महत्वपूर्ण लेख राजनीति यह न्याय , धर्म और नीति की जीत है November 11, 2019 / November 11, 2019 by राकेश कुमार आर्य | 1 Comment on यह न्याय , धर्म और नीति की जीत है भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के ही नहीं अपितु विश्व के सर्वाधिक चर्चित और प्रसिद्ध अयोध्या मामले का निस्तारण करते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाए जाने का का मार्ग प्रशस्त कर दिया है । सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले 500 वर्षों से चले आ रहे इस विवाद का जिस विद्वत्तापूर्ण ढंग से निस्तारण […] Read more » Ayodhya verdict the victory of Ramjanam Bhoomi win in ramjanambhoomi case जस्टिस अशोक भूषण जस्टिस अशोक भूषण व जस्टिस एस अब्दुल नजीर जस्टिस एस अब्दुल नजीर जस्टिस एसए बोबडे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई
महत्वपूर्ण लेख राजनीति हिन्दी-विरोध का मूल-हिन्दुत्व नहीं, मजहबी उसूल November 3, 2019 / November 3, 2019 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment मनोज ज्वाला भारत की राजभाषा हिन्दी का दक्षिण भारतीय प्रदेशों में विरोध का स्वर एक बार फिर सुनाई पड़ने लगा है। इस बार के विरोध का राग तो वही है, किन्तु रंग बदला हुआ है। हिन्दी थोपने का राग पहले भी आलापा जा रहा था, किन्तु इसे हिन्दुत्व का रंग पहली बार दिया जा रहा […] Read more » मजहबी उसूल हिन्दी-विरोध हिन्दुत्व
महत्वपूर्ण लेख लेख साहित्य हिंदूराष्ट्र स्वप्नदृष्टा : बंदा वीर बैरागी November 1, 2019 / November 1, 2019 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment ——————————————-अध्याय – 9 सरहिंद फिर बन गया — ‘ सर – ए – हिंद ‘ पंजाब में अब गुरु गोविंदसिंह के शहीद सपूतों का प्रतिशोध लेने की हवा बड़ी तेजी से चल रही थी और पंजाब ही क्यों मां भारती के प्रति समर्पण का भाव रखने वाले हिंदुस्तान के प्रत्येक व्यक्ति का खून इस बात […] Read more » बंदा वीर बैरागी हिंदूराष्ट्र स्वप्नदृष्टा बंदा वीर बैरागी
पर्यावरण महत्वपूर्ण लेख स्वास्थ्य-योग पॉलिथीन का प्रयोग स्वास्थ्य के लिये खतरनाक October 23, 2019 / October 23, 2019 by भरत जोशी | Leave a Comment भरत जोशी 2 अक्टूबर कहने को तो देश मे सिंगल यूजेज पॉलीथिन बन्द हो गई है । किंतु वास्तविकता में आज भी छोटे गावों से लेकर कस्बो छोटे शहरों और माहा नगरों में धड़ले से पॉलीथिन का उपयोग खुले आम हो रहा है ।सिर्फ दिखावे के तौर पर पॉलीथिन बन्द की नोटकी देश मे चल […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख राजनीति शख्सियत हिंदू राष्ट्र स्वप्नदृष्टा : बंदा वीर बैरागी October 14, 2019 / October 14, 2019 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment अध्याय —- 4 गुरु गोविंद सिंह जी और उनके सुपुत्रों का बलिदान पंजाब में सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के काल में ही हमारे चरितनायक बंदा वीर बैरागी जी का उद्भव हुआ । यही वह काल था जब परिस्थितियों ने एक संन्यासी को भी राष्ट्र के कार्य के लिए उठा लिया और उससे […] Read more » बंदा वीर बैरागी
महत्वपूर्ण लेख राजनीति लेख हिन्दूराष्ट्र स्वप्नद्रष्टा : वीर बंदा बैरागी October 11, 2019 / October 11, 2019 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment ——————————————–– अध्याय —— 3 गुरु तेग बहादुर जी और उनका बलिदान त्याग और बलिदान की मिलती अनुपम सीख ।देश धर्म के वास्ते पैदा की नई लीक ।। पंजाब की गुरु परंपरा में जब गुरु तेग बहादुर जी का नाम लिया जाता है तो सिर स्वयं ही श्रद्धा से झुक जाता है । इसका कारण यही […] Read more » veer banda bairagi वीर बंदा बैरागी
