-अशोक गौतम
शहर के मेन बस स्टैंड के पास बड़े दिनों से महिला शौचालय बनकर तैयार था पर कमेटी के प्रधान बड़ी दौड़ धूप के बाद भी उस शौचालय के लोकार्पण के लिए मंत्री जी से वक्त नहीं ले पा रहे थे और महिला यात्री थे कि पुरूष शौचालय में जाने के लिए विवश थे। पर वहां जब देखो कुत्ते लेटे हुए। अब कमेटी के कर्मचारियों का शौचालय की रखवाली करना मुश्किल हो रहा था। वे किस किसको कहते फिरें कि अभी इस शौचालय का मंत्री जी ने लोकार्पण नहीं किया है।
और आज कमेटी के प्रधान को बधाई देने की शुभ घड़ी आ पहुंची। बारह बजे महिला शौचालय को मंत्री जी ने जनता को समर्पित करना था। सुबह नौ बजे से शहर के सभी विभागों के मुखिया नाक पर रूमाल रखे सांसें रोके वहां खड़े हुए। मैंने उन्हें कहा, ‘साहब! नाक पर रूमाल तो वाजिब है पर शौचालय के पास अभी से नाक पकड़ कर खड़े होने की जरूरत नहीं। अभी तो इसका लोकार्पण भी नहीं हुआ है, ‘पर वे अपनी नाक पर रूमाल रखे रहे। पता नहीं क्यों? मेरी समझ में आज तक नहीं आया।
शौचालय को शादी के मंडप की तरह सजाया गया था गोया वहां किसीके फेरे लगने हों। पास ही लोक संपर्क विभाग वालों ने देशभक्ति के गीत पुरजोर चलाए हुए थे।
आखिर एक बजे मंत्री जी का काफिला बस स्टेंड पहुंचा तो अफसरों की जान में जान आई। कमेटी की सुंदर जवान महिला कर्मचारियों को खास तौर पर इओ ने सज धज कर आने को कहा था। मंत्री जी ने अपने स्वागत के लिए चार-चार सुंदर महिलाएं मुस्कुराते हुए अपनी राह में पलकें बिछाएं देखीं तो उनके चेहरे पर से एक झुर्री और गायब हुई।
कुछ देर तक जुटाई गई भीड़ की ओर से खुश हो मंत्री जी कमेटी के प्रधान की पीठ थपथपाते रहे तो वह फूल कर कुप्पा हुए। उन्हें तय लगा कि अब वे किसी बोर्ड के चेयरमेन कभी भी हुए। देखते ही देखते उनका गला फूल मालाओं से पूरी तरह घुट गया। यह देख साथ चले पीए ने पूछा भी, ‘सर! आपका गला फूलों से घुट रहा हो तो निकाल दूं?’ पर वे उसकी बात को अनसुनी कर गए। आखिर उन्होंने महिला शौचालय के द्वार पर मुस्कराती लाल साड़ी में खड़ी, थाली में फूल, मूंछें काटने वाली कैंची, तिलक लिए सुंदर नवयौवना को मंद मंद मुस्कराहट से देखा तो उसे लगा कि अब वह भी पक्की हो गई। महिला ने ज्यों ही मंत्री जी के माथे पर सिंदूर का टीका लगाया, उन्होंने अपने मन के वहम को बनाए रखने के लिए गठिया हुए हाथ से एक झटके से थाली से केंची उठाई और खच से शौचालय के द्वार पर बंधा रिबन काट दिया। रिबन कटते ही पूरा बस स्टेंड अफसरों, पार्टी वर्करों की तालियों से गरज उठा। रिबन कटने के बाद ज्यों ही मंत्री जी शौचालय में जाने लगे तो पीए ने उन्हें रोक उनके कान में कहते उनसे पूछा, ‘सर! कहां जा रहे हैं आप?’
‘लोकार्पण नहीं करना है क्या!?’
‘ये महिला शौचालय का लोकार्पण है सर! पुरूष शौचालय का नहीं।’
‘तो क्या हो गया! जाएंगे तो यहां मर्द ही। दूसरे हम मंत्री हैं, कहीं भी जा सकते हैं। मैं केवल पुरूषों का ही मंत्री थोड़े हूं। बल्कि महिलाओं का मंत्री अधिक हूं। पीछे हटो,’ वे पीए को धक्का दे अंदर जाने को हुए तो पीए ने उनके कान में फुसफुसाया,’ अखबार वाले आ गए हैं। एक ने तो कैमरा भी आपकी ओर ही कर रखा है’, तो वे संभले और जिस पैर अंदर को चले थे उसके साथ सौ पैर और बाहर को मुड़े तो पार्टी वर्करों की जान में जान आई।
कुछ देर खांसने के बाद महिला शौचालय के सामने खड़े हो डीपीआरओ द्वारा रखे माइक का सहारा ले सभी को संबोधित करते बोले, ‘हे मेरे देशवासियों! आज देश को यह शौचालय समर्पित करते हुझे मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। यह दीगर बात है कि यह देश किसी शौचालय से कम नहीं। जहां मन किया शौच कर दिया। पर चलो, जनता को अपना काम करना है तो सरकार को अपना। यथा राजा तथा प्रजा,’ अफरों ने पुरजोर तालियां बजाई तो वे दुगने जोश से आगे बोले,’ और दोनों पूरी निश्ठा से अपना- अपना काम कर भी रहे हैं। इस शुभ अवसर पर यह शौचालय को जनता को समर्पित करते हुए उम्मीद करता हूं कि देश में संपूर्ण स्वच्छता हो जाएगी। पिछड़े वर्ग की महिलाओं के हितों का विशेष ध्यान रखते हुए सरकार ने चाहा है कि यहां भी आरक्षण लागू होगा। क्योंकि आरक्षण के बिना अब इस देश की राजनीति एक कदम भी नहीं चल सकती। इसलिए यहां पर तैनात होने वाले कर्मचारी को मैं साफ निर्देश देता हूं कि आरक्षित वर्गों की महिलाओं से वह शौच जाने का शुल्क वैसे ही कम ले जैसा अन्य जगह रखा गया है। और……. हां,बीपीएल/एपीएल/बीसी/ओबीसी/बेरोजगार/भूतपूर्व सैनिकों की महिलाओं आदि- आदि सभीको शुल्क में पूरी छूट दी जाए ताकि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जरूरत मंदों तक हर हाल में पहुंचे। आशा ही नहीं उम्मीद करता हूं कि यह शौचालय महिला सशक्तिकरण में मील पत्थर साबित होगा। पहली बार आप सबका ज्यादा वक्त न लेता हुआ- आओ देश हित में पुरजोर कहें- नारी शक्ति जिंदाबाद!! जय हिंद!! जय भारत!!’, मंत्री जी ने कहा तो अफसरों ने उनके साथ नारा लगया और चैन की सांस ली कि चलो अब लंच करने को वक्त तो मिला। पार्टी वर्करों का जोश देखो तो सभी को चींटियों की तरह मसलने पर उतारू। सरकार उन्हीं से तो चलती है साहब!