समाज ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ के साथ ‘मैकाले’ से भी हो दो-दो हाथ April 7, 2017 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment विष-वृक्ष को काट-पीट कर उसका सफाया कर देना पर्याप्त नहीं होता, जब तक उसे खाद-पानी देते रहने वाली उसकी जड-मूल को नष्ट न कर दिया जाय । ऐसे में जरूरत है कि ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ अभियान के साथ-साथ मैकाले से भी दो-दो हाथ कर उसकी षडयंत्रकारी अभारतीय शिक्षा-पद्धति को उखाड कर भारतीय जीवन-दर्शन की शिक्षा-पद्धति स्थापित की जाए , तभी सही अर्थों में स्थायी तौर पर ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ का निर्माण हो सकेगा , Read more » ‘मैकाले’ से भी हो दो-दो हाथ Featured अभारतीय शिक्षा-पद्धति कांग्रेस मुक्त भारत भारतीय जीवन-दर्शन की शिक्षा-पद्धति स्थापित
समाज सर्वसमावेशी है हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा April 7, 2017 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment हमनें सदा से विदेशियों को प्रश्रय व उनकें विचारों को सम्मान दिया है ऐसा करके हम हमारें नेसर्गिक “वसुधेव कुटुम्बकम” के मूल विचार को आगे ही बढ़ा रहे थे किंतु भारत भूमि पर बलात आने वाले मुस्लिम व ईसाई शासकों ने हमारी इस दयालुता, सहिष्णुता व भोलेपन का गलत लाभ उठाया है. इनके अतिरिक्त हमें कम्युनिस्टों से भी बड़ी हानि झेलनी पड़ी है जिन्होनें अंग्रेजों के बाद हमारा समूचा इतिहास गड्डमगड्ड कर डाला व हमारें “धर्मप्राण राष्ट्र” में “धर्म को अफीम” कहना प्रारंभ किया. Read more » Bharat hindu rashtra Featured India as hindu rashtra मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. सर्वसमावेशी है हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा
समाज हिन्दुओं को मिले तीन विकल्प-इस्लाम, मृत्यु, कश्मीर छोड़ो April 5, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment ‘भारत में मूत्र्ति पूजा’ का लेखक हमें बताता है-‘‘मुसलमान फकीर हिंदू वेष में मंदिरों में रहकर वहां की आंतरिक दशा का अध्ययन करते थे और उसकी सूचना अपने प्रचारकों तथा मुस्लिम शासकों को देते रहते थे। जो उस समय उनसे पूरा लाभ उठाते थे। इब्नबतूता का कहना है कि चंदापुर के निकट एक मंदिर में उसकी भेंट एक ऐसे जोगी से हुई जो वास्तव में एक मुसलमान सूफी था और केवल संकेत से बातचीत करता था। फारसी का प्रसिद्घ कवि शेख सादी सोमनाथ के मंदिर में कुछ समय हिंदू साधु बनकर रह गया था। Read more » Featured कश्मीर गुलामी का मकडज़ाल हिंदुओं के धर्मस्थल किये गये नष्ट हिन्दुओं के लिए साक्षात मृत्यु हिन्दू संस्कृति को पहुंचा आघात
समाज कलियुग, मानव और व्यवस्था April 4, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment ऐसा नही है कि समाज में व्यक्ति-व्यक्ति के मध्य ही ऐसा होता है। आज की सारी व्यवस्था ही इसमें लिप्त है। जब धर्म को खुलेआम सडक़ों पर बेचा जा रहा हो, तब न्याय की अपेक्षा व्यवस्था से नही की जा सकती। अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकारों को फटकार लगायी है कि केन्द्र और प्रांतों की सरकारें समय पर सरकारी जमीनों पर अवैध अतिक्रमण करने वालों पर कठोर कार्यवाही नही करातीं। जबकि बहुत से धार्मिक स्थलों को लोग जानबूझकर सार्वजनिक मार्गों में बना लेते हैं। Read more » Featured कलियुग कलियुग और मानव व्यवस्था मानव और व्यवस्था