महत्वपूर्ण लेख लेख हिंदू राष्ट्र के स्वप्नद्रष्टा : बंदा वीर बैरागी October 9, 2019 / October 9, 2019 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment अध्याय —— 2 पंजाब की गुरु परंपरा और बंदा वीर बैरागी जिस समय पंजाब में हमारे गुरुओं का आविर्भाव हुआ उस समय ईसाइयत और इस्लाम दोनों अपने-अपने अनुयायियों के बढ़ाने पर अधिक बल दे रहे थे । चारों ओर वह अपने मत के प्रचार – प्रसार में लगे हुए थे । इस्लाम ने अपने आप […] Read more » बंदा वीर बैरागी
महत्वपूर्ण लेख शख्सियत समाज भूदान तथा सर्वोदय आन्दोलन प्रणेता : आचार्य विनोबा भावे September 9, 2019 / September 9, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग-जब-जब मानवता विनाश की ओर बढ़ती चली जाती है, नैतिक मूल्य अपनी पहचान खोते जाते हैं, समाज में पारस्परिक संघर्ष की स्थितियां बनती हैं, समस्याओं से मानव मन कराह उठता है, तब-तब कोई न कोई महापुरुष अपने दिव्य कर्तव्य, मानवतावादी सोच, चिन्मयी पुरुषार्थ और तेजोमय शौर्य से मानव-मानव की चेतना को झंकृत कर जन-जागरण […] Read more » aacharya vinoba bhave भूदान तथा सर्वोदय आन्दोलन प्रणेता
जन-जागरण महत्वपूर्ण लेख दुश्मनों पर बेरहम साबित होता है ‘अपाचे’ September 7, 2019 / September 7, 2019 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment अपाचे साधता है एक मिनट में 128 निशाने – योगेश कुमार गोयल 3 सितम्बर का दिन भारतीय वायुसेना के लिए ऐतिहासिक माना जाएगा, जब पठानकोट स्थित एयरबेस पर कुल 8 अपाचे एएच-64 हेलीकॉप्टर वायुसेना के बेड़े में शामिल किए गए। अपाचे हेलीकॉप्टरों की पहली खेप इसी साल 27 जुलाई को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस […] Read more » अपाचे अपाचे एएच-64 हेलीकॉप्टर
महत्वपूर्ण लेख अमरकंटक के अरण्य में विशाल शिला पर मिलेंगे ‘फरस विनायक’ September 2, 2019 / September 2, 2019 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment – लोकेन्द्र सिंह पृथ्वी पर भगवान शिव का धाम (निवास) कहाँ है? यदि यह प्रश्न आपके सामने आएगा तो अधिक संभावना है कि आप क्षणभर गंवाए बिना उत्तर देंगे- ‘और कहाँ, कैलाश।’ अपने उत्तर में दूसरा स्थान आप‘काशी’ भी जोड़ सकते हैं। किंतु, ‘अमरकंटक’ शायद ही आपके ध्यान में आए। जी हाँ, समुद्र तल से लगभग 3500 फीट की ऊंचाई पर स्थित अमरकंटक वह तीसरा […] Read more » अमरकंटक अमरकंटक के अरण्य ‘फरस विनायक’ फरस विनायक विनायक’
महत्वपूर्ण लेख पहलू खान की हत्या किसी ने नहीं की August 17, 2019 / August 17, 2019 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिक पहलू खान की हत्या 1 अप्रैल 2017 को अलवर में हुई थी। उसे गायों की तस्करी करने के शक में 6 लोगों ने घेरकर मार डाला था। दो दिन बाद उसकी मौत हुई। उसके पहले उसने अपने बयान में हत्यारों के नाम भी पुलिस को बताए थे और उस मौके पर जो […] Read more » no one mudrer pehlu khan
महत्वपूर्ण लेख भाषाई समरूपता से अखण्डित राष्ट्र की परिकल्प July 24, 2019 / July 24, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ माँ, माटी और मातृभाषा की अनिवार्यता और यथोचित सम्मान की चाह होना हर भारतवंशी का कर्तव्य भी है और नैतिक जिम्मेदारी भी। राष्ट्र केवल लोग नहीं बल्कि वहाँ का समाज, संस्कृति, लोगों के अंदर की भावनाएं, वहाँ की भाषा, वहाँ की जिम्मेदारव्यवस्था मिल कर बनाते है। और राष्ट्र के सम्पूर्ण तत्व की व्याख्या उस राष्ट्र का उपलब्ध ज्ञान भंडार ही कर सकता है, वहाँ की शिक्षा व्यवस्था से उसकी प्रासंगिकता प्रचारित होती है। उस राष्ट्र की आंतरिक अखण्डता और उसे एक सूत्र में बंधे रहने कीआवश्यकता का एकमात्र समाधान भाषाई समरूपता है, यानी ‘एक देश-एक जनभाषा’ की अनिवार्यता होने से सम्पूर्ण राष्ट्र में सामान्य लोक व्यवहार का सहज और सरल हो जाना निहित है।