विधि-कानून विविधा समाज भारतीय भाषाएँ और छात्रों के मानवीय अधिकारों का प्रश्न- डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री August 21, 2015 / August 21, 2015 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 1 Comment on भारतीय भाषाएँ और छात्रों के मानवीय अधिकारों का प्रश्न- डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री पिछले दिनों उत्तराखंड के नगर रुड़की में स्थित आई.आई.टी (भारतीय प्राद्यौगिकी संस्थान ) ने अपने पचास से भी ज़्यादा छात्रों को बाहर का दरवाज़ा दिखा दिया । संस्थान का कहना है कि ये छात्र पढ़ाई लिखाई में बहुत पिछड़े हुये हैं । यहाँ का कोर्स पूरा कर पाना इन छात्रों के बस का काम […] Read more »
टेक्नोलॉजी विविधा कंप्युटर का भाषाई पिछड़ापन August 21, 2015 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on कंप्युटर का भाषाई पिछड़ापन प्रमोद भार्गव महाभारत में जलाशय के समीप खड़े यक्ष बने धर्म ने युधिष्ठिर से पूछा था कि दुनिया में सबसे तेज दौड़ने वाली चीज क्या है ? तब धर्मराज युधिष्ठिर ने उत्तर दिया,कि सबसे तेज गति में दौड़ने वाला होता है,हमारा ‘मन‘। यह हमें पलक झपकते ही यहां से वहां और वहां से और कहीं […] Read more » कंप्युटर भाषाई पिछड़ापन
विविधा समाज लाइवलीहुड कॉलेज अर्थात कौशल उन्नयन August 20, 2015 / August 21, 2015 by मनोज कुमार | 1 Comment on लाइवलीहुड कॉलेज अर्थात कौशल उन्नयन -मनोज कुमार छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से निकल कर धुर नक्सली जिला कांकेर के रास्ते में लाइवलीहुड कॉलेज का नाम लिखा पढ़ा तो एकबारगी समझ में ही नहीं आया कि यह कौन सा कॉलेज है और किस प्रकार की पढ़ाई होती है। कार अपनी र$फ्तार से चल रही थी और मन में जिज्ञासा उससे […] Read more » कौशल उन्नयन लाइवलीहुड कॉलेज
विविधा हिंदी दिवस हिन्दी की विकास यात्रा किस ओर……… August 20, 2015 by बीनू भटनागर | 6 Comments on हिन्दी की विकास यात्रा किस ओर……… कोई भी भाषा सदैव एक सी नहीं रहती बदलावों को ग्रहण करके ही आगे बढती है, इस यात्रा मे देश के इतिहास की भी अहम भूमिका होती है, वहाँ कहाँ कहाँ से आकर लोग बसे, उनकी भाषा क्या थी, इन सब बातों का भाषा की विकास यात्रा पर बहुत असर पड़ता है।हिन्दी मे मुसलमानो […] Read more » हिन्दी की विकास यात्रा
विविधा व्यंग्य सर का शौर्य, साहब का शोक….!! August 20, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा आज का अखबार पढ़ा तो दो परस्पर विरोधाभासी खबरें मानों एक दूसरे को मुंह चिढ़ा रही थी। पहली खबर में एक बड़ा राजनेता अपनी बिरादरी का दुख – दर्द बयां कर रहा था। उसे दुख था कि जनता के लिए रात – दिन खटने वाले राजनेताओं को लोग धूर्त और बेईमान समझते […] Read more » सर का शौर्य साहब का शोक
विविधा शख्सियत आनंदीसहाय शुक्ल: टूट गया सांसों का इकतारा August 20, 2015 / August 20, 2015 by गिरीश पंकज | Leave a Comment गिरीश पंकज पं.आनंदी सहाय शुक्ल हम सब को रोता बिलखता छोड़ कर चले गए। उनके निधन की खबर सुनते ही मुझे उनकी ही कविता याद आ गई, जिसमें वे कहते हैं उधो सांसों का इकतारा बजता रहे तार मत टूटे गाता मन बंजारा बाणों की शैया पर लेटा, फिर भी मत्यु न चाहे इस इच्छा इस आकर्षण […] Read more » आनंदीसहाय शुक्ल