शख्सियत समाज शास्त्रीय संगीत की महीयसी किशोरी अमोनकर नहीं रहीं April 4, 2017 / April 4, 2017 by यतीन्द्र मिश्र | Leave a Comment यतीन्द्र मिश्र इस से बुरी ख़बर हो नहीं सकती…किशोरी ताई चली गयीं.. हम सबको अपने आशीष से वंचित करके.. असहनीय…समझ ही नहीं आ रहा कि क्या लिखें और किस तरह अपनी तकलीफ़ को साझा करें ? मेरे लिए संगीत में भक्ति का अछोर थीं वे…रागदारी के भव्य राज-प्रासाद की अकेली जीवित किंवदन्ती… गान -सरस्वती की […] Read more » classical music veteran Kishori Amonkar passes away Featured Kishori Amonkar Kishori Amonkar dies veteran of classical music kishori amonkar किशोरी अमोनकर किशोरी अमोनकर नहीं रहीं
समाज दूसरों के बारे में नहीं, स्वयं के बारे में सोचे April 1, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment दुनिया को जानना भी जरूरी है दुनिया में स्वयं को स्थापित करने के लिए। जगत को जानकर मनुष्य उसमें अपने होने को प्रमाणित करता है। अपने होने को प्रमाणित तो किया ही जाना चाहिए। इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। सेसील एम. स्प्रिंगर ने कहा कि “सबसे बड़ी बात है कि स्वयं को चुनौती दें। आप स्वयं पर हैरान होंगे कि आप में इतना बल या सामर्थ्य है, तथा आप इतना कुछ कर सकते हैं।” Read more » dont think about others Featured Happiness index Happiness index of india happiness is lost think about self first जीवन से असन्तुष्ट
समाज सुख की खोज में हमारी खुशी कंहीं खो गई April 1, 2017 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment हमारी संस्कृति ने हमें शुरु से यह ही सिखाया है कि खुशी त्याग में है,सेवा में है, प्रेम में है मित्रता में है, लेने में नहीं देने में है, किसी रोते हुए को हँसाने में है, किसी भूखे को खाना खिलाने में है । जो खुशी दोस्तों के साथ गली के नुक्कड़ पर खड़े होकर बातें करने में है वो अकेले माल में फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने में भी नहीं है । Read more » Featured Happiness index of india खुशी सुख सुख की खोज में हमारी खुशी
समाज एक मुस्लिम नास्तिक की हत्या March 29, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment वे अपने मजहब की तौहीन इस प्रकार करते हैं कि वे उसमें अंधविश्वास करने की वकालत करते हैं। वे तर्क नहीं करना चाहते। वे वाद-विवाद से डरते हैं। क्या उनका धर्म या मजहब इतना पोंगापंथी है कि उस पर कोई बहस ही नहीं हो सकती? भारत में तो शास्त्रार्थ की परंपरा बहुत प्राचीन है। शंकराचार्य से लेकर महर्षि दयानंद तक धार्मिक मान्यताओं की बखिया उधेड़ते रहे हैं। भारत में नास्तिक मतों को भी पलने-पालने की बड़ी परंपरा है। Read more » कोयंबतूर तमिलनाडु तमिलनाडु के कोयंबतूर में एक 31 वर्षीय मुस्लिम नौजवान की हत्या मुस्लिम नौजवान की हत्या
समाज स्वस्थ बहस March 29, 2017 by डॉ. मधुसूदन | 3 Comments on स्वस्थ बहस एक अनोखा उदाहरण स्मरण हो रहा है; हमारी सत्यान्वेषी परम्परा का। उस के ऐतिहासिक अंशपर संदेह हो ही नहीं सकता। उसके काल के विषय में दो मत हैं; पर ऐतिहासिकता पर संदेह नहीं है। आदि शंकर और मण्डन मिश्र के बीच बहस हुयी थी जो २१ दिन चली थी; जिसे स्वस्थ बहस कहना ही उचित होगा। और अचरज! मिश्रजी की पत्नी इस बहस की निर्णेता थीं। जी हाँ; बहस में मण्डन मिश्र की हार और शंकर की जीत का निर्णय देनेवाली निर्णेता मण्डन मिश्र की पत्नी उभय भारती थीं।आचार्य शंकर से मण्डन मिश्र काफी बडे भी थे। बडा हारा, छोटा शंकर जीता। और बडे की पत्नी थी, निर्णेता? Read more » argument Featured healthy argument वाद-विवाद और संवाद का अंतर स्वस्थ बहस
समाज बदलते भारत में बदलती शिक्षा March 28, 2017 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment उच्च शिक्षा के संबध में लोगो की राय जानने के लिए दिल्ली स्थित गैर सरकारी संगठन चरखा ने कुछ छात्रों से बात की। इस संबध में जम्मू विश्वविद्यालय के छात्र जफर कहते हैं कि "विश्वविद्यालय में एडमिशन के बारे पिछड़े क्षेत्रों में जागरूकता की कमी है। उनके पास जानकारी नहीं है कि कब प्रवेश परीक्षा आयोजित की जा रही है। हालांकि सरकार कई योजनाएं लाती है, लेकिन छात्रों को इन योजनाओं के बारे में सूचित करने का कोई रास्ता नहीं है। जम्मू जैसे क्षेत्र में कभी कभी सूचना इतनी देर से पहुंचती है कि छात्र उसके लाभ से वंचित रह जाते है”। Read more » changing education in India Featured भारत भारत में बदलती शिक्षा
राजनीति समाज मैकाले-पद्धति को शीर्षासन कराता महर्षि अरविन्द का शिक्षा-दर्शन March 27, 2017 / March 27, 2017 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment “ वास्तविक शिक्षण का प्रथम सिद्धान्त है- ‘कुछ भी न पढ़ाना’ , अर्थात् शिक्षार्थी के मस्तिष्क पर बाहर से कोई ज्ञान थोपा न जाये । शिक्षण प्रक्रिया द्वारा शिक्षार्थी के मस्तिष्क की क्रिया को सिर्फ सही दिशा देते रहने से उसकी मेधा-प्रतिभा ही नहीं, चेतना भी विकसित हो सकती है, जबकि बाहर से ज्ञान की घुट्टी पिलाने पर उसका आत्मिक विकास बाधित हो जाता है ।” Read more » “उदात्त सत्य का ज्ञान” Featured Integral view of life) Realization of the sublime Truth) है जो “समग्र जीवन-दृष्टि” महर्षि अरविन्द महर्षि अरविन्द का शिक्षा-दर्शन मैकाले-पद्धति मैकाले-पद्धति को शीर्षासन कराता
समाज महिला यात्रियों की सुविधाओं की अनदेखी क्यों ? March 27, 2017 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment "आपको पता होना चाहिए कि हमारे जिले की अधिकांश आबादी पहाड़ी गांव में बस्ती हैं जहां आने के लिए किसी क्षेत्र में रोड है तो कार नहीं और कार है तो किराया देने के पैसे नही। कई किलोमीटर दूर से महिलाएं पुंछ शहर आती हैं परंतु बस स्टैंड में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। सीमा क्षेत्र होने के कारण अधिकतर विकलांग हैं। ऐसे रोगियों में महिलाएं भी होती हैं और उन्हें जब जम्मू ले जाया जाता है तो उनके लिए रास्ते में शौच का प्रबंध नहीं होता। क्या यह एक राष्ट्रीय समस्या नहीं है?, क्या इस ओर तत्काल ध्यान देने की जरूरत नहीं है? Read more » no washroom on jammu poonch rajmarg जम्मू पुंछ राजमार्ग सरकारी शौचालय