ऐसा इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि विभिन्न भाषा-भाषियों के मध्यआपसी सामंजस्य स्थापित करने के लिए किसी एक बिंदु का एक जैसा होना जरूरी है। किंतु जहाँ बात संवाद की आती है वहाँ संवाद का प्रथम सूत्र ही भाषा का एक होना है। वर्तमान में हिंदुस्तान में लगभग 500 से अधिक बोलियाँ व 22 भाषाएँ उपलब्ध है। ऐसी स्थिति में जब तमिलनाडु से व्यवहार करना हो तो व्यक्ति को तमिल सीखना होगी और जब पंजाबी से व्यवहार करना हो तो पंजाबी। ऐसे में सामान्य बोलचाल की भाषाएक जैसी नहीं होने से संवाद की स्थापना असंभव है, और बिना संवाद के व्यापार, विनिमय, रिश्तेदारी आदि सभी ताक में रह जाते है। अन्य प्रान्त के लोगों में संवाद की सफलता के लिए एक मध्यस्थ भाषा का होना अत्यंत आवश्यक है। इस कमी को अंग्रेजी भी पूरा कर सकती है किंतु अंग्रेजी स्वभाषा नहीं है, और भारत चूँकि ग्राम प्रधान राष्ट्र होने से आज भी अंचल में अंग्रेजी प्रासंगिक और सहज नहीं है। इसीलिए हिंदी भाषा ही जनभाषा के रूप में एकमात्र श्रेष्ठ विकल्प उपलब्ध है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने लिखा है कि- ‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।’ निजभाषा का महत्व सदा से ही अपनेपन के साथ संस्कार सींचन हेतु आवश्यक माना गया है। आरंभिक दौर में प्राकृत, पाली से सजा राष्ट्र का तानाबाना देवभाषा संस्कृत के प्रचारित होने के बाद सज नहीं पाया, संस्कृत भी आज के दौर में जनभाषा नहीं हैक्योंकि उसे बोलने-समझने वाले लोग अब मुट्ठीभर शेष है। प्राकृत-पाली के साथ संस्कृत निष्ठ हिन्दी का जन्म हुआ और यह हिन्दी ने जनता के बीच क्षेत्रीय भाषाओं से अधिक स्थान प्राप्त किया। क्षेत्रीय भाषाओं का अपना एक सीमित दायरा है इसमें कोई संशय नहीं है, और आज हिंदुस्तान के 57 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा हिंदी ही है। शेष 43 प्रतिशत लोग भी हिंदी से अपरिचित नहीं है, वे जानते-समझते है किंतु उनकी स्थानीय भाषाओं में वे ज्यादादक्ष है, ज्यादा प्रवीण है। इसीलिए जनभाषा के तौर पर हिन्दी की अस्वीकार्यता नहीं हो सकती, रही बात हिन्दी के विरोध की तो यह केवल भ्रम से उत्पन्न या कहे राजनैतिक प्रेरित विरोध के स्वर है। क्योंकि हिन्दी के प्रचारकों ने जिस तरह हिन्दी को एकसंस्कृति ही बना कर प्रस्तुत किया यह बहुत गलत है। हिन्दी एक भाषा है, न कि अकेली एक संस्कृति या धर्म। हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान की सोच से ही हिन्दी भाषा का हश्र बिगड़ा हुआ है। भाषा महज अभिव्यक्ति का माध्यम और जनसंवाद का केंद्र है। यह कदापि सत्य नहीं है कि यदि हिंदी भाषा होगी तो हिन्दूराष्ट्र बनेगा। आज चलन में अंग्रेजी भाषा का प्रभाव ज्यादा है ,तो क्या हम यह मान ले कि देश फिर इंग्लिशतान या ईसाईयत की तरफ बढ़ गया? या देश पुनः गुलाम हो चुका? भारत एक गणतांत्रिक राष्ट्र है, यहाँ प्रश्न अपनी जनभाषा के सम्मान का है न कि किसी धर्म के आधिपत्य का। भाषा किसी धर्म या पंथ की प्रतिलिपि नहीं होती, भाषा तो संवाद और संचार का माध्यम है। यहाँ बात स्वभाषा की स्थापना की है, न कि धर्म के साथजोड़ कर भाषा की हत्या की। हाल बुरा तो इसी सोच के चलते उर्दू का भी हुआ है। उर्दू के उम्दा फनकार राहत इंदौरी जी का शेर है- क़त्ल उर्दू का भी होता है और इस निस्बत से, लोग उर्दू को मुसलमान समझ लेते हैं जब हिन्दी को हिन्दू और उर्दू को मुसलमान माना जाता है तो इन्ही खोखले आधारों से भाषा के कारण युद्ध और विरोध का जन्म होता है। इसी पर तथाकथित लोगों को राजनीति करने का मौका मिल जाता है, इसे वे एक संस्कृति या धर्म को थोपना बताकरएक जनभाषा की हत्या कर देते है। भाषा मनोवैज्ञानिक प्रभाव का कारक हो सकती है पर वो कभी भी किसी धर्म की ठेकेदार नहीं होती। विखण्डनवादी सोच के चलते हिन्दुस्तान में आज सांस्कृतिक अखण्डता खतरे में है। क्योंकि हिन्दी कही थोपी नहीं जा रही, जो लोग कहते है कि आप हमारी दक्षिण भारतीय भाषा सीखिए, तो वे भी ये बताएं कि कितने प्रतिशत लोगों तक संवाद उससे सहज होगा,मात्र 8 से 10 प्रतिशत लोगों से और हिन्दी के कारण कम से कम 57प्रतिशत और अधिकतम Read more » Conceptualized nation language linguistic symmetry mother tounge