कविता विविधा मेरा सब कुछ अब तू ही मेरे मौला August 19, 2015 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment मुझे अपने रंग में ; रंग दे ,मेरे मौला मुझे भी अपने संग ले ले ,मेरे मौला जब हर कोई मेरा साथ छोड़ दे , दुनिया के भीड़ में तन्हा छोड़ दे तब ज़िन्दगी की तन्हाइयों में एक तेरा ही तो साया ; मेरे साथ होता है मेरे मौला मेरा सब कुछ अब तू […] Read more » मेरा सब कुछ अब तू ही मेरे मौला
कविता विविधा स्वामी विवेकानंद August 19, 2015 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment आज भी परिभाषित है उसकी ओज भरी वाणी से निकले हुए वचन ; जिसका नाम था विवेकानंद ! उठो ,जागो , सिंहो ; यही कहा था कई सदियाँ पहले उस महान साधू ने , जिसका नाम था विवेकानंद ! तब तक न रुको , जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो … कहा था […] Read more » स्वामी विवेकानंद
कविता विविधा रूपांतरण August 17, 2015 by विजय कुमार सप्पाती | 1 Comment on रूपांतरण एक भारी वर्षा की शाम में अकेले भीगते हुए … .. और अंधेरे आकाश की ओर ऊपर देखते हुए .. जो की भयानक तूफ़ान के साथ गरज रहा था और .. आसपास कई काले बादल भी छाए हुए थे मैंने प्रभु से प्रार्थना करना शुरू कर दिया की ; अधिक से अधिक ,ऐसी भारी बारिश […] Read more » रूपांतरण
विविधा पुरातन भारतीय साहित्य में नाग अर्थात सर्प August 17, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” पुरातन भारतीय साहित्य में नाग शब्द का सर्प और हस्ती दोनों अर्थों में बहुतायत से प्रयोग हुआ है । नग पर्वत को कहा जाता है । लेकिन वेद में नाग या नग शब्द का उल्लेख नहीं मिलता । ब्राह्मण ग्रन्थों में भी नाग शब्द का प्रयोग एकाध स्थान पर ही उपलब्ध है […] Read more »
धर्म-अध्यात्म विविधा दक्षिण भारत के संत (15) पेरियलवार विष्णुचित्त August 17, 2015 by बी एन गोयल | 2 Comments on दक्षिण भारत के संत (15) पेरियलवार विष्णुचित्त बी एन गोयल हे ईश्वर हमारी रक्षा करो। हमारे परिवार के सभी सदस्य, हमारे सभी पूर्वज और हमारी आगामी पीढ़ियाँ, सब आप के सेवक हैं। आपके भक्त हैं, आप के अनुचर हैं, आप ही हमारी रक्षा करें, आप ही हम पर अपनी कृपा करें।…………… पल्लाण्डु तिरुनलवेली ज़िले के श्री विल्लीपुत्तुर नमक गाँव में मुकुंद […] Read more » दक्षिण भारत के संत पेरियलवार विष्णुचित्त
विविधा स्वराज्य वा स्वतन्त्रता के प्रथम मन्त्र-दाता महर्षि दयानन्द August 15, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on स्वराज्य वा स्वतन्त्रता के प्रथम मन्त्र-दाता महर्षि दयानन्द महाभारत काल के बाद देश में अज्ञानता के कारण अन्धविश्वास व कुरीतियां उत्पन्न होने के कारण देश निर्बल हुआ जिस कारण वह आंशिक रूप से पराधीन हो गया। पराधीनता का शिंकजा दिन प्रतिदिन अपनी जकड़ बढ़ाता गया। देश अशिक्षा, अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड व सामाजिक विषमताओं से ग्रस्त होने के कारण पराधीनता का प्रतिकार करने […] Read more » महर्षि दयानन्द स्वराज्य वा स्वतन्त्रता के प्रथम मन्त्र-दाता