व्यंग्य जहाँ तुम वहाँ हम July 10, 2019 / July 10, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment ये एक ब्रह्मवाक्य है ,जो आम और ख़ास दोनों लोगों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है ।सबके अपने अपने गम हैं,जैसे हाल ही में गुजरे जमाने के बड़े सितारों ने एक पार्टी की,जिसमें अभिषेक बच्चन के प्रतिनिधि के तौर पर अमिताभ बच्चन,तुषार कपूर के प्रतिनिधि के तौर पर जीतेंद्र,बॉबी देओल के प्रतिनिधि के तौर पर धर्मेंद्र,लव […] Read more » There is no question of politics today in front of the world where you
व्यंग्य एक और बार June 17, 2019 / June 17, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment दिलीप कुमार “एक और बार ” के समवेत स्वर वाला विज्ञापन देश में इस वक्त ये दिन रात संचार माध्यमों में आ रहा है ।पान मसाला वाले ये विज्ञापन घुट्टी की तरह ऐसे लोगों को पिला रहे हैं जैसे इमरान खान अपनी जमीं को बहादुर और खुद मुख्तार लोगों की जमीं होने की घुट्टी पिलाते […] Read more » one more time Satire
धर्म-अध्यात्म व्यंग्य भगवान हड़ताल पर हैं ! June 15, 2019 / June 15, 2019 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल भगवान हड़ताल पर हैं। चौंक गए न। आप डर रहे हैं, आप को किसी अनहोनी का खौफ खाए जा रहा है, बिल्कुल सच है। आपका डर वाजिब है, आप ही नहीं भगवान की हड़ताल से पूरा त्रिलोक हिल गया है। संविधान मौन है और विधान ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है। भक्त […] Read more » God god on strike Satirical graph
व्यंग्य ले पंगा June 10, 2019 / June 10, 2019 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment दिलीप कुमारकुछ वर्ष पहले सलमान खान की इमेज मेकओवर के लिये एक अखबार ने एक अभियान चलाया था और नारा दिया था ,”बैड इज न्यू गुड”यानी बुरे लोग नए वाले अच्छे लोग हैं ।युवाओं ने इसका पालन बड़ी मुस्तैदी से किया।पुरुषों ने वर्जित माने जाने वाले हेयर स्टाइल अपनायी और बीच से मांग काढ़ी,साधना कट […] Read more » pro kabbadi pro kabbadi by Mahendra sigh dhoni ले पंगा
व्यंग्य इस इलेक्शन पर बातें इधर उधर की : June 2, 2019 / June 2, 2019 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on इस इलेक्शन पर बातें इधर उधर की : हरी बिंदल छोड़ भाजपा शत्रु जी, पहुंचे पप्पू पास, मंत्री बनने के लिए, यही बची थी आश | यही बची थी आश, लगा बीबी लाइन मे, दोनों हाथो लड्डू, होंगे आनन फानन मे | किन्तु रह गए बे, अब, घर न घाट के, टुल्लू उनको मिला, रखे अब उसे ठाट से | इक प्रत्यासी को […] Read more » election 2019 lok sabha election 2019 LS election 2019 इलेक्शन
व्यंग्य एक पाती राहुल बचवा के नाम May 29, 2019 / May 29, 2019 by विपिन किशोर सिन्हा | 2 Comments on एक पाती राहुल बचवा के नाम प्रिय पप्पू, आज बहुत दिनों के बाद तोहरे पास पाती पेठा रहे हैं। का करीं बचवा, हम भी चुनाव के नतीजों का तोहसे कम बेचैनी से इन्तज़ार नहीं कर रहे थे। सोचे थे कि तुम जीतोगे तो जोरदार बधाई देंगे, लेकिन ई मोदिया सब तहस-नहस कर दिया। पिछले विधान सभा चुनाव में तुम्हारे […] Read more » एक पाती राहुल बचवा के नाम
व्यंग्य इ वी एम पर कुंडली May 22, 2019 / May 22, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment हार हो जाये ,तब इवीएम में है दोष जीत जाये तो वह बिल्कुल है निर्दोष बिल्कुल है निर्दोष किस पर ठीकरा फोड़े मिला नहीं कोई तो इ वी एम पर ही फोड़े कह रस्तोगी कविराय,लाओ फूलो का हार हार गये तो क्या,तुम पहनाओ हार का हार आर के रस्तोगी Read more » EVM on EVM opposition poetry SATTIRE
व्यंग्य साहित्य मतदाता की आवाज May 20, 2019 / May 20, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी मै भारत का मतदाता हूँ,हर बार ही धोखा खाता हूँ | जब जब चुनाव आते है,उस समय ही पूजा जाता हूँ || नेताओ का कोई धर्म नहीं,ये झूठे वादे ही करते रहते है | पांच साल चुनाव के बाद ,अपनी शक्ल दिखाने आते है || अखंड भारत की जो बाते करते,ये ही […] Read more » voters voters voice voting चुनाव
कविता राजनीति व्यंग्य साहित्य ‘इण्डियन भारत’ के ‘महाभारत’ का दुर्योद्धन-प्रसंग May 18, 2019 / May 18, 2019 by मनोज ज्वाला | 1 Comment on ‘इण्डियन भारत’ के ‘महाभारत’ का दुर्योद्धन-प्रसंग मनोज ज्वाला ‘इण्डिया दैट इज भारत’ के संविधान से संचालित भारतीय लोकतंत्र के महापर्व का १७वां आयोजन जारी है । वर्षों तक सत्ता-सुख भोगता रहा विपक्ष पांच वर्ष पहले १६वें पर्व के दौरान सत्ता गंवा चुके होने के बाद अब इस बार उसे किसी भी तरह हासिल कर लेने के बावत आसमान सिर पर उठा […] Read more » ‘इण्डियन भारत’ poem poetry sattire poem sattire poetry दुर्योद्धन-प्रसंग महाभारत
कविता व्यंग्य बदला —आर के रस्तोगी May 17, 2019 / May 17, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment पप्पू के जीजा ने,बुआ के भतीजे ने ,जनता को लूटकर,की काली कमाई ,काली कमाई से, दोनों ने मौज उड़ाई,कोठी बंगले बनवाये, फार्म हाउस बनवाये,जब चुनाव आया तो,जनता की बारी आई,जनता ने भी दोनों के कान पकडवा कर खूब, उठक बैठक लगवाई | भाई ने बहन को बुलाया,पार्टी का महासचिव बनाया ,चुनाव का प्रचार कराया ,पर रिजल्ट कुछ न आया […] Read more » poetry political poetry
व्यंग्य समाज जज या थानेदार April 26, 2019 / April 26, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment कल २५ अप्रेल को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर एक महिला के यौन उत्पीड़न के मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने जो धमकी दी, साधारणतया कोई थानेदार भी सार्वजनिक रूप से किसी को नहीं देता। सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा — अमीर-ताकतवर, सुन लो, आग से मत खेलो। […] Read more »
व्यंग्य चोरी का राष्ट्रीय उद्यम April 2, 2019 / April 2, 2019 by मोहन कुमार झा | Leave a Comment एक समय था जब चोरी करना या चोरी होना बहुत बड़ी घटना होती थी। मेरे गांव में जब चोरी होती थी तो महीनों तक चर्चा चलती रहती। जिस घर चोरी होती थी अक्सर उस घर की कोई बूढ़ी अपने बुढ़े मुंह से कई दिनों तक सुबह-शाम, दिन-दोपहर चोरों को दिव्य श्राप दिया करती। ये श्राप […] Read more » चोरी चोरी का राष्ट्रीय उद्यम