Category: विविधा

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राम मंदिर सहमति से हल की उम्मीद ?

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हालांकि पुरातत्वीय सक्षों, निर्मोही अखाडे़ और गोपाल सिंह विशारद द्वारा मंदिर के पक्षपक्ष में जो सबूत और शिलालेख अदालत में पेश किए गए थे, उनसे यह स्थापित हो रहा था कि विंध्वस ढांचे से पहले उस स्थान पर राममंदिर था। जिसे आक्रमणकारी बाबर ने हिन्दुओं को अपमानित करने की दृष्टि से शिया मुसलमान मीर बांकी को मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाने का हुक्म दिया था। मस्जिद के निर्माण में चूंकि शिया मुसलमान मीर बांकी के हाथ लगे थे, इस कारण इस्लामिक कानून के मुताबिक यह शिया मुसलमानों की धरोहर था। इसकी व्यवस्था

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जन्मभूमि का नजराना देकर नजीर पेश करे मुस्लिम समाज

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भारतीय मुस्लिमों के समक्ष भी उच्चतम न्यायालय के समझौते के आग्रह के बाद एक बड़ा महत्वपूर्ण व एतिहासिक अवसर बनकर आया है. भारतीय मुस्लिमों को यह बात विस्मृत नहीं करना चाहिए कि बाबर (जिसके नाम पर वह बदनुमा दाग रुपी बाबरी मस्जिद थी) महज एक विदेशी आक्रमणकारी व लूटेरा था. भारतीय मुस्लिमों की रगों में बाबर का खून नहीं बल्कि उनके भारतीय (पूर्व हिन्दू) पुरखों का रक्त बहता है.

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नदियों के नागरिक अधिकार

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कायापलट के बाद साबरमती की तुलना अब लंदन की टेम्स और सिंगापुर की सिंगापुर नदी से की जाने लगी है। ये दोनों नदियां कभी नालें में तब्दील हो चुकी थीं, लेकिन अब नदियों का ही रूप ग्रहण कर लिया है। साबरमाती की सफाई मुहिम के नतीजतन इसका जो कायापलट हुआ है, उसकी मिसाल विकसित देशों की सफल परियोजनाओं के बरक्ष पेश की जाने लगी है। 1152 करोड़ के रिवर फ्रंट योजना की बदौलत यह परिवर्तन संभव हुआ अब अहमदाबाद के बीचोंबीच करीब 10.5 किमी की लंबाई में बहने वाली इस नदी में साफ पानी लबालब भरा रहता है।

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खुशियों के देश !

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धर्म में रूढ़ि और आडंबर को प्रचारित किया जा रहा है। जबकि खासतौर से सनातन धर्म अध्यात्म और विज्ञान का अद्भुत समन्वय है, जिसे आधुनिक वैज्ञानिक संदर्भों में कम ही परिभाषित किया जा रहा है। मानव-शरीर सरंचना के परिप्रेक्ष्य में विज्ञान की पहुंच केवल अस्थि-मज्जा के जोड़ और जैविक रसायनों के घोल तक सीमित है। जबकि मानव शरीर महज जैविक रसायनों का संगठन भर नहीं है, बल्कि उसकी अपनी मनोवैज्ञानिक एवं उससे भी इतर आध्यात्मिक सत्ता भी है, जो मानसिक स्तर पर मानवीय चेतना एवं व्यक्तित्व विकास का प्रमुख आधार तत्व है।

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दम तोड़ती भारत की जीवित जीवनदायिनी मैया यमुना

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इसका बड़ा कारण यह है कि दिल्ली के करीब 50 फीसद इलाकों में सीवर नेटवर्क नहीं है। जल बोर्ड के सीवरेज शोधन संयंत्रों की क्षमता करीब 604 एमजीडी है, लेकिन प्रतिदिन करीब 450 एमजीडी सीवरेज शोधित हो पाता है। जल बोर्ड ने 1962 करोड़ रुपये की लागत से इंटरसेप्टर सीवर लाइन का निर्माण वर्ष 2011 में शुरू कराया था। अभी तक इसका एक पैकेज पूरा हुआ है। इसके पांच पैकेजों का काम अधूरा है। इसके अलावा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर छोटे नालों के गंदे पानी के शोधन के लिए 14 सीवरेज शोधन संयंत्र लगाने की योजना बनी थी।

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नदी जीवंतता को मिला अदालती आधार

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योगेन्द्र नाथ नसकर बनाम आयकर आयुक्त कोलकोता मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि हिदुओं की देव प्रतिमायें न्यायाधिकार धारण करने की क्षमता रखने वाली सत्ता हैं। इसलिए समाज की आस्था और उसकी मान्यता की रक्षा करने के लिए गंगा और यमुना को जीवित व्यक्ति या न्यायाधिकार प्राप्त व्यक्ति के रूप मेें घोषित करने की ज़रूरत है। नदियों की जीवंतता को संवैधानिक दर्जा दिलाने के विचार और मांग की पूर्ति का संकल्प पहली बार तब सार्वजनिक हुआ, जब वर्ष 2013 के इलाहाबाद कुंभ के दौरान ’गंगा संसंद आयोजित की गई।

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गंगा-यमुना मैया को जीवित मानव जैसा अधिकार मिला

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न्यायालय ने आठ सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार को गंगा मैनेजमेंट बोर्ड बनाने का आदेश भी दिया है। यह महत्वपूर्ण एवं दूरगामी आदेश हरिद्वार निवासी मोहम्मद सलीम नामक व्यक्ति की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति श्री राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति श्री आलोक सिंह की संयुक्त खंडपीठ ने जारी किया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि पूर्व सुनवाई में केंद्र सरकार को पांच दिसंबर तक गंगा मैनेजमेंट बोर्ड बनाए जाने के निर्देश दिए गए थे। पिछले साल पांच दिसंबर को कोर्ट ने तीन माह के भीतर गंगा प्रबंधन बोर्ड बनाने व परिसंपत्तियों का बंटवारा करने के आदेश पारित किए थे। अभी तक इस आदेश का पालन नहीं किया गया है।

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पर्यावरण विविधा सार्थक पहल

यमुना का प्रदूषण और उमा भारती के प्रयास

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उमा भारती के अनुसार उन्होंने यमुना के लिए जो प्लान किया है उसमे दिल्ली से गंदा पानी अब मथुरा में नहीं आ पायेगा। नमामि गंगे प्रोजेक्ट में दिल्ली से आने वाला गंदा पानी ट्रीट होकर मथुरा की यमुना नदी में शुद्ध होकर आयेगा। जिसके लिए दिल्ली में भी कई प्रोजेक्ट्स को पहले ही लांच किया जा चुका है। इसके अलावा उमा भारती ने दिल्ली में यमुना को हाइब्रिड एन्यूटी पर ले जाकर पूरी की पूरी यमुना और उसके घाटों को ठीक करने की बात कही है। अगले चरण में आगरा की यमुना नदी को भी इस योजना का हिस्सा बनाने की बात की गयी है।’’ अब आगे देखने वाली बात होगी कि केंद्रीय मंत्री उमा भारती यमुना का कितना जीर्णोद्धार या कायाकल्प कर पाती हैं।

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