्षण। तुम मेंरे हो शांत सागर लक्ष्य मेंरा , मैं नदी बहती हुई तुमसे मिली थी, बांहे फैला दो मै तो अब भी वही हूं। तुम हो […] Read more » Featured कविता पचास के उस पार यौवन कविता
विविधा व्यंग्य गड़बड़ चौथ April 27, 2015 by विजय कुमार | Leave a Comment –विजय कुमार- पिछले रविवार को शर्मा जी ने अपने घर यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ के बाद कुछ खानपान का भी प्रबन्ध था। इसलिए हम सभी मित्र समय से पहुंच गये। यज्ञ में तो मैं सैकड़ों बार गया हूं; पर यह यज्ञ कुछ अलग प्रकार का था। इसमें हवन सामग्री के साथ ही ढेर सारी […] Read more » Featured गड़बड़ चौथ जीवन जीवन व्यंग्य
कविता विविधा हमें पार जाना ही है April 26, 2015 / April 26, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -मनीष सिंह- नाव भँवरों की बाहों में है फंस गयी , उस पार पर हमको जाना ही है। घिर गए हैं तूफ़ान में गर तो क्या , पार पाने जा जज़्बा दिखाना ही है। अँधियारा है घना बुझ रहे हैं दिये , हैं खड़ी मुश्किलें सामने मुँह किये। रास्तों में जो काँटे पड़े हों […] Read more » Featured कविता जीवन कविता हमें पार जाना ही है
विविधा व्यंग्य ‘सेवा’ में करियर…!! April 24, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा साइकिल – घड़ी और रेडियो। यदि एेसी चीजें सात फेरे लेने जा रहे दुल्हे की खिदमत में पेश की जाती थी, तो आप सोच सकते हैं कि वह जमाना कितना वैकवर्ड रहा होगा। तब की पीढ़ी के लिए करियर का मतलब साइकिल के पीछे लगे उस सहायक उपकरण से था, जिस पर […] Read more » Featured करियर
लेख विविधा ग्यासुदीन गाज़ी पौत्र … पंडित नेहरू……आज़ादी के परवाने ……. नेताजी April 23, 2015 by एल. आर गान्धी | 4 Comments on ग्यासुदीन गाज़ी पौत्र … पंडित नेहरू……आज़ादी के परवाने ……. नेताजी एल आर गांधी नेहरू ताउम्र , नेताजी का नाम आज़ादी की लड़ाई में अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले आज़ादी के परवानों की सूची में से मिटाने में लगे रहे …। विधि का विधान देखो आज उन्ही का परिवार 'नेहरू' को भी भूल गया है .... याद रक्खे भी क्या … छल - कपट ---जासूसी […] Read more » Featured आज़ादी के परवाने ग्यासुदीन गाज़ी पौत्र नेताजी पंडित नेहरू
कविता राजनीति व्यंग्य नेता चालीसा April 22, 2015 / April 22, 2015 by रवि श्रीवास्तव | 1 Comment on नेता चालीसा -रवि श्रीवास्तव- जय जय भारत देश के नेता तुम्हरी चालाकी से न कोई जीता तुम हो देश के भाग्य विधाता , देश को लूटना तुमको आता तुम्हरे हाथ में देश की सत्ता मिलता है सरकारी भत्ता महंगाई के तुम हो दाता,, इसके सिवा और कुछ भी न आता घोटाले पर करते घोटाला , छिनो गरीबों के मुंह का […] Read more » Featured नेता चालीसा. राजनीतिक व्यंग्य राजनीतिक कविता व्यंग्य