समाज ‘न्यू इंडिया’ और गांवों की समृद्घि का रास्ता April 28, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment अब पुन: 'न्यू इंडिया' को भी अंग्रेजी में अभिव्यक्ति देना जंचता नहीं है। फिर भी 'न्यू इंडिया' अर्थात 'नव भारत' के निर्माण में गांव की भूमिका पर हम केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों से निवेदन करेंगे कि इस कार्य के लिए गांव को गंवारों का या पिछड़े लोगों का झुण्ड मानने की मानसिकता से इस देश के शिक्षित वर्ग को निकालने का प्रयास किया जाए। गांव के विकास की बात यहीं से प्रारंभ हो। देश का शिक्षित वर्ग आज भी गांव के लोगों से और गांव के परिवेश से वैसी ही घृणा करता है जैसी अंग्रेज किया करते थे। विदेशी शिक्षा को देश में लागू करोगे तो ऐसे ही परिणाम आएंगे। गांव के प्रति ऐसी घृणास्पद मानसिकता के परिवर्तित करने के लिए शिक्षा का भारतीयकरण किया जाए। Read more » 'नव भारत' 'न्यू इंडिया' Featured उत्तर प्रदेश गांव की भूमिका ग्रामोन्मुखी विकास प्रधानमंत्री मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. शिक्षा के भारतीयकरण
शख्सियत समाज सभी देशवासियों के सम्मानीय महात्मा ज्योतिबा फूले April 28, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment समाज सुधार के क्षेत्र में भी आपका महत्वपूर्ण योगदान है। आपने विधवा विवाह की वकालत की थी और धार्मिक अन्धविश्वासों का विरोध किया था। महात्मा ज्योतिबा फूले ने 24 सितम्बर, 1872 को ‘सत्य शोधक समाज’ की स्थापना की थी। हमें यह नाम बहुत प्रभावित करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि महात्मा फूले इसके द्वारा समाज का शोधन कर देश को सत्य मान्यताओं और सिद्धान्तों पर आरूढ़ करना चाहते थे। इस समाज को स्थापित करने का महात्मा जी का मूल उद्देश्य दलितों पर अत्याचारों का उन्मूलन करना था। आपने विधवाओं व महिलाओं का शोषण दूर कर समानता का अधिकार उन्हें दिलाया। आपने किसानों व श्रमिकों की हालात सुधारने के अनेक प्रयास किये। आप अपने समस्त कार्यों से महाराष्ट्र में प्रसिद्ध हो गये और समाज सुधारकों में आपकी गणना की जाने लगी। आपने अनेक पुस्तकों का प्रणयन किया। आपकी कुछ पुस्तकें हैं- तृतीय रत्न, छत्रपति शिवाजी, ब्राह्मणों का चातुर्य, किसान का कोड़ा, अछूतों की कैफीयत, गुलाम-गिरी, संसार, सार्वजनिक सत्यधर्म आदि। आप निःसन्तान रहे। आपने एक विधवा के बच्चे यशवन्त को गोद लिया था। यह बालक बाद में डाक्टर बना। इसने महात्मा फूले के कार्यों को विस्तार दिया। जुलाई, 1888 में महात्मा फुले जी को पक्षाघात हो गया था। आपने 18 नवम्बर, 1890 को अपने कुछ मित्रों को वार्तालाप के लिये बुलाया था। उनसे वार्तालाप किया। दाके कुछ देर बाद आपकी मृत्यु हो गई थी। Read more » महात्मा ज्योतिबा फूले
समाज जानिए घर में नई बहू के आने से क्यों आने लगती है पारिवारिक रिश्तों में दरार — April 25, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment सही है की कई बार हमें ऐसा देखने और सुनने में आता है, कि किसी परिवार में नई बहू के गृह-प्रवेश के बाद से ही घर में अचानक खूब तरक्की होने लगी या अचानक ही घर के हालात बिगड़ने लगे। ऐसे बदले हालात की स्थिति में उस घर में हो रहे अच्छे या बुरे का […] Read more » पारिवारिक रिश्तों में दरार
