Tag: नोटबंदी

आर्थिकी राजनीति

नोटबंदी पर सहयोग, समर्थन और विपक्ष की राजनीति

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केजरीवाल दिल्ली विधानसभा का सदुपयोग करने की बजाय उसको केवल पीएम मोदी का विरोध करने का मंत्र बना लिया हैं । जिसमें सभी संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन करके तर्कहीन तरीके से मोदी विरोध किया जाता है तथा उनको जी भरकर गालियां दी जाती हैं। आज केजरीवाल व उनके साथ खड़े हाने वाले सभी नेता जनता की निगाहों में गिर रहे है।अभी तक ममता बनर्जी के गृहराज्य बंगाल से भी किसी बड़ी अराजकता का समाचार नहीं प्राप्त हुआ है। यही कारण है कि वह बौखला गयी हैं।

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आर्थिकी राजनीति

नोटबंदी पर काली सियासत

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प्रधानमंत्री ने दो टूक कह भी दिया है कि उनका अगला निशाना बेनामी संपत्ति होगा। यानी आने वाले दिनों में ऐसे लोगों पर भी गाज गिरनी तय है जो अपनी काली कमाई को रियल इस्टेट और गोल्ड में निवेश कर रखे हैं। यह भी संभव है कि सरकार काले धन से निपटने के लिए अगले फिस्कल ईयर के अंत तक गोल्ड इंपोटर्स पर रोक लगा दे। ऐसा इसलिए कि बड़े नोट बंद होने के बाद बड़े पैमाने पर सोना की खरीदारी की गयी। अच्छी बात है कि सरकार ने रात के अंधेरे में सोना बेचने और खरीदने वालों की जांच शुरु कर दी है।

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राजनीति

मोदी की आगरा रैली भाषण में शुरू से अंत तक गरीब और मध्यम वर्ग रहा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगरा परिवर्तन रैली ने बसपा प्रमुख मायावती की आगरा रैली में जुटी भीड़ के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंच पर आये उससे घंटों पहले ही आगरा का कोठी मीना बाजार मैदान खचाखच भर चुका था। और लोगों का आने का सिलसिला आगरा की सड़कों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन तक रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिवर्तन रैली के लिए लोगों का उत्साह उनके चेहरे से दिख रहा था। लोग कई किलोमीटर से पैदल चलकर मोदी की झलक पाने के लिए पहुंचे और हजारों लोग तो आगरा शहर में जाम के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सभा स्थल तक ही नहीं पहुँच पाए।

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व्यंग्य साहित्‍य

#नोटबंदी पर रामभुलावन ने कहा, हम कितने ढीठ किस्‍म के हो गए हैं साहब !

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हम कितने ढीठ किस्‍म के हो गए हैं, वह ऐसे ही नहीं कह रहा, उसके पीछे ओर भी कई कारण है। रामभुलावन आगे बोला..मसलन लोगों ने लाइन में लगने को ही धंधा बना डाला, सरकार ने बैंक से नोट बदलने की सुविधा एटीएम का उपयोग करने वालों की तुलना में जो लोग इस का उपयोग नहीं करते हैं, उनको ध्‍यान में रखकर की थी लेकिन हुआ क्‍या ..... लोग चंद रुपयों के लालच में लाइन में लगकर काले को सफेद करने के फेर में पड़ गए। जिसके बाद मजबूरी में सरकार को 4 हजार 500 की नगद राशि परिवर्तन किए जाने के निर्णय को वापिस लेकर उसे 2 हजार रुपए करना पड़ा।

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