कला-संस्कृति शख्सियत समाज शस्त्र शास्त्र के पारंगत और कर्मवीर भगवान परशुराम May 7, 2016 / May 7, 2016 by हितेश शुक्ला | 2 Comments on शस्त्र शास्त्र के पारंगत और कर्मवीर भगवान परशुराम परशुराम जी ने कभी क्षत्रियों को संहार नहीं किया. उन्होंने हैहयवंशीय क्षत्रिय वंश में उग आई उस खर पतवार को साफ किया जिससे क्षत्रिय वंश की साख खत्म होती जा रही थी. जिस दिन भगवान परशुराम को योग्य क्षत्रियकुलभूषण प्राप्त हो गया उन्होंने स्वत दिव्य परशु सहित अस्त्र-शस्त्र राम के हाथ में सौंप दिए जन्म […] Read more » कर्मवीर भगवान परशुराम शस्त्र शास्त्र के पारंगत
समाज शहर-शहर ”वेश्या” बस कोठे नहीं हैं ! May 7, 2016 by हिमांशु तिवारी आत्मीय | Leave a Comment ”अपने बिकने का दुख है हमें भी लेकिन, मुस्कुराते हुए मिलते हैं खरीदार से हम।” चर्चित साहित्यकार मुनव्वर राना ने जब ये पंक्तियां कहीं तो कई तस्वीरें जहन में उतर कर आ गईं। कीमत कहें या फिर मजबूरी के आगे खुद की बोली लगाने वाली वेश्या की कहानी के किसी किरदार से मानों कोई पर्दा […] Read more » वेश्याओं का ठिकाना वेश्यावृत्ति का कानून शहर-शहर ''वेश्या''
शख्सियत समाज आचार्य महाश्रमण May 5, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment पंथ और ग्रंथ के भेद से ऊपर एक निराला संत -ललित गर्ग- भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को हिदायत दी है, तुम गुण ही गुण में वर्तन करते हों, जिससे अनेेक उर्मियों के बीच ही मन नर्तन करता रहता है। इस नर्तन को खत्म करके अर्जुन अब तू गुणों से ऊपर उठ जा, निर्गुण अवस्था […] Read more » Featured आचार्य महाश्रमण
विविधा समाज बाल विवाह : चुनौती और सफलता May 4, 2016 by मनोज कुमार | Leave a Comment अक्षय तृतीया पर विशेष लेख भारतीय समाज संस्कारों का समाज है. जन्म से लेकर मृत्यु तक सिलसिले से विधान हैं. यह सारे विधान वैज्ञानिक संबद्धता एवं मनोविज्ञान पर आधारित है. जैसे-जैसे हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे कामयाबी के साथ चुनौतियां हमारे समक्ष बड़ी से बड़ी होती जा रही हैं. यह एक सच […] Read more » Featured चुनौती बाल विवाह सफलता
मनोरंजन समाज सिनेमा “निल बट्टे सन्नाटा” और घरेलू कामगार महिलायें May 3, 2016 by जावेद अनीस | 2 Comments on “निल बट्टे सन्नाटा” और घरेलू कामगार महिलायें जावेद अनीस विदेशों में सभी परिवार “घरेलू सहायक” अफोर्ड नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनकी पगार बहुत ज्यादा होती है, लेकिन भारत में “काम वाली बाई” रखना बहुत सस्ता है. शायद इसी वजह से यहाँ घरेलू कामगार महिलायें अदृष्य सी हैं. उनके काम को आर्थिक और सामाजिक रूप से महत्त्व नहीं दिया जाता है, हालाँकि […] Read more » “निल बट्टे सन्नाटा” Featured घरेलू कामगार महिलायें
कला-संस्कृति जन-जागरण समाज आइये, कुंभ को जाने May 3, 2016 by अरुण तिवारी | Leave a Comment सिर्फ स्नान नहीं है कुंभ अरुण तिवारी दुनिया में पानी के बहुत से मेले लगते हैं, लेकिन कुंभ जैसा कोई कोई नहीं। स्वीडन की स्टॉकहोम, ऑस्ट्रेलिया की ब्रिसबेन, अमेरिका की हडसन, कनाडा की ओटावा…जाने कितने ही नदी उत्सव साल-दर-साल आयोजित होते ही हैं, लेकिन कुंभ!.. कुंभ की बात ही कुछ और है। जाति, धर्म, अमीरी, […] Read more » Featured Kumbh कुंभ
समाज डॉक्टरों की कमी से जूझता देश May 3, 2016 by जावेद अनीस | Leave a Comment जावेद अनीस आबादी के हिसाब से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भारत में स्वास्थ्य सेवायें भयावह रूप से लचर है और यह लगभग अराजकता की स्थिति में पहुँच चुकी है, भारत उन देशों में अग्रणीय है जिन्होंने अपने सावर्जनिक स्वास्थ्य का तेजी से निजीकरण किया है और सेहत पर सबसे कम खर्च करने वाले […] Read more » deficiency of doctors in India Featured डॉक्टरों की कमी देश
समाज मई दिवस की संघर्ष गाथा April 30, 2016 / May 3, 2016 by आरिफा एविस | 1 Comment on मई दिवस की संघर्ष गाथा आरिफा एविस मई दिवस को पूरी दुनिया में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन मजदूर आन्दोलनों की उपलब्धियों और खामियों का लेखा-जोखा लेने वाला दिन है. मई दिवस का इतिहास मजदूर वर्ग के निरन्तर संघर्स, बलिदान और उनके विकास का इतिहास है. मई दिवस हमारे लिए संकल्प का दिवस है. यह […] Read more » 1st May Diwas Featured majdoor diwas मई दिवस
कला-संस्कृति समाज भारतीय संस्कृति की जीवन्तता का प्रतीक कुम्भ पर्व April 30, 2016 / April 30, 2016 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” पौराणिक मान्यतानुसार हिन्दुओं के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक कुम्भ पर्व में करोड़ों श्रद्धालुओं के कुम्भ पर्व स्थलों पर स्नान कर सामूहिक धर्मचर्चा करने की परिपाटी प्रचलित हैं । ये कुम्भ पर्व स्थल चार स्थानों – हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक, में अवस्थित हैं , जहाँ समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत की बूंदें […] Read more » Featured singhast kumbh कुम्भ पर्व
विधि-कानून समाज न्याय में देरी स्वयं अन्याय है —– April 30, 2016 / April 30, 2016 by डॉ नीलम महेन्द्रा | 1 Comment on न्याय में देरी स्वयं अन्याय है —– 8 सितंबर 2006 महाराष्ट्र का नासिक जिला मुम्बई से 290 कि मी दूर “मालेगाव ” दिन के सवा एक बजे हमीदिया मस्जिद के पास शबे बारात के जुलूस में बम विस्फोट हुए जिसमें 37 लोग मारे गए और 125 घायल हुए।29 सितम्बर 2008 मालेगांव पुनः दहला इस बार 8 लोगों की मृत्यु हुई और 80 […] Read more » Featured justice delayed justice denied न्याय में देरी
समाज बिना गाय के मानव का भविष्य धूमिल है April 28, 2016 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment किसी छोटे से छोटे कार्यक्रम का आयोजन भी बिना उसकी योजना के अपूर्ण ही रहता है। यदि कार्यक्रम की पूर्ण रूपरेखा बना ली गयी है और उसके एक-एक पहलू पर पूर्ण चिंतन-मनन कर लिया गया है तो फिर उसके संपन्न होने में किसी प्रकार की बाधा नही आ सकती। पूर्ण मनोयोग से किये गये कार्य […] Read more » Featured गाय मानव का भविष्य
समाज चुल्लू भर पानी का सवाल है भई ! April 27, 2016 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” जीव-जन्तु हो या पेड़-पौधे,सबो के जीवन के लिए अत्यन्त ही महत्व की चीज है-जल। जल के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।इसीलिए कहा गया हैकि जल ही जीवन है।वेद,पुराण,उपनिषद,इतिहासादि ग्रन्थों में सर्वत्र जल की महिमा गायी गई है।ग्रीष्म काल में तो जल की महता और भी बढ़ जाती […] Read more » Featured need to conserve water save water water चुल्लू भर पानी चुल्लू भर पानी का सवाल पानी