समाज जानिए सुखी वैवाहिक जीवन के लिए कुछ विशेष उपाय – April 25, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment मनुष्य के पूरे जीवन में कई दफा ऐसी समस्या आ जाती है जो उसके जीवन पर बहुत ही बुरा असर डालती है अक्सर व्यक्ति का वैवाहिक जीवन कई ऐसी समस्याओं का शिकार हो जाता है जिनको उसके साथ किसी भी प्रकार का वास्ता नहीं होता है । पर हम आपके लिए कुछ ऐसे उपायों को […] Read more » सुखी वैवाहिक जीवन
समाज भोग से मुक्ति का मार्ग दिखाता है योग April 24, 2017 by डॉ नीलम महेन्द्रा | 1 Comment on भोग से मुक्ति का मार्ग दिखाता है योग आज जब सम्पूर्ण विश्व योग के महत्व को समझ रहा है तो हम लोग भी इसे अपने आचरण में उतार कर न सिर्फ अपने स्वयं के स्वास्थ्य बल्कि अपने आस पास के सम्पूर्ण वातावरण में एक नई ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। जिस प्रकार हमारे शरीर का कोई भी अंग तभी तक जीवित रहता है जब तक कि वह हमारे शरीर से जुड़ा है,कोई भी फूल, पत्ता या फिर फल जब तक अपने पेड़ से जुड़ा है सुरक्षित एवं संरक्षित है उसी प्रकार हमें भी अपनी सुरक्षा के लिए प्रकृति से जुड़ना होगा यह बात योग हमें सिखाता है। Read more » Featured भोग से मुक्ति योग
समाज साम्प्रदायिक सद्भाव एक मृग मरीचिका April 21, 2017 by विनोद कुमार सर्वोदय | 1 Comment on साम्प्रदायिक सद्भाव एक मृग मरीचिका राष्ट्रवाद को झुठलाने की एक और घटना जब सितम्बर 2008 में बटला हाउस (दिल्ली) में आजमगढ़ के आतंकियों को मारा गया तो उसमे दिल्ली पुलिस के शूरवीर इंस्पेक्टर के बलिदान को ही संदेहात्मक बना दिया और (छदम्) धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम आतंकियो के घर आजमगढ़ जाने की नेताओं में होड़ ही लग गयी थी। यहा तक समाचार आये थे कि उस समय सत्ता के शीर्ष को नियंत्रित करने वाली सोनिया गांधी ने भी आजमगढ़ के आतंकवादियों पर आंसू बहायें थे । Read more » communal harmony communal harmony in India Featured साम्प्रदायिक सद्भाव
महिला-जगत समाज हमारा समाज पुरूष प्रधान नही वरन महिला प्रधान April 19, 2017 / April 19, 2017 by हरीश शर्मा | 1 Comment on हमारा समाज पुरूष प्रधान नही वरन महिला प्रधान भारतीय परिदृष्य में यदि बात की जाए तो यह कहा जाता है कि हमारा समाज पूरूष प्रधान है , परंतु यह कहना अर्धसत्य जैसा ही होगा क्योकि वह समाज पूरूष प्रधान केसे हो सकता है जहाॅ पुरूषों की उत्पत्ति का आधार ही महिलाए है। बल्कि यदि यह कहा जाए तो गलत नही होगा कि हमारा समाज पुरूष प्रधान नही वरन महिला प्रधान है वर्तमान परिवेष में जब महिलाओं का समान अधिकार देने व उन्हे आगे बढाने की बाते जोर पकड रही है तो यह ध्यान रखना होगा कि इस प्रकार की बाते सिर्फ मंचो से लोगों की तालिया बटोरने भर के लिए नहीं कही जाए वरन दोहरे व्यक्तित्व को छोडकर राजनैतिक पूरोधाओं को भी नारी शक्ति के अस्तित्व को न सिर्फ मंचो से बल्कि वास्तविक जीवन मे भी सत्यता से स्वीकार व अंगीकार करना होगा। Read more » Featured महिला प्रधान समाज महिलाओं का सम्मान हमारा समाज पुरूष प्रधान हमारा समाज महिला प्रधान
समाज बचपन हुआ नशे में चूर April 18, 2017 / April 18, 2017 by घनश्याम भारतीय | Leave a Comment तम्बाकू उत्पाद के कुप्रभाव को रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानांे पर धूम्रपान को अपराध घोषित किया गया है। जिसके उलंघन पर 200 रूपये के जुर्माने का प्राविधान है। दुकानों पर निर्धारित आकार में हानियों को प्रदर्शित करने वाला बोर्ड़ भी लगा होना चाहिए। कम आयु वर्ग को अथवा उसके द्वारा तम्बाकू उत्पाद बेचने को अपराध घोषित किया गया है। नियम तो यहां तक है कि तम्बाकू उत्पाद बिक्री स्थान पर नाबालिग दिखाई भी न पडे़। और शिक्षण संस्थानो के 100 गज के दायरे में ऐसे उत्पादो की बिक्री अपराध है। Read more » Featured नशे में चूर
समाज सार्थक पहल अनोखा मदरसा ‘मुईन उल इस्लाम’ में सद्भावना का पाठ April 18, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment आगरा देवरैठा का मदरसा हिंदू-मुस्लिम एकता की किसी मिसाल से कम नहीं है। यहां धर्म की दीवार तोड़ बच्चे उर्दू और संस्कृत दोनों विषयों की शिक्षा एकसाथ गृहण कर रहे हैं। मुस्लिम बच्चे संस्कृत के श्लोकों का उच्चारण जबकि हिंदू बच्चे कुरान की आयतें पढ़ते हैं। शिक्षक हों या बच्चे, सभी कहते हैं, मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। कक्षा आठ की छात्रा निशा खान के मुंह से गायत्री मंत्र का उच्चारण सुन लगेगा मानो इस बच्ची की जुबां पर स्वयं सरस्वती मां विराजमान हो गई हैं। मासूम से चेहरे पर न तो किसी धर्म की परछाई दिखाई पढ़ती है और न ही किसी प्रकार का धार्मिक भेदभाव। कक्षा सात के छात्र ऋषभ उर्दू सीखता है और कुरान की आयतें भी पढ़ता है। Read more » Featured मुईन उल इस्लाम हिंदू-मुस्लिम एकता
शख्सियत समाज डा. अम्बेदकर को पूर्व जन्म के महान् संस्कारों ने उच्च स्थान प्राप्त कराया April 18, 2017 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on डा. अम्बेदकर को पूर्व जन्म के महान् संस्कारों ने उच्च स्थान प्राप्त कराया मनमोहन कुमार आर्य डा. अम्बेदकर जी के जन्म दिवस 14 अप्रैल को 4 दिन व्यतीत हो चुके हैं। उस दिन हम उन पर कुछ लिखना चाहते थे परन्तु लिख नहीं सके। हमारा मानना है कि किसी महापुरुष के जीवन पर चिन्तन करना केवल जन्म दिन व पुण्य तिथि पर ही उचित नहीं होता अपितु […] Read more » डा. अम्बेदकर
समाज हमारे मुसलमान भी क्या मुसलमान हैं? April 18, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment तीन तलाक, निकाह हलाला, बहुपत्नीवाद, पशु-बलि, बुर्का, मांसाहार, ताबीज, आदि ये सब बातें किसी भी धर्म के शाश्वत और सार्वदेशिक लक्षण नहीं हो सकते। इन्हें देश-काल के मुताबिक बदलते रहना चाहिए। यही बात शरिया, रोमन और ग्रीक लॉ पर भी लागू होती है। आज स्त्री-पुरुष समानता का युग है। इसमें यदि आदमी तीन बार बोलकर औरत को तलाक दे सकता है तो औरत भी तीन बार बोलकर आदमी को Read more » ताबीज तीन तलाक निकाह हलाला पशु बलि बहुपत्नीवाद बुर्का मांसाहार मुसलमान हमारे मुसलमान
महिला-जगत समाज नारी मुक्ति की यन्त्रणा April 17, 2017 by गंगानन्द झा | Leave a Comment औद्योगिक समाज में पुरुष और नारी के बीच का समीकरण बदला। औरत और मर्द के बीच समानता की अवधारणा उभड़ी। लिंग आधारित श्रम-विभाजन की अवधारणा पर सवाल उठने लगे। और नारी पुरुष का सम्पर्क पूरक होने के बजाय योगात्मक होने लग गया। स्त्रियों का कर्मक्षेत्र घर की चाहरदीवारी से बाहर भी प्रतिष्ठित हुआ और पारस्परिक निर्भरशीलता की बाध्यता में कमी आई। औरतों के हाथ में आर्थिक क्षमता आने के साथ परम्परा से सम्मानित पितृसत्ता में दरारें पड़ने लगीं। Read more » Featured नारी मुक